निवेश के तरीके

कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं

कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं

सेबी द्वारा किये गए नवीन सुधारों का प्रभाव तथा महत्त्व

चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने इस वर्ष की अपनी आखिरी बैठक में कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये हैं। इन सुधारों का उद्देश्य आम निवेशकों के हितों की सुरक्षा तथा बाज़ार के विनियमन मानकों को उन्नत करना है।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों तथा म्यूचुअल फंड से संबंधित सुधार

  • सेबी ने रेटिंग के साथ-साथ म्यूचुअल फंड में हितों के टकराव को दूर करने के मकसद से एक दूसरे में 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग की सीमा तय कर दी है।
  • इसका मतलब यह है कि यदि किसी कंपनी या व्यक्ति के पास किसी रेटिंग एजेंसी या म्यूचुअल फंड के 10% शेयर हैं तो वह किसी दूसरी रेटिंग कंपनी या म्यूचुअल फंड के 10% से ज़्यादा शेयर नहीं खरीद पाएगा।
  • रेटिंग एजेंसियों की स्थापना के लिये न्यूनतम कुल मूल्य (Net Worth) सीमा को 5 करोड़ से बढाकर 25 करोड़ कर दिया है। इससे नई रेटिंग एजेंसी स्थापित करना थोडा मुश्किल हो जाएगा।
  • प्रमोटर इकाई को रेटिंग एजेंसी में तीन वर्षों की अवधि के लिये कम से कम 25% हिस्सेदारी को बनाए रखना होगा।
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को वित्तीय उत्पादों की रेटिंग और वित्तीय या आर्थिक शोध गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों को एक पृथक् कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं कानूनी इकाई के तहत गठित करना होगा।

क्या है क्रेडिट रेटिंग?

  • क्रेडिट रेटिंग किसी भी देश, संस्था या व्यक्ति की ऋण लेने या उसे चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन होती है। गौरतलब है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी के नाम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था को रेटिंग दी जाती है।
  • दुनिया के विभिन्न देशों या बड़ी संस्थाओं की रेटिंग दुनिया की तीन बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ - फिच, मूडीज़ और एस. एंड पी. (Standard & Poor's) तय करती हैं। इनमें एस. एंड पी. सबसे पुरानी एजेंसी है।

म्यूचुअल फंड क्या है?

  • म्यूचुअल फंड (पारस्परिक निधि) एक प्रकार का सामुहिक निवेश होता है। निवेशकों के समूह मिलकर अल्प अवधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।
  • म्यूचुअल फंड में एक फंड प्रबंधक होता है, जो इस पैसे को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिये अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है।
  • वह फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशकों में बाँट दिया जाता है।
  • म्यूचुअल फंड के शेयर की कीमत नेट ऐसेट वैल्यु (NAV) कहलाती है।
  • यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है।

लाभ

  • भारत में वार्षिक रूप से $ 100 बिलियन से अधिक मूल्य के बांड ज़ारी किये जाते हैं। इस कारण भारत में ऋण बाज़ार के मूल्यांकन और कारोबार की सघनता के चलते लॉबी (Lobby) वर्ग पनपने लगा था।
  • विशेषज्ञों के अनुसार सेबी के ये कदम ऐसी प्रवृतियों पर अंकुश लगायेंगे तथा क्षेत्र को एकाधिकारवादी (Monopolistic) चलन से बचाएंगे।
  • क्रॉस-होल्डिंग की न्यूनतम सीमा तय होने से हितों के टकराव को टालना आसान होगा। फिच, मूडीज़, और एस. एंड पी. जैसी एजेंसियाँ स्वतंत्र रूप से तो काम करती ही हैं, ये घरेलू एजेंसियों में भी हिस्सेदारी रखती है जैसे:- क्रिसिल (CRISIL-Credit Rating Information Services of India Limited) रेटिंग एजेंसी में अधिकांश हिस्सेदारी एस. एंड पी. की है।
  • म्यूचुअल फंड में क्रॉस होल्डिंग की 10% सीमा के निर्णय का प्रभाव स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक और एल.आई.सी. पर पड़ेगा।
  • इनकी अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी तो है ही, यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में भी प्रत्येक की 18.24% की हिस्सेदारी है, जिसे एक वर्ष के भीतर कम करना होगा।

