निवेश के तरीके

ईटीएफ की लागत क्या है

ईटीएफ की लागत क्या है
भारत में धनतेरस के मौके पर सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.

Nifty 50 ETF: नए निवेशक करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश तो चुन सकते हैं ये रास्‍ता, लंबे समय में होगा फायदा

Nifty 50 ETF: अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं तो अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रबंधित निफ्टी 50 ईटीएफ एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है जो लंबे समय में अच्‍छा मुनाफा भी दे सकता है.

By: ABP Live | Updated at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST)

Nifty 50 ETF: शेयर बाजार में निवेश करने का कोई उचित समय नहीं होता. मतलब आप शेयर बाजार की टाइमिंग नहीं कर सकते. दूसरी तरफ, भारतीय शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाई छू रहे हैं. इक्विटी लंबे समय में बाकी सभी एसेट क्‍लास (Asset Class) की तुलना में बेहतर रिटर्न भी देते हैं. अब सवाल उठता है कि शेयरों में निवेश की शुरुआत कैसे करें. अगर आप शेयरों में निवेश के मामले में नए हैं तो निवेश करने के लिए सही कंपनी चुनना आसान काम नहीं है. इसके लिए आपको कंपनी की आर्थिक स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि ईटीएफ की लागत क्या है को समझने की जरूरत है.
यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ (Exchange Traded Funds) सामने आता है. ईटीएफ एक किसी खास इंडेक्‍स को ट्रैक करता है और स्‍टॉक एक्‍सचेंजों पर इसका कारोबार भी शेयरों की तरह ही किया जाता है. हालांकि, इसे म्‍यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा पेश किया जाता है. आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के समय स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ईटीएफ के यूनिट्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए स्टार्टिंग पॉइंट हो सकता है.
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड कर रहा था. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ के यूनिट्स खरीद सकते हैं. आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के डेविएशन का एक पैमाना है - 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर.
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) के मामले में देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में बेहतर डायवर्सिफिकेशन (Diversification) उपलब्‍ध कराता है.
डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के निवेश जोखिम को कम करता है. अगर आप किसी खास स्‍टॉक में निवेश करते हैं तो जोखिम अधिक होता है जबकि डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो के मामले में बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव सभी शेयरों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं कर सकता.

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्‍स (Underlying Index) में उतार-चढ़ाव का अनुसरण करता है, उसे रिफ्लेक्‍ट करता है. ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को अप्रत्‍यक्ष रूप से (passively) ट्रैक करता है और इसकी लागत भी कम होती है. एक्सपेंंस रेशियो या फंड का चार्ज सिर्फ 0.02-0.05% है.

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Published at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST) Tags: stock market Mutual fund investment tips Exchange Traded Funds Nifty50 ETF हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंडों के बारे में यहांं जान‍ि‍ए सब कुछ

न‍िवेश का अच्‍छा व‍िकल्‍प

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ निवेश के कई विकल्पों में से एक है. म्यूचुअल फंड सहित कई निवेशक ईटीएफ के बारे में बहुत नहीं समझते हैं. यही वजह है कि इसके बारे में बुनियादी चीजों को जानना जरूरी है. आइए, यहां इनके बारे में ऐसी ही 5 अहम चीजों के बारे में जानते हैं.

कैसे काम करते हैं?

म्‍यूचुअल फंड की तरह ईटीएफ प्रतिभूतियों का एक समूह या बास्‍केट होता है. इस तरह के फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वजन होता है, स्कीम में उसी अनुपात में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है, जिसको वे ट्रैक करते हैं. इस तरह इंडेक्स फंडों का ईटीएफ की लागत क्या है पोर्टफोलियो उस इंडेक्स से मिलता-जुलता होता है जिसे वे ट्रैक करते हैं. इस तरह के इंडेक्‍स में निफ्टी या एसएंडपी बीएसई सेंसेक्‍स आदि शामिल हो सकते हैं.

ईटीएफ और म्‍यूचुअल फंड में क्‍या फर्क है?

ईटीएफ म्यूचुअल फंड जैसे होते हैं. लेकिन, दोनों में बड़ा अंतर यह है कि ईटीएफ को किसी शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है. यानी शेयर बाजारों में इनकी ट्रेडिंग होती है. जिस तरह आप शेयरों को खरीदते-बेचते हैं. ठीक वैसे ही आप एक्सचेंज के कारोबारी घंटों के दौरान ईटीएफ को भी खरीद-बेच सकते हैं. ईटीएफ की पेशकश पहले एनएफओ के रूप में होती है. फिर ये शेयर बाजार में लिस्ट होते हैं. ट्रेडिंग पोर्टल या स्टॉक ब्रोकर के जरिये शेयर बाजार पर ईटीएफ की खरीद-फरोख्त होती है.

