वित्तीय प्रणाली के कार्य

निजी वित्त पोषण को उत्प्रेरित करने और आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए विश्व बैंक ने भारत को 75 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी
वाशिंगटन, जून 29, 2022 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने आज भारत सरकार (जीओआई) को 75 करोड़ डॉलर के विकास नीति ऋण (डीपीएल) को मंजूरी दे दी है। इससे बुनियादी ढांचे, छोटे व्यवसायों और हरित वित्त बाजारों में निजी क्षेत्र के निवेश का लाभ उठाकर वित्तपोषण की कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों का समर्थन किया जा सकेगा।
पिछले एक दशक में और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों के तहत, भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र और घरेलू पूंजी बाजारों की स्थिरता में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। इसके परिणामस्वरूप कोविड-19 संकट और अन्य बाहरी झटकों का सामना करने के लिए यह क्षेत्र अधिक कुशल और लचीला बन गया है।
इस प्रगति के बावजूद, अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिए सार्वजनिक संसाधनों और वित्तीय जरूरतों पर काफी दबाव बना हुआ है। बुनियादी ढांचे और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए वार्षिक वित्त का अंतर जीडीपी के 4 प्रतिशत और क्रमशः ₹ 18-25 ट्रिलियन [1] के बीच होने का अनुमान है। इसके अलावा, विश्व बैंक के अनुमान बताते हैं कि सरकार की COP26 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा संक्रमण के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत के वार्षिक संचयी निवेश की आवश्यकता होगी।
भारत के लिए विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा कि " महामारी के झटकों से भारत को उबारने का समर्थन करने और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम कुशल वित्तीय प्रणाली सबसे महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि "इस परिचालन का उद्देश्य देश के विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए निजी संसाधनों का लाभ उठाकर सार्वजनिक वित्त पर दबाव को कम करना है।"
डीपीएल द्वारा समर्थन दिए जाने वाले प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
- लंबी अवधि के निजी क्षेत्र वित्त को उत्प्रेरित करना। परिचालन बुनियादी ढांचे के लिए एक नया विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करने में मदद करेगा जो निजी क्षेत्र से दीर्घकालिक वित्त का लाभ उठाएगा; परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिए बुनियादी ढांचे के लिए निजी वित्तपोषण एकत्र करेगा, और प्रतिभूतिकरण के जरिये आवास वित्त उधारदाताओं को पूंजी बाजार से जोड़ेगा।
- हरित वित्त के लिए बाजारों का विकास करना। परिचालन देश के पहले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने और निम्न कार्बन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय कार्बन बाजार विकसित करने का समर्थन करता है।
- एमएसएमई और महिला उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार करना। यह परिचालन प्रमुख एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजनाओं को वित्तीय प्रणाली के कार्य मजबूत करने का समर्थन करता है ताकि कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित उद्योग क्षेत्रों की निरंतर पहुंच सुनिश्चित की जा सके और साथ ही जोखिम-मुक्ति तंत्र के जरिए महिला उधारकर्ताओं की ऋण तक पहुंच में सुधार किया जा सके।
टीम टास्क लीडर और प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ मेहनाज़ एस. सेफेवियन और अलेक्जेंडर पंकोव ने कहा कि "भारत जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक प्रभावों के चपेट में होने के कारण, अर्थव्यवस्था को अधिक टिकाऊ और लचीला विकास मॉडल को अपनाना होगा जिसके लिए सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों के वित्तीय प्रणाली के कार्य वित्त को जुटाए जाने की आवश्यकता है। " उन्होंने कहा कि "जलवायु अनुकूलन और शमन उद्देश्यों के लिए धन जुटाने के लिए नए उपकरणों का निर्माण देश के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देगा।"
