शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है

कोरोना कहर में stock market धड़ाम, लेकिन Religare की Mobile Trading ने पकड़ी रफ्तार
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना संक्रमण के दौर में भले ही दुनियाभर के शेयर बाजार धड़ाम हो रहे हो, लेकिन इस बीच Mobile Trading ने रफ्तार पकड़ ली है। रिलिगेयर ब्रोकिंग की मानें तो देशभर के लॉकडाउन के शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है दौरान भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग में जबरदस्त 50 फीसदी की उछाल देखा गया है।
खास बात यह है कि रिलिगेयर ब्रोकिंग का ट्रेडिंग वोल्यूम मोबाइल ऐप रिलिगेयर डिनेमी के जरिए ट्रेडर्स और निवेशकों में अहम बदलाव देखने को मिला है। अब निवेशक खुद ही मोबाइल ऐप के जरिए निवेश कर रहे हैं। अब उन्हें किसी कंपनी पर पूरी तरह डिपेंड होने की जरुरत है।
इसके साथ ही ब्रोकिंग कंपनियों ने लॉकडाउन में घर से ही काम करने के तरीके को तरजीह दी है। इसके जरिए ही ग्राहकों को सेवाएं दी जा रही हैं। अब आने वाले दिनों में कंपनी 100 फीसदी तरीके से घर से ही काम कराने पर विचार कर रही है।
इसके लिए कंपनी क्लाउड बेस्ट तकनीक का भी सहारा ले रही है। इसके अलावा ग्राहकों से पेमेंट लेन-देने के लिए नया ई-कलेक्शन मोड का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले पेमेंट चेक या नेट बैंकिंग के जरिए हुआ करती है।
साफ है कि बहुत से टेकनॉलाजी बेस्ड कंपनियों ने अपना कारोबार चलाने के लिए घर से काम करने का तरीका इजाद कर लिया है। इससे जहां लोग बेरोजगार होने के बच गए हैं, वहीं कारोबार भी रुक नहीं रहा है।
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भारत में 6 महीने तक का है इस इलेक्ट्रिक SUV का वेटिंग पीरियड, जानिए क्या है कीमत और खासियत
ये इलेक्ट्रिक कार 312 किमी की ड्राइविंग रेंज के साथ आती है और यह 30.2 kWh बैटरी पर चलती है. पावरट्रेन कुल 127 एचपी पावर और 245 एनएम टॉर्क जनरेट कर सकता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: स्वाती झा
Updated on: Feb 03, 2022 | 10:50 AM
Tata Nexon EV देश की सबसे पॉपुलर इलेक्ट्रिक कारों में से एक है. कार की डिमांड इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि देश में इसके खरीदारों के लिए वेटिंग पीरियड (waiting period) काफी ज्यादा बढ़ गया है. नेक्सॉन ईवी (Nexon EV) के खरीदार कथित तौर पर छह महीने तक वेटिंग पीरियड के साथ काम कर रहे हैं. यह देखते हुए कि ईवी ओवरऑल वोल्यूम के मामले में काफी पीछे है, यह वेटिंग पीरियड डिमांड में बदलाव को दर्शाता है. ऑटोकार इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेक्सॉन ईवी की वेटिंग पीरियड छह महीने तक है. इस शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है हाई वेटिंग पीरियड को सप्लाई चेन के मुद्दों के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. कंपनी के ICE-ऑपरेटेड वाहनों में भी भारी मांग लेकिन कम सप्लाई देखी जा रही है. सेमीकंडक्टर की कमी Indian Automotive Industry में परेशानी का कारण बन रही है.
लॉन्च के बाद से Tata Nexon EV ने शानदार परफॉर्मेंस दी है. हाल ही में, टाटा मोटर्स ने अनाउंसमेंट की कि वे 2020 में लॉन्च होने के बाद से टाटा नेक्सॉन ईवी की शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है 13,500 से अधिक यूनिट्स को बेचने में कामयाब रहे हैं. ईवी एक खरीदार के लिए सबसे आकर्षक पैकेजों में से एक है जो एक ग्रीन फ्यूल पर स्विच करना चाहता है. टाटा मोटर्स के पास 15 लाख रुपए से कम कीमत की कटेगरी में दो पेशकश हैं. एक है नेक्सॉन ईवी और दूसरी है टिगोर ईवी, जिसकी कीमत और भी कम है.
