शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है?

कम जोखिम में ज्यादा फायदा पाने का आसान तरीका है ऑप्शन ट्रेडिंग से निवेश, ले सकते हैं बीमा
यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में 4 बड़े अंतर
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अन्तर होता है? इस को ठीक से समझने के लिए पहले दोनों को समझना होगा की आखिर ये दोनों अकाउंट क्या होते है. दोनों ही अकाउंट या खाते शेयर मार्केट में यूज़ किये जाते है.
अंतर समझने के लिए पहले समझते हैं, की शेयर मार्केट में शेयर की खरीद और बेचाली कैसे होती है?
आजकल के समय, जब भी कोई व्यक्ति शेयर को खरीदना चाहता है, तो पास डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरुरी होता है. कुछ समय पहले ये अलग अलग होते थे. लेकिन अब अधिकतर स्टॉक ब्रोकर इन्हे एक साथ लिंक करके देते हैं.
शेयर मार्केट में जब कोई ट्रांसेक्शन होता है, मतलब यदि आप ने शेयर को खरीदने के लिए आर्डर किया है, तो वह शेयर किसी दूसरे निवेशक के डीमैट खाते से निकाल कर आपके डीमैट खाते में डिपाजिट कर दिया जायेगा। इस प्रक्रिया में, स्टॉक आपके डीमैट खाते में आने में T+2 दिन का समय लगेगा। शेयर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में तुरंत क्रेडिट हो जाता है. जबकि डीमैट अकाउंट में आने में दो दिन का समय लगता है।
1.शेयर क्रेडिट होने का समय
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों में शेयर के क्रेडिट होने का समय एक मुख्य अंतर होता है. ट्रेडिंग अकाउंट में शेयर को आर्डर के तुरंत बाद क्रेडिट कर दिया जाता है, जबकि डीमैट अकाउंट में आने में लगभग दो दिन का समय लगता है। किसी विशेष स्थिति में, डीमैट अकॉउंट में शेयर क्रेडिट होने में अधिक समय भी लग सकता है.
2.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट मैनटैनिंग ऑथोरिटी
स्टॉक मार्केट में, ट्रेडिंग अकाउंट के सारे ट्रांसेक्शन स्टॉक ब्रोकर ( जैसे Zerodha या Upstox) के अधीन होते हैं, जबकि डीमैट अकाउंट के ट्रांसेक्शन डिपॉज़िटरी (NSDL या CDSL) के अधीन होते हैं.
3.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के काम
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों के काम अलग अलग होते है. टेक्नोलॉजी की वजह से आज यह संभव है. आपको शेयर खरीदने बेचने के लिए किसी खास जगह जैसे शेयर बाजार में जाने की जरुरत नहीं होती है. यह काम डिजिटल रूप में मोबाइल या लैपटॉप से ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से कर सकते हैं.
जबकि शेयर को रखने के लिए लम्बे चौड़े कागजों की जरुरत नहीं होती है, बल्कि ये डीमैट अकाउंट में डिजिटल रूप में रख सकते है.
डीमैट अकाउंट शेयर को होल्ड करने का स्पेस होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट शेयर खरीदने बेचने का माध्यम होता है.
4.डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के चार्ज
डीमैट और रीमैट चार्ज
शेयर को फिजिकल फॉर्म मतलब कागजी फॉर्म से डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट करने के लिए चार्ज को डीमैट चार्ज लगता है, जबकि इसके विपरीत शेयर को डिजिटल फॉर्म से फिजिकल फॉर्म में चेंज करने के लिए रीमैट चार्ज लगता है.
इसके दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट में स्टॉक ब्रोकर कुछ अन्य प्रकार के चार्ज लगाता है, जैसे ब्रोकरेज चार्ज, डीपी चार्ज आदि कहते है।
Q.क्या केवल डीमैट अकाउंट को रख सकते हैं?
A. जी हाँ, यदि कोई व्यक्ति शेयर को लम्बे समय के लिए रखना चाहता है, तो वह केवल डीमैट अकाउंट खुलवा सकता है. जबकभी कोई निवेशक आईपीओ में निवेश करना चाहता है तो उसे केवल डीमैट अकाउंट की ही जरुरत होती है.
Q.क्या केवल ट्रेडिंग अकाउंट ही रख सकते हैं?
A. जी हाँ, यह भी शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? संभव है लेकिन वह व्यक्ति केवल फ्यूचर और ऑप्शन जैसी चीजों में ही ट्रेड कर सकता है. क्योकि इनमे शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? शेयर की डिलीवरी नहीं दी जाती।
शेयर बाजार में ट्रेडिंग का समय बढ़ने से किसे फायदा होगा?
पहले बाजार 9.45 बजे सुबह खुलता था, अभी वो 9 बजे खुलता है और 3.30 बजे बंद होता है
एक बार फिर देश के शेयर बाजारों में ट्रेडिंग का समय बढ़ने को लेकर चर्चा होने लगी है. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी और स्टॉक एक्सचेंज इस बारे में विचार कर रहे हैं. ऐसी खबरें हैं कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग का वक्त कम से कम डेढ़ घंटे और ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है.
इस बारे में कोई भी फैसला सेबी को करना है, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज चाहते हैं कि बाजार में ट्रेडिंग का समय बढ़ाकर शाम 5 बजे या 7.30 बजे तक कर दिया जाए. वैसे तो शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? अक्टूबर 2009 में सेबी ने एक्सचेंजों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक शेयर मार्केट खोले जाने शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? की मंजूरी दी थी. इसके बाद ट्रेडिंग का ओपनिंग टाइम तो सुबह 9 बजे कर दिया गया लेकिन ब्रोकरों के विरोध के कारण क्लोजिंग टाइम शाम 3.30 से आगे नहीं बढ़ाया गया.
पहले बाजार 9.45 बजे सुबह खुलता था, अभी वो 9 बजे खुलता है और 3.30 बजे बंद होता है. ट्रेडिंग के लिए समय 9.15 से 3.30 तक का रखा गया है. सुबह 9 से 9.15 तक का समय प्री-ओपनिंग सौदों के लिए होता है.
एक्सचेंज क्यों बढ़ाना चाहते हैं ट्रेडिंग का समय
एक्सचेंजों का कहना है कि ट्रेडिंग का समय बढ़ाने से ग्लोबल शेयर बाजारों के साथ भारतीय बाजारों का तालमेल बेहतर होगा. एक्सचेंजों की दलील है कि इससे ना सिर्फ विदेशी निवेशकों को भारत में ट्रेडिंग के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, बल्कि कमोडिटी एक्सचेंजों के साथ भी बेहतर तालमेल हो सकेगा.
इसका फायदा ज्यादा सौदों और वॉल्यूम के रूप में दिखेगा. हालांकि एक्सचेंजों की इन दलीलों से सभी भारतीय ब्रोकर सहमत नहीं हैं. माना जा रहा है कि शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? ट्रेडिंग का समय बढ़ाना बड़े ट्रेडर्स और ब्रोकरेज हाउस के लिए तो फायदेमंद रहेगा, लेकिन छोटे ब्रोकरेज हाउस को इससे नुकसान होगा. इसलिए छोटे ब्रोकरेज हाउस लगातार ट्रेडिंग का समय बढ़ाए जाने का विरोध करते रहे हैं.
छोटे ब्रोकर क्यों कर रहे हैं विरोध
छोटे ब्रोकरेज हाउसेज का कहना है कि कड़े मुकाबले और लगातार बढ़ रहे ऑटोमेशन की वजह से ब्रोकिंग का धंधा पहले से ही काफी दबाव में है. ऐसे में अगर ट्रेडिंग का समय बढ़ाया जाता है, तो इससे छोटे और मध्यम आकार के ब्रोकरों के लिए लागत बढ़ेगी और उन्हें नुकसान झेलना पड़ेगा. उन्हें न सिर्फ दो शिफ्टों में काम करना होगा, बल्कि स्टाफ की संख्या भी बढ़ानी शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? पड़ेगी.शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है?
छोटे ब्रोकरों के मुताबिक बड़े ब्रोकरेज हाउस तो दूसरे काम-धंधों से कमाई कर लेते हैं, और उनके पूरे बिजनेस का सिर्फ 5-10% हिस्सा ही ब्रोकिंग से आता है. इसलिए उन्हें ट्रेडिंग का समय बढ़ाए जाने से दिक्कत नहीं है.
छोटे ब्रोकरों का ये भी कहना है कि स्टॉक एक्सचेंज सिर्फ अपना फायदा देख रहे शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? हैं. ट्रेडिंग का समय बढ़ाने से विदेशी बाजारों से तालमेल बढ़ने की दलील में कोई दम नहीं है, क्योंकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शेयर बाजार के खुलने का समय अलग-अलग है.
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग कैसे करे – Online Trading In Hindi
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग कैसे करे – Online Trading In Hindi
Online Trading In Hindi – स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग ( शेयरों की खरीद – फरोख्त ) के कई तरीके मौजूद है ! हालाँकि ट्रेडिंग की एक सुनिश्चित प्रक्रिया होती है ! इस प्रक्रिया में कई सारे लोग भाग लेते है ! जो व्यक्ति शेयर खरीदता है वह अपने ब्रोकर से जुड़ा होता है और ब्रोकर का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के साथ होता है ! इसी प्रकार इस ट्रांजेक्शन के दूसरी तरफ बिक्रीकर्ता अपने ब्रोकर के द्वारा एक्सचेंज से जुड़ा होता है !
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफार्म बन जाता है जहाँ सभी एक साथ इकठे हो जाते है और उस जगह पर डिमांड तथा सप्लाई का मिलान होता है और खरीद – बिक्री होती है ! वर्तमान में आधुनिक तकनीक के आ जाने से स्टॉक मार्केट में होने – वाले लेन – देन ( ट्रेडिंग ) के तरीके में भी बदलाव आया है ! आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि शेयरों की ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे होती है तथा ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या है ? तो आइये जानते है Online Share Kaise Kharide In Hindi
ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है ? ( What Is Online Trading In Hindi )
ऑनलाइन ट्रेडिंग में शेयरों की ट्रेडिंग ब्रोकर के माध्यम से ही की जाती है ! यद्यपि ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर अदृश्य रहता है तथा इसका कोई नाम या पहचान नहीं होती है ! वर्तमान में ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर की भूमिका इन्टरनेट तथा अन्य सिस्टम , जो वेबसाइट के माध्यम से कार्य करते है , ने ले ली है ! इस प्रकार पारम्परिक तरीके से अलग ऑनलाइन ट्रेडिंग में कुछ बदलाव आ गया है तथा इसमें निवेशक का अनुभव भी पुर्णतः अलग रहता है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक को ब्रोकर की वेबसाइट पर निवेशक को Registration करवाना पड़ता है तथा उसके नाम से ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट खोला जाता है ! जब कभी निवेशक को ट्रेडिंग करनी होती है , वह ब्रोकर की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम तथा पासवर्ड डालकर ब्रोकर की वेबसाइट के ट्रेडिंग पेज पर अपनी निर्धारित खरीद – बिक्री करते है ! इसमें निवेशक को मार्केट शेयर की ट्रेडिंग कैसे होती है? ऑर्डर तथा लिमिट ऑर्डर दोनों सुविधाये उपलब्ध होती है ! निवेशक के खाते में आवश्यक फण्ड रहने पर तथा पासवर्ड सही होने पर उसके द्वारा किया गया लेन – देन मान्य हो जाता है !
निवेशक के खाते में शेयरों का खरीद मूल्य एवं ब्रोकर का कमीशन निकल जाता है तथा उसके डी – मेट खाते में ख़रीदे गए शेयर जमा हो जाते है ! शेयरों की बिक्री की अवस्था में निवेशक के डी – मेट खाते से शेयर स्थान्तरित हो जाते है तथा उसके बैंक अकाउंट में शेयरों का बिक्री मूल्य कमीशन घटा कर दर्ज हो जाता है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे ( Online Trading Benefits )
- ऑनलाइन ट्रेडिंग में निवेशक अपने समय व् सुविधानुसार ट्रेडिंग कर सकता है !
- निवेशक को फिजिकली उपस्थित होने की जरुरत नहीं होती !
- फॉर्म आदि भरने की प्रक्रिया का कोई झंझट नहीं होता है !
- निवेशक के लिए प्राथमिक बाजार व् द्वितीयक बाजार में निवेश बहुत ही आसान व् सरल होता है !
- इसमें आप मोबाइल से भी कही भी ट्रेडिंग कर सकते है !
- इसमें गलती की सम्भावना बहुत ही कम होती है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान ( Disadvantages of Online Trading )
- आपका अकाउंट हैकर्स द्वारा हैक किया जा सकता है !
- जो लोग कंप्यूटर और नेट की जानकारी नहीं रखते है वे ऑनलाइन ट्रेडिंग का लाभ नहीं उठा सकते है !
- इलेक्ट्रॉनिक गति से transaction होने के कारण निवेशक को अपना निर्णय बदलने की सुविधा नहीं होती है !
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I Am Adv. Jagdish Kumawat. Founder of Financeplanhindi.com . Here We Are Share Tax , Finance , Share Market, Insurance Related Articles in Hindi.