इनकम ट्रेडर

इनकम ट्रेडर
भारतीय रिजर्व बैंक कंपनियों के बॉन्ड में रीपो लागू करने की योजना बना रहा है, जिससे बाजार को मदद मिलेगी, जो नकदी की कमी से जूझ रहा है। कंपनियों के बॉन्ड में हालांकि द्विपक्षीय रीपो की अनुमति है, लेकिन सामने वाली पार्टी के जोखिम के चलते इसमें वॉल्यूम नजर नहीं आ रहा। साथ ही उधारी की दरें व्यवस्था के लिहाज से आगे नहीं बढ़ती, जिसके परिणामस्वरूप इसमें उच्चस्तर पर बने रहने की प्रवृत्ति होती है।
पिछले हफ्ते आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मुंबई में कहा था कि वह इनकम ट्रेडर कंपनियों के बॉन्ड में संभावित रीपो पर विचार कर रहे हैं। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) के पी जीवन ने कहा, कंपनियों के बॉन्ड में रीपो की दरकार है क्योंकि इनमें बाजार में नकदी लाने की प्रवृत्ति होती है। इस मार्ग से ट्रेडर अल्पावधि के फंड की जरूरतें पूरी कर सकता है। यह संस्थागत निवेशकों को काफी आजादी देगा क्योंकि इन बॉन्डों में निवेशित रहने में उन्हें अतिरिक्त सहजता महसूस होगी।
पिछले हफ्ते राजन ने इस पर भी जोर दिया था कि लोग कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करने से डरते हैं, इसकी वजह कंपनियों के बारे में काफी कम सूचना की उपलब्धता है। उन्होंने कहा था, हमारे पास दिवालिये की अच्च्ची व्यवस्था नहीं है, जो घबराहट के दौरान बॉन्डधारकों की सुरक्षा करता है। दूसरी ओर सरकारी बॉन्ड बाजार में अच्छी खासी नकदी होती है क्योंकि यहां आरबीआई की तरफ से रीपो की अनुमति है। रीपो के तहत सरकारी प्रतिभूतियों के धारक केंद्रीय बैंक से रकम उधार ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे भविष्य की तारीख में इसे दोबारा खरीदने का समझौता करना होता है।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, मुझे नहीं पता कि इसे जल्द लागू किया जाएगा या नहीं, लेकिन अगर ऐसा होता है तो आरबीआई उन लोगों को नकदी मुहैया कराएगा जिनके पास कॉरपोरेट बॉन्ड है। यह उसी तरह काम करेगा, जैसा कि सरकारी प्रतिभूतियों में रीपो काम करता है। सबसे पहले नियम के मसौदे का इंतजार है, इस पर मिलने वाली टिप्पणियों के आधार पर अंतिम दिशानिर्देश तैयार होगा और इसके बाद कंपनियों के बॉन्ड में रीपो लागू होगा। इससे सुनिश्चित होगा कि ट्रेडर कॉरपोरेट बॉन्ड बेचने के लिए बाध्य नहीं होंगे। इससे कॉरपोरेट बॉन्डधारकों को कम कीमत पर फंड मिलना भी सुनिश्चित होगा। हाल में सरकार और आरबीआई ने कंपनियों के बॉन्ड बाजार में मजबूती के लिए कई कदम उठाए हैं। वास्तव में सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश की सीमा करीब-करीब पूरी हो गई है, लिहाजा एफआईआई कंपनियों के बॉन्ड की खरीद कर रहे हैं।
Rakesh Jhunjhunwala: भारत के वॉरेन बफेट राकेश झुनझुनवाला का निधन, महज 5 हजार रूपए से शुरू किया था सफर
Rakesh Jhunjhunwala News in Hindi: राकेश झुनझुनवाला की गिनती भारत के सबसे अमीर शख्सियतों में की जाती है।
Rakesh Jhunjhunwala News Today: राकेश झुनझुनवाला ने हाल ही में एयरलाइन कंपनी अकासा एयर में निवेश किया था। (फोटो: फाइनेंसियल एक्सप्रेस)
Rakesh Jhunjhunwala Death: अरबपति बिजनेस टायकून, स्टॉक ट्रेडर और इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला का आज सुबह 62 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। झुनझुनवाला कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। आखिरी बार राकेश झुनझुनवाला को अकासा एयर के लांच पर देखा गया था। झुनझुनवाला एक निवेशक होने के अलावा एप्टेक लिमिटेड और हंगामा डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष भी थे। झुनझुनवाला रेयर एंटरप्राइजेज नामक एक स्टॉक ट्रेडिंग फर्म भी चलाते थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
