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ब्रिटिश शासनकाल में कृषकों की स्थिति Notes
Hello दोस्तों, एक बार फिर से स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .Com वेबसाइट पर पिछली पोस्ट में हमने आपको महालवाड़ी बन्दोबस्त के बारे में बताया था, आज की पोस्ट में हम आपको ब्रिटिश शासनकाल में कृषकों की स्थिति के बारे में बताएंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज की पोस्ट
ब्रिटिश भू-राजस्व नीति के परिणामस्वरूप कृषकों की दशा दयनीय हो गयी। जैसा कि पहले लिखा जा चुका है कि स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी प्रथा से किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ। इससे उनकी स्थिति गिरती चल गयी। काष्तकारों का जमीन पर रहने का अधिकार छिन गया। लगान ठीक समय पर अदा न करने पर कृषकों को बन्दी बनाया जा सकता था या निजी सम्पत्ति को बेचकर लगान की पूरी रकम वसूल कर सकता था। कृषकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की ओर से कोई कानूनी व्यवस्था नहीं की गयी। farmer situation during the british rule in india hindi
Deepali Srivastava
जर्नलिज्म दलाल कैसे बने एंड मास कम्युनिकेशन में मैंने ग्रेजुएशन किया है और मीडिया इंड्रस्ट्री के साथ पिछले 3 साल से जुड़ी हुई हूं। सिनेमा से इश्क है और एंटरटेनमेंट की दुनिया की हर खबर में दिलचस्पी रहती है, इसमें लिखना काफी पसंद है। बॉलीवुड शादीज डॉट कॉम के साथ अपने इस सफर को जारी रखने के लिए शुरुआत की है।
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दलाल स्ट्रीट से पैसा कमाने के लिए ट्रेडर्स दलाल कैसे बने इन बातों का जरूर रखें ध्यान
- Money9 Hindi
- Updated On - October 4, 2021 / 12:27 PM IST
बीते सप्ताह के दौरान हमने एक सकारात्मक नोट पर शुरुआत की, लेकिन इसमें फॉलोअप बाइंग की कमी थी, क्योंकि यह एक्सपायरी वीक था और जैसा कि हमें 18,000 अंक के मनोवैज्ञानिक लेवल के आसपास रखा गया था. फिर हमने उछाल के बीच में धीरे-धीरे गिरावट देखी और आखिरकार 17,500 के स्तर के आसपास 1.80% की घाटे के साथ खत्म हुआ. इसके परिणामस्वरूप, निफ्टी की अपनी वीकली जीत का सिलसिला खत्म हो गया.
नेगेटिव डाइवरजेंस के साथ गहरे ओवरबॉट टेरेटरी में RSI स्मूथेड ऑसिलेटर की नियुक्ति को देखते हुए हम सितंबर महीने दलाल कैसे बने की दूसरी छमाही के दौरान सतर्क थे. बीते सप्ताह के दौरान हम इसकी एक झलक देख चुके हैं लेकिन बहुत कुछ नहीं बदला है. हम सतर्क रहते हैं और हमें लगता है कि किसी भी उछाल को 17,800-17,950 के आसपास कड़ी बाधा का सामना करना पड़ सकता है. जबकि दूसरी ओर, 17,450 – 17,300 को प्रमुख समर्थन के रूप में देखा जाता है और कमजोरी का पहला दलाल कैसे बने संकेत तभी देखा जाएगा जब हम उसी से नीचे खिसकेंगे. इसके अलावा, हमने भारत VIX में भी इजाफा देखा है जो दर्शाता है कि अस्थिरता हाई स्तर पर रहने की संभावना है.
सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर MRF का स्टिकर
घरेलू बाजार के अलावा विदेशों में भी इस कंपनी के टायर की दलाल कैसे बने मांग होती है. 9 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में बनने वाले ये टायर आपको देश के हर कोने में खरीदने को मिल जाएंगे. इसके 7 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तो दक्षिण भारत में ही मौजूद है. बीते कुछ सालों में इस कंपनी ने टायर के अलावा पेन्ट्स एंड कोट्स, खिलौने, मोटरस्पोर्ट्स से लेकर क्रिकेट ट्रेनिंग तक के क्षेत्र में विस्तार किया है.
आपको सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर MRF का स्टिकर तो याद ही होगा. फिलहाल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली भी अपने बल्ले पर MRF के स्टिकर का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए वे कंपनी से मोटी फीस वसूलते हैं.
कैसा रहा है इस कंपनी का परफॉर्मेंस?
पिछले 20 साल में MRF का शुद्ध मुनाफा सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ा है. वित्त दलाल कैसे बने वर्ष 2001 में कंपनी को 31.74 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था, जोकि वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 1,277 करोड़ रुपये हो गया है. इस प्रकार कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री भी बीते 20 सालों में करीब 11 फीसदी सालाना दर से बढ़ी है.
हालांकि, लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच कंपनी को पिछली तिमाही में कुछ खास लाभ नहीं हुआ है.
क्यों इतना महंगा है MRF का शेयर?
MRF और दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे में एक समानता है. इन दोनों कंपनियों ने अपने शेयरों को अब तक विभाजित (Splitting of Shares) नहीं किया है. शेयरों को विभाजित करने का मतलब है कि कंपनी अपने स्टॉक्स को छोटे-छोटे नये शेयरों में बांट देती है.
इससे कंपनी के कुल स्टॉक्स की वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन प्रति शेयर का भाव कम हो जाता है. कई कंपनियां लिक्विडिटी के लिए समय-समय पर अपने शेयरों को विभाजित करती हैं. MRF ने अपने शेयरों के साथ ऐसा कभी नहीं किया है.
बाजार जानकारों का कहना है कि इसके पीछे यह वजह हो सकती है कि कंपनी के प्रोमोटर्स अपने शेयरहोल्डर बेस को नहीं बढ़ाना चाहते हैं या वे चाहते हों कि केवल गंभीर निवेशक ही उनकी कंपनी में निवेश करें. इन वजहों से एमआरएफ के स्टॉक का भाव इतना ज्यादा है.
वरुण धवन नताशा दलाल से करते थे बचपन से ही बेइंतेहा मोह्हबत
दरहसल वरुण धवन नताशा दलाल से बचपन से ही प्यार करते है। वह दोनों साथ में पढाई करते है। वरुण उनको पसंद करते थे, लेकिन वरुण को यह बड़े होकर पता चला की वरुण उसे बेइंतिहा मोह्हबत करते है। वरुण ने खुद कहा था की वरुण 6 से 11वी क्लास तक वह सिर्फ अच्छे दोस्त थे। उनको 11 वी और 12वी क्लास से पता चला की वरुण उनसे प्यार करते है। वरुण धवन को तो आप जानते ही है की कैसे एक समय पे लोग उनको चॉकलेटी बॉय के नाम से बुलाने लग गए थे। वरुण की दीवानी लड़किया वरुण पे जान नौछावर करने को तैयार बैठी थी। हमने कई बार देखा है की कैसे लड़किया वरुण को देखके अपना आपा खो देती थी। शादी के बाद भी वरुण की फेन्स अभी भी उनसे मिलने का कोई मौका नहीं गवाती। इतनी लड़कियों की भरमार होने के बावजूद वरुण हमेशा से एक ही लड़की को चाहते थे। इसे ही सच्ची मोहब्बत कहते है। जिसे पाने के लिए वरुण को बड़े पापड़ बैल ने पड़े थे।