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डॉलर की मजबूती

डॉलर की मजबूती
#WATCH | USA: Finance Minister Nirmala Sitharam responds to ANI question on the value of Indian Rupee dropping against the Dollar as geo-political tensions continue to rise, on measures being taken to tackle the slide pic.twitter.com/cOF33lSbAT — ANI (@ANI) October 16, 2022

'रुपया नहीं गिर रहा, डॉलर मजबूत हो रहा है', अमेरिका में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया तर्क

डीएनए हिंदी: भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 82.32 के स्तर पर पहुंच गया है. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लगातार गिरते रुपये पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि रुपया डॉलर की मजबूती गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. वित मंत्री इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं. वाशिंगटन डीसी में मीडियो को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अन्य देशों की करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की डॉलर की मजबूती बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है. दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में इन्फ्लेशन कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है. विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है. मैं बार-बार कह रही हूं कि इन्फ्लेशन भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है.’

वित मंत्री ने कहा कि वह डॉलर की मजबूती चाहती हैं कि मुद्रास्फीति छह फीसदी से नीचे आ जाए, इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है. सीतारमण ने दहाई अंक की मुद्रास्फीति वाले तुर्की जैसे कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे देश बाहरी कारणों से बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.बाकी की दुनिया की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर हमें अलर्ट रहना होगा. मैं फाइनेंशियल लॉस को लेकर पूरी तरह से सतर्क हूं.’

#WATCH | USA: Finance Minister Nirmala Sitharam responds to ANI question on the value of Indian Rupee dropping against the Dollar as geo-political tensions continue to rise, on measures being taken to tackle the slide pic.twitter.com/cOF33lSbAT

— ANI (@ANI) October 16, 2022

'रुपया कमजोर नहीं, डॉलर हो रहा मजबूत'
रुपये के लगातार कमजोर होने से जुड़े एक सवाल उन्होंने कहा कि डॉलर की मजबूती की वजह से ऐसा हो रहा है. सीतारमण ने कहा, ‘मजबूत होते डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है.’ वित्त मंत्री ने बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे पर कहा कि इसका मतलब है कि हम निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहे हैं. हम यह भी देख रहे हैं कि यह अनुपातहीन वृद्धि क्या किसी एक देश के मामले में हो रही है.’

वित मंत्री ने चीन पर साधा निशाना
दरअसल, उनका इशारा असल में चीन के लिहाज से व्यापार घाटा बढ़कर 87 अरब डॉलर होने की ओर था. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2021-22 में बढ़ गया था और यह अंतर 2022-23 में भी बढ़ना जारी रहा. 2021-22 में व्यापार घाटा 72.9 अरब डॉलर था जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 29 अरब अधिक है. 2020-21 में व्यापार घाटा 48.6 अरब डॉलर था.

(PTI इनपुट के साथ)

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डॉलर की मजबूती के आगे रुपया लुढ़का, जानिए पूरा गणित

रुपये की कीमत घटने के कुछ कारण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका व चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण रुपये की कीमत लगातार घटती जा रही है।

डॉलर की मजबूती के आगे रुपया लुढ़का, जानिए पूरा गणित

16 अगस्त को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अब तक के सबसे निम्न स्तर पर पहुंचने से एक डॉलर 70.40 रुपये का हो गया है। 17 अगस्त को भी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 70 के ऊपर ही रही। रुपये की कीमत में यह तेज गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण बनती दिखाई दे सकती है, लेकिन नीति आयोग का कहना है कि रुपये के मूल्य में गिरावट के लिए वैश्विक आर्थिक घटक जिम्मेदार हैं और रुपया जल्द ही अपने सामान्य स्तर पर लौट आएगा।

इससे देश में महंगाई बढ़ने और विकास दर घटने की आशंका बढ़ गई है। रुपये में लगातार गिरावट से 2018.19 में देश का कच्चे तेल का आयात बिल 26 अरब डॉलर बढ़कर 114 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। रुपये की कीमत घटने के कुछ कारण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका व चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण रुपये की कीमत लगातार घटती जा रही है।

अब 13 अगस्त को तुर्की के स्टील के खिलाफ अमेरिका के द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने से तुर्की मुद्रा लीरा सहित दुनिया के उभरते हुए देशों की मुद्राओं की कीमत भी तेजी से घट गई है। कच्चे तेल के तेजी से बढ़ते हुए आयात बिल और विभिन्न वस्तुओं के तेजी से बढ़ते हुए आयात के कारण देश में डॉलर की मांग बढ़ गई है। निर्यात के धीमी गति से बढ़ने और नए निवेश की कमी के कारण भी देश में डॉलर की आवक कम हो गई है।