75 करोड़ डॉलर के वादे में से, 66.7 करोड़ डॉलर इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से ऋण के रूप में होगा, और 8.3 करेड़ डॉलर का वित्त पोषण विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा, अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से एक क्रेडिट के जरिए किया जाएगा। ऋण और क्रेडिट क्रमशः आईबीआरडी शर्तों और आईडीए गैर-रियायती शर्तों पर होंगे, जिनकी अंतिम परिपक्वता 18.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।
[1] भारत के एमएसएमई का वित्तपोषण: भारत में एमएसएमई की ऋण आवश्यकता का अनुमान, आईएफसी, 2018
भारतीय वित्तीय प्रणाली में NBFCs की भूमिका
प्रश्न: NBFCS हमारे SME परिवेश को सुदृढ करने एवं आर्थिक विकास में योगदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। टिप्पणी कीजिए। साथ ही, NBFCS द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का समाधान करने हेतु एक नियामक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता पर वित्तीय प्रणाली के कार्य चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारतीय वित्तीय प्रणाली में NBFCs की भूमिका का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
- हमारे SME तंत्र को सुदृढ़ करने में NBFCs की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
- NBFCs द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- उपर्युक्त चुनौतियों का समाधान करने के लिए नियामक ढांचे के निर्माण की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
विगत कुछ दशकों में, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs), अल्पसेवित क्षेत्रों एवं बैंकों के दायरे से बाहर के क्षेत्रों, विशेषकर लघु और खुदरा क्षेत्र, में महत्वपूर्ण वित्तीय मध्यस्थों के रूप में उभरी हैं।
- वे समाज के बैंकों के दायरे से बाहर के क्षेत्रों को ऋण प्रदान करने में बैंकिंग क्षेत्र के पूरक के रूप में कार्य करती हैं; विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को, जो देश में उद्यमिता एवं नवाचार के आधार का निर्माण करते है।
- ग्राहकों और उनके ऋण की बेहतर आधारभूत समझ, NBFCs को प्रोत्साहन और अपने ग्राहकों की आवश्यकता के अनुरूप उत्पादों के निर्माण की क्षमता प्रदान करती है।
- सूक्ष्म वित्तीयन, यूज्ड व्हीकल फाइनेंसिंग या ग्रामीण आवास जैसे क्षेत्रों में अनेक NBFCs की वितरण पहुँच बैंकों वित्तीय प्रणाली के कार्य की तुलना में बेहतर बनी हुई है।
- NBFCS समाज के कमजोर वर्गों को वित्तीय समर्थन प्रदान कर और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन, रोजगार उत्पादन, संपत्ति निर्माण और बैंक ऋण को प्रोत्साहन देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- ये विशिष्ट रूप से MSMEs में सीमित वित्तीय संसाधनों को पूंजी निर्माण हेतु चैनलीकृत करती हैं।
यह इन्हें अर्थव्यवस्था को सही दिशा में अग्रसरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले, भारतीय वित्तीय प्रणाली के एक अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करता है। हालाँकि भारत में NBFCs द्वारा उपलब्ध कराया गया ऋण (credit penetration) GDP का 13% है, जो अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा कम है। यह प्रदर्शित करता है कि इनके समक्ष कुछ चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं, जिनका शीघ्र समाधान करना आवश्यक है, जैसे:
- धन जुटाने हेतु प्रतिस्पर्धियों, बैंकों और पूंजी बाजार पर निर्भरता, जो NBFCs की संवृद्धि के लिए अहितकर है क्योंकि इन स्रोतों से बिना किसी सूचना के निधि प्राप्त होना बंद हो सकता है।
- ऋणों के वर्गीकरण में लचीलेपन का अभाव।
- NBFCs से बैंक ऋण के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र का दर्जा वापस लेना।
- NBFCs और बैंकों में कराधान के मामले में व्यवहार में असमानता।