स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित सुधार

  • सेबी ने एक ही प्लेटफार्म से इक्विटी और कमोडिटी ट्रेडिंग की अनुमति दे दी है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अब अपने प्लेटफॉर्म पर कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं, जबकि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव एक्सचेंज (NCDEX) इक्विटी में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। इस निर्णय को 1 अक्टूबर 2018 से लागू किया जाएगा।
  • इसके लिये सेबी ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) (स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) विनियम, 2012 में उपयुक्त संशोधन की मंज़ूरी दे दी है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले कमोडिटी बाज़ारों का नियमन वायदा बाज़ार आयोग (Forward Market Commission-FMC) करता था, किन्तु अक्टूबर, 2015 में एफएमसी का सेबी में विलय कर लिया गया था। तब से सेबी कमोडिटी वायदा बाज़ारों का भी कार्य देख रहा है।

देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने लॉन्च किया GUAREX,जानिए कितना देना होगा मार्जिन

देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज ने आज से ग्वार इंडेक्स लॉन्च कर दिया है।

देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज ने आज से ग्वार इंडेक्स लॉन्च कर दिया है। GUAREX एक कॉन्ट्रैक्ट में 7 टन ग्वार सीड और 3 टन ग्वार गम रहेगी। ये कैश सेटल्ड कॉन्ट्रैक्ट होगी जिसकी एक्सपायरी महीने के अंत में होगी। एक्सचेंज ने अभी GUAREX का अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट ही लॉन्च किया है।

NCDEX ने लॉन्च किया GUAREX

एक्सचेंज ने आज से ग्वार का इंडेक्स लॉन्च किया है। GUAREX का सेटलमेंट कैश में होगा। इंडेक्स में ग्वार सीड और ग्वार गम शामिल होगा। GUAREX कॉन्ट्रैक्ट में 7 MT ग्वार सीड शामिल होगा जबकि GUAREX कॉन्ट्रैक्ट में 3 MT ग्वार गम शामिल होगा। GUAREX में कोई ट्रेडिंग शुल्क नहीं लगाया जाएगा लेकिन इसमें 10% शुरुआती मार्जिन लगाई जाएगी।

नेशनल मल्‍टी-कमोडिटी एक्‍सचेंज आफ इंडिया लिमिटेड

सूची नेशनल मल्‍टी-कमोडिटी एक्‍सचेंज आफ इंडिया लिमिटेड

नेशनल मल्‍टी-कमोडिटी एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एन.एम.सी.ई) भारत का प्रथम अनअन्‍योन्‍य इलेक्‍ट्रॉनिक मल्‍टी-कमोडिटी एक्‍सचेंज हैं। इसे भारत सरकार द्वारा स्‍थायी आधार पर राष्‍ट्रीय दर्जा प्रदान किया गया। इसने 24 सामग्रियों में भावी व्‍यापार के साथ 26 नवम्‍बर 2002 को कार्य करना प्रारम्‍भ किया। त‍ब से सामग्रियों के इस समूह (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में काफी वृद्धि हुई है जिसमें शामिल है: तिलहन, खली, तेल, मिर्च मसाले, दालें, धातुएं तथा नकदी फसलें। भारतीय किसान एवं कृषि उत्‍पाद के निचले स्‍तर के प्रयोक्‍ताओं को उच्‍च जो‍खिम का सामना करना पड़ता है तथा सामग्री व्‍युत्‍पत्ति बाजार की रचना उन्‍हें कीमतों के उतार-चढाव के विपरीत अपनी सुरक्षा करने का विकल्‍प प्रदान करती हैं। .

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि.

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि. (एमसीएक्स) भारत का अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कमोडिटी एक्सचेंज है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। यह फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लि. (एफटीआईएल) द्वारा स्थापित डिम्युच्युलाइज्ड एक्सचेंज है जो पूरे भारत में कमोडिटी वायदा व्यापार के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग, क्लियरिंग एवं निपटान परिचालन की सुविधा प्रदान करने वाली भारत सरकार से स्थायी रूप से मान्यताप्राप्त है। नवंबर, 2003 में अपने परिचालन की शुरुआत से आज एमसीएक्स भारतीय जिंस वायदा बाजार का 80 प्रतिशत से अधिक का हिस्सेदार हो गया है और उसके पास पूरे देश में 1,00,000 से अधिक ट्रेडर वर्क-स्टेशनों के माध्यम से व्यापार करने वाले 2000 से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं। वर्ष 2009 में ट्रेडिंग किए गए कांट्रेक्ट्स की संख्या के मामले में एक्सचेंज विश्व के सबसे तेज विकसित होने वाले कमोडिटी फ्यूचर्स एक्सचेंजों में छठां सबसे बडा़ एक्सचेंज बन कर उभरा है। .

