डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर

Budget 2022: डिजिटल रुपया और डिजिटल एसेट्स में क्या अंतर है, इन पर किस तरह टैक्स लगेगा? खुद वित्तमंत्री ने दिया है इसका जवाब
आरबीआई शुरू से ही प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज के खिलाफ रहा है। उसका मानना है कि ये देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक हैं
अगर कोई करेंसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी नहीं की गई है, तो वह करेंसी नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी इसका उदाहरण है। इसे डिजिटल एसेट्स कहा जा सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतामरमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को पेश बजट (Budget 2022) में सरकार के डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लॉन्च करने की योजना के बारे बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा। इसे इसी साल यानी 2022 में लॉन्च कर दिया जाएगा। उन्होंने डिजिटल एसेट्स पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी बताया। यह भी बताया कि डिजिटल करेंसी और डिजिटल एसेट्स में क्या फर्क है। दरअसल डिजिटल करेंसी और डिजिटल एसेट्स को लेकर लोगों में काफी कनफ्यूजन है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
डिजिटल रुपया और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क है?
एक करेंसी को करेंसी तभी माना जाता है, जब इसे किसी देश के केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी किया जाता है। अगर कोई करेंसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी नहीं की गई है, वह करेंसी नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी इसका उदाहरण है। इसे डिजिटल एसेट्स कहा जा सकता है।
Budget 2022 Digital currency: डिजिटल करेंसी का आप लोगों को क्या फायदा? जानें क्रिप्टो करेंसी से यह कैसे अलग
Union Budget 2022: बजट पेश होने के बाद डिजिटल करेंसी (digital currency) पर काफी चर्चा हो रही है. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-2023 की शुरुआत में ही RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये डिजिटल इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट देगा.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 02 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 02 फरवरी 2022, 10:16 AM IST)
- डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है
- डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है- रिटेल और होलसेल
Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बजट के दौरान कई बड़े ऐलान किए. इसमें एक बड़ा ऐलान है डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी यानी 'डिजिटल रुपी' की बात कही. वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की शुरुआत में ही RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा. इस पर RBI की तरफ से काम जारी है. सरकार का मानना है कि डिजिटल इकनॉमी के क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. लेकिन ये डिजिटल करेंसी क्या है. इसका इस्तेमाल कैसे होगा. इसे लेकर आमजन के मन में कई सवाल हैं. 8 प्वॉइंट में समझते हैं डिजिटल करेंसी और इसके फायदे.
ये होती है डिजिटल करेंसी , ऐसे होता है इस्तेमाल
1- डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है
2- इसे रिजर्व बैंक जारी करता है, इसे सरकार की मान्यता मिलती है
3 - ये केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है
4 - इसकी खासियत ये है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है
5 - भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं
6 - डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल और होलसेल
7 - रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं
8- होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के ज़रिए किया जाता है
नए वित्त वर्ष की शुरुआत में लॉन्च होगी डिजिटल करेंसी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिजिटल करेंसी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और दूसरी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए पेश किया जाएगा. ये डिजिटल इकोनॉमी को बिग बूस्ट देगा. साथ ही करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा इफीशिएंट और कम लागत वाला बनाएगा. उन्होंने कहा कि डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपी' को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही लॉन्च कर दिया जाएगा.
डिजिटल करेंसी के क्या हैं फायदे
- ये कम खर्चीली है. ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं.
- डिजिटल करेंसी के मुकाबले करंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च और लेन-देन की लागत अधिक है
- डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है, ये ऑफलाइन भी हो सकता है
- डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी. डिजिटल रुपी की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है
- रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है.
- मार्केट में रुपए की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा.
डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी में क्या अंतर है
1- डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है
2 - क्रिप्टो करेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है, ये किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है
3 - बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है
RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया
रिजर्व बैंक का प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को भी बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए. यानी डिजिटल करेंसी को भी 'बैंक नोट' की तरह देखा जाए. इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए इंटर मीडियरीज की जरूरत होगी.