टाटा नेक्सॉन ईवी की रेंज
टाटा नेक्सॉन ईवी 312 किमी की ड्राइविंग रेंज के साथ आती है और यह 30.2 kWh बैटरी पर चलती है. पावरट्रेन कुल 127 एचपी पावर और 245 एनएम टॉर्क जनरेट कर सकता है.
केंद्र शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है सरकार द्वारा फेम स्कीम के तहत दी जाने वाली प्राइस सब्सिडी और स्टेट-स्पेसिफिक सब्सिडी ने खरीदारों के लिए कुछ इंसेंटिव ऑफर किए हैं. हालांकि, अपने ICE एक्वीवैलेंट की तुलना में, Nexon EV अभी भी काफी महंगी है. वर्तमान में उपलब्ध सबसे सस्ते वेरिएंट की कीमत 14.29 लाख रुपए (एक्स-शोरूम दिल्ली) है, टॉप वेरिएंट की कीमत 16.90 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) है. इसकी तुलना में, Tata Nexon की कीमत 7.39 लाख रुपए (एक्स-शोरूम दिल्ली) से शुरू होती है और यह 13.34 लाख रुपए (एक्स-शोरूम दिल्ली) तक जाती है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि नेक्सॉन ईवी और आईसीई-पावर्ड नेक्सॉन के बेस वेरिएंट में काफी अंतर होंगे.
टाटा मोटर्स ने हाल ही में घोषणा की थी कि उसने जनवरी के महीने में इलेक्ट्रिक वाहनों की अब तक की सबसे अधिक बिक्री दर्ज की है. कंपनी ने कुल 2,892 यूनिट्स की बिक्री की है.
दो साल से जिन शेयरों में कोई कारोबार नहीं था, अचानक 3 महीने में 3 गुना बढ़ गए, नए निवेशक आजमा रहे हैं दांव
मुंबई. पिछले दो सालों से जिन पेन्नी स्टॉक में कोई कारोबार नहीं हो रहा था, वे शेयर अचानक सबसे ज्यादा रिटर्न देनेवाले साबित हो रहे हैं। पिछले तीन महीनों में इस तरह के कई शेयरों ने तीन गुना रिटर्न दिया है। यही नहीं, बाजार के ट्रेडर्स भी इसमें भाग लेने लगे हैं।
इन शेयरों में दिखी है अच्छी खासी तेजी
जिन शेयरों में अच्छी खासी बढ़त देखी गई है उसमें प्रमुख रूप से रुचि इंफ्रा का शेयर 5 गुना बढ़कर 11.19 रुपए पर कारोबार कर रहा है। जेएमटी ऑटो का शेयर 4.10 गुना बढ़कर 4.70 रुपए पर कारोबार कर रहा है। वोडाफोन आइडिया का शेयर तीन गुना बढ़कर 10 रुपए पर कारोबार कर रहा है। आयुष फूड्स का शेयर 3.3 गुना बढ़कर 63.70 रुपए पर कारोबार कर रहा है। सिंटेक्स प्लास्टिक्स का शेयर 3.28 गुना बढ़कर 2.83 रुपए पर कारोबार कर रहा है। मानकसिया एल्यूमिनियम का शेयर इसी दौरान 3.17 गुना बढ़ा है। यह 10.44 रुपए पर कारोबार कर रहा है।
ये शेयर भी 3 गुना से ज्यादा बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं
इसी तरह विकास इंफोटेक का शेयर 3 गुना बढ़कर शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है 4.58 रुपए पर कारोबार कर रहा है। सिंटेक्स इंडस्ट्रीज का शेयर 2.95 गुना बढ़कर 2.45 रुपए पर करोबार कर रहा है। विकास मल्टीकॉर्प का शेयर 2.92 गुना बढ़कर 4.43 रुपए पर कारोबार कर रहा है। जबकि बारट्रॉनिक्स इंडिया का शेयर 2.89 गुना बढ़कर 2.49 रुपए पर कारोबार कर रहा है। एज्युकॉम्प सोल्यूशंस का शेयर 2.81 गुना बढ़कर 4 रुपए पर कारोबार कर रहा है। डिग्जाम का शेयर 3.शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है 43 रुपए पर कारोबार कर रहा है। इसमें 3.08 गुना की वृद्धि हुई है।
लॉकडाउन की वजह से लोग बाजार में कर रहे हैं निवेश
दरअसल पेन्नी स्टॉक वे होते हैं जो बिलकुल सस्ते होते हैं। इनकी कीमत 2 रुपए, पांच रुपए या 12-15 रुपए भी होती है। हालांकि इन शेयरों में अचानक उछाल दिखने का कोई कारण नहीं दिख रहा है, पर यह रोजाना अच्छा खासा बढ़ रहे हैं। दरअसल लॉकडाउन की वजह से लोग बाहर नहीं जा रहे हैं और कुछ नए लोग भी शेयरों में दांव लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसे लोग इन सस्ते शेयरों को देखकर खरीदारी कर रहे हैं। यही कारण है कि इन शेयरों में अचानक उछाल दिखने लगा है।
