सिगनल को उपलब्ध कराने वाले

नैशनल इन्वेसिटगेशन एजेंसी (एनआईए) का गठन 2008 के मुंबई हमलों के बाद हुआ।
Satellite Internet क्या है? क्या यह 5G से तेज़ है?
आज के समय में इंटरनेट व्यक्ति की रोजमर्या की जिंदगी का अभिन्न भाग बन गया है। परन्तु आज भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां इंटरनेट की पहुंच नहीं है अगर है भी तो उसकी स्पीड बहुत ख़राब है, आज के 4g-5g के ज़माने में अभी भी ऐसे क्षेत्र 2g की स्पीड पर ही अटके हुए हैं।
देश में इंटरनेट की पहुंच को फाइबर केबल के जरिये बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं ऑप्टिकल फाइबर के द्वारा स्पीड में इजाफा तो होगा किन्तु इसे हर स्थान पर पंहुचापाना एक जटिल कार्य है। इसी जटिलता को दूर करने के लिए satellite internet एक माध्यम बन सकता है। आने वाले समय में एलन मस्क का स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट(Satellite Internet) भी भारत आने की संभावना है। साथ ही भारतीय एयरटेल भी इसी माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है।
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सैटेलाइट इंटरनेट(Satellite Internet) की आवश्यकता क्यों?
कोरोना में लॉकडाउन के दौरान जब कॉलेज, स्कूल बंद कर दिए गए तो इस समय ऑनलाइन क्लासेज शुरू की गयी थी। उस दौरान ऐसी खबरें सामने आ रही थी कि बच्चों को इंटरनेट की पहुंच के लिए ऊँचे स्थानों पर जाना पड़ रहा था जहाँ नेट के सिगनल मिल जाते हों। ऑनलाइन एग्जाम और क्लासेज के लिए बच्चों को बहुत सिगनल को उपलब्ध कराने वाले सी परेशानियां उठानी पड़ती थी। अतः इंटरनेट की उपलब्धता के लिहाज से दूरदराज वाली ऐसी जगह जहाँ हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता नहीं है। उन स्थानों पर सैटेलाइट इंटरनेट की पहुंच हो सकती है।
space x के मालिक एलन मस्क ने कहा है कि स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट जल्द ही भारत आ सकता है। इसके लिए सरकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया चल रही है। स्टारलिंक प्रोग्राम की शुरुआत space x के द्वारा की गयी है जिसमें सैटेलाइट के समूहों द्वारा इंटरनेट कनेक्टिविटी सिगनल को उपलब्ध कराने वाले की सुविधा प्रदान की जाती है।
स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट क्या है?
यह एक इंटरनेट प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचना है जहाँ अभी भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी समस्या है। सैटेलाइट इंटरनेट(Satellite Internet) में आसानी इस रूप में है कि इसके लिए बड़े ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर की आवश्यकता नहीं होती बल्कि इसमें लेज़र बीम का इस्तेमाल करके डाटा ट्रांसफर किया जाता है।
स्टारलिंक की ऑफिसियल वेबसाइट के अनुसार $99 में इसकी प्री- बुकिंग शुरू हो चुकी है। यह सुविधा आम लोगों के लिए है अतः कीमतों में बदलाव हो सकता है।
धनबाद में 14 से 15 नवंबर को होगा ECRKU का 30 वीं केंद्रीय परिषद की बैठक
मिरर मीडिया : ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का 30 वीं केंद्रीय परिषद की बैठक 14 और 15 नवंबर 2022 को धनबाद में होने जा रहा है। रेलवे आडिटोरियम में पूर्व मध्य रेलवे के पांचों डिवीजन के प्रतिनिधि इस बैठक में भाग लेंगे और रेलवे और रेलकर्मियों से जुड़े महत्वपूर्ण समस्याओं पर चर्चा करेंगे। इस बैठक में आल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति देंगे और अपनी मांगों को सरकार द्वारा सिगनल को उपलब्ध कराने वाले मनवाने के लिए आंदोलन की रूप रेखा निर्धारित करेंगे।
कौन है भारत की सुरक्षा एजेंसियां ?
