स्वैप क्या हैं

इंदौर में सिम स्वैपिंग से 20 लाख का फ्रॉड: आपका सिम दूसरा कैसे इस्तेमाल करता है; एक्सपर्ट से जानिए-क्या है नया साइबर फ्रॉड, कैसे बचें?
इंदौर में सिम कार्ड स्वैपिंग के जरिए साइबर क्रिमिनल्स ने गोकुलदास हॉस्पिटल के मालिक को 20 लाख की चपत लगा दी। क्रिमिनल्स ने उनके मोबाइल सिम कार्ड को दो बार बंद करवाया। OTP (वन टाइम पासवर्ड) शेयर करवाकर दो दिन में यह रकम निकाली। शहर में सिम कार्ड स्वैपिंग कर इतनी बड़ी रकम निकालने का स्वैप क्या हैं यह पहला मामला है। साइबर सेल SP जितेंद्र सिंह के मुताबिक 12 से 14 दिसंबर के बीच हॉस्पिटल मालिक के बैंक के करंट अकाउंट से 10 बार ट्रांजेक्शन कर 20 लाख रुपए निकाले गए हैं। अकाउंट उनके भतीजे तन्नू अग्रवाल के नाम पर है।
मौजूदा दौर में हर किसी के पास स्मार्टफोन्स हैं। होटल बुकिंग, टिकट बुकिंग और बैंकिंग तक स्मार्टफोन के जरिए ही हो रही हैं। स्मार्टफोन के जरिए ही सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग को भी अंजाम दिया जा रहा है। USA की जांच एजेंसी FBI के अनुसार कोरोना के बाद से विश्व में साइबर फ्रॉड के 630% मामले बढ़ चुके हैं। इंडिया में रोजाना 5.5% साइबर फ्रॉड की शिकायत आ रही हैं। ये तब है, जब 3% लोग ही थाने जाकर शिकायत दर्ज करो हैं। सिम स्वैपिंग क्या है? कैसे साइबर फ्रॉड से स्वैप क्या हैं बचा जा सकता है, जानते हैं साइबर एक्सपर्ट गौरव रावल से .
क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम स्वैपिंग में आपके मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और आपके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में ठग के पास आपके मोबाइल नंबर से सिम चालू हो जाता है और स्वैप क्या हैं इसी का फायदा उठाकर वह आपके नंबर पर OTP मंगाता है और फिर आपके खाते से पैसे उड़ा लेता है।
- इस तरह के फ्रॉड में साइबर क्रिमिनल्स लोगों के पास फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे आपके सिम कार्ड की कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो के ऑफिस से बोल रहे हैं। ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। यह भी कहते हैं कि आपकी सिम खराब हो चुकी है। ऐसे फोन कॉल्स करने के लिए सैटरडे या फिर उन दिनों को चुनते हैं, जब 2 से 3 दिन लगातार छुट्टी हो।
- फ्रॉड करने स्वैप क्या हैं स्वैप क्या हैं वाला लोगों को झांसे में लेकर एक मेल एड्रेस देता है। एक लिंक प्रोवाइड कराता है। कहता है कि दिए गए लिंक पर फॉर्म फिल कर दीजिए, जिससे कि आपकी सिम एक्टिवेट करने का क्यूआर कोड आपके मोबाइल में आ जाएगा।
- अब होता यह है कि कस्टमर इस फॉर्म को फिल कर जैसे ही भेजता है, तो कंपनी जो क्यूआर कोड प्रोवाइड कराती है, वो सीधे हैकर के पास पहुंच जाता है। अब हैकर इस कोड को स्कैन कर कस्टमर के नंबर की सिम अपने मोबाइल में एक्टिवेट (इसे ई-सिम कहते हैं) कर लेता है। इस प्रोसेस में 4 से 12 घंटे लगते हैं। इधर, कस्टमर के मोबाइल की सिम बंद हो जाती है। इसके बाद हैकर कस्टमर के इस मोबाइल नंबर (जो बैंक में भी रजिस्टर है) के जरिए खाता खाली कर देता है।
- एक बार में ही साइबर अपराधी आपकी सिम का एक्सेस ले लेते हैं। इसके बाद आपकी सिम के जरिए ही आपकी बैंक डिटेल्स का पता लगा लिया जाता है। इससे जितने भी वेरिफिकेशन होते हैं, वो आपके सिम के द्वारा कर दिए जाते हैं। इसके बाद जब भी कोई ट्रांजेक्शन होता है तो आपको पता नहीं चलता है।