कमोडिटी एक्सचेंज

अमेरिका के 'शिकागो बोट' में कमोडिटी कारोबार का दृष्य कमोडिटी एक्सचेंज (commodities exchange) यानि वस्तुओं के विनिमय का कारोबार, वह विनिमय है, जहाँ विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) एवं उनके व्युत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है। विश्व के अधिकांश जींस बाजार कृषि उत्पादों एवं अन्य कच्चे उपादों (जैसे गेहूँ, चीनी, दाल, तेल, कपास, धातुएँ आदि) का व्यापार करते हैं। इनके व्यापार में तरह-तरह के सौदे (कांट्रैक्ट) होते हैं जैसे स्पॉट मूल्य (spot prices), फारवर्ड (forwards), वायदा (futures) आदि। .

यूनियनपीडिया एक विश्वकोश या शब्दकोश की तरह आयोजित एक अवधारणा नक्शे या अर्थ नेटवर्क है। यह प्रत्येक अवधारणा और अपने संबंधों का एक संक्षिप्त परिभाषा देता है।

इस अवधारणा को चित्र के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है कि एक विशाल ऑनलाइन मानसिक नक्शा है। यह प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है और प्रत्येक लेख या दस्तावेज डाउनलोड किया जा सकता है। यह शिक्षकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों या छात्रों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है कि एक उपकरण, संसाधन या अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा, शिक्षा या शिक्षण के लिए संदर्भ है, अकादमिक जगत के लिए: स्कूल, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालय, मध्य, महाविद्यालय, तकनीकी डिग्री, कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री के लिए; कागजात, रिपोर्ट, परियोजनाओं, विचारों, प्रलेखन, सर्वेक्षण, सारांश, या शोध के लिए। यहाँ परिभाषा, विवरण, विवरण, या आप जानकारी की जरूरत है जिस पर हर एक महत्वपूर्ण का अर्थ है, और एक शब्दकोष के रूप में उनके संबद्ध अवधारणाओं की एक सूची है। हिन्दी, अंग्रेज़ी, स्पेनी, पुर्तगाली, जापानी, चीनी, फ़्रेंच, जर्मन, इतालवी, पोलिश, डच, रूसी, अरबी, स्वीडिश, यूक्रेनी, हंगेरियन, कैटलन, चेक, हिब्रू, डेनिश, फिनिश, इन्डोनेशियाई, नार्वेजियन, रोमानियाई, तुर्की, वियतनामी, कोरियाई, थाई, यूनानी, बल्गेरियाई, क्रोएशियाई, स्लोवाक, लिथुआनियाई, फिलिपिनो, लातवियाई, ऐस्तोनियन् और स्लोवेनियाई में उपलब्ध है। जल्द ही अधिक भाषाओं।

Edible Oil Price: खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा लगाने के खिलाफ हुए व्यापारी, संगठन ने सरकार पर दागे कई सवाल

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ ने कहा-सिर्फ दिखावा बनकर रह जाती है स्टॉक लिमिट, कमोडिटी एक्सचेंज के 'खेल' को बंद करने की जरूरत.

Edible Oil Price: खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा लगाने के खिलाफ हुए व्यापारी, संगठन ने सरकार पर दागे कई सवाल

TV9 Bharatvarsh | Edited By: ओम प्रकाश

Updated on: Oct 09, 2021 | 11:18 PM

केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के दाम (Edible Oil Price) में कमी करने के मकसद से तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट लगवाने जा रही है. इसे लेकर राज्यों को अपने हिसाब से स्टॉक तय करने को कहा गया है. लेकिन इससे दाम में कमी नहीं आ पाएगी उल्टे अधिकारी लोग व्यापारियों को उत्पीड़न शुरू कर देंगे. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने यह बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर वाकई लोगों को सस्ता तेल खिलाना चाहती है तो उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए इसका भी वितरण शुरू करवा देना चाहिए.

