एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?

यूक्रेन युद्ध के कारण चांदी कूट रहे हैं ये भारतीय व्यापारी
यूक्रेन युद्ध के व्यापक आर्थिक असर नजर आने लगे हैं. हालांकि यूरोप और अमेरिका में व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है लेकिन भारत के कम से कम गेहूं व्यापारियों को खासा फायदा हुआ है.
भारत ने पिछले कुछ दिनों में पांच लाख टन गेहूं निर्यात के समझौते किए हैं. व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के कारण कीमतों में बहुत तेजी आई है, जिसका फायदा दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत को हो रहा है.
कुछ व्यापारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि पिछले कुछ दिनों में उन्हें विदेशों से बहुत सारे खरीदारों ने संपर्क किया है जो काला सागर के रास्ते आने वाले गेहूं का विकल्प खोज रहे हैं क्योंकि रूस के यूक्रेन पर हमले ने इस सप्लाई रूट को प्रभावित किया है. रूस और यूक्रेन को गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र हासिल है. दुनिया के कुल एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? गेहूं निर्यात का 30 फीसदी इन्हीं दोनों देशों से आता है.
भारत में पिछली पांच फसलों से रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हुआ है. इसके चलते उसके गेहूं भंडार भरे हुए हैं और व्यापारी निर्यात की संभावनाओं को लेकर खासे उत्सुक हैं. चूंकि भारत में सरकारी न्यूनतम मूल्य ऊंचा है इसलिए भारत को गेहूं निर्यात का फायदा तभी ज्यादा होता है जबकि वैश्विक बाजार में दाम ऊंचे हों. एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म में काम करने वाले डीलर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "वैश्विक बाजार में ऊंचे दामों ने भारतीय निर्यातकों के लिए गेहूं की मांग पूरी करना आसान बना दिया है.”
गेहूं की कीमतें आसमान पर
सोमवार को यूरोपीय गेहूं की कीमत 400 यूरो प्रति टन यानी लगभग 33 हजार रुपये पर पहुंच गई थी जो कि पिछले 14 साल में सबसे ज्यादा है. इसके उलट भारत में गेहूं उत्पादकों को लगभग 19,700 रुपये प्रति टन का न्यूनतम मूल्य मिलता है.
यूक्रेन युद्ध को लेकर एक चिंता यह भी है कि रूस खाद के भी सबसे बड़े निर्यातकों में से है. रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते वहां से फर्टिलाइजर आने बंद होंगे तो घरेलू बाजारों में खाद के दाम बढ़ जाएंगे. जिसका असर फसलों की कीमतों पर भी पड़ेगा.
फर्टिलाइजर की कीमत पिछले साल से लगभग दोगुनी हो चुकी है. नाइट्रोजन आधारित यूरिया और दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला फासफोरस आधारित डायमोनियम फास्फेट पिछले साल के मुकाबले क्रमशः 98 प्रतिशत और 68 प्रतिशत महंगा हो चुका है. यह महंगाई किसानों को चिंतित कर रही है और इसका असर उनकी खरीद पर दिखने लगा है.
भारत का रिकॉर्ड निर्यात
इस साल भारत रिकॉर्ड 70 लाख टन गेहूं का निर्यात करेगा. एक डीलर के मुताबिक, "जो खरीदार यूक्रेन और रूस से सप्लाई बाधित होने के लेकर चिंतित हैं, वे जानते हैं कि इस वक्त सिर्फ भारत इतना बड़ा और स्थिर सप्लायर हो सकता है. इसलिए वे भारत की ओर रुख कर रहे हैं.” इस डीलर ने बताया कि कुछ ही दिन में पांच लाख टन गेहूं के निर्यात के सौदे हो चुके हैं.
यूनिकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले ट्रेडर राजेश पहाड़िया जैन कहते हैं, "ज्यादातर सप्लायर 340 से 350 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदा कर चुके हैं.” इससे पहले 305-310 डॉलर प्रति टन के भाव पर भी गेहूं निर्यात हुआ है.