1960 में हुआ था जन्म
राकेश झुनझुनवाला का जन्म 5 जुलाई 1960 को हैदराबाद में हुआ था। हालांकि, उनका परिवार मूल रूप से राजस्थान से था। उनके पिता राधेश्याम जी झुनझुनवाला इनकम टैक्स ऑफिसर थे और उनकी माता का नाम उर्मिला झुनझुनवाला था। राकेश की शादी रेखा झुनझुनवाला इनकम ट्रेडर से हुई थी और उनके तीन बच्चे भी हैं।
सामान्य स्कूल से हुई पढ़ाई
राकेश झुनझुनवाला की पढ़ाई बहुत ही सामान्य स्कूल से हुई थी। साल 1985 में उन्होंने मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से बी.कॉम की डिग्री हासिल की थी। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया में दाखिला लिया और चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई पूरी की।
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ऐसे बनीं शेयर मार्केट में दिलचस्पी
राकेश झुनझुनवाला की दिलचस्पी शेयर बाजार में तब पैदा हुई जब उन्होंने अपने पिता को दोस्तों के साथ शेयर मार्केट पर चर्चा करते सुना। कॉलेज में पहुंचे तो उन्होंने शेयर मार्केट की बारीकियां समझीं। राकेश के पिता ने उन्हें मार्गदर्शन भी दिया लेकिन निवेश करने के लिए पैसे नहीं दिए और दोस्तों से भी मांगने से मना कर दिया था। ऐसे में राकेश ने कॉलेज के दिनों से ही अपनी बचत के पैसों से निवेश करना शुरू किया। साल 1985 में महज 5000 रुपए से शुरू की गई इन्वेस्टमेंट आज तकरीबन 40 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।
फिक्स्ड-इनकम ट्रेडर्स के लिए सामान्य साक्षात्कार प्रश्न
फिक्स्ड-इनकम ट्रेडर्स आमतौर पर निवेश बैंकिंग उद्योग में कार्यरत हैं, हालांकि वे हेज फंड, संस्थागत निवेशकों या एकल निगमों के लिए भी काम कर सकते हैं। फिक्स्ड-इनकम ट्रेडर्स निवेश पेशेवर हैं जिनकी विशेषता निश्चित आय वाले प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के लिए होती है, या तो संस्थानों, व्यक्तिगत ग्राहकों या ग्राहकों के समूहों के लिए।
फिक्स्ड-इनकम इंटरव्यू की तैयारी कैसे करें
जब वे शब्द “निश्चित आय” सुनते हैं, तो ज्यादातर लोग तुरंत सरकार, कॉर्पोरेट या नगर निगम के बॉन्ड के बारे में सोचते हैं। हालांकि, फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में बंधक ऋण और ब्याज दर, कॉर्पोरेट और क्रेडिट उत्पादों के विभिन्न वित्तीय डेरिवेटिव शामिल हो सकते हैं ।
आमतौर पर, कई निश्चित-आय वाले व्यापारी विशिष्ट प्रकार के निश्चित-आय निवेश को संभालने में माहिर होते हैं, जैसे कि सरकार या कॉर्पोरेट बॉन्ड । निश्चित-आय वाले व्यापारियों को विशिष्ट निवेश के अवसरों का मूल्यांकन करने में कुशल होना चाहिए और वर्तमान बाजार और आर्थिक स्थितियों और रुझानों का विश्लेषण और आकलन करने में सक्षम होना चाहिए।
फिक्स्ड-आय साक्षात्कार प्रश्न
एक निश्चित आय वाले व्यापारी के रूप में एक पद के लिए नौकरी के साक्षात्कार में सामना किए जाने वाले प्रश्नों की संभावना सामान्य अर्थशास्त्र से लेकर विशिष्ट बाजार और निवेश विश्लेषण तक होती है । साक्षात्कारकर्ता उम्मीदवार की निश्चित-आय निवेश से संबंधित अवधारणाओं के ज्ञान का अनुमान लगाने और एक व्यापारी के रूप में उम्मीदवार की संभावित क्षमता का अनुमान लगाने के लिए देख रहा है।
चाबी छीन लेना
- निश्चित आय वाले व्यापारी के लिए साक्षात्कार में उपज वक्र से लेकर फेडरल रिजर्व की भूमिका तक के कई विषयों पर प्रश्न शामिल होंगे।
- निश्चित आय वाले व्यापारियों को बाजार और इसके रुझानों का मूल्यांकन, विश्लेषण और मूल्यांकन करने में कुशल होना चाहिए।
उपज वक्र और इसका महत्व क्या है?