- जमा स्वीकार करने वाले NBFCs के लिए न्यूनतम अनिवार्य क्रेडिट रेटिंग।
RBI द्वारा एक सुदृढ़ विनियामक फ्रेमवर्क के निर्माण किये जाने की आवश्यकता है। यह फ्रेमवर्क ऐसा हो कि NBFCs के लिए रिफाइनेंस विंडो और ऋण बीमा सहायता प्रदान करना संभव बना सके; ताकि न केवल उपर्युक्त चुनौतियों से निपटा जा सके बल्कि निम्न लागत पर निधि के सृजन में वृद्धि कर, NBFCs द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले ऋण में भी वृद्धि की जा सके। इसके अंतर्गत उधारकर्ताओं की प्रोफ़ाइल पर और वर्गीकरण के मुद्दे से निपटने के लिए वर्गीकरण के तहत आने वाली परिसंपत्तियों पर भी विचार करने की आवश्यकता है। सुदृढ़ विनियामक फ्रेमवर्क के साथ-साथ NBFCs को आत्मनिर्भर बनने की भी आवश्यकता है।
NBFCs में स्थायी सुधार लाने के लिए वित्तीय समावेशन पर बनी विभिन्न समितियों, जैसे ए. सी. शाह समिति, उषा थोराट समिति, नचिकेत वित्तीय प्रणाली के कार्य मोरे समिति इत्यादि की अनुशंसाओं पर भी विचार किये जाने की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग युद्ध की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) से वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसे सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी को मजबूती मिलती है। डीएडी के दो दिवसीय नियंत्रक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को रक्षा वित्त प्रणाली का प्रहरी कहा।
राजनाथ सिंह ने डीएडी से अपनी आईटी क्षमताओं और वित्तीय ज्ञान को और विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी के कामकाज में कोई संदेह हो तो उसकी तत्काल समीक्षा की जाए। शिकायतों का तत्काल निस्तारण किया जाए। लंबित शिकायतों के साप्ताहिक या मासिक ऑडिट का प्रावधान कर कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि डीएडी रक्षा मंत्रालय (एमओडी) को वित्तीय प्रणाली के कार्य आवंटित बजट को संभालता है, जो कर्मियों के वेतन और भत्ते, पेंशनभोगियों को भुगतान और अन्य सहायक कार्य करता है। केंद्रीय बजट 2022-23 में, रक्षा मंत्रालय को 5.25 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, इसमें पेंशन के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं।
राजनाथ सिंह ने सैनिकों, पेंशनभोगियों और तीसरे पक्ष को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सार्वजनिक वित्त प्रबंधन सत्र रक्षा में वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन डीएडी की सेवाओं में और सुधार करेगा, इसके कामकाज में पारदर्शिता लाएगा और मानव संसाधन प्रबंधन को मजबूती प्रदान करेगा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने डीएडी के 275 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट और एक विशेष आवरण लिफाफा जारी किया।
वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग महत्वपूर्ण: राजनाथ
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने सोमवार को रक्षा लेखा विभाग (DAD) से वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसे सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी को मजबूती मिलती है। डीएडी के दो दिवसीय नियंत्रक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को रक्षा वित्त प्रणाली का प्रहरी कहा। राजनाथ सिंह ने वित्तीय प्रणाली के कार्य डीएडी से अपनी आईटी क्षमताओं और वित्तीय ज्ञान को और विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी के कामकाज में कोई संदेह हो तो उसकी तत्काल समीक्षा की जाए। शिकायतों का तत्काल निस्तारण किया जाए। लंबित शिकायतों के साप्ताहिक या मासिक ऑडिट का प्रावधान कर कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि डीएडी रक्षा मंत्रालय (MOD) को आवंटित बजट को संभालता है, जो कर्मियों के वेतन और भत्ते, पेंशनभोगियों को भुगतान और अन्य सहायक कार्य करता है।