कई इंटरनेशनल साइट्स सिर्फ OTP मांगती हैं, पूरी डिटेल नहीं
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, सिम स्वैपिंग से फ्रॉड करने का तरीका कोरोना की पहली लहर के बाद ज्यादा बढ़ गया है। दुकान और शॉपिंग मॉल्स घर बैठे लोगों को फैसिलिटीस प्रोवाइड करा रही हैं, ऐसे में फ्रॉड भी इसका फायदा उठा रहे हैं। ऐसी कई इंटरनेशनल साइट्स हैं, जिनके जरिए हैकर्स ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करा देते हैं या फिर ऑनलाइन मार्केटिंग कर लेते हैं। दरअसल, ऐसी साइट्स सिर्फ ओटीपी मांगती हैं। कस्टमर्स की डिटेल नहीं। डार्क वेब में यह सब होता है।
इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड डार्क वेब
गूगल, याहू या कोई दूसरा सर्च इंजन सिर्फ इंटरनेट को 4% तक ही कवर करते हैं। बाकी 96% डीप वेब या डार्क वेब कहलाता है। साइबर एक्सपर्ट के अनुसार, इंटरनेट का केवल 4% हिस्सा ही जनरल पब्लिक के लिए विजिबल होता है। इसे सरफेस वेब कहा जाता है। इंटरनेट पर 96% वेबसाइट्स को जनरल पब्लिक से हिडन रखा जाता है। इनके आईपी एड्रेस डिटेल को जानबूझकर छिपाया जाता है। इसके लिए यूजर्स Tor जैसे सर्च इंजन का इस्तेमाल करते हैं। डार्क वेब को इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड भी कहा जा सकता है। दरअसल, यहां सारी इल्लिगल एक्टिविटीज होती हैं। पोर्न, चाइल्ड ट्रैफिकिंग और ऐसे वो काम होते हैं, जो क्राइम में आते हैं। यहां आप किसी का भी क्रेडिट कार्ड नंबर और उसकी बैंकिंग डिटेल्स तक खरीद सकते हैं। हैकर, इसलिए ट्रैस नहीं हो पाते क्योंकि डार्क वेब में यूज होने वाला सर्च इंजन हर बार अलग आईपी एड्रेस और सरवर जेनरेट करता है।
कैसे बनती है ई-सिम
इस फैसिलिटी में आपको प्लास्टिक की सिम अपने मोबाइल में इंसर्ट नहीं करना पड़ती है। क्यूआर कोड के जरिए कंपनी सीधे मोबाइल हैंडसेट में इसे इंस्टॉल कर देती है। इससे आप बिना सिम कार्ड इंसर्ट किए मोबाइल यूज कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए मोबाइल हैंडसेट का सपोर्टिव होना भी जरूरी है। यह फैसिलिटी महंगे हैंडसेट में ही अवेलेबल है।
कैसे बचें
जब भी आपके पास किसी अनजान नंबर से फोन आते है, तो आप उसे किसी तरह की पर्सनल जानकारी न दें। दिक्कत है तो कंपनी के ऑफिस जाकर ही बात करें। किसी भी व्यक्ति द्वारा बताए गए ई-मेल एड्रेस का उपयोग ना करें। अपने खुद के पर्सनल ईमेल आईडी का इस्तेमाल करें। अपनी निजी जानकारी किसी भी व्यक्ति को ना दें। कोई भी कस्टमर केयर, जो कि कंपनी का हो, वह आपसे आपकी निजी जानकारियां नहीं मांगता है।
. खबर को लेकर आपकी क्यूरीज है या कुछ और जानकारी चाहते हैं या साझा करना चाहते हैं तो इस आईडी [email protected] पर मेल कर सकते हैं।
'वाइफ स्वैप' गेम खेलने से किया इनकार, पत्नी का आरोप - पति ने अप्राकृतिक सेक्स किया और प्रताड़ित किया
महिला ने बताया कि उनके पति ने उनसे वाइफ स्वैप गेम खेलने के लिए कहा। जब मैंने इस खेल का हिस्सा बनने से मना कर दिया तब अमर ने उन्हें प्रताड़ित किया, उन्हें असभ्य कहा और उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया।
मध्य प्रदेश में एक महिला को 'Wife Swap' गेम ना खेलने पर प्रताड़ित किये जाने का मामला सामने आया है। महिला को प्रताड़ित करने का आरोप उसके पति पर है। बताया जा रहा है कि घटना राजस्थान के बीकानेर में स्थित एक होटल के कमरे में हुई और इस मामले में भोपाल में केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक उनके पति बीकानेर में पांच सितारा होटल के मैनेजर हैं। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया है कि उनके पति अमर ने उन्हें होटल के कमरे में बंद कर दिया और उनका मोबाइल फोन भी छिन लिया। करीब 2 दिन बाद अमर नशे की हालत में होटल पहुंचा।