यील्ड कर्व निश्चित आय वाले निवेश और ब्याज दर के उत्पादों में सबसे बुनियादी अवधारणाओं में से एक है, इसलिए यह शब्द और इसके निहितार्थ दोनों की ठोस समझ दिखाना महत्वपूर्ण है। उपज वक्र, जिसे ब्याज दरों की शब्द संरचना के रूप में भी जाना जाता है, एक ग्राफ पर एक पंक्ति है जो बांड की ब्याज दरों को प्लॉट करती है जिसमें बॉन्ड की विभिन्न परिपक्वता के मुकाबले कम से कम गुणवत्ता होती है, सबसे छोटी अवधि से लेकर सबसे लंबी अवधि तक। सबसे अधिक माना जाने वाला उपज वक्र तीन महीने से 30 साल तक की परिपक्वता वाले अमेरिकी ट्रेजरी ऋण पर दरों की तुलना करता है ।
उपज वक्र कई कारणों से महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग अन्य ब्याज दरों की गणना के लिए एक बेंचमार्क के रूप में किया जाता है, जैसे कि बंधक ऋण दरें। इसे एक सामान्य आर्थिक संकेतक भी माना जाता है।
एक सामान्य उपज वक्र, एक ठोस या बढ़ती अर्थव्यवस्था का संकेत, अधिक परिपक्वता के अनुरूप उच्च पैदावार को दर्शाता है। धीमी या कमजोर अर्थव्यवस्थाएं एक उल्टे उपज वक्र का उत्पादन कर सकती हैं, जहां कम अवधि के ऋण पर उच्च उपज प्राप्त होती है। अपेक्षाकृत सपाट उपज वक्र सामान्य आर्थिक अनिश्चितता या आर्थिक संक्रमण की अवधि को इंगित करता है।
क्या आप नकदी प्रवाह विवरणों की व्याख्या कर सकते हैं?
कॉर्पोरेट वित्तपोषण निर्णयों के लिए कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए वित्तीय विवरणों को पढ़ने और व्याख्या करने की क्षमता महत्वपूर्ण है। कैश फ्लो स्टेटमेंट पर दिखाई जाने वाली प्रमुख वस्तुएं परिचालन गतिविधियां, निवेश गतिविधियां, वित्तपोषण गतिविधियां और समाप्त नकदी संतुलन हैं।
आप अपने इंटरव्यू में उस उत्तर पर विस्तार कर सकते हैं जिसमें प्रत्येक प्रमुख शीर्षक के तहत शामिल चीजों को चित्रित किया गया है। परिचालन गतिविधियों में शुद्ध आय, प्राप्य खाते, देय खाते और सूची शामिल हैं। निवेश गतिविधियों में पूंजीगत व्यय और भूमि की बिक्री जैसे आइटम शामिल हैं । वित्तपोषण गतिविधियों में लाभांश भुगतान या बांड पुनर्खरीद शामिल हो सकते हैं।
फेडरल रिजर्व की भूमिका क्या है?
फेडरल रिजर्व और ब्याज दरों का निर्धारण करने में इसकी भूमिका, साथ ही अर्थव्यवस्था पर फेड के कार्यों के संभावित प्रभाव को समझना, फिक्स्ड-आय प्रतिभूतियों के साथ काम करने वाले किसी के लिए भी अनिवार्य है। फेडरल रिजर्व द्वारा निगरानी किए जाने वाले प्रमुख आर्थिक संकेतक और ब्याज दर नीति को प्रभावित करने वाले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई), उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई), बेरोजगारी दर, जीडीपी जैसे आर्थिक विकास इनकम ट्रेडर संकेतक और प्रदर्शन जैसे मुद्रास्फीति संकेतक हैं। वित्तीय बाजारों की।
क्या आप एक फिक्स्ड-इनकम ट्रेडर हैं जो अधिक जोखिम लेता है या जोखिम का जोखिम लेता है?