- CBI का पूरा नाम सिगनल को उपलब्ध कराने वाले Central Bureau of Investigation होता है, जिसे हिंदी में केद्रीय जांच ब्यूरो के नाम से जाना जाता है।
- यह पूरे भारत की जांच एजेसी है, देश और विदेश स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और अष्टाचार के मामलो और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है।
- सीबीआई की स्थापना 1963 में हुई थी ।
- भारत सरकार राज्य सरकार की सहमति से किसी भी आपराधिक मामले की जांच करने कि जिम्मेदारी CBI को देती है।
2.इंटेलिजेंस ब्यूरो(Intelligence Bureau)
- आसूचना ब्यूरो या इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारत की आन्तरिक खुफिया एजेन्सी हैं और ख्यात रूप से दुनिया की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है, इसे प्रायः ‘आईबी(IB)’ कहा जाता है।
- इसका गठन 1887 ई में किया गया था इसे 1947 में गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो के रूप में पुनर्निर्मित किया गया।
- भारत के अंदर से सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां प्राप्त करना।
- भारत पर होने वाले किसी भी अतांक वादी हमले का पता लगाना।
- सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां हमारी सेना बल को देना ताकि बाहरी सुरक्षा भी बनी रहे।
WhatsApp को जिस तरह छोड़ा गया इससे साफ है कि भारतीयों के लिए प्राइवेसी अहम मुद्दा है: Signal चेयरमैन
- नई दिल्ली,
- 18 जनवरी 2021,
- (अपडेटेड 18 जनवरी 2021, 6:16 PM IST)
- नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है सिग्नल फाउंडेशन
- ब्रायन एक्टन वॉट्सऐप के भी को-फाउंडर रहे हैं
- सिगनल का रेवेन्यू मॉडल डोनेशन्स और कंट्रीब्यूशन है
WhatsApp द्वारा प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट किए जाने के बाद दुनियाभर में उसकी आलोचना हो रही है. ऐसे में प्राइवेसी पसंद लोग सिग्नल और टेलीग्राम जैसे ऐप्स का रुख कर रहे हैं. इस बीच हमारी सहयोगी वेबसाइट इंडिया टुडे टेक ने सिग्नल फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन Brian Acton से बातचीत की है. इसमें उन्होंने पिछले कुछ दिनों से प्लेटफॉर्म को मिल रही बढ़त और वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी पर इंडियन यूजर्स के रिएक्शन जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं. इस इंटरव्यू में ब्रायन एक्टन ने कहा कि जिस तरह से भारतीय वॉट्सऐप को छोड़ रहे हैं, इससे पता चलता है कि उनके लिए प्राइवेसी काफी महत्वपूर्ण है.
Jio ने 5G लॉन्च से पहले बनाई बढ़त! जानें कैसे Airtel और Vi को दे दिया चकमा
रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने 5G नेटवर्क उपलब्ध कराने के मामले बाकी टेलीकॉम कंपनियों के मुकाबले में बढ़त हासिल कर ली है। बता दें कि जियो (Jio) 700 मेगाहर्टज बैंड स्पेक्ट्रम खरीदने वाला अकेला ऑपरेटर बन गया है। 5G के लिए बेहतरीन माने जाने वाले इस बैंड पर सभी ऑपरेटर्स की नज़र थी। लेकिन जियो ने इस प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज बैंड को अपने नाम करके 5G की सिगनल को उपलब्ध कराने वाले दौड़ में शुरूआती बढ़त हासिल कर ली है।
काफी फेमस है 700 मेगाहर्टज बैंड
दुनिया भर में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड को 5जी सिगनल को उपलब्ध कराने वाले के लिए प्रमुख बैंड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने इसे 5जी सर्विस के लिए प्रीमियम बैंड घोषित किया हुआ है। दुनिया भर में इस बैंड के लोकप्रिय होने की कई वजह हैं।