डिजिटल रुपी से सभी पेमेंट संभव
मार्च से शुरू होने जा रहे नए वित्त वर्ष में शॉपिंग करने के लिए पर्स में कागज के नोट रखकर बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि आप डिजिटल रुपी के ज़रिए सभी तरह के पेमेंट कर सकते हैं. (आजतक ब्यूरो)
क्या क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही होगी भारत की डिजिटल करेंसी, Crypto और Digital Rupee में क्या होंगे अंतर
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि भारत की डिजिटल करेंसी ठीक पैसों की तरह ही होगी, जिसका कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सुनील चौरसिया
Updated on: Feb 04, 2022 | 12:26 PM
1 फरवरी को संसद में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मौजूदा समय की डिमांड को देखते हुए कुछ बड़े और जरूरी ऐलान किए. अब इस मौके पर समय की क्या डिमांड है? इस मौके पर समय की सबसे बड़ी डिमांड ये थी कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपना रुख साफ करे. लिहाजा, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर बजट में एक बड़ा ऐलान किया. वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) या अन्य किसी वर्चुअल एसेट्स के लेनदेन में होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स वसूला जाएगा. सरकार ने एक तरफ तो क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता देने की कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की लेकिन इस पर टैक्स वसूली का ऐलान जरूर कर दिया. क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब ये हुआ कि सरकार इसे मान्यता दे रही है. अब जब क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बात हुई तो लगे हाथ सरकार ने अपनी सरकारी डिजिटल करेंसी को लेकर भी बड़ा ऐलान कर दिया. वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), वित्त वर्ष 2022-23 में डिजिटल करेंसी (Digital Currency) जारी करेगा. RBI द्वारा जारी किए जाने वाली देश की डिजिटल करेंसी का नाम डिजिटल रुपी (Digital Rupee) होगा.
डिजिटल रुपी को लेकर पूछे जा रहे हैं ये सवाल
भारत की अपनी डिजिटल करेंसी का ऐलान हुआ तो इसे लेकर बाजार में चर्चाएं भी जोर-शोर से शुरू हो गईं. आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लेकिन, इन सभी सवालों के बीच दो ऐसे सवाल हैं जो काफी कॉमन हैं. पहला सवाल ये है कि लोग डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर जानना चाहते हैं कि क्या ये डिजिटल करेंसी को सरकार मान्यता देगी यानी ये डिजिटल करेंसी मान्यता प्राप्त होगी? दूसरा बड़ा सवाल ये है कि क्या भारत की डिजिटल करेंसी भी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही होगी या फिर अलग होगी?
क्या डिजिटल करेंसी को मान्यता देगी सरकार
अब बात करते हैं डिजिटल करेंसी को लेकर पूछे जा रहे पहले सवाल की, जिसमें लोग पूछ रहे हैं कि क्या सरकार इसे मान्यता देगी? इसका जवाब बहुत सीधा और स्पष्ट है. अब जब सरकार ने ही इसे जारी करने का ऐलान किया है और जब देश का केंद्रीय बैंक यानी RBI ही इसे जारी करेगा तो इसे अलग से मान्यता देने की तो कहीं बात ही नहीं आती है. खैर, इस पहले सवाल का सीधा और स्पष्ट जवाब डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर यही है कि आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी पूरी तरह से मान्यता प्राप्त होगी.
क्या क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही होगी भारत की डिजिटल करेंसी
पहले सवाल का उत्तर जानने के बाद अब हम दूसरे सवाल की बात करेंगे कि क्या भारत का डिजिटल रूपी (डिजिटल करेंसी) भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही होगा या फिर इससे अलग होगा? न्यूज चैनल CNBC आवाज के साथ इंटरव्यू में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि भारत का डिजिटल रुपी, क्रिप्टोकरेंसी से काफी अलग होगा. उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से मान्यता प्राप्त होगा. भारत की डिजिटल करेंसी, मौजूदा भौतिक करेंसी की सब्स्टीट्यूट यानी विकल्प होगी. वहीं दूसरी ओर, क्रिप्टोकरेंसी एक एसेट क्लास है. और यही इन दोनों के बीच सबसे बड़ा फर्क है.
डिजिटल रुपी और क्रिप्टो में क्या होंगे अंतर
राजीव कुमार ने बताया कि भारत की डिजिटल करेंसी ठीक पैसों की तरह ही होगी, जिसका कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके अलावा डिजिटल करेंसी का स्टोर ऑफ वैल्यू और एक्सचेंज दोनों किया जा सकेगा. जबकि क्रिप्टो में ऐसा नहीं होता. डिजिटल रुपी, आरबीआई की मान्यता प्राप्त यूनिट ऑफ अकाउंट होगा. डिजिटल रुपी का इस्तेमाल सभी ट्रांजैक्शन में किया जा सकेगा.
आसान भाषा में कहें तो डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आप कहीं भी कर सकेंगे. जिस तरह जगह-जगह डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन पेमेंट एक्सेप्ट किए जाते हैं ठीक उसकी तरह डिजिटल रुपी भी एक्सेप्ट किए जा सकेंगे. लेकिन आप एक क्रिप्टो लेकर किराने की दुकान पर आटा या चावल खरीदने जाएंगे तो शायद आपको डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर वहां से निराश होकर खाली हाथ ही लौटना होगा.