इन सभी कारणों से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत तेजी से गिरी है। चूंकि डॉलर में निवेश डॉलर की मजबूती दुनिया में सबसे सुरक्षित निवेश माना जा रहा है। अत: दुनिया के निवेशक बड़े पैमाने पर डॉलर की खरीदी कर रहे हैं। डॉलर की मजबूती के कारण देश का सर्राफा बाजार भी मंदी की गिरफ्त में है। देश के विदेशी मुद्रा कोष का स्तर भी घटकर करीब 400 अरब डॉलर का रह गया है।

विदेशी मुद्रा कोष में कुछ कमी और रुपये की कीमत में गिरावट के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था कम जोखिम वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। भारत के लिए अच्छा आधार यह है कि भारत की डॉलर पर ऋण निर्भरता कम है। साथ ही आर्थिक मामलों में भारत की जो रेटिंग सुधरी हुई है उससे भी अर्थव्यवस्था की मुश्किलें कम हैं।

इन दिनों डॉलर की मजबूती और वैश्विक व्यापार युद्ध संबंधी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन पैदा हो रही आर्थिक चिंताओं से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में जोखिम लेने से परहेज कर रहे हैं। अमेरिकी डॉलर में लगातार आ रही मजबूती और अमेरिका में 10 साल के सरकारी बांड पर प्राप्ति 3 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच गई है।

ऐसे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत सहित तेजी से उभरते बाजारों में निवेश नहीं लगा रहे हैं तथा वर्तमान निवेश को तेजी से निकालते हुए दिखाई दे रहे हैं। परिणास्वरूप विदेशी मुद्रा भंडार घटने की प्रवृत्ति दिखा रहा है। जहां देश में विदेशी निवेश घटा है, वहीं देश का निर्यात अपेक्षित गति से नहीं बढ़ने के कारण विदेशी मुद्रा की आमदनी कम हुई है।

देश में तेजी से बढ़ते हुए विदेश व्यापार घाटे के कारण भी डॉलर की जरूरत बढ़ी है। निसंदेह डॉलर मजबूत होने से कच्चे तेल का आयात बिल बढ़ता जा रहा है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी रुपये के मूल्य में गिरावट का प्रमुख कारण है। चूंकि अमेरिका ने भारत, चीन सहित सभी देशों को ईरान से कच्चे तेल का आयात 4 नवंबर तक बंद करने के लिए कहा है।

ऐसे में अभी से ईरान से भारत आने वाले कच्चे तेल की मात्रा में कमी आ गई है। ईरान यूरोपीय बैंकों के माध्यम से यूरोपीय देशों की मुद्रा यूरो में भुगतान स्वीकार करता है। डॉलर की तुलना में यूरो में भुगतान भारत के लिए लाभप्रद है। ईरान से किया जाने वाला कच्चे तेल का आयात सस्ते परिवहन के कारण भारत के लिए फायदेमंद है। ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद किए जाने से कच्चे तेल की खरीदी से संबंधित नई चिंताएं सामने होंगी।

निसंदेह भारत के सामने कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमत संबंधी चिंता बनी हुई है। ऐसे में डॉलर के मूल्य में बेतहाशा मजबूती के बीच रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने और विदेशी मुद्रा कोष का स्तर बनाए रखने के लिए कई कदम जरूरी हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारत की ओर लुभाने तथा डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत संभालने के लिए जरूरी है कि सरकार आयात नियंत्रित करने और निर्यात बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़े।

वैश्विक संरक्षणवाद की नई चुनौतियों के बीच सरकार को निर्यात प्रोत्साहन के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। देश से निर्यात बढ़ाने के लिए कम से कम कुछ ऐसे देशों के बाजार भी जोड़े जाने होंगे, जहां गिरावट अधिक नहीं है। निश्चित रूप से डॉलर की मजबूती के बीच निर्यात बढ़ने की संभावनाओं को साकार किए जाने की रणनीति बनाई जानी होगी।

यद्यपि इस समय प्रति डॉलर की कीमत 70 रुपये के ऊपर है और उभरते बाजारों की अन्य मुद्राओं के साथ रुपया भी बीते कुछ दिनों में उथलपुथल का शिकार हुआ है। ऐसे में अर्थ विशेषज्ञों का यह कहना है कि जब तक डॉलर की मजबूती डॉलर की मजबूती विदेशी मुद्रा बाजार में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता है तब तक रुपये में एक खास हद तक कमजोरी भारत के लिए निर्यात के दृष्टिकोण से एक अवसर बन सकता है।