इस बारे में भारत सरकार के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सरकार निर्यात को प्रोत्साहित करेगी. इस अधिकारी ने कहा, "हमारा रुख निर्यात के प्रति समर्थक है और हम निजी क्षेत्र के जरिए गेहूं की सप्लाई की सुविधा उपलब्ध कराएंगे.”
रूस को झटका देने वाली बड़ी कंपनियां
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LIC ने लॉन्च किया शानदार प्लान, सिर्फ एक बार जमा करें पैसा, जिंदगी भर मिलेगी पेंशन, जानें- स्कीम की डिटेल्स
LIC Pension Scheme: LIC ने सरल पेंशन योजना शुरू की है. यह एक नॉन-लिंक्ड सिंगल प्रीमियम स्कीम है. इस योजना के तहत, पॉलिसीधारक को केवल एक बार प्रीमियम का एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? भुगतान करना होता है. इसके बाद पॉलिसीधारक को जीवन भर पेंशन मिलती है.
Updated: May 13, 2022 10:06 AM IST
LIC Pension Scheme: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने सरल पेंशन योजना शुरू की है. यह एक नॉन-लिंक्ड सिंगल प्रीमियम स्कीम है. इस योजना के तहत, पॉलिसीधारक को केवल एक बार प्रीमियम का भुगतान करना होता है. इसके बाद पॉलिसीधारक को जीवन भर पेंशन मिलती एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? है. यह बीमा नियामक IRDAI के दिशानिर्देशों के अनुसार एक तत्काल वार्षिकी योजना है. एलआईसी ने इस पॉलिसी के बारे में बताया है कि इस प्लान में सभी जीवन बीमा कंपनियों के लिए समान नियम और शर्तें हैं. एलआईसी की इस योजना के तहत पॉलिसीधारक दो उपलब्ध वार्षिकी विकल्पों में से किसी एक को चुन सकता है. इस योजना में पॉलिसी शुरू होने की तारीख से 6 महीने के बाद भी ऋण लिया जा सकता है.
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सरल पेंशन योजना का पहला विकल्प
एलआईसी सरल पेंशन योजना को चुनने के लिए दो विकल्प हैं. पहला, लाइफ एन्युइटी के साथ 100 खरीद मूल्य का रिटर्न. यह पेंशन एकल जीवन के लिए है, यानी पेंशन पति-पत्नी में से किसी एक से जुड़ी रहेगी, जब तक पेंशनभोगी जीवित है, उसे पेंशन मिलती रहेगी. उसकी मृत्यु के बाद पॉलिसी लेने के लिए भुगतान किया गया मूल प्रीमियम उसके नामांकित व्यक्ति को वापस कर दिया जाएगा.
सरल पेंशन योजना का एक और विकल्प
दूसरा विकल्प ज्वाइंट लाइफ के लिए दिया गया है. इसमें पेंशन को पति-पत्नी दोनों से जोड़ा जाता है. इसमें जीवनसाथी, जो भी अंत तक जीवित रहता है, उसे पेंशन मिलती रहती है. एक व्यक्ति को जीवित रहते हुए जितनी पेंशन मिलेगी, उतनी ही पेंशन की राशि दूसरे पति या पत्नी को उनमें से एक की मृत्यु के बाद भी जीवन भर मिलती रहेगी. जब दूसरा पेंशनभोगी भी दुनिया छोड़ देता है, तो नॉमिनी को वह आधार मूल्य दिया जाता है जो पॉलिसी लेते समय चुकाया गया था.
यह है तत्काल वार्षिकी योजना
एलआईसी का यह प्लान इमीडिएट एन्युटी प्लान है यानी पॉलिसी लेते ही पेंशन शुरू हो जाएगी. पेंशनभोगी के पास यह विकल्प है कि वह हर महीने, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक पेंशन लेगा या साल में एक बार पेंशन लेगा. जो भी विकल्प चुना जाएगा, उसी तरह पेंशन शुरू हो जाएगी.
