वित्तीय योजना

पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना चिंता की बात, भविष्य के करदाताओं पर पड़ेगा बोझ : बेरी
नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पुन: शुरू करने पर रविवार को चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे ऐसे समय में भविष्य के करदाताओं पर बोझ पड़ेगा जब भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
बेरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में पूंजीगत व्यय को बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती के माध्यम से निजी क्षेत्र के लिए गुंजाइश बनाने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘पुरानी पेंशन योजना के फिर वित्तीय योजना शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। मेरे खयाल से यह चिंता का विषय है क्योंकि इसका भार मौजूदा करदाताओं पर नहीं बल्कि भावी करदाताओं और नागरिकों पर पड़ेगा।’’
ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी, इस योजना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने एक अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं जबकि राज्य सरकार इसमें 14 प्रतिशत का योगदान देती है।
बेरी ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को अनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि हम सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के साझा लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं ताकि भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बन सके। दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए अल्पकालिक लक्ष्यों को संतुलित करना आवश्यक है।’’
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने ओपीएस के क्रियान्वयन का निर्णय पहले ही ले लिया है जबकि भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह इस योजना को बहाल करेगी। झारखंड ने ओपीएस शुरू करने का फैसला किया और आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने भी वित्तीय योजना इस योजना के पुन: क्रियान्वयन को हाल में मंजूरी दी।
हालांकि, उन्होंने बताया कि राज्यों के कर्ज को रिजर्व बैंक ने प्रभावी तरीके से सीमित कर दिया है इसलिए राज्यों की वजह से आर्थिक स्थिरता को कोई खतरा नहीं है। बेरी ने कहा, ‘‘अगले दो वर्ष में वित्तीय मजबूती के जरिये हमें निजी क्षेत्र के लिए जगह बनाना शुरू करना होगा।’’
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8वीं तक के बच्चों को मिलेगा दूध और यूनिफॉर्म, सीएम गहलोत 29 को योजना की करेंगे शुरुआत
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं तक के (Chief Minister Bal Gopal Yojana) बच्चों को दूध मिलने का इंतजार अब खत्म होने वाला है. सीएम अशोक गहलोत 29 नवंबर को सीएमआर से मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना और मुख्यमंत्री निशुल्क यूनिफॉर्म वितरण योजना की शुरुआत करेंगे.
जयपुर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिलने वाले दूध और यूनिफॉर्म का (Children वित्तीय योजना up to 8th will get milk) इंतजार अब खत्म होने जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 29 नवंबर को सीएमआर से मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना और मुख्यमंत्री निशुल्क यूनिफॉर्म वितरण योजना की शुरुआत करेंगे. हालांकि यह कार्यक्रम पहले एसएमएस स्टेडियम में छात्रों के बीच होने वाला था. लेकिन अब इसे 29 नवंबर को सीएमआर में सुबह 11 बजे किया जाएगा. जिसमें शिक्षामंत्री डॉ. बीडी कल्ला, मुख्य सचिव उषा शर्मा और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहेंगे. साथ ही सभी जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी वचुर्अल जुड़ेंगे.
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत राजकीय स्कूलों, मदरसों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के पहली से 8वीं तक के विद्यार्थियों को सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को पाउडर मिल्क से तैयार दूध दिया जाएगा. सरकार ने वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा में योजना के तहत पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को सप्ताह में दो दिन डिब्बे का गर्म दूध उपलब्ध कराने का एलान किया था.
इसके लिए 476.44 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान किया गया था. योजना के तहत पहली कक्षा से पांचवीं तक के बच्चों को 150 मिलीलीटर, छठीं से आठवीं तक के बच्चों को 200 मिलीलीटर दूध मिलेगा. दूध में चीनी की मात्रा भी तय की गई है. 150 मिलीलीटर दूध में 8.4 ग्राम, 200 मिलीलीटर दूध में 10.2 ग्राम चीनी मिलाई जाएगी. 15 ग्राम पाउडर दूध से 150 मिलीलीटर दूध तैयार होगा. जबकि 20 ग्राम पाउडर से 200 मिलीलीटर दूध तैयार होगा. सरकार का मानना है कि स्कूल में दूध देने की योजना शुरू होने से पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के पोषण के स्तर में सुधार होगा. साथ ही स्कूलों में बच्चों के नामांकन वृद्धि, ठहराव, ड्रॉप आउट भी रुक सकेगा. बता दें कि पूर्वर्ती सरकार ने स्कूलों में मिड डे मील योजना शुरू की थी. उस दौरान भी स्कूलों में ड्रॉप आउट में कमी आई थी.
