ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश

महाराष्ट्र आबकारी विभाग ने की शराब दुकानों के स्टाक की जांच
जलगांव. लॉकडाउन में शराब की दुकानों से चोरी छिपे तरीके से शराब बिक्री की अफवाहें जोरों पर हैं.ऐसी चर्चा पर लगाम लगाने के लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर आबकारी विभाग ने शनिवार को विभाग के अधिकारियों ने शराब की दुकान में रखे स्टॉक का रजिस्टर से मिलान किया है. आबकारी विभाग की इस कार्रवाई से शराब माफियाओं में हड़कंप मच गया है.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 25 मार्च से देश में लाकडाउन लागू कर दिया गया. इसके बाद शराब के सभी दुकानों के शटर गिर गए. इस दौरान चोरी छिपे शराब की बिक्री की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया. चर्चाएं रहीं कि कई अनुज्ञप्ति धारक मनमाने दाम पर शराब की बिक्री कर रहे हैं. इस तरह की शिकायत राष्ट्रवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष स्वप्निल नेमाडे, कुणाल पवार ने प्रशासन को ज्ञापित कर सभी शराब दुकानों की रजिस्ट्रर मिलाने की मांग प्रशासन से की थी.जिलाधिकारी अविनाश ढाकने ने शराब की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बावजूद बड़े पैमाने पर शराब बिक्री की शिकायतें आने पर आबकारी विभाग को शराब ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश की दुकानों की गोदामों के स्टॉक को रजिस्टर से मिलाने का आदेश दिया था.
शराब माफियाओं में मचा हड़कंप
शनिवार दोपहर 12 बजे शुरू हुआ अभियान शुरू हुआ.आबकारी विभाग ने एक ही समय में सोनी ट्रेडर्स, नशिराबाद, विनोद वाइन्स, नीलम वाइन्स, विजय वाइन्स, राज वाइन्स इन छह शराब की दुकानों की अधिकारियों ने जांच की. 23 ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश मार्च को जिस दिन लॉकडाउन की घोषणा हुई थी, उसके बाद रजिस्टर में शराब का स्टाक बराबर हैं की नहीं .यह भी जांच की गई कि आखिरी बार दुकान बंद हुई उस दिन एक्साइज ड्यूटी का भुगतान हुआ है या नहीं.आबकारी विभाग ने दुकान के स्टॉक में गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है.इससे शराब माफियाओं में हड़कंप मच गया है.
प्याज की कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 15 दिसंबर तक दी आयात नियमों में ढील
सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 15 दिसंबर तक आयात के नियमों में ढील देने का फैसला किया है. इसके साथ ही बफर स्टॉक से ज्यादा प्याज बाजार में आपूर्ति करने का भी फैसला किया गया है.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 22 Oct 2020 12:42 PM (IST)
लखनऊ में प्याज की चोरी
प्याज का भाव लगातार बढ़ रहा है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद सब्जी मंडियों में प्याज की बढ़ी हुई कीमत एक बार फिर आम आदमी को रूलाने को तैयार है. ऐसे में प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार भी हरकत में आ गई हैं. सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 15 दिसंबर तक आयात के नियमों में ढील देने का फैसला किया है.
मंडियों में 37 लाख टन की खरीफ की प्याज पहुंचने की संभावना
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि, 37 लाख टन की खरीफ की प्याज जल्द ही मंडियों में पहुंचेगी. इससे बाजार शांत करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 10 दिनों में प्याज की कीमतों में 11.56 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है. इससे इसकी औसत राष्ट्रीय खुदरा भाव 51.95 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. जो पिछले साल कीमत से 12.13 प्रतिशत ज्यादा है. गौरतलब है कि भारतीय उच्च आयोगों को भी निर्देश दिया गया है कि वे संबंधित देशों में व्यापारियों से संपर्क ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश कर देश में अधिक प्याज आयात के लिए प्रेरित करें.