केंद्रीय बजट 2022-23 में, रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) को 5.25 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, इसमें पेंशन के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने सैनिकों, पेंशनभोगियों और तीसरे पक्ष को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सार्वजनिक वित्त प्रबंधन सत्र रक्षा में वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन डीएडी की सेवाओं में और सुधार करेगा, इसके कामकाज में पारदर्शिता लाएगा और मानव संसाधन प्रबंधन को मजबूती प्रदान करेगा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने डीएडी के 275 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट और एक विशेष आवरण लिफाफा जारी किया। (आईएएनएस)
राजनाथ बोलेः देश की युद्ध तैयारी के लिए तेजी से और पारदर्शी निर्णय लेने की जरूरत, देरी से समय और धन का नुकसान
राजनाथ ने कहा कि किसी देश की युद्ध की तैयारी के लिए वित्तीय प्रणाली के कार्य न केवल अधिकतम संसाधनों की उपलब्धता की आवश्यकता होती है, बल्कि तेज और पारदर्शी निर्णय भी लेने होते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की युद्ध तैयारी के लिए तेजी से और पारदर्शी निर्णय लेने और अधिकतम संसाधनों की उपलब्धता पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने यहां रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) द्वारा आयोजित नियंत्रक सम्मेलन 2022 में अपने संबोधन में यह भी कहा कि निर्णय लेने में देरी से समय और धन दोनों का नुकसान होता है और युद्ध की तैयारी प्रभावित होती है। दुनिया भर में संसाधन सीमित हैं। रक्षा मंत्री ने कहा और उनका उपयोग करने में वित्तीय विवेक का प्रयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसाधनों का सही जगह पर इस्तेमाल होना चाहिए और बर्बादी नहीं होनी चाहिए।
बचाया गया एक पैसा कमाया हुआ एक पैसा है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि बचाया गया एक पैसा कमाया हुआ एक पैसा है, और यह पूरी तरह से संसाधनों पर भी लागू होता है। आप जानते हैं कि किसी देश की युद्ध की तैयारी के लिए न केवल अधिकतम संसाधनों की उपलब्धता की आवश्यकता होती है, बल्कि तेज और पारदर्शी निर्णय भी लेने होते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर निर्णय लेने में देरी होती है तो युद्ध की तैयारी में कुछ कमी हो सकती है। डीएडी रक्षा मंत्रालय को आवंटित बजट को संभालता है, जो कर्मियों के वेतन और भत्ते, पेंशनभोगियों को भुगतान, विभिन्न खरीद के लिए वित्तीय सलाह मामलों के प्रसंस्करण और आंतरिक सहित अन्य सहायक गतिविधियों के अलावा प्रथम और तीसरे पक्ष के दावे देखता है।
केंद्रीय बजट 2022-23 में रक्षा के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। सिंह ने कहा कि डीएडी अधिकारियों को यह भी बताना चाहिए कि क्या किसी चीज के लिए अधिक खर्च की आवश्यकता है। मंत्रालय ने बाद में एक बयान में कहा कि बजटीय आवंटन में पेंशन के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि सिंह ने डीएडी को सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी को मजबूत करने की कुंजी बताते हुए त्वरित और पारदर्शी निर्णय लेने के माध्यम से वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
ऑडिटर का काम प्रहरी के रूप में कार्य करने का
दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने डीएडी के अधिकारियों को रक्षा वित्त व्यवस्था का प्रहरी बताया जो वित्तीय विवेक के साथ आवंटित धन का प्रबंधन कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि विभाग वित्तीय विवेक के सिद्धांतों को अपनाकर रक्षा सेवाओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। हल्के-फुल्के अंदाज में सिंह ने यह भी कहा कि वित्त प्रणाली में एक ऑडिटर का काम प्रहरी के रूप में कार्य करने का होता है, लेकिन कुछ ऑडिटर खूनी शिकारी की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि समय पर वित्तीय सलाह प्रदान करने के लिए डोमेन विशेषज्ञता के साथ क्लाइंट की जरूरतों की संवेदनशील समझ आवश्यक है। सिंह ने उनसे ग्राहकों के साथ बातचीत करते समय खुद को स्थिर रखने के लिए कहा, वित्तीय प्रणाली के कार्य और इस बात का हवाला दिया कि पानी में रहने के बावजूद कमल कैसे इसे छूता नहीं है। उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, अब मैं कमल का नाम ले रहा हूं, किसी को इस पर आपत्ति हो सकती है। रक्षा मंत्री सिंह ने रविवार को कहा था कि कमल सिर्फ एक पार्टी का प्रतीक नहीं है बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है, साथ ही उन्होंने जी 20 लोगो पर कमल की छवि पर विवाद पैदा करने वालों को फटकार लगाई थी।