मुख्यमंत्री निशुल्क यूनिफॉर्म वितरण योजनाः वहीं वित्तीय योजना मुख्यमंत्री निशुल्क यूनिफॉर्म वितरण योजना के तहत पहली से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे सभी विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म के दो सेट निशुल्क दिए जाएंगे. साथ ही सिलाई के लिए 200 रुपए सीधे विद्यार्थी के खाते में जमा किए जाएंगे. प्रदेश के 70 लाख स्कूली बच्चों को ये नि:शुल्क यूनिफॉर्म उपलब्ध कराई जाएगी. बता दें कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2021 के बजट भाषण में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को निशुल्क यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. प्रदेश के 64 हजार 479 सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के 70 लाख 77 हजार 465 बच्चे है. जिसमें 34 लाख 81 हजार 646 छात्र और 35 लाख 95 हजार 819 छात्राओं को निशुल्क यूनिफॉर्म देने का फैसला लिया गया था.
कंपनी के रजिस्ट्रेशन नियमों में बदलाव करने की योजना बना रही है सरकार, दिसंबर से शुरू होगी नई प्रणाली
अब लोगों को कंपनी के पंजीकरण के लिए 50 पेज का फॉर्म नहीं भरना होगा. अब वे आसानी से सॉफ्टवेयर के जरिए फॉर्म फिल कर सकेंग . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : November 26, 2022, 18:01 IST
हाइलाइट्स
सरकार जल्द ही कंपनी पंजीकरण की प्रणाली को बदलने वाली है.
ऐसे में अब लोगों को कंपनी के पंजीकरण के लिए 50 पेज का फॉर्म नहीं भरना होगा.
सरकार इस नए प्रणाली में तेजी लाने के लिए आईटी की मदद ले रही है.
नई दिल्ली. मोदी सरकार कंपनी के रजिस्ट्रेशन के नियमों में बदलाव करने की योजना बना रही है. केंद्र सरकार जल्द ही कंपनी पंजीकरण की प्रणाली को बदलने वाली है. ऐसे में अगर आप भी कंपनी के रजिस्ट्रेशन करवाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो वित्तीय योजना यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह नई प्रणाली व्यवसायों के लिए अनुपालन और वैधानिक फाइलिंग आर्किटेक्चर को बदलने के लिए वित्तीय योजना पीडीएफ में 50 से अधिक फॉर्म फाइलिंग को वेब-आधारित से बदल देगी.
ऐसे में अब लोगों को कंपनी के पंजीकरण के लिए 50 पेज का फॉर्म नहीं भरना होगा. अब वे आसानी से सॉफ्टवेयर के जरिए फॉर्म फिल कर सकेंगे. सरकार इस नई प्रणाली को अगले महीने यानी दिसंबर 2022 से शुरू कर देगी. इस नए फॉर्म में एक कंपनी की हर रिपोर्टिंग आवश्यकता शामिल होगी, जिसमें पंजीकृत वित्तीय योजना कार्यालय और कंपनी के निदेशकों के विवरण की रिपोर्टिंग, व्यवसाय प्रमाणपत्र की शुरुआत और कई अन्य कई जानकारी भी शामिल होंगे.
जारी करेगी सार्वजनिक नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी रजिस्ट्रेशन के सिस्टम के बदलाव के दौरान सभी नए आवेदकों के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी कर सकती है. इसके साथ इस रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ट्रांसफर के दौरान कुछ देर के लिए नए कंपनी के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई को रोक दिया जाएगा. वहीं व्यवसायों को उनके अनुपालन दायित्वों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय की राहत दी जाएगी ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो और वो अपना काम पूरा कर सकें.
पंजीकरण प्रोसेस में तेजी लाएगा यह नई सिस्टम
बता दें सरकार का यह कदम नए कंपनी के पंजीकरण प्रोसेस के काम में तेजी लाएगा. पहले के प्रणाली में सभी काम मैनुअल तरीके से होता था जिससे कंपनी के रजिस्ट्रेशन में लंबा वक्त लगता था और कई फाइलिंग त्रुटियों की भी संभावना रहती थी. सरकार इस नए प्रणाली में तेजी लाने के लिए आईटी की मदद ले रही है.
आईटी की मदद लेगी सरकार
सरकार द्वारा वेब आधारित प्रपत्रों के साथ कंपनी फाइलिंग के संशोधित संस्करण से उपयोगकर्ता के अनुभव को बेहतर बनाने और व्यवसायों के विनियामक निरीक्षण को कुशल वित्तीय योजना बनाने के लिए नए आईटी उपकरणों को नियोजित करने की संभावना है जो नीति निर्माताओं को प्रारंभिक चरण में कॉर्पोरेट क्षेत्र में वित्तीय तनाव के साथ-साथ शासन की अनियमितताओं का पता लगाने में सक्षम बनाता है.
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PMFBY: जलवायु संकट से जूझ रहे किसानों के बचाव वित्तीय योजना में सरकार आई आगे, पीएम फसल बीमा योजना' में होंगे बड़े बदलाव, जानें क्या है पूरा प्लान
Crop Insurance: केंद्र सरकार ने पीएम वित्तीय योजना फसल बीमा योजना में किसान हितैषी बदलाव करने का फैसला किया है. इस योजना में गैर-ऋणी किसान, लघु-सीमांत किसानों की संख्या में भी 282 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज हुई है.