महिला के मुताबिक, शराब पीना, ड्रग्स लेना, अलग-अलग लड़कियों से शारीरीक संबंध बनाना और यहां तक कि लड़कों के साथ संबंध बनाना भी उनके पति के लिए सामान्य बात है। महिला ने बताया कि उनके पति ने उनसे वाइफ स्वैप गेम खेलने के लिए कहा। जब मैंने इस खेल का हिस्सा बनने से मना कर दिया तब अमर ने उन्हें प्रताड़ित किया, उन्हें असभ्य कहा और उनके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया। महिला ने बताया कि प्रताड़ना के दौरान उन्हें कई चोटें भी लेकिन उन्होंने इस खेल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।
पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि पति के अलावा उनकी मां और बहन उनसे 50 लाख रुपये दहेज की मांग करते हैं। महिला ने कहा है कि कई महीनों तक प्रताड़ित किये जाने के बाद उनका स्वास्थ्य काफी खराब हो गया है। इसके बाद महिला के रिश्तेदार उन्हें उनके मामा के घर लेकर गए जहां थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी पति, उसकी मां और बहन पर धारा 377, 498a, 323, 506 और दहेज विरोधी कानून के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।
कैसे काम करेगी भारत की नई बैटरी स्वैप योजना? पढ़िए इसके बारे स्वैप क्या हैं में
अगर आप भी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। बजट 2022 में EV को बढ़ावा देने के लिए एक महत्व्यपूर्ण घोषणा हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बैटरी स्वैप योजना की घोषणा की थी। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है इसका मतलब बैटरी का अदला-बदली करना है। आइए, जानते हैं इस योजना के लागू होने से ग्राहकों को क्या फायदा मिलेगा।
बैटरी स्वैपिंग योजना का मुख्य रूप से फायदा यह होगा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी को चार्ज करने की चिंता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। यानी आप चार्जिंग स्टेशन पर जाकर डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज करने के बजाय आप फुल चार्ज बैटरी ले सकते हैं। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों को बैटरी की लीज लागत का 20 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन दे सकती है और यह EV खरीदते समय मिलने वाले छूट के अतिरिक्त होगा।
भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बैटरी स्वैपिंग की पेशकश के लिए ब्रिटेन की BP PLC के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया है। वहीं, बाइक निर्माता हीरो मोटोकॉर्प और ताइवान के गोगोरो ने भी स्वैप स्टेशन स्थापित करने के लिए साझेदारी की है और साथ ही स्टार्ट-अप सन मोबिलिटी इस पर काम कर रही है। इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता बाउंस भी अपने स्कूटर के लिए स्वैपिंग स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रही है।