रुपया अन्य समकक्ष राष्ट्रों की तुलना में अधिक कमजोर नहीं हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दर्ज 36 कारोबारी साझेदार देशों का सूचकांक भी उन देशों डॉलर की मजबूती की मुद्रा की कीमत घटने का स्पष्ट संकेत दे रहा है। ऐसे में सरकार के द्वारा एक समग्र प्रयास किया जाना चाहिए ताकि भारत का निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हो सके।

जरूरी है कि निर्यातकों को आसानी से कर रिफंड मिल सके तथा निर्यात कारोबार संबंधी लालफीताशाही समाप्त की जा सके। साथ ही नए निर्यात संबंधी समर्थक कारोबारी सौदों के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्घता जताई जानी चाहिए। अर्थविशेषज्ञों का मत है कि निकट भविष्य में डॉलर की तुलना में रुपया 72 के स्तर को पार कर सकता है।

रुपए डॉलर की मजबूती की कीमत में और किसी बड़ी गिरावट के बचने के लिए हाल ही में प्रकाशित बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाना होगा।

इसमें कहा गया है कि भारत में तेजी से बढ़ रही विकास दर के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए और रुपये की कीमत एवं विदेशी मुद्रा कोष का उपयुक्त स्तर बनाए रखने हेतु रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रवासी भारतीय बांड जारी करने की रणनीति बनाई जानी चाहिए।

निश्चित रूप से ऐसे प्रभावी कदमों से रुपये की घटती हुई कीमत पर रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखा जा सकेगा।

Rupee Against Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में आई जोरदार तेजी, 43 पैसे मजबूत होकर हुआ बंद

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 20 पैसे मजबूत होकर 74.26 के स्तर पर खुला है और कारोबार जैसे-जैसे बढ़ा यह 23 पैसे की मजबूती पा चुका है।

रुपया बनाम डॉलर (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारतीय मुद्रा रुपया में हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को को जोरदार तेजी आई। फॉरेक्स मार्केट बंद होने पर डॉलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की बढ़त के साथ 74.03 के स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंकीय मुद्रा बाजार में कारोबारी दिन की शुरुआत में रुपया डॉलर के मुकाबले 20 पैसे मजबूत होकर 74.26 के स्तर पर खुला था और कारोबार जैसे-जैसे बढ़ा रुपये में और मजबूती आती गई। इसके बाद इसने आज 73.98 का उच्च स्तर और 74.25 का निचला स्तर छुआ। रुपया को आज घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुख का समर्थन मिला। अंत में रुपया गुरुवार के मुकाबले गिरकर 74.03 के स्तर पर बंद हुआ।

गुरुवार को इस स्तर पर बंद हुआ था रुपया
गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 74.46 के स्तर पर बंद हुआ था। इसके बाद शुक्रवार को दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण बाजार बंद रहे थे। विशेषज्ञों के मुताबिक, फेडरल रिजर्व की ओर से दरें बढ़ाने को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाने के कारण डॉलर पर दबाव बढ़ा और रुपया में मजबूती दर्ज की गई है।

डॉलर सूचकांक में गिरावट से फायदा
सोमवार को छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की तुलनात्मक स्थिति दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक (Dollar Index) 0.04 फीसदी गिरकर 94.28 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। एलकेपी सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी का कहा है कि रुपया 73.75 के स्तर तक जा सकता है। ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव एक फीसदी की उछाल के साथ 83.57 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

विस्तार

भारतीय मुद्रा रुपया में हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को को जोरदार तेजी आई। फॉरेक्स मार्केट बंद होने पर डॉलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की बढ़त के साथ 74.03 के स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंकीय मुद्रा बाजार में कारोबारी दिन की शुरुआत में रुपया डॉलर के मुकाबले 20 पैसे मजबूत होकर 74.26 के स्तर पर खुला था और कारोबार जैसे-जैसे बढ़ा रुपये में और मजबूती आती गई। इसके बाद इसने आज 73.98 का उच्च स्तर और 74.25 का निचला स्तर छुआ। रुपया को आज घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुख का समर्थन मिला। अंत में रुपया गुरुवार के मुकाबले गिरकर 74.03 के स्तर पर बंद हुआ।