क्रिप्टोकरेंसी से बिलकुल अलग है आरबीआई की डिजिटल करेंसी, जानिए दोनों के बीच का मुख्य अंतर और खासियत
Digital Currency: आरबीआई रिटेल और होलसेल सेगमेंट में इस्तेमाल के लिए फेजवाइज तरीके से डिजिटल करेंसी पेश करेगा। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के जरिए होगी।
Representations of cryptocurrency Bitcoin are seen in this picture illustration taken June 7, 2021. REUTERS/Edgar Su/Illustration
भारत को जल्द ही अपनी डिजिटल करेंसी मिलने वाली है। इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने अपनी योजना का खुलासा किया है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक फेसवाइज तरीके से डिजिटल करेंसी पेश करने की योजना बना रहा है। सबसे पहले डिजिटल करेंसी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया जाएगा।
देश में डिजिटल करेंसी को लेकर लंबे समय से तैयारी चल रही है। आरबीआई भी काफी समय से डिजिटल करेंसी लाने की बात कर रहा है। इसको लेकर कई बार संकेत दिए जा चुके हैं। दुनिया के कई अन्य देश भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी कर रहे हैं। आज हम आपको डिजिटल करेंसी के बारे वह सबकुछ बताने जा रहे हैं जो आप जानना चाहते हैं। साथ ही हम आपको डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर भी बताएंगे..
क्या होती है डिजिटल करेंसी?: यह एक प्रकार से प्रचलित करेंसी का वर्चुअल रूप होता है। इसको केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) भी कहा जाता है। डिजिटल करेंसी को केवल केंद्रीय बैंक जारी करता है। इसे सरकार की मान्यता प्राप्त होती है। फिजिकल करेंसी के मुकाबले इसकी वैल्यू में कोई अंतर नहीं होता है। उदाहरण के लिए 10 रुपए के नोट और 10 रुपए की डिजिटल करेंसी की वैल्यू बराबर होगी। डिजिटल करेंसी में बिना किसी रुकावट लेन-देन भी किया जा सकता है।
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?: क्रिप्टोकरेंसी एक अलग प्रकार की करेंसी होती है। यह अलग-अलग प्रकार की होती है। इसे वर्चुअल करेंसी भी कहा जाता है। सभी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू अलग-अलग होती है और इसकी कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है। क्रिप्टोकरेंसी मान्यता प्राप्त नहीं है। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। इस समय पूरी दुनिया में करीब 4 हजार क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। इसमें बिटकॉइन सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ा है।
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में प्रमुख अंतर
- डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक जारी करता है। क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के जरिए तैयार की जाती है।
- डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक और उस देश की सरकार से मान्यता प्राप्त होती है। क्रिप्टोकरेंसी के पास केंद्रीय बैंक या सरकार की मान्यता नहीं होती है।
- डिजिटल करेंसी की वैल्यू स्थिर रहती है। क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।
- डिजिटल करेंसी को संबंधित देश की मुद्रा में बदला जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं हो पाता है।
अंतरमंत्रालीय समिति ने की थी डिजिटल करेंसी की सिफारिश: वित्त मंत्रालय ने 2017 में एक उच्च स्तरीय अंतरमंत्रालयी समिति की सिफारिश की थी। इस समिति को वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी पॉलिसी और कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए कहा गया था। इस समिति ने देश में फिजिकल करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी लाने की सिफारिश की थी।
Cryptocurrency : डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क
पिछले कुछ सालों में डिजिटल करेंसी और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल बड़े स्तर पर फैला है और क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता से वर्चुअल करेंसी और वर्चुअल वॉलेट का कॉन्सेप्ट भी आ गया है. लेकिन ये सारी चीजें जितनी जल्दी हुई है, उससे थोड़ा भ्रम फैला है.
Cryptocurrency : अकसर लोग डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी को एक ही चीज समझ लेते हैं.
पिछले एक दशक में मॉनेटरी सिस्टम में डिजिटल क्रांति (Digitalization) आई है. खासकर डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल शुरू होकर बहुत बड़े स्तर पर फैल गया है. खासकर कोविड-19 फैलने के बाद लगे लॉकडाउन में डिजिटल वॉलेट्स और डिजिटल ट्रांजैक्शन को और भी बड़े स्तर पर लोगों को अपनाना पड़ा. और अब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की बढ़ती लोकप्रियता से वर्चुअल करेंसी और वर्चुअल वॉलेट का कॉन्सेप्ट भी आ गया है. लेकिन ये सारी चीजें जितनी जल्दी-जल्दी हुई है, उससे थोड़ा भ्रम जरूर फैला है.