By: ABP Live | Updated at : 25 Nov 2022 11:21 AM (IST)
पीएम फसल बीमा योजना में किसान हितौषी बदलाव करेगी सरकार
PM Fasal Bima Yojana: खेती-किसानी में बदलती जलवायु सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. बेमौसम बारिश, बाढ़, सूखा, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. इस नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) भी चलाई है. ताजा खबरों की मानें तो अब केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसान हितैषी बदलाव करने का फैसला किया है. कृषि सचिव मनोज अहूजा ने बताया कि अब दिन पर दिन नई तकनीकें विकसित हो रही हैं, लेकिन जलवायु संकट का खतरा भी बढ़ रहा है. इन सभी चुनौतियों के मद्देनजर सरकार ने किसानों के फायदे के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ बदलाव करने का फैसला किया है.
इन राज्यों में हुआ भारी नुकसान
इस साल मौसम की अनिश्चितताओं के कारण खरीफ फसलों में भारी नुकसान देखने को मिला. पहले मानसून में देरी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई में देरी हुई. वहीं बाद में मानसून की वापसी ने खड़ी फसलों को पानी में डुबा दिया. इस बीच महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिला. वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में कम बारिश के कारण सूखा जैसे हालात पैदा हो गए. मौसम की मार से धान, दलहन और तिलहन जैसी फसलों की पैदावार पर बुरा असर पड़ा और किसानों को भी भारी नुकसान पहुंचा. पिछले कुछ सालों में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है, लेकिन आने वाले समय में इन बदलावों का नुकसान किसानों को ना झेलना पड़े, इसलिए सरकार ने अहम बदलाव करने का फैसला वित्तीय योजना किया है.
प्रकृति की मार से बचाना जरूरी
कृषि सचिव मनोज अहूजा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण खेती-किसानी पर सीधा असर होता, इसलिए देश के कमजोर किसान वर्ग को प्रकृति की इस मार से बचाना बेहद आवश्यक है. इन सभी रुझानों के मद्देनजर फसल बीमा की मांग बढ़ने की भी संभावनाएं प्रबल है. ऐसे में किसानों को सही बीमा सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ फसल, ग्रामीण और कृषि उत्पादों के अन्य रूप पर ज्यादा जोर देना होगा.
इनोवेशन, तकनीक और डिजिटाइजेशन की अहम भूमिका
कृषि सचिव ने बताया कि खेती के मुताबिक फसल बीमा योजना का लाभ पहुंचाने में इनोवेशन, तकनीक और डिजिटलाइजेशन ने अहम रोल अदा किया है. कृषि मंत्रालय ने बताया कि किसानों के रजिस्ट्रेशन के मामले में पीएम फसल बीमा योजना दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बनकर उभरी है, जिसके तहत हर साल 5.50 करोड़ किसान रजिस्टर होते हैं.
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वहीं ब्याज प्राप्ति के मामले में ये दुनिया की तीसरी बड़ी योजना है. इस योजना को अपनाने के लिए तमाम जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. साथ ही खेती में आ रही तमाम चुनौतियों का समाधान भी किया जाता है. इस बीच फसल बीमा योजना में किसानों की पुरानी मांगे भी थी, जिन्हें पूरा करने के लिए बदलाव किए जा रहे हैं, जो सभी राज्यों के लिए मददगार साबित होंगे.
क्यों बाहर हुए राज्य
कृषि सचिव अहूजा ने बताया कि कई राज्यों मे पीएम फसल बीमा योजना से बाहर निकलने का फैसला किया है, जिसके पीछे मुख्य कारण है कि वित्तीय संकट. ये राज्य प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा देने में असमर्थ हैं, लेकिन योजना में बदलाव और तमाम मुद्दों के समाधान के बाद अब आंध्र प्रदेश दोबारा शामिल हुआ.
जल्द पंजाब में भी इस योजना में जुड़ने जा रहा है. कृषि सचिव ने बताया कि किसानों की बेहतरी के लिए ज्यादातर राज्यों ने पीएम फसल बीमा योजना के क्षतिपूर्ति मॉडल को अपनाया. सचिव ने यह भी याद दिलाया कि पीएम फसल बीमा योजना से किसानों को समग्र भुगतान नहीं मिलता, बल्कि कुछ आंशिक भरपाई होती है.
6 सालों में बढ़ी भागीदारी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर सहयोग करती हैं. इस पर कृषि सचिव अहूजा ने बताया कि पिछले 6 साल में किसानों से सिर्फ 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम लिया गया, जबकि नुकसान की भरपाई के तौर पर 1,25,662 करोड़ रुपये किसानों को मिले हैं.
साल 2016 में लागू हुई इस योजना में पिछले 6 साल में अच्छा प्रदर्शन किया है. गैर-ऋणी किसान, छोटे और सीमांत किसानों का भी रुझान अब फसल बीमा योजना में बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों की संख्या में भी 282 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज हुई है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
Published at : 25 Nov 2022 11:21 AM (IST) Tags: Government scheme PM Fasal Bima Yojana Agriculture News हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Agriculture News in Hindi