कैसे खरीदें
- इस प्लान को आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से खरीद सकते हैं.
- www.licindia.in की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदा जा सकता है.
- योजना में न्यूनतम वार्षिकी 12,000 रुपये प्रति वर्ष है.
- न्यूनतम खरीद मूल्य वार्षिक मोड, चुने गए विकल्प और पॉलिसी लेने वाले की उम्र पर निर्भर करेगा.
- इस योजना में कोई अधिकतम खरीद मूल्य सीमा नहीं है.
- इस योजना को 40 साल से 80 साल तक के लोग खरीद सकते हैं.
- अगर आप मासिक पेंशन का लाभ लेना चाहते हैं तो महीने में कम से कम एक हजार रुपये का निवेश करना होगा.
- इसी तरह तिमाही पेंशन के लिए एक महीने में कम से कम 3 हजार का निवेश करना होगा.
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MP किसानों को बड़ी राहत, समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन की डेट बढ़ी, जानें नियम
भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने किसानों (MP Farmers) को बड़ी राहत दी है।समर्थन मूल्य (support price) पर गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन (Registration) की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है। इस तारीख को अब 5 मार्च से बढाकर 10 मार्च कर दिया गया है। वही अबतक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने (Wheat Procurement) के लिए 17 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है। राज्य शासन की तरफ से एक क्विंटल गेहूं का समर्थन मूल्य 1937 रुपय रखा गया है। इसी कीमत पर इस वर्ष सरकार गेहूं की खरीदी करेगी।
वही किसान ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील सहित संचालित सुविधा केंद्र पर गेहूं बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के पात्र होंगे। इसके अलावा लोक सेवा केंद्र, एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? साइबर कैफे पर भी किसान रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। वहीं मोबाइल से रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट www.mpeuparjan.ni पर सकते है।किसान किस सेंटर और किस तारीख को उपज लेकर आएंगे और बेचेंगे, इसको चयन करने की भी सुविधा मिलेगी।इसके लिए वे रजिस्ट्रेशन के समय इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए 50 रुपए फीस तय की गई है।
ध्यान रहे कि पिछले वर्ष का रजिस्ट्रेशन मान्य नहीं होगा, किसानों को नया रजिस्ट्रेशन कराना होगा।किसान कियोस्क और लोक सेवा केंद्र पर ₹50 फीस के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।इस बार गेहूं खरीदी (Wheat Procurement) का तरीका बदल गया है।इसके तहत अब छन्ना लगाकर गेहूं की खरीदी और अंगूठे के निशान से किसानों की पहचान होगी।किसानों से ही गेहूं खरीदना और सही व्यक्ति को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए खसरे के सर्वे नंबर को आधार से लिंक करने की व्यवस्था बनाई है।
खाने के तेल की कीमतों में गिरावट, सरकार ने 400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
सरकार को आगामी सरसों फसल के लिए बीज का इंतजाम पहले से रखना चाहिए. बाजार में मंडिया में सरसों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. सरसों का खाद्य तेलों के बाजार में कोई विकल्प भी नहीं है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अभिषेक तिवारी
Updated on: Sep 08, 2021 | 8:53 PM
स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को मांग कमजोर पड़ने से कच्चा पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन, सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल सहित लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली जबकि कुछेक तेल तिलहन भाव पूर्वस्तर पर बने रहे.
सरकार ने आगामी रबी मौसम के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 400 रुपये बढ़ाकर 5,050 रुपये क्विंटल कर दिया है. गेहूं का नयूनतम समर्थन मूल्य भी 40 रुपये क्विंटल बढ़ाया गया है. बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार को आगामी सरसों फसल के लिए बीज का इंतजाम पहले से रखना चाहिए. बाजार में मंडिया में सरसों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. सरसों का खाद्य तेलों के बाजार में एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? कोई विकल्प भी नहीं है.