पिछले महीने निर्यात पर लगा दी गई थी रोक
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बता दें कि देश में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है. नासिक में इस समय प्याज 66 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है. वहीं पिछले साल इसी वक्त प्याज 35 रुपये प्रति किलो पर बेचा जा रहा था. प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए और देश की मंडियों में प्याज की आपूर्ति को बेहतर करने के उद्देश्य से पिछले महीने ही सरकार ने इसके निर्यात पर भी रोक लगा दी थी.
आसमान छू रही हैं प्याज की कीमतें
प्याज की कीमतों में तेजी हाल के दिनों में ही देखने को मिली है. मंगलवार को चेन्नई में प्याज की खुदरा कीमतें 73 रुपये किलों पर पहुंच गई तो वहीं दिल्ली में प्याज 50 रुपये प्रति किलो पर बेचा जा रहा है. कोलकाता में प्याज की कीमत 65 रुपये प्रति किलो है तो मुंबई में 67 रुपये प्रति किलों प्याज बेचा जा रहा है. वहीं विशेषज्ञों और ट्रेडर्स के मुताबिक दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण सप्लाई में बाधा पहुंची है और खरीफ फसल की आवक भी प्रभाविक हुई है जो कि आने वाले सप्ताह में शुरू होनी हैं.
Published at : 22 Oct 2020 12:42 PM (IST) Tags: domestic supply Onion price hike import Price onion PM Modi हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
रेत की कीमतों में लगी आग: अब तक की सबसे ऊंची कीमत, माफियाओं के पास अवैध स्टॉक फिर भी जांच नहीं
वर्तमान में 600 फीट गाड़ी में 10-12 रुपए प्रति फीट के हिसाब से रेत की कीमत 6000 रुपए से 7200 रुपए लोडिंग पड़ रही है, वहीं रॉयल्टी अलग से। रॉयल्टी की कीमत 500 रुपए से बढ़कर 3500 रुपए तक पहुंच चुकी है। इस मामले में अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है।
रायपुर. प्रदेश में रेत की कीमतों में आग लग चुकी है। एक तरफ जब अन्य बिल्डिंग मटेरियल्स की कीमतें स्थिर है, वहीं दूसरी तरफ रेत की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से यह आम लोगों से दूर होता नजर आ रहा है। रेत की कीमतें 2200 रुपए की जगह अब 9 से 10 हजार रुपए गाड़ी (600 वर्गफीट) तक पहुंच चुका है।
इस मामले में जिला खनिज विभाग ने अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक माफियाओं पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है, वहीं रॉयल्टी के मामले में भी अभी तक अधिकारियों ने फर्जी बिलिंग आदि की जानकारी प्राप्त नहीं की गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मुताबिक 15 जून से 15 अक्टूबर तक बंद रहेंगे ।
वर्तमान में 600 फीट गाड़ी में 10-12 रुपए प्रति फीट के हिसाब से रेत की कीमत 6000 रुपए से 7200 रुपए लोडिंग पड़ रही है, वहीं रॉयल्टी अलग से। रॉयल्टी की कीमत 500 रुपए से बढ़कर 3500 रुपए तक पहुंच चुकी है। इस मामले में अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में भी पड़ोसी राज्यों के मुताबिक प्रदेश में रेत महंगी कीमतों पर बेची जा रही है। रेत परिवहन करने वाले ट्रेडर्स और आम ग्राहकों को रॉयल्टी भुगतान की जो पर्ची दी जा रही है, उसमें कहीं भी रॉयल्टी और रेत की लोडिंग कीमत नहीं लिखी जा रही है।
लगाम नहीं लगा तो चार महीने परेशान होंगे ग्राहक
छोटे ट्रेडर्स व दुकानदारों का कहना है कि यदि इस मामले पर लगाम नहीं लगाया गया तो चार महीने ग्राहक काफी परेशान होंगे। घाट बंद होने की वजह से कीमतों पर लगातार दबाव बढ़ते जाएगा। सूत्रों के मुताबिक खदानों के बंद होने से बड़े रेत माफियाओं ने पहले से ही बड़ी तादाद में रेत की स्टॉकिंग कर ली है।