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लोगों ने डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी दोनों को रखने के लिए शुरू कर दिया, और अकसर लोग क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल करेंसी कहते दिख जाते हैं, लेकिन इन दोनों में फर्क है.
1. डिजिटल करेंसी vs डिजिटल कॉइन
डिजिटल करेंसी सरकारी फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को कहते हैं. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने में किया जाता है, जैसे कि आप जब अपने बैंक अकाउंट से किसी और के बैंक अकाउंट में पैसे भेजते हैं या फिर अपने फोन में किसी पेमेंट ऐप का इस्तेमाल कर रहे होते हैं, तो आप फ्लैट मनी में ही ट्रांजैक्शन कर रहे होते हैं, लेकिन फ्लैट मनी के ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को ही डिजिटल करेंसी कहते हैं. जब आप इसी पैसे को एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वो कैश बन जाता है.
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, इसका कोई फिजिकल फॉर्म नहीं है, आप इसे छू नहीं सकते हैं. इसकी वैल्यू इसे असाइन की गई कीमत में है. इन्हें डिजिटल कॉइन्स भी कहते हैं. क्रिप्टो इकोसिस्टम में बिटकॉइन, ईथर और डॉजकॉइन जैसी कई दूसरी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर डिजिटल कॉइन्स हैं. इन कॉइन्स को हाई-फाई कंप्यूटरों पर ऑनलाइन माइनिंग के जरिए जेनरेट किया जाता है और अधिकतर देशों में इनपर कोई सरकारी नियमन नहीं है. ये एडवांस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती हैं और कह सकते हैं कि ये खुद का नियमन खुद करती हैं.
2. दोनों की सिक्योरिटी और इस्तेमाल
डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन हां, यूजर्स को अपने डिजिटल वॉलेट्स यानी की बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप्स को स्ट्रॉन्ग पासवर्ड के जरिए सेफ रखना पड़ता है. इसके अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखना होता है. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल किसी भी उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से और हर उस चीज के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए नकदी की जरूरत पड़ती है.
वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षा के लिए बहुत मजबूत और जटिल एन्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती है. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने या इसे खरीदने-बेचने के लिए सबसे पहले तो आपके पास बैंक अकाउंट और डिजिटल करेंसी की जरूरत पड़ेगी. उसके बाद आपको किसी क्रिप्टो एक्सचेंज पर ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. वहां से डिजिटल करेंसी से क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी होगी, उसके बाद आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शुरू करेंगे.
अगर इसके इस्तेमाल की बात करें तो क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभी व्यापक नहीं है. ऑफलाइन दुनिया में इस ऑनलाइन करेंसी को अपनाया नहीं गया है. हालांकि, बहुत सी कंपनियों ने क्रिप्टो में पेमेंट लेना शुरू कर दिया है. वहीं, खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी कहा है कि वो चरणबद्ध तरीके से अपना क्रिप्टोकॉइन लाएगा.
3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी का नियमन
जैसाकि हम पहले कह चुके हैं, डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, ऐसे में इसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं. फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है और मॉनेटरी सिस्टम पर कंट्रोल रखती हैं. भारत में रुपया का नियम रिजर्व बैंक देखता है, वहीं डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन को संबंधित अथॉरिटी देखती है.
लेकिन वहीं, क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना हुआ है, यानी इसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं है, जहां से इसपर नियंत्रण रखा जाता है या फिर इसपर नियम कानून लागू किए जाते हैं. इसे कोई एक संस्था नियमित नहीं करती है. क्रिप्टो मार्केट में जितने भी ट्रांजैक्शन होते हैं, उन्हें हर कोई देख सकता है. इसके लिए एक पब्लिक लेज़र होता है, जो सबके लिए कहीं भी उपलब्ध रहता है.
4. दोनों की स्थिरता
डिजिटल करेंसी सामान्यतया स्थिर ही रहती है. करेंसी में हल्का-उतार चढ़ाव रहता है, जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता. ऊपर से विश्व भर में इसे मान्यता मिली हुई है तो इसके ट्रांजैक्शन में कोई दिक्कत नहीं आती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का शिकार होता है. यहां पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता होती है. वैसे भी क्रिप्टो अभी बहुत नया है. नये बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर रहना बहुत ही सामान्य बात है.
5. पारदर्शिता
डिजिटल करेंसी या फ्लैट करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट है. इसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी को रहती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसकी जानकारी सबको होती है. सभी ट्रॉन्जैक्शन पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में दर्ज होते हैं. इससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है.