बढ़ रही है सरसों की आवक
सूत्रों ने कहा कि कुछ समाचार पत्रों में आयात शुल्क घटने की रिपोर्ट सामने आने के बाद मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी रही जबकि शिकागो एक्सचेंज में कोई विशेष घट बढ़ नहीं दिखी. इससे घरेलू तेल तिलहन कीमतों पर उल्टा असर दिखा और यहां भाव कमजोर रहे.
बाजार सूत्रों के मुताबिक देश की विभिन्न मंडियों में सरसों की आवक मंगलवार को एक लाख 90 हजार बोरी की थी जो बुधवार को बढ़कर लगभग दो लाख बोरी हो गई. लेकिन आने वाले समय में मांग बढ़ने के साथ आवक की क्या स्थिति होगी कहना मुश्किल है. सरसों की अगली फसल आने में चार- पांच महीने का समय है जबकि त्यौहारों का मौसम शुरू होने वाला है.
जयपुर में सरसों के सितंबर अनुबंध का वायदा भाव 82 रुपये क्विन्टल कम रहा. वायदा कारोबार में भाव टूटने का हाजिर कारोबार में कोई फर्क नहीं पड़ा. अन्य तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर रहे.
आज मंडियों में तेल-तिलहन के भाव
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल) सरसों तिलहन – 8,625 – 8,675 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये. मूंगफली – 6,820 – 6,965 रुपये. मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,550 रुपये. मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,390 – 2,520 रुपये प्रति टिन. सरसों तेल दादरी- 17,900 रुपये प्रति क्विंटल. सरसों पक्की घानी- 2,695 -2,745 रुपये प्रति टिन. सरसों कच्ची घानी- 2,780 – 2,890 रुपये प्रति टिन. तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,500 – 18,000 रुपये. सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,950 रुपये. सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,800 रुपये. सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,500 रुपये. सीपीओ एक्स-कांडला- 11,800 रुपये. बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,200 रुपये. पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,300 रुपये. पामोलिन एक्स- कांडला- 12,200 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना- 8,800 – 9,100 रुपये. सोयाबीन लूज- 8,500 – 8,800 रुपये. मक्का खल (सरिस्का)- 3,800 रुपये.
MP किसानों को बड़ी राहत, समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन की डेट बढ़ी, जानें नियम
भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने किसानों (MP Farmers) को बड़ी राहत दी है।समर्थन मूल्य (support price) पर गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन (Registration) की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है। इस तारीख को अब 5 मार्च से बढाकर 10 मार्च कर दिया गया है। वही अबतक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने (Wheat Procurement) के लिए 17 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है। राज्य शासन की तरफ से एक क्विंटल गेहूं का समर्थन मूल्य 1937 रुपय रखा गया है। इसी कीमत पर इस वर्ष सरकार गेहूं की खरीदी करेगी।
वही किसान ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील सहित संचालित सुविधा केंद्र पर गेहूं बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के पात्र होंगे। इसके अलावा लोक सेवा केंद्र, साइबर कैफे पर भी किसान रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। वहीं मोबाइल से रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट www.mpeuparjan.ni पर सकते है।किसान किस सेंटर और किस तारीख को उपज लेकर आएंगे और बेचेंगे, इसको चयन करने की भी सुविधा मिलेगी।इसके लिए वे रजिस्ट्रेशन के समय इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल कर एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? सकते है। इसके लिए 50 रुपए फीस तय की गई है।
ध्यान रहे कि पिछले वर्ष का रजिस्ट्रेशन मान्य नहीं होगा, किसानों को नया रजिस्ट्रेशन कराना होगा।किसान कियोस्क और लोक सेवा केंद्र पर ₹50 फीस के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।इस बार गेहूं खरीदी (Wheat Procurement) का तरीका बदल गया है।इसके तहत अब छन्ना लगाकर गेहूं की खरीदी और अंगूठे के निशान से किसानों की पहचान होगी।किसानों से ही एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? गेहूं खरीदना और सही व्यक्ति को भुगतान सुनिश्चित करने के लिए खसरे के सर्वे नंबर को आधार से लिंक करने की व्यवस्था बनाई है।