इन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन भी 500 करोड़ रुपए से कम है। ये ऐसे शेयर हैं, जिसमें अनुभवी निवेशक कभी भी निवेश नहीं करना चाहते हैं।
वोल्यूम में भी अच्छी खासी हो रही है वृद्धि
आंकड़े बताते हैं कि पहली अप्रैल से लेकर अब तक के तीन महीने की अवधि में लगभग 300 माइक्रो कैप शेयरों में तेजी आई है। उदाहरण के तौर पर ऑप्टो सर्किट के शेयर का रोजाना का वोल्यूम 2.3 करोड़ पर पहुंच गया है। पहले रोजान 46 लाख शेयरों का वोल्यूम होता था। इस शेयर का भाव अप्रैल में 1.77 रुपए था। इस समय यह 12.25 रुपए पर कारोबार कर रहा है। यानी करीबन 6 गुना रिटर्न इसने तीन महीनों में दिया है।
20 लाख नए खाते खुले हैं, जिनमें रिटेल निवेशक भी हैं
इसी तरह से 225 करोड़ के मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली आंध्र सीमेंट का शेयर अप्रैल में 7.57 रुपए पर कारोबार कर रहा था। इस समय यह 3.67 गुना बढ़कर 21 रुपए के ऊपर कारोबार कर रहा है। मार्च की तुलना में इसके रोजाना के एवरेज वोल्यूम में 470 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। एक मार्च से 31 मई के बीच ब्रोकर्स के यहां रिटेल निवेशकों ने 20 लाख नए खाते खोले हैं। इसमें छोटे निवेशक इस तरह के शेयरों में दांव लगा रहे हैं।
कभी-कभी निवेशकों को अच्छा लाभ हो जाता है
बाजार के जानकार ने बताया कि ये कुछ ऐसे शेयर हैं, जिनमें कभी-कभी निवेशकों को अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है, लेकिन ये बहुत ही जोखिम वाले शेयर होते हैं। इस तरह के पेन्नी स्टॉक में अचानक मूवमेंट देखने को मिल सकता है। ये शेयर थोड़े समय के लिए निवेशकों को खुश कर सकते हैं, लेकिन बाद में ये निवेशकों को घाटा ही नहीं बल्कि उनकी पूरी जमा पूंजी डुबा देते हैं।
बीएसई ने 703 स्टॉक्स की पहचान की है
दरअसल हाल में कई अग्रणी ऑनलाइन ब्रोकरेज ने पेन्नी और इलिक्विड स्टॉक्स में कारोबार करने से बचने की सलाह दिए शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है थे। हाल में बीएसई ने इस तरह के 703 स्टॉक्स की पहचान की थी जो इस कटेगरी में आते हैं। इन स्टॉक्स में निवेश न करने की सलाह दी गई है। 29 जून से इस तरह के शेयरों जैसे एस्काटर्स फाइनेंस, जेट एयरवेज, पुंज लॉयड, सुप्रीम इंफ्रा, टीसीआई फाइनेंस, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के बारे में एक्सचेंज ने ड्यू डिलिजेंस बढ़ाने को कहा है।
Stock Market Trading Tips: स्टॉक ट्रेडिंग से चाहिए मुनाफा तो टेक्निकल एनालिसिस पर करें गौर, चुन सकेंगे सही शेयर
नई दिल्ली, समीत चव्हाण। शेयर बाजार के निवेशक निवेश करते समय आने वाली दिक्कतों को समझते हैं, खासकर जब अस्थिरताओं पर आवश्यक जानकारी नहीं मिल पाती। बाजार में उतार-चढ़ाव के समय अनिश्चितता और बढ़ जाती है, तब निवेशक मूल्य में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी नहीं कर पाते। औसत निवेशक आमतौर पर अपने निवेश/पोर्टफोलियो मैनेजर की सलाह पर या विशेषज्ञों की भविष्यवाणियों पर दांव लगाते हैं। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से निवेशक स्टॉक चार्ट को देखकर इनसाइट्स प्राप्त कर पाते हैं और उन्हें स्टॉक में निवेश से जुड़े कैलकुलेशंस और जोखिम की जानकारी देते हैं जिससे वे हायर रिटर्न्स प्राप्त कर पाते हैं।