विस्तार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की युद्ध तैयारी के लिए तेजी से और पारदर्शी निर्णय लेने और अधिकतम संसाधनों की उपलब्धता पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने यहां रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) द्वारा आयोजित नियंत्रक सम्मेलन 2022 में अपने संबोधन में यह भी कहा कि निर्णय लेने में देरी से समय और धन दोनों का नुकसान होता है और युद्ध की तैयारी प्रभावित होती है। दुनिया भर में संसाधन सीमित हैं। रक्षा मंत्री ने कहा और उनका उपयोग करने में वित्तीय विवेक का प्रयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसाधनों का सही जगह पर इस्तेमाल होना चाहिए और बर्बादी नहीं होनी चाहिए।
बचाया गया एक पैसा कमाया हुआ एक पैसा है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि बचाया गया एक पैसा कमाया हुआ एक पैसा है, और यह पूरी तरह से संसाधनों पर भी लागू होता है। आप जानते हैं कि किसी देश की युद्ध की तैयारी के लिए न केवल अधिकतम संसाधनों की उपलब्धता की आवश्यकता होती है, बल्कि तेज और पारदर्शी निर्णय भी लेने होते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर निर्णय लेने में देरी होती है तो युद्ध की तैयारी में कुछ कमी हो सकती है। डीएडी रक्षा मंत्रालय को आवंटित बजट को संभालता है, जो कर्मियों के वेतन और भत्ते, पेंशनभोगियों को भुगतान, विभिन्न खरीद के लिए वित्तीय सलाह मामलों के प्रसंस्करण और आंतरिक सहित अन्य सहायक गतिविधियों के अलावा प्रथम और तीसरे पक्ष के दावे देखता है।
केंद्रीय बजट 2022-23 में रक्षा के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। सिंह ने कहा कि डीएडी अधिकारियों को यह भी बताना चाहिए कि क्या किसी चीज के लिए अधिक खर्च की आवश्यकता है। मंत्रालय ने बाद में एक बयान में कहा कि बजटीय आवंटन में पेंशन के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि सिंह ने डीएडी को सशस्त्र बलों की युद्ध तैयारी को मजबूत करने की कुंजी बताते हुए त्वरित और पारदर्शी निर्णय लेने के माध्यम से वित्तीय संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
ऑडिटर का काम प्रहरी के रूप में कार्य करने का
दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने डीएडी के अधिकारियों को रक्षा वित्त व्यवस्था का प्रहरी बताया जो वित्तीय विवेक के साथ आवंटित धन का प्रबंधन कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि विभाग वित्तीय विवेक के सिद्धांतों को अपनाकर रक्षा सेवाओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। हल्के-फुल्के अंदाज में सिंह ने यह भी कहा कि वित्त प्रणाली में एक ऑडिटर का काम प्रहरी के रूप में कार्य करने का होता है, लेकिन कुछ ऑडिटर खूनी शिकारी की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि समय पर वित्तीय सलाह प्रदान करने के लिए डोमेन विशेषज्ञता के साथ क्लाइंट की जरूरतों की संवेदनशील समझ आवश्यक है। सिंह ने उनसे ग्राहकों के साथ बातचीत करते समय खुद को स्थिर रखने के लिए कहा, और इस बात का हवाला दिया कि पानी में रहने के बावजूद कमल कैसे इसे छूता नहीं है। उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, अब मैं कमल का नाम ले रहा हूं, किसी को इस पर आपत्ति हो सकती है। रक्षा मंत्री सिंह ने रविवार को कहा था कि कमल सिर्फ एक पार्टी का प्रतीक नहीं है बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है, साथ ही उन्होंने जी 20 लोगो पर कमल की छवि पर विवाद पैदा करने वालों को फटकार लगाई थी।