इस योजना के तहत बैटरी को रिप्लेस किया जा सकेगा। बैटरी रिप्लेस करना यानी की बैटरी अब गाड़ी का एक अलग हिस्सा हो जाएगी। ऐसे में EV की कीमतों में भी कमी आएगी। दरअसल EV की कीमत काफी ज्यादा होने के चलते लोग इसे खरीदने से पीछे हटते हैं। ऐसे में दामों के कटौती से इनकी बिक्री बढ़ेगी और ग्राहकों को भी बेहतर विकल्प मिलेगा। अलग-अलग स्वैपिंग स्टेशन का विस्तार करने से लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों से लंबी यात्रा कर सकेंगे।
बैटरी स्वैप योजना के तहत बनाए जा रहे स्वैपिंग स्टेशन की मदद से लोगो का समय बचेगा और उन्हें बार-बार अपने वाहन को चार्ज करने की चिंता से भी आजादी मिलेगी। बैटरी स्वैपिंग योजना के बाद चीजें आसान हो जाएंगी। वहीं अब लोग बिना बैटरी के भी इलेक्ट्रिक गाड़ी की खरीदारी कर सकते हैं। इससे कीमतों में भी कमी आएगी और दूसरी किसी भी पसंद की कंपनी से बैटरी लीज पर लेने की छूट भी रहेगी।
रिपोर्ट्स की माने तो बैटरी स्वैप क्या हैं स्वैपिंग का विचार बड़ा ही दिलचस्प है लेकिन बिना सरकार की भागीदारी के इसे बेहतर तरीके से लागू नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सभी कार कंपनियों को बैटरियों के डिजाइन और तकनीक को सामान किये जाने की जरूरत है। इसके अलावा बैटरी पैक बनाना बहुत महंगा है इसलिए बिना सरकार के मजबूत स्वैप क्या हैं सहारे व सब्सिडी के बड़े पैमाने पर लागू करना संभव नहीं है।
क्रेडिट सुइस: आने वाला एक और ग्लोबल फाइनेंशियल संकट!!
आपने सुना ही होगा यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा बैंक, क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) कथित तौर पर बड़े फाइनेंशियल संकट में है। कई विश्लेषक इसकी स्थिति के परिणामस्वरूप पुरे ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम के गिरने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इस लेख में, हम क्रेडिट सुइस पर चल रहे संकट और उसके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
क्रेडिट सुइस के बारे में:
क्रेडिट सुइस ग्रुप AG की स्थापना 1856 में स्विस रेलवे नेटवर्क को निधि देने के लिए की गई थी। स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में स्थित मुख्यालय वाली कंपनी प्राइवेट बैंकिंग, एसेट मैनेजमेंट और वेल्थ मैनेजमेंट सर्विसेज प्रोवाइड करती है। 2021 के अंत में, क्रेडिट सुइस ने संपत्ति में 1.6 ट्रिलियन स्विस फ़्रैंक और संस्था में 50,000+ कर्मचारियों की सूचना दी।
क्रेडिट सुइस क्यों मुसीबत में है?
2022 की शुरुआत से क्रेडिट सुइस के शेयरों में लगभग 60% की गिरावट आई है। कई घाटे और हाई-प्रोफाइल मैनेजरियल भ्रष्टाचार के कारण निवेशकों की भावनाओं पर असर हुआ है! बैंक ने अपनी तरफ़ से कई जोखिम भरे दांव लगाए और निवेशकों का बहुत सारा पैसा गंवा दिया।
- उदाहरण के लिए, क्रेडिट सुइस ने ग्राहकों को ग्रीन्सिल कैपिटल (Greensill Capital) में $10 बिलियन तक निवेश करने के लिए राजी किया, जो आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों के बीच एक मध्यस्थ के रूप में काम करता था। इसने आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम नकद भुगतान किया और ग्राहकों के भुगतान की प्रतीक्षा में उनकी जगह ले ली। इस बिज़नेस ने अपने शुरुआती चरणों में बहुत ध्यान और पैसा आकर्षित किया।
- हालांकि मार्च 2021 में, क्रेडिट सुइस ने घोषणा की, कि वह ग्रीनसिल कैपिटल (Greensill Capital) को प्रोवाइड किए गए कई निवेशक फंडों को बंद और इसका परिसमापन कर रहा है। ग्रीनसिल ने दिवालिएपन के लिए अपना दावा दायर किया, और इससे निवेशकों को कथित तौर पर $3 बिलियन का नुकसान हुआ!