ठक्कर ने कहा कि पहले व्यापारियों को सिर्फ पोर्टल पर अपना स्टॉक बताना होता था लेकिन अब सरकार ने नया आदेश जारी करके राज्यों से अपने हिसाब से स्टॉक लिमिट (Stock Limit on Edible Oil) तय करने को कह दिया है. इससे इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा. सरकार मांग और आपूर्ति में अंतर को दूर कर दे तो अपने आम खाद्य तेलों का दाम कम हो जाएगा. व्यापारियों पर स्टॉक लिमिट थोपने से पहले बाजार के बेसिक नियमों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए.

नेपाल से आ रहे खाद्य तेल पर रोक लगाए सरकार: ठक्कर

ठक्कर ने कहा कि कुछ लोग नेपाल (Nepal) के जरिए अवैध रूप से जीरो ड्यूटी पर खाद्य तेल भारत ला रहे हैं. सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जगह व्यापारियों को क्यों तंग कर रही है. देश में 70 फीसदी खाद्य तेलों का इंपोर्ट करना पड़ता है. जब मांग में भी वृद्धि हो रही है और अपने यहां पैदावार नहीं है तो आयात बढ़ा दीजिए. दाम ज्यादा होने की समस्या खत्म हो जाएगी.

स्टॉक सीमा 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी

ठक्कर ने कहा कि पिछले 2 महीने के अंदर दो बार आयात शुल्क कम करने पर भी खाद्य तेलों के दाम पर अंकुश नहीं लगा है. अब स्टॉक सीमा 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी. इस आदेश पर स्टॉक लिमिट को निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को दिया है. इस स्टॉक लिमिट में आयातक-निर्यातक शामिल नहीं हैं. जिन स्टॉकिस्ट, ऑयल मिलर्स एवं होलसेलर के पास स्टॉक राज्य द्वारा दिए गए मानकों से अधिक होगी, उसकी जानकारी पोर्टल पर 30 दिन के भीतर देनी होगी.

स्रोत बताना होगा

इसके अलावा आयातक जो रिफाइनर्स, मिलर्स, होलसेलर या डीलर हैं उनको आयातित माल की जानकारी यानी स्रोत देना होगा. जिन सभी को स्टॉक सीमा लागू होगी उन सभी को ऑनलाइन पोर्टल पर खाद्य तेल-तिलहन के स्टॉक की जानकारी देनी होगी. ठक्कर का कहना है कि राज्य सरकारें किस प्रकार स्टॉक की मात्रा तय करती हैं इसे संगठन देख रहा है. लेकिन इस फैसले से तेल-तिलहन बाजारों में खलबली है.

सिर्फ दिखावा बनकर रह जाती है स्टॉक लिमिट

ठक्कर ने कहा कि बाजार सप्लाई व डिमांड पर ही चलते हैं. इससे पूर्व में भी कई बार तेल बाजारों को काबू में करने के लिए सरकार ने स्टॉक सीमाएं लगाई हैं, लेकिन जब तक माल की उपलब्धता नहीं होती है बाजार काबू में नहीं आते. स्टॉक सीमा लादना सिर्फ दिखावा बनकर रह जाता है. ऐसे आदेश अधिकारियों को व्यापारियों को प्रताड़ित करने का मौका उपलब्ध कराते हैं. इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है.

कमोडिटी एक्सचेंज के ‘खेल’ को बंद करने की जरूरत

संगठन महामंत्री तरुण जैन ने कहा सरकार को सबसे पहले माल की उपलब्धता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. उपलब्धता बढ़ती है तो बाजार अपने आप काबू में आ जाता है. इसके अलावा सरकार ने कमोडिटी एक्सचेंजों पर हो रहे ‘खेल’ को बंद करने की आवश्यकता है. इसकी मांग हम लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही.

अगस्त 2020 में, निम्न में से कौनसा, देश के पहले बुलियन इंडेक्स, बुलडेक्स को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है?

The RBI (Reserve Bank of India) has released the list of finally selected candidates for Bhopal & Raipur Regions. This is for the 2021 recruitment cycle. A total of 950 vacancies were released under the recruitment process for RBI Assistant 2022. The selection of the candidates for the Assistant post consists of the Prelims exam, Mains exam, and Language Proficiency Test. Candidates who get a successful selection for RBI Assistant 2022 will get a salary range between Rs. 20700 to Rs. 55700. Check out RBI Assistant result here.

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