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शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें

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Rajasthan Police Constable exam 2018 | Answer Key | Paper-2-Code 6742

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल (Constable) भर्ती परीक्षा 2018 का 14 जुलाई 2018 को हुआ पहला एग्जाम पेपर उत्तरकुंजी (answer key) सहित यहाँ Govtexamresults पर उपलब्ध है। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 14/07/2018 को प्रातः 10 बजे से 12 बजे तक राजस्थान पुलिस द्वारा राज्य के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गयी है। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2018 को दो दिन 14 और 15 जुलाई को चार पालियों में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक दिन दो पालियों में परीक्षा समपन्न करवाई गई ।
Rajasthan police constable 2018 में आये हुए सभी questions को हम Mock टेस्ट के रूप में शो कर रहे है इस Online Mock Test को देकर आप , Rajasthan police constable 2020 के लिए अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है
इसमें Questions की संख्या 120 रखी गई थी
Tests का रिजल्ट्स 120 Questions का answer देने के बाद show किया जायेगा.

देवभूमि उत्तराखंड

Ukpsc online test series 2023 उत्तराखंड पुलिस मॉडल पेपर -45 उत्तराखंड पुलिस की सभी परीक्षाओं के लिए विशेष फ्री मॉक टेस्ट सीरीज प्रारंभ की गई है। आगामी परीक्षाओं को अच्छे नंबरों से पास करने के लिए उत्तराखंड की सभी मॉक टेस्ट जरूर दें । यहां सभी मॉक टेस्ट उत्तराखंड समूह-ग के पुराने सभी प्रश्न पत्रों का गहन विश्लेषण करने के बाद तैयार किए गए हैं। विशेष ध्यान दें - देवभूमि उत्तराखंड द्वारा बिना किसी फीस के उत्तराखंड पुलिस के लिए विशेष मॉक टेस्ट सीरीज चलाई जा रही है। सभी मॉक टेस्ट देने के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। प्रतिदिन टेस्ट -70 marks (सिलेबस के अनुसार) कृपया शेयर जरुर करें। Join telegram channel - click here Ukpcs test series (mock test - 45) Total - 100 Marks (cutt off 70) (1) शुद्ध वर्तनी का चयन कीजिए। (a) दीर्घायु (b) दीरघायु (c) दीघायु (d) दीघीयु (2) निम्न में से सही वाक्य का चयन कीजिए? (a) सीता का चरित्र अच्छी है। (b) सीता को चरित्र अच्छा है। (c) सीता का अच्छा चरित्र है। (d) सीता का चरित्र अच्छा है। (3) 'ओजस्वी' का विलोम शब्द क्या है? (a) मंद (b) भीरू (c) नि

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उत्तराखंड समूह ग (मॉडल पेपर 2021 - 08)

चित्र

Uksssc 2021 (test-08)

समूह - ग (पटवारी एवं लेखपाल , समीक्षा अधिकारी, स्नातक स्तरीय 854 पद , बंदी रक्षक और फॉरेस्ट गार्ड के सभी के लिए मॉक टेस्ट - 08)

देवभूमि उत्तराखंड के द्वारा आप सभी की मदद के लिए प्रत्येक सप्ताह समूह-ग , बन्दीरक्षक, पटवारी एवं लेखपाल की परीक्षा से संबंधित मॉक टेस्ट सीरीज का आयोजन किया जाता है। आगामी परीक्षा uksssc के 854 पदों की भर्ती के लिए यह विशेष free mock test series उपलब्ध करायी जा रही है। जो प्रतियोगी स्थिति आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मॉक टेस्ट सीरीज नहीं खरीद पाते हैं। वह यहां इन practice paper series से लाभ उठा सकते हैं। कृपया जरूरतमंदो तक शेयर करें ,

उत्तराखंड समूह ग शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें प्रैक्टिस पेपर सीरीज -08

(2) भारत की आत्मनिर्भर समाज व्यवस्था का वर्णन करते हुए किसने कहा कि 'भारत की ग्राम व्यवस्था छोटे-छोटे गणतंत्र हैं' ?

(16) गणतंत्र दिवस परेड 2021 में निम्नलिखित में से किस राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र की झांकी का सर्वश्रेष्ठ झांकी के रूप में चयन किया गया ।

(20) किसी निश्चित कूट भाषा में, "EARTH" को 8201815 लिखा जाता है. उस भाषा को 'ORBIT' को कैसे लिखा जाएगा ?

(21) कुछ विकल्प का चयन कीजिए जिसमें जनसंख्या ओं का आपस में वही संबंध है, जो नीचे दिए गए समुच्चय की संख्याओं के बीच है--

(26) भारत के संविधान का कौन सा उपबंध यह व्यवस्था देता है कि भारत के राष्ट्रपति अपने पद की शक्तियों के प्रयोग के लिए भारत के किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे ?