यह थोड़ा मुश्किल सवाल हो सकता है, लेकिन इसे एक निश्चित आय वाले व्यापारी के रूप में आपकी उपयुक्तता का वैध रूप से मूल्यांकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उचित उत्तर यह है कि साधारण आय वाले भारी-भरकम निवेशकों के लिए “अधिक रिस्क-अवेयर” पर्याप्त पूँजी प्रशंसा की नहीं बल्कि सुरक्षित, नियमित आय की तलाश है।
इस प्रकार अच्छे फिक्स्ड-इनकम ट्रेडर्स उच्च जोखिम वाले, उच्च-इनाम के अवसरों की तलाश में नहीं हैं, लेकिन सबसे ठोस निवेशों की पहचान करने की ओर अधिक झुकाव होगा ।
आप इस प्रश्न का उत्तर देने के दौरान जोड़ सकते हैं, हालांकि, इसका उद्देश्य है कि आप सख्त जोखिम सीमा के भीतर उपलब्ध सबसे लाभदायक निवेश अवसरों की पहचान करना चाहते हैं। यह इंगित करता है कि आप व्यापारियों के लिए सबसे अधिक रूढ़िवादी नहीं हैं, हमेशा सुरक्षित लेकिन न्यूनतम रिटर्न के लिए बस रहे हैं। इसके बजाय, आप सक्रिय रूप से ग्राहकों या अपने नियोक्ता के लिए सर्वोत्तम फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज की खोज करने जा रहे हैं ।
डेट म्युचुअल फंडों को होगा बड़ा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रीपो दरों में 75 आधार अंकों की कटौती के बाद डेट फंड मैनेजर अपने पोर्टफोलियो में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद कर इनकम ट्रेडर रहे हैं, साथ ही वे लिक्विड योजनाओं से निवेश निकासी को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे क्योंकि आरबीआई बैंकों को कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में और नकदी झोंकने को कह रहा है। सुंदरम एमएफ के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) द्विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, इस कदम से मौजूदा निवेशकों के डेट पोर्टफोलियो का दोबारा मूल्यांकन हो जाएगा क्योंकि प्रतिफल में नरमी आएगी।
अल्पावधि वाले बॉन्ड बाजार का प्रतिफल (जहां हाल के दिनों में नकदी काफी कम हो गई थी) शुक्रवार को आरबीआई के 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी के कारण 150-200 आधार अंक घटा है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई के कदम से देसी बॉन्ड बाजारों में ट्रेडिंग की गतिविधियों को बहाल हुई है, जो जोखिम के कारण करीब-करीब थम गई थी।
कोरोनावायरस के प्रसार के बीच आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के असर को कम करने के लिए शुक्रवार को केंद्रीय बैंक ने रीपो दर घटाकर 4.4 फीसदी कर दी। ब्याज दर घटाने के अलावा केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह एक लाख करोड़ रुपये तक के टर्म रीपो की नीलामी करेगा। इसके तहत ली जाने वाली नकदी बैंकों को निवेश श्रेणी वाले कॉरपोरेट बॉन्डों, वाणिज्यिक प्रतिभूतियों और इनकम ट्रेडर गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों में लगानी होगी।
इसके अलावा बैंकों को प्राथमिक बाजार में जारी होने वाले पात्र प्रतिभूतियों का 50 फीसदी लेना होगा और बाकी 50 फीसदी द्वितीयक बाजार से, जिसमें म्युचुअल फंड और गैर-बैंक वित्तीय कंपनियां शामिल हैं।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि इससे 5 लाख करोड़ रुपये वाली लिक्विड फंड श्रेणी को मदद मिलेगी, जहां काफी ज्यादा निवेश निकासी की संबावना है क्योंकि लॉकडाउन के बीच रोजाना के परिचालन में अवरोध के कारण कंपनियां अपना लिक्विड निवेश निकालना चाह रही हैं। पिछले हफ्ते एमएफ उदद्योग ने भी नकदी सहायता के लिए आरबीआई को पत्र लिखा था।
फंड मैनेजरों ने कहा कि अल्पावधि वाली योजनाएं केंद्रीय बैंक के नकदी बढ़ाने वाले कदमोंं से फायदा उठाने में बेहतर स्थिति में हैं। पीजीआईएम इंडिया एमएफ के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) कुमारेश रामकृष्णन ने कहा, अल्पावधि वाली योजनाओं में सकारात्मकता देखने को मिलेगी क्योंकि व्यवस्था में नकदी वापस आने के बाद अब स्प्रेड सही स्तर पर आ जाएगा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के बीच पहले बाजार में प्रतिफल में 150-200 आधार अंकों की बढ़ोतरी दिखी थी। बाजार के प्रतिभागियों के मुताबिक, एफआईआई ने इस क्षेत्र में 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये के निवेश बेचे, वहीं देसी बाजार में खरीदारी घटी है और लॉकडाउन ट्रेडरों के लिए कीमत पर असर डाल रही है और वॉल्यूम पर भी। अब तक एफआईआई की कुल बिकवाली मार्च में 57,000 करोड़ रुपये की रही है।