एक निश्चित अंतराल में शेयरों की कीमत और वॉल्यूम वैरिएशंस का अध्ययन करते हुए भविष्य के लिए कीमत का पूर्वानुमान आसान हो जाता है। टेक्निकल एनालिसिस 100 प्रतिशत सटीकता के साथ परिणाम प्रदान नहीं करता, यह सच है लेकिन जब बाजार में सुस्ती छाई हो तो सही विकल्प चुनने में यह मूल्यवान मददगार होता है। निवेश करते समय लोगों को टेक्निकल एनालिसिस के निम्नलिखित फीचर्स को समझना आवश्यक है।
शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग
शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स टेक्निकल एनालिसिस का इस्तेमाल करते हैं और उनके लिए यह एक भरोसेमंद टूल है जो उन्हें स्टॉक के मौजूदा ट्रैजेक्टरी का अंदाज लगाने में मदद करता है। चूंकि, यह अपेक्षाकृत सीमित समयसीमा में शेयरों को खरीदने, बेचने या रखने के लिए एक रिस्की तरीका हो सकता है, पैटर्न और ट्रेंड्स का अध्ययन करने के शेयर मार्केट में वोल्यूम क्या है लिए किसी विधि या कुछ टूल्स पर निर्भरता जोखिम को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती है। इसके अलावा ट्रेडर्स इसका इस्तेमाल अनिश्चित निवेशकों को बाहर निकालने के लिए एक टूल के रूप में करते हैं। यह प्रॉमिसिंग स्टॉक्स पहचानने और सुविधाजनक निर्णय लेने का लाभ प्रदान करता है।
एंट्री और एक्जिट पॉइंट्स
स्टॉक चार्ट का एनालिसिस करके निवेशक शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए अपने एंट्री और एक्जिट पॉइंट्स का समय निर्धारित कर पाते हैं। यह डिमांड और सप्लाई को समझने के साथ ही ट्रेंड्स को तोड़ने और अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करने का समय तय करने में मदद करता है। स्टॉक के बारे में बहुत सारी जानकारी अक्सर लोगों को भ्रमित करती है और उनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है, ऐसे में टेक्निकल एनालिसिस महत्वपूर्ण इंडिकेटर्स को सरल बनाता है, निवेशकों के लिए ट्रेडिंग को सुव्यवस्थित करता है।
कीमत के पैटर्न्स का एनालिसिस
स्टॉक ट्रेडिंग में बुद्धिमानी से भरे निर्णय लेने के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक होने के नाते टेक्निकल एनालिसिस से प्राइस पैटर्न का एनालिसिस निवेशकों को बेस्ट प्राइस पर खरीदने या बेचने में काफी मदद कर सकता है। इससे उन्हें मूवमेंट और ओवर-वैल्यूएशन से बचने की अनुमति मिलती है क्योंकि बदलते मूल्यों की भविष्यवाणी आसान हो जाती है। वे संभावित टारगेट तय करने में भी उपयोगी हो सकते हैं, वहीं शुरुआती ट्रेंड रिवर्सल भी पहचाना जा सकता है। जैसे पैटर्न खुद को दोहराते हैं, निवेशकों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। रोजमर्रा के कामों में टेक्निकल एनालिसिस लागू नहीं होते।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल
इस परिदृश्य में लंबी अवधि तक शेयरों की कीमत में एक सीमा में उतार-चढ़ाव दिखता है, जिससे स्टॉक की बिक्री और खरीद पर भविष्यवाणी करना और कॉल लेना मुश्किल हो जाता है। टेक्निकल एनालिसिस की सहायता से स्टॉक चार्ट के भीतर सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों की पहचान करने से निवेशक को खरीदने या बेचने के बारे में निर्णय लेने के लिए प्रासंगिक विकल्प मिल सकते हैं। यदि कोई विशेष स्टॉक सपोर्ट और रेजिस्टेंस सीमा को पार करता है, तो यह ट