राजधानी के कई टे्रडर्स का कहना है कि गैरकानूनी स्टॉकिंग को लेकर अभी तक प्रशासनिक अधिकारियों ने छापेमारी भी नहीं की है। खनिज विभाग के उप-संचालक हरिकेश मारवाह ने इससे पहले इसी मुद्दों पर कार्यवाही की बात कही थी, लेकिन कार्यवाही नहीं होने से बाजार में भाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
अरहर, उड़द व मूंग की दाल के भाव को काबू में करने के लिए सरकार का अहम कदम, जानें कब तक घटेंगे दाम
सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर, मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है। दालों के आयात का यह फैसला तीन वर्षों बाद लिया गया है। दालों की आयात नीति में संशोधन करते हुए अरहर, मूंग और उड़द को प्रतिबंधित सूची से मुक्त सूची में रख दिया गया है। इससे घरेलू बाजार में दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। कोरोना संक्रमण के दौरान प्रोटीन के सबसे सस्ते स्रोत दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इनकी आपूर्ति बढ़ाने को लेकर केंद्रीय उपभेक्ता मामले मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर दालों के व्यापारी, मिल मालिकों और आयातकों का स्टॉक घोषित करने का निर्देश दिया है।
राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी पर शिकंजा कसा जा सके। दालों की आपूर्ति घटने और कीमतों में अचानक आई तेजी को लेकर सरकार ने सतर्कता बरतते हुए यह फैसला लिया है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने दालों के आयात का यह फैसला उस समय लिया है, जब किसानों ने अपनी पूरी उपज बाजार में बेच दी है।
अधिसूचना में आयातित दालों के घरेलू ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश बाजारों में पहुंचने का भी समय निर्धारित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक दाल आयात में दी गई यह रियायत 31 अक्टूबर, 2021 तक ही मान्य है। आयात सौदे हर हाल में इससे पहले पूरे कर लिए जाने चाहिए। घरेलू बंदरगाहों पर इन दालों की आमद 30 नवंबर, 2021 से पहले हो जानी चाहिए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि आगामी खरीफ की फसल को दलहन उपज को मिलने वाले दाम के नुकसान से बचाया जा सके।
सरकार के इस फैसले को इंडियन पल्स एंड ग्रेन्स ट्रेडर्स एसोसिएशन ने समय पर उठाया गया सराहनीय कदम बताया है। एसोसिएशन के अनुसार इससे बाजार में जहां उपभोक्ताओं को रियायती व उचित दर पर दालें मिलेंगी। एसोसिएशन को उम्मीद है कि फौरी तौर पर 2.5 लाख टन अरहर (तूर), 1.5 लाख टन ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश मूंग और 50-75 हजार टन उड़द आयात का अऩुमान है। दलहनी फसलों की पैदावार को लेकर सचिवों की अंतर मंत्रालयी बैठक में मतभेद था। पैदावार के ताजा अनुमान को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा था। दालों का सरकारी बफर स्टॉक न्यूनतम स्तर 12 लाख टन पर आ गया है। इसमें अरहर का स्टॉक 3.35 लाख टन है, जिसमें चालू खरीद सीजन की अरहर दाल नहीं है। अधिकतम बफर स्टॉक 40 लाख टन तक ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश रह चुका है।
अधिकतर दालों की खरीद एमएसपी से अधिक पर
घरेलू बाजार में दलहनी फसलों के मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले अधिक बोले जा रहे हैं। बाजार में चना दाल को छोड़ बाकी सभी दालों के मूल्य 100 रुपये प्रति किलो से ऊपर हैं। चना की एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि यह बाजार में 5,700 रुपये तक बिका। अरहर अपने समर्थन मूल्य 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 7,000 रुपये पर बिका है। उड़द का भाव 6,000 रुपये एमएसपी के मुकाबले 7,200 रुपये तक हो चुका है। मूंग अपनी एमएसपी 7,196 रुपये क्विंटल के मुकाबले 7,500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है।