गुरुवार को इस स्तर पर बंद हुआ था रुपया
गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 74.46 के स्तर पर बंद हुआ था। इसके बाद शुक्रवार को दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण बाजार बंद रहे थे। विशेषज्ञों के मुताबिक, फेडरल रिजर्व की ओर से दरें बढ़ाने को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाने के कारण डॉलर पर दबाव बढ़ा और रुपया में मजबूती दर्ज की गई है।

डॉलर सूचकांक में गिरावट से फायदा
सोमवार को छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की तुलनात्मक स्थिति दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक (Dollar Index) 0.04 फीसदी गिरकर 94.28 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। एलकेपी सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी का कहा डॉलर की मजबूती है कि रुपया 73.75 के स्तर तक जा सकता है। ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव एक फीसदी की उछाल के साथ 83.57 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

डॉलर की मजबूती

डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती का रुख

-वैश्विक दबाव में 83 रुपये के स्तर तक भी गिर सकती है भारतीय मुद्रा: एक्सपर्ट

नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। बुधवार को रिकॉर्ड स्तर तक नीचे गिरने के बाद भारतीय मुद्रा रुपया में आज डॉलर के मुकाबले मजबूती का रुझान बना नजर आ रहा है। हालांकि आज मुद्रा बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव की बनी हुई है। डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में कभी तेजी नजर आती है, तो कभी रुपया नीचे लुढ़कता हुआ दिखता है।

भारतीय मुद्रा आज डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर 81.56 रुपये के स्तर तक भी पहुंची। हालांकि बाद में डॉलर की मांग बढ़ जाने के कारण रुपये में गिरावट का रुख भी बनता नजर आया। इसके पहले कल बुधवार को भारतीय मुद्रा ने डॉलर के मुकाबले गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाते हुए 82.03 रुपये के स्तर को टच किया था। इस गिरावट के बाद रुपये ने मामूली सुधार कर 81.94 रुपये के स्तर पर कारोबार का अंत किया था।

इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में आज रुपये ने 35 पैसे की मजबूती के साथ डॉलर के मुकाबले 81.59 रुपये के स्तर पर ओपनिंग की। शुरुआती कारोबार में कुछ देर के लिए डॉलर की मांग में तेजी का रुख बना, जिसके कारण भारतीय मुद्रा लुढ़क कर 81.75 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। हालांकि थोड़ी ही देर बाद रुपया एक बार फिर मजबूत होता नजर आया, जिसकी वजह से भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले उछलकर 81.56 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। लेकिन ये स्थिति अधिक देर तक नहीं बनी रही। डॉलर की मांग में एक बार फिर तेजी का रुख बनने लगा, जिससे भारतीय मुद्रा में दोबारा गिरावट आने लगी। मुद्रा बाजार में लगातार जारी उतार-चढ़ाव के बीच सुबह 11 बजे भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 81.72 रुपया प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रही थी।

मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक रुपये की चाल में अभी लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है। मौजूदा समय में डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण दुनिया भर की ज्यादातर मुद्राएं कमजोर हुई है। रुपया भी इस दबाव से अछूता नहीं है। रुपये पर भी डॉलर इंडेक्स की मजबूती का दबाव बना हुआ है। आने वाले दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। इसकी वजह से डॉलर इंडेक्स की मजबूती और भी अधिक बढ़ सकती है। ऐसा होने पर रुपये पर दबाव और बढ़ जाएगा, जिसके कारण रुपये की कीमत में आगे भी गिरावट देखी जा सकती है।

मयंक मोहन का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारतीय रिजर्व बैंक भी रुपये की कीमत को संभालने के लिए मुद्रा बाजार में डॉलर के प्रवाह को बढ़ाने का जोखिम लंबे समय तक के लिए नहीं ले सकता है। क्योंकि मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ाने से कुछ समय के लिए तो रुपये की कीमत नियंत्रित हो सकती है, लेकिन जैसे ही आरबीआई की ओर से मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह रोका जाएगा, वैसे ही डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण रुपये में एक बार फिर तेज गिरावट का रुख बन सकता है।

वैश्विक दबाव की मौजूदा स्थिति में फिलहाल आरबीआई भी वैश्विक परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं। मयंक मोहन का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यदि जल्दी ही सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में रुपया डॉलर के मुकाबले लुढ़क कर 82.50 से लेकर 83.10 के स्तर तक भी लुढ़क सकता है।

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