- इसी अवधि के दौरान, क्रेडिट सुइस को लगभग 5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जब आर्चीगोज़ कैपिटल मैनेजमेंट ध्वस्त हो गया।
- एक अन्य घटना से पता चला की फरवरी 2022 में क्रेडिट सुइस के 30,000 से अधिक ग्राहकों से पता चला कि 100 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति ऐसे लोगों के पास है, जिन्होंने "टॉर्चर, मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर अपराधों" से मुनाफा कमाया था।
- बैंक ने 2019 के बाद से कई बार टॉप लीडरशिप को बदला है। उन्होंने पिछले साल यूएस, यूके और स्विट्जरलैंड के नियामकों के साथ विरासत के मुद्दों को निपटाने के लिए लगभग $ 275 मिलियन का भुगतान किया!
क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप की समस्या
वर्तमान में, क्रेडिट सुइस के कॉरपोरेट बॉन्ड अपना स्वैप क्या हैं मूल्य खो रहे हैं। उनके क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (Credit Default Swaps) पर प्रीमियम बहुत ज़्यादा है। आइए समझते हैं इसका क्या मतलब है:
क्रेडिट सुइस जैसे बैंकों को अपने नियमित संचालन के लिए बड़ी रकम (बांड के माध्यम से) उधार लेनी पड़ती है। लेकिन ऋणदाता हमेशा स्वचालित रूप से यह नहीं मानते हैं कि, उन्हें पूरा भुगतान मिल जाएगा। इसलिए वे अपने जोखिम को सीमित करने के लिए क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप का उपयोग करते हैं।
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है, जो एक फर्म को किसी अन्य संस्था (बीमा के समान) के साथ अपने क्रेडिट जोखिम को स्वैप या ऑफसेट करने की अनुमति देता है। डिफ़ॉल्ट के जोखिम को स्वैप करने के लिए, ऋणदाता तीसरे पक्ष से एक क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप खरीदता है जो उधारकर्ता के चूक (या वापस भुगतान करने की स्थिति में नहीं) होने पर उन्हें प्रतिपूर्ति करने के लिए सहमत होता है। क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप एक प्रकार के बीमा के रूप में कार्य करता है, इसलिए खरीदार विक्रेता (तीसरे पक्ष) को प्रीमियम का भुगतान करता है।
क्रेडिट सुइस के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप पर प्रीमियम अब बढ़ गया है, जो दर्शाता है कि बाजार को लगता है कि इन बांडों के विफल होने की संभावना ज़्यादा है। अगर क्रेडिट सुइस अपने भारी कर्ज का भुगतान नहीं कर सका, तो इसका गिरना ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम के गिरावट का कारण बन सकता है। क्योंकि यह सब एक-दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है!
आगे क्या?
इस हफ़्ते की शुरुआत में, क्रेडिट सुइस ग्रुप AG के CEO उलरिच कोर्नर ने बैंक के कर्मचारियों को एक पत्र लिखा। जिसमे लिखा था की -
"मुझे पता है, कि मीडिया में आपके द्वारा पढ़ी जाने वाली कई कहानियों के बीच फ़ोकस रहना आसान नहीं है - विशेष रूप से, कई बार तथ्यात्मक रूप से गलत बयान दिए जा रहे हैं।” आगे उन्होंने ने कहा, “मुझे विश्वास है, कि आप हमारे दिन-प्रतिदिन के स्टॉक मूल्य प्रदर्शन को मजबूत कैपिटल बेस और बैंक की लिक्विडिटी की स्थिति के साथ भ्रमित नहीं कर रहे हैं।”
दुर्भाग्य से कई विश्लेषकों ने बताया है, कि यह बयान 2008 में लेहमैन ब्रदर्स के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) द्वारा दिए गए बयान के समान है, जो बैंक के ढहने और ग्लोबल इकोनॉमिक रेसेशन के ठीक पहले का था। क्रेडिट सुइस अब अपने वेल्थ मैनेजमेंट बिज़नेस को मजबूत करके और अपने निवेश बैंकिंग विभाग को बदलकर नुक़सान की मरम्मत करने की कोशिश कर रहा है।
भारत की बात करें, तो अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम इस तरह के खतरों के प्रति काफी लचीला है। हम नकदी प्रवाह और भावनाओं पर इसका प्रभाव देख सकते हैं और इससे शेयर बाजारों में उच्च अस्थिरता आ सकती है।
आइए आशा करते हैं, कि ऐसा फाइनेंशियल संकट फिर से न आए। क्रेडिट सुइस की मौजूदा स्थिति पर आपके क्या विचार हैं? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में बताएं।