इसके परिणामस्वरूप लिक्विड योजनाओं व डेट की अन्य योजनाओं के रिटर्न पर असर पड़ा। नकदी सिकुडऩे केबीच लिक्विड योजनाओं का रिटर्न नकारात्मक रहा। अन्य अल्पावधि वाली श्रेणियों पर भी असर पड़ा क्योंकि निचले से मध्यम अवधि वाली योजनाओं का रिटर्न एक से तीन फीसदी तक नीचे रहा। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई के कदमों में फंडिंग की कुल लागत कम करने की क्षमता है और मौजूदा चुनौतियों से उबरने में अर्थव्यवस्था को मदद करने की भी।
बिड़ला सन लाइफ एमएफ के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, लक्षित लंबी अवधि के रीपो परिचालन सुविधा से अल्पावधि वाली दरों पर दबाव हटाने में मदद मिलेगी। निवेश श्रेणी वाले सभी बॉन्ड कवर हुए हैं, इसका मतलब बीबीबी क्रेडिट से ऊपर वाले सभी बॉन्ड इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं और अल्पावधि वाली दरों में और भागीदारी देखने को मिलेगी।
इनकम ट्रेडर
E-Shram: यदि आप सेल्फ एम्प्लॉयड है तो आपके लिए एक बहुत ही अच्छी खबर सरकार द्वारा जारी की गयी है। जी हां, केंद्र सरकार द्वारा देश के छोटे दुकानदारों को लाभ देने के लिए एक स्कीम को शुरू किया है जिसका नाम है NPS ट्रेडर स्कीम यानी नेशनल पेंशन स्कीम फॉर ट्रेडर्स एवं सेल्फ एम्प्लॉयड पर्सन्स स्कीम। इस योजना के तहत जितने भी छोटे दुकान दार है और जिनका खुद का स्वरोजगार है सरकार उन्हें 3 हजार रुपये पेंशन देने का प्रावधान कर रही है। चलिए जानते है इससे जुडी अन्य सभी जानकरियों को।
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जाने किन्हे मिलेगा इस योजना का लाभ
बता देते है, सरकार द्वारा जारी की गयी इस स्कीम के तहत पेंशन का लाभ केवल उन्ही लोगों को प्रदान किया जायेगा जो कि ई-श्रम कार्ड धारक (e-shram card holder) होंगे। साथ ही यह स्कीम दूकानदार, रिटेल और गांव या गली में छोटे-मोटे काम करने वालों के लिए बनायीं गयी है यदि इनके पास E-SHRAM कार्ड होगा तो यह इस योजना में शामिल होकर पेंशन का लाभ आसानी से ले सकते है।
जाने NPS ट्रेडर स्कीम हेतु पात्रता
- बता दें, NPS ट्रेडर स्कीम के बारे में सभी जानकारियों को ई-श्रम पोर्टल पर बताया गया है।
- जो भी आवेदक नेशनल पेंशन ट्रेडर्स स्कीम माना आवेदन करेंगे उनकी आयु 18 से 40 साल तक होनी चाहिए।
- आवेदक की सालाना इनकम 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अन्यथा वह इस स्कीम का लाभ नहीं पा सकता।
- जो भी नागरिक इस स्कीम में शामिल होना चाहते है वह NPS (नेशनल पेंशन स्कीम), ESIC (एम्प्लोयी स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन) और EPFO (एम्प्लोयी प्रोविडेंट फण्ड) के मेंबर नहीं होने चाहिए।
- आवेदक की कमाई पर किसी तरह का टैक्स नहीं जाता हो यानी वह इनकम टैक्स के स्कोप में नहीं आना चाहिए। तभी वह इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
दुकानदारों व अन्य लाभार्थियों को मिलेगी महीने 3 हजार रुपये की पेंशन
NPS ट्रेडर स्कीम एक तरह की ऑप्शनल पेंशन स्कीम है यानी इस स्कीम में कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी अनुसार शामिल हो सकता है। एनपीएस ट्रेडर्स स्कीम में देश के कुल 3.5 करोड़ बिज़नेस और सेल्फ एम्प्लॉयड को पेंशन का लाभ देना है। यानी जो भी इसमें शामिल होगा उसे लाभ दिया जायेगा। जो भी आवेदक इस स्कीम में जुड़ेगा उसे 60 साल बाद हर महीने 3 हजार रुपये की पेंशन प्रदान की जाएगी। यह योजना पूरी तरह स्वयं इच्छा और अंशदायी पेंशन है (Voluntary and Contributory Pension) .इसमें आवेदक को निर्धारित की गयी 100 रुपये राशि को जमा करना होगा जिसके बाद उसे निर्धारित समय बाद पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
हमने आपको E-Shram के बारे में अपने आर्टिकल के माध्यम से सारी जानकारी प्रदान कर दी है अगर आपको जानकारी पसंद आयी हो तो हमे बता सकते है और योजना से सम्बंधित कोई भी सवाल आपको जानने है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते है।