(36) निम्नलिखित में से किस किस्म के प्रचालन तंत्र में कई प्रयोग का एक समय में एक साथ कार्य कर सकते हैं ?

(37) हाल ही में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की 24 वीं. बैठक की अध्यक्षता की, FSDC के गठन प्रस्ताव किस समिति ने दिया था?

(39) उड़ीसा में स्थित भितरकनिका वन्य जीव अभ्यारण को किस वर्ष रामसर आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था?

(47) हिंदी स्वरों का वर्गीकरण जब जीव के भाग के आधार पर किया जाता है तो निम्नलिखित में से कौन सा भेद इसके अंतर्गत नहीं आएगा।

(50) जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है, तब है पहली किया क्या कहलाती है ?

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उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त का इतिहास

भूमि बंदोबस्त व्यवस्था उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है। हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ने कुमाऊं के भू-राजनैतिक महत्व को देखते हुए उसे एक गैर विनियमित क्षेत्र के रूप में प्रशासित किया। इसलिए कुमाऊं क

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हम सभी में आवश्यकता के अनुसार अभिप्रेरण की शरुआत होती है, छात्र की वह आवश्यकता जिसे उसको सर्वप्रथम पूरा करना चाहिए, सम्बन्धित

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(A) सम्बन्ध स्थापित करता है
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(C) व्याख्यान स्थल पर स्थैतिक बना रहता
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(A) विशेष लोगों को दी जाती है
(B) विकलांग व्यक्तियों को दी जाती है
(C) बुद्धिमान व्यक्तियों को दी जाती है
(D) स्थानीय मुखिया द्वारा संस्थापित होती

(A) कक्षा में अपने विचार को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करके
(B) सही ध्वनि के उच्चारण के लिए सहायता करके
(C) उनके द्वारा कथित गलतियों को सुनने में सहायता करके
(D) मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञ के पास भेजकर

(A) नहीं लता! उत्तर 45 नहीं है।
(B) कमला! उत्तर देने में तुम कीर्ति की सहायता नहीं कर सकती।
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(A) महान व्यक्तियों का उदाहरण प्रस्तुत करके
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(C) स्वयं का उदाहरण प्रस्तुत करके
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(A) उनसे प्रश्न करने को कहना
(B) विचारों का आदान-प्रदान
(C) उन्हें निर्देश देना
(D) उन्हें अपने विचारों से अवगत कराना

भले ही अब मथुरा के जलमहल में पुरानी रौनक नहीं रही लेकिन सौंदर्य फिर भी बरकरार

भले ही अब मथुरा के जलमहल में पुरानी रौनक नहीं रही लेकिन सौंदर्य फिर भी बरकरार

मथुरा [विवेक दत्त मथुरिया]। मथुरा के बरसाना में स्थित वृषभानु शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें कुंड के जल में जल महल की पांच मंजिला इमारत हैं, जिनमें दो मंजिल जलमग्न रहती हैं। जल महल गर्मियों की तपती दोपहर में भी कूलर जैसी ठंडक का आनंद देता है। कुछ दशक पहले तक जब पंखा, कूलर जैसे उपकरणों का चलन कम था, तब स्थानीय लोगों के लिए दोपहर बिताने का यह एक पसंदीदा स्थान हुआ करता था। पौराणिक वृषभानु-कीर्ति कुंड का यह सरोवर युग्म और यहां बने जल महल में आज भले ही पहले जैसी रौनक नहीं रही, पर इससे इसके सौंदर्य पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। बरसाना के जलमहल की सैर कराती विवेक दत्त मथुरिया की यह रिपोर्ट:

बाबा वृषभानु और माता कीर्ति के नाम पर हैं कुंड

जिस तरह राधाकुंड में एक सरोवर युग्म है, जिसमें से एक राधा कुंड कहलाता है तो दूसरा कृष्ण कुंड कहलाता है। उसी तरह बरसाना में भी एक सरोवर युग्म है, जिसमें से एक वृषभानु कुंड कहा जाता है तो दूसरे का नाम कीर्ति कुंड है। इन कुंडों शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें का नामकरण राधा रानी के पिता वृषभानु गोप और उनकी माता कीर्ति रानी के नाम पर किया गया है। ये दोनों कुंड एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक कुंड का जल दूसरे में पहुंचता रहता है। कीर्ति कुंड छोटा है और चारों ओर घाटों पर हुए अतिक्रमण के चलते कुछ छिप सा गया है, पर वृषभानु कुंड आज भी अपने विराट स्वरूप में मौजूद है। दर्जनों सीढ़ीदार घाटों और गो घाटों से इसकी विशालता दिखती है। इस कुंड का सबसे खास पहलु है इसके एक ओर बना पांच मंजिला जल महल।

रूपराम कटारा ने कराया था निर्माण

वृषभानु कुंड पौराणिक है। इसका उल्लेख नारायण भट्ट रचित ब्रज भक्ति विलास में भी मिलता है। शुरुआत में यह एक कच्चा सरोवर रहा होगा। इसके दाएं किनारे पर प्राचीन वृषभानेश्वर महादेव का मंदिर है। मान्यता है कि इस महादेव मंदिर की स्थापना कृष्ण काल में हुई थी। इस कुंड के घाट और जल महलों का निर्माण 1740 ईस्वी से 1760 ईस्वी के मध्य शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें स्थानीय निवासी रूपराम कटारा ने कराया। रूपराम कटारा भरतपुर के जाट शासक सूरजमल का राज पुरोहित, दीवान और वकील था। उस दौर में वह दिल्ली, जयपुर और पूना दरबारों में एक प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था। रूपराम कटारा ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ब्रज के तमाम धार्मिक स्थलों पर निर्माण कराने पर व्यय किया।

गर्मियों में ठंडक का अहसास कराते हैं जल महल

जल महल वृषभानु कुंड के एक किनारे पर बना है। इनकी इमारत पांच मंजिला है, जिसकी दो मंजिलें अधिकतर जल में डूबी रहती हैं। जलस्तर बढ़ने पर ढाई से तीन मंजिलों तक जलस्तर पहुंच जाता है। इस इमारत का निर्माण बावड़ीनुमा तरीके से किया गया है। इनमें महिलाओं के स्नान के लिए अलग कक्ष बने हुए हैं। इन कक्षों में जल के तल तक पहुंचने के लिए सीढियां बनी हुई हैं। कुण्ड में जल का स्तर भले ही कितना ही घटे या बढ़े, इन महिला कक्षों की सीढ़ियों पर जल हमेशा बना रहता है, जिससे महिलाएं वहां पर्दे में स्नान और जल क्रीड़ा करती थीं। वृषभानु कुंड और कीर्ति कुंड को क्षेत्र के चारों ओर एक विशाल दीवार भी बनवाई शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें गई थी, जिसका अधिकांश हिस्सा अब नष्ट हो गया है।

गर्मियों में भी ठंडे बने रहते हैं

वृषभानु कुंड पर बने जल महलों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये गर्मियों में भी ठंडे बने रहते हैं। कुंड के पानी को छूकर आती हुई हवा यहां बेहद शीतल हो जाती है। गर्मियों की दोपहरी में चलने वाली गर्म तपती लू भी यहां बेअसर साबित होती है। पंखा, कूलर के आविष्कार के पहले के दिनों में ये जल महल गर्मियों की दोपहर में ग्रामीणों को शीतलता देने का जरिया थे। बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां आकर दोपहर बिताते थे। बुजुर्ग बताते हैं कि उन दिनों लोग यहां ताश, शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें शतरंज, 18 गोटी जैसे खेल खेलते हुए यहां की शीतलता का लुत्फ उठाया करते थे। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोगों के पास इन जल महलों में दोपहर बिताने का समय नहीं है।

ब्रज के विशाल सरोवरों में से एक है वृषभानु कुंड

वृषभानु कुंड ब्रज मंडल के विशाल सरोवरों में से एक है। इसके एक ओर जल महल की भव्य इमारत है और शेष तीन और पक्के घाट बने हुए हैं। आठ पक्के सीढ़ीदार घाट हैं, जो नहाने के काम आते हैं। चार गो घाट भी बने हुए हैं, जो किसी समय पशुओं को पानी पिलाने के लिए काम आते थे। कुंड काफी गहरा है और तली में दलदल होने के कारण खतरनाक हो गया है। लोगों की रुचि कम होने के चलते अब यहां नहाने -तैरने वालों की संख्या बहुत कम हो गई है। कुंड की दशा सुधारने के लिए अक्सर यहां इसके जीर्णोद्धार के काम चलते रहते हैं। विक्रमी संवत 1941 में मथुरा के सेठ लाला नारायण शुरुआती लोगों के लिए कौन सा युग्म चुनें दास ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। सरकारें भी इसकी साफ सफाई और घाटों की मरम्मत अक्सर कराती रहती हैं। ब्रज फाउंडेशन ने भी एक बार जल महल का जीर्णोद्धार कराया था।

लुप्त होने के कगार पर है कीर्ति कुंड

वृषभानु कुंड के बाईं और स्थित छोटा सा कीर्ति कुंड अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है। यह कुंड शुरू शुरू से ही थोड़ा गुमनाम रहा है। इसके घाट हालांकि पक्के हैं, पर लंबे समय से जीर्णोद्धार न होने के कारण बेहद जर्जर हालत में हैं। इसका हर घाट स्थानीय लोगों द्वारा कब्जा लिया गया है, जिसके कारण इस कुंड तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।

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