कितने तरह के होते हैं?

देश में 3 तरह के ईटीएफ हैं. इनमें इक्विटी ईटीएफ, डेट ईटीएफ और गोल्‍ड ईटीएफ शामिल हैं. तीनों तरह के ईटीएफ में अपनी जरूरत के अनुसार आप निवेश कर सकते हैं. जिस तरह दूध के दाम बढ़ जाने से पनीर और घी महंगे हो जाते हैं. ठीक वैसे ही ईटीएफ में भी इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर होता है. यानी ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है.

क्‍या होती है न‍िवेश की लागत?

निवेश की लागत के लिहाज से ईटीएफ सस्‍ता विकल्‍प है. इनके साथ मुख्‍य रूप से तीन तरह की कॉस्‍ट जुड़ी होती है. इनमें ट्रांजेक्‍शन का ब्रोकरेज, एसटीटी और ईटीएफ का एक्‍सपेंस रेशियो शामिल है.

कैसे होता है कैलकुलेशन?

यह डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश का लागत कुशल विकल्‍प है. ईटीएफ के मूल्य वास्तविक समय में पता चल जाते हैं. यानी लेनदेन के समय ही इनके दामों का भी पता लग जाता है. जबकि म्यूचुअल फंडों के एनएवी के साथ यह नहीं होता है. एनएवी का कैलकुलेशन दिन के अंत में होता है.

Dhanteras 2022: धरतेरस के मौके पर खरीद सकते हैं डिजिटल गोल्ड, समझिए Gold ETF में निवेश के क्या हैं फायदे

Gold ETF: पेपर गोल्ड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका गोल्ड ईटीएफ है, जो बहुत ज्यादा कॉस्ट-इफेक्टिव होता है. गोल्ड ईटीएफ की खरीद और बिक्री शेयर की ही तरह बीएसई और एनएसई पर की जा सकती है.

Dhanteras 2022: धरतेरस के मौके पर खरीद सकते हैं डिजिटल गोल्ड, समझिए Gold ETF में निवेश के क्या हैं फायदे

भारत में धनतेरस के मौके पर सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.

Dhanteras 2022: भारत में धनतेरस के मौके पर सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. आज के दिन ज्यादातर भारतीय सोने में निवेश करना पसंद करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से समृद्धि बढ़ती है और अधिक धन की प्राप्ति होती है. आज के समय में सोना ऑनलाइन (डिजिटल सोना) माध्यम से खरीदना संभव है. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) पिछले कुछ सालों से निवेश का सुरक्षित विकल्प बन गया है. यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने की गिरते चढ़ते भावों पर आधारित होता है.पेपर गोल्ड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका गोल्ड ईटीएफ है, जो बहुत ज्यादा कॉस्ट-इफेक्टिव होता है. यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है. गोल्ड ईटीएफ की खरीद और बिक्री शेयर की ही तरह बीएसई और एनएसई पर की जा सकती है. इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होने की वजह से गोल्ड ETF में प्योरिटी को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती.

क्या है Gold ETF?

गोल्ड ईटीएफ केवल फिजिकल गोल्ड का रिप्रेजेंट करने वाली यूनिट्स हैं जिन्हें डीमैट रूप में खरीदा जा सकता है. जब आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं, तो आपके पास वास्तव में फिजिकल सोना नहीं होता है, बल्कि आप सोने की कीमत के बराबर नकद रखते हैं. इसी तरह, जब आप गोल्ड ईटीएफ बेचते हैं, तो आपको फिजिकल गोल्ड नहीं मिलता है, बल्कि उस समय सोने की कीमत के बराबर कैश मिल जाता है. यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने की गिरते चढ़ते भावों पर आधारित होता है.

क्या होता है ब्लॉकचेन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, बिटक्‍वाइन ईटीएफ से कितना अलग है यह, जानें पूरी डिटेल

ब्लॉकचेन ईटीएफ और बिटक्‍वाइन ईटीएफ में अंतर होता है

बिटक्‍वाइन ने अपने निवेशकों के लिए एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की सुविधा को पेश किया है। बिटक्‍वाइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक नई अवधारणा है। आपको बताते चलें कि ब्लॉकचेन ईटीएफ ने मुख्यधारा के बाजारों में अपनी शुरुआत कर दी है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अपने निवेशकों के लिए बिटक्‍वाइन, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की सुविधा पेश कर रहा है। बिटक्‍वाइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक नई अवधारणा है। आपको बताते चलें कि, ब्लॉकचेन ईटीएफ ने मुख्यधारा के बाजारों में अपनी शुरुआत कर दी है। इस महीने की शुरुआत में, इनवेस्को म्यूचुअल फंड ने घोषणा की थी कि बाजार नियामक सेबी ने इनवेस्को कॉइनशेयर ग्लोबल ब्लॉकचैन ईटीएफ एफओएफ को मंजूरी दे दी है। यह इनवेस्को एमएफ द्वारा एक फीडर फंड है और इनवेस्को कॉइनशेयर्स ग्लोबल ब्लॉकचैन यूसीआईटीएस एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश करेगा। फंड के एनएफओ को 24 नवंबर को लॉन्च किया जाना था, लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी के नियमों के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए कंपनी ने इसे टाल दिया है। लोग अक्सर ब्लॉकचेन ईटीएफ और बिटक्‍वाइन ईटीएफ के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं, हालांकि ये दोनों ही अलग-अलग वित्तीय साधन हैं। आइए दोनों के बीच अंतर को समझते हैं।

Inox Green Energy IPO allotment out know to check status

ब्लॉकचैन ईटीएफ ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के संपर्क में शेयरों में निवेश करने के लिए एक निवेश साधन है। जैसे कि, इनवेस्को, कॉइन शेयर ग्लोबल ब्लॉक चेन यूसीआटीएस ईटीएफ ने, कनाडा के बिटक्‍वाइन माइनर बिटफर्म लिमिटेड यूएस क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस ग्लोबल और दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो धारक माइक्रोस्ट्रेटजी में निवेश किया है। इस फंड को साल 2019 में लॉन्च किया गया था। वहीं, ब्लॉकचेन ईटीएफ की संख्या बढ़ती जा रही है, बिटक्‍वाइन ईटीएफ अपेक्षाकृत नया है। मनी लॉन्ड्रिंग को सुविधाजनक बनाने में उनकी भूमिका के कारण कई देशों में वर्चुअल करेंसी को नियामक जांच का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रौद्योगिकी के रूप में ब्लॉकचेन पर न तो किसी नियामक एजेंसी द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है और न ही इसकी जांच की जा रही है।

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ब्लॉकचैन ईटीएफ उन कंपनियों के शेयर बाजार की कीमतों को ट्रैक करते हैं जिन्होंने अपने फंड में ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी में निवेश किया है। ब्लॉकचैन विशिष्ट स्टॉक वे हैं जिनके पास ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी से संबंधित संचालन या ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग से लाभ होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लॉकचेन तकनीक उन कंपनियों को सक्षम बनाती है जो इसका उपयोग लागत कम करने और विकेंद्रीकरण के माध्यम से अपने संचालन को सरल बनाने के लिए करती हैं।

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इसकी तुलना में, अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी को अपना आवेदन जमा करने वाले अधिकांश बिटक्‍वाइन ईटीएफ ने शिकागो बोर्ड विकल्प एक्सचेंज और सीएमई समूह के माध्यम से कारोबार किए जाने वाले वायदा अनुबंधों के माध्यम से बिटक्‍वाइन की कीमत पर नजर रखने का प्रस्ताव दिया है। इस मॉडल में, ईटीएफ वायदा अनुबंधों के स्वामित्व के माध्यम से बिटक्‍वाइन की कीमत को ट्रैक करते हैं। बिटक्‍वाइन स्ट्रैटेजी के तहत पहला बिटकॉइन फ्यूचर्स ईटीएफ अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया था। यह बिटक्‍वाइन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स को क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य की कीमत पर ट्रैक करता है।

केंद्र सरकार ने लॉन्च किया भारत बॉन्ड ईटीएफ, जानें इसकी खासियतें

nirmala sitharaman

बांड बाजार का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार ने भारत ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के नाम से बांड ईटीएफ लाने का फैसला किया है। इसमें आम निवेशकों को निवेश का नया विकल्प मिलेगा, वहीं सरकारी उपक्रमों (सीपीएसई) और सरकार के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों को पूंजी जुटाने का एक अतिरिक्त स्रोत मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक लिया गया। इस ईटीएफ का नया कोष निर्गम (एनएफओ) दिसंबर में पेश होने का अनुमान है। वहीं भारत बांड ईटीएफ देश में अपनी तरह का पहला कॉर्पोरेट बांड ईटीएफ होगा।

कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने भारत बांड ईटीएफ के नाम से एक साझा निवेश कोष शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। निवेश और सार्वजनिक संपदा प्रबंधन (डीआईपीएएम) सचिव तुहीन कांत पांडे ने कहा, ‘हम इसी महीने के दौरान एनपीए की पेशकश की उम्मीद कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि हर छह महीने में ईटीएफ पेश किया जाएगा। इसके लिए सूचकांक एनएसई द्वारा तैयार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसी साल के बजट में बांड बाजार का दायरा ईटीएफ की लागत क्या है बढ़ाने का उल्लेख किया गया था। इसके अनुरूप यह फैसला हुआ है। वित्त मंत्री ने बताया कि इससे पहले भारत ईटीएफ के नाम से वर्ष 2014 और 2017 में एनएफओ लाया गया था, लेकिन यह ईटीएफ इक्विटी का था। अब बांड का ईटीएफ लाने का फैसला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस कोष के शुरू होने पर सरकारी कंपनियों और अन्य सरकारी संगठनों के लिए अतिरिक्त धन जुटाने में मदद मिलेगी।

1,000 रुपये की होगी एक यूनिट

इसमें आम खुदरा निवेशक यूनिट के माध्यम से पैसा लगा सकेंगे। एक यूनिट एक हजार रुपये की होगी। इस राशि को सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संगठनों के बांड में लगाया जाएगा। इस बांड की परिपक्वता अवधि तीन और दस साल की होगी, जिस पर महज 0.0005 फीसदी की लागत आएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि हर ईटीएफ एक निश्चित परिपक्वता तारीख होगी और जोखिम के आधार पर सूचकांक पर नजर रखी जाएगी।

तीन तरीकों से कर सकते हैं निवेश

  • निवेशक बांड ईटीएफ में एक्सचेंज के जरिये निवेश कर सकेंगे। इसे विभिन्न शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा। इससे निवेशक जब चाहे, इसे बेच सकेंगे।
  • मार्केट मेकर के जरिये। शेयर बाजार में खरीदार या विक्रेता नहीं होने से मार्केट मेकर एक्सचेंज पर लिक्विडिटी प्रदान करेंगे। इसके लिए मार्केट मेकर को एक करोड़ रुपए तक की यूनिट रखने की अनुमति होगी।
  • एएमसी के जरिये। बड़े निवेशक एएमसी के जरिये बांड ईटीएफ की खरीद-बिक्री कर सकेंगे। लेकिन यह खरीद-बिक्री 25 करोड़ रुपए से अधिक की ही हो सकेगी।

क्या होंगे फायदे

  • निवेशकों को सुरक्षा के साथ मिलेगा अच्छा रिटर्न, सरकार लेती है गारंटी
  • छोटे निवेशकों को कम लागत में बांड बाजार तक मिलेगी पहुंच
  • निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ कर में आएगी कमी
  • सरकारी कंपनियों को पूंजी जुटाने का मिलेगा अतिरिक्त स्रोत
  • कंपनियों के लिए कर्ज की तुलना में घटेगी पूंजी जुटाने की लागत

यह कंपनी करेगी इसको मैनेज

केंद्र सरकार ने एडेलवाइस असेट मैनेजमेंट को इस बॉन्ड फंड को मैनेज करने की जिम्मेदारी कर दी है। वहीं एके कैपिटल सर्विस इस ईटीएफ की एडवाइजर है। इस ईटीएफ फंड में लोग म्यूचुअल फंड की तरह निवेश कर सकेंगे। हालांकि लोग इसमें जमा पैसे को केवल दो बार--अप्रैल 2023 और अप्रैल 2030 में निकाल सकेंगे। इस बॉन्ड से मिले कूपन को दोबारा से निवेश किया जा सकेगा। इसमें से पांच फीसदी सरकारी सिक्युरिटिज के लिए आरक्षित होगा। सरकार ने इस बॉन्ड के लिए -एएए की रेटिंग रखी है।

यह कंपनियां जारी करेंगी ये बॉन्ड

इस बॉन्ड को नाबार्ड, एनएचपीसी, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आरईसी, नेशनल हाउसिंग बैंक, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन, पावरग्रिड, बीपीसीएल, इंडियन ऑयल, कोंकण रेलवे, स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक, टीएचडीसी इंडिया, हाउसिंह एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन शामिल हैं। किसी भी कंपनी में अगर सरकार की हिस्सेदारी ईटीएफ की लागत क्या है 50 फीसदी से कम हो जाती है तो फिर उसको इस लिस्ट से हटा दिया जाएगा।

बांड बाजार का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार ने भारत ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के नाम से बांड ईटीएफ लाने का फैसला किया है। इसमें आम निवेशकों को निवेश का नया विकल्प मिलेगा, वहीं सरकारी उपक्रमों (सीपीएसई) और सरकार के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों को पूंजी जुटाने का एक अतिरिक्त स्रोत मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक लिया गया। इस ईटीएफ का नया कोष निर्गम (एनएफओ) दिसंबर में पेश होने का अनुमान है। वहीं भारत बांड ईटीएफ देश में अपनी तरह का पहला कॉर्पोरेट बांड ईटीएफ होगा।

कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने भारत बांड ईटीएफ के नाम से एक साझा निवेश कोष शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। निवेश और सार्वजनिक संपदा प्रबंधन (डीआईपीएएम) सचिव तुहीन कांत पांडे ने कहा, ‘हम इसी महीने के दौरान एनपीए की पेशकश की उम्मीद कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि हर छह महीने में ईटीएफ पेश किया जाएगा। इसके लिए सूचकांक एनएसई द्वारा तैयार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसी साल के बजट में बांड बाजार का दायरा बढ़ाने का उल्लेख किया गया था। इसके अनुरूप यह फैसला हुआ है। वित्त मंत्री ने बताया कि इससे पहले भारत ईटीएफ के नाम से वर्ष 2014 और 2017 में एनएफओ लाया गया था, लेकिन यह ईटीएफ इक्विटी का था। अब बांड का ईटीएफ लाने का फैसला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस कोष के शुरू होने पर सरकारी कंपनियों और अन्य सरकारी संगठनों के लिए अतिरिक्त धन जुटाने में मदद मिलेगी।

1,000 रुपये की होगी एक यूनिट

इसमें आम खुदरा निवेशक यूनिट के माध्यम से पैसा लगा सकेंगे। एक यूनिट एक हजार रुपये की होगी। इस राशि को सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संगठनों के बांड में लगाया जाएगा। इस बांड की परिपक्वता अवधि तीन और दस साल की होगी, जिस पर महज 0.0005 फीसदी की लागत आएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि हर ईटीएफ एक निश्चित परिपक्वता तारीख होगी और जोखिम के आधार पर सूचकांक पर नजर रखी जाएगी।

तीन तरीकों से कर सकते हैं निवेश

  • निवेशक बांड ईटीएफ में एक्सचेंज के जरिये निवेश कर सकेंगे। इसे विभिन्न शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा। इससे निवेशक जब चाहे, इसे बेच सकेंगे।
  • मार्केट मेकर के जरिये। शेयर बाजार में खरीदार या विक्रेता नहीं होने से मार्केट मेकर एक्सचेंज पर लिक्विडिटी प्रदान करेंगे। इसके लिए मार्केट मेकर को एक करोड़ रुपए तक की यूनिट रखने की अनुमति होगी।

क्या होंगे फायदे

  • निवेशकों को सुरक्षा के साथ मिलेगा अच्छा रिटर्न, सरकार लेती है गारंटी
  • छोटे निवेशकों को कम लागत में बांड बाजार तक मिलेगी पहुंच
  • निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ कर में आएगी कमी
  • सरकारी कंपनियों को पूंजी जुटाने का मिलेगा अतिरिक्त स्रोत
  • कंपनियों के लिए कर्ज की तुलना में घटेगी पूंजी जुटाने की लागत

यह कंपनी करेगी इसको मैनेज

केंद्र सरकार ने एडेलवाइस असेट मैनेजमेंट को इस बॉन्ड फंड को मैनेज करने की जिम्मेदारी कर दी है। वहीं एके कैपिटल सर्विस इस ईटीएफ की एडवाइजर है। इस ईटीएफ फंड में लोग म्यूचुअल फंड की तरह निवेश कर सकेंगे। हालांकि लोग इसमें जमा पैसे को केवल दो बार--अप्रैल 2023 और अप्रैल 2030 में निकाल सकेंगे। इस बॉन्ड से मिले कूपन को दोबारा से निवेश किया जा सकेगा। इसमें से पांच फीसदी सरकारी सिक्युरिटिज के लिए आरक्षित होगा। सरकार ने इस बॉन्ड के लिए -एएए की रेटिंग रखी है।

यह कंपनियां जारी करेंगी ये बॉन्ड

इस बॉन्ड को नाबार्ड, एनएचपीसी, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आरईसी, नेशनल हाउसिंग बैंक, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन, पावरग्रिड, बीपीसीएल, इंडियन ऑयल, कोंकण रेलवे, स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक, टीएचडीसी इंडिया, हाउसिंह एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन शामिल हैं। किसी भी कंपनी में अगर सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम हो जाती है तो फिर उसको इस लिस्ट से हटा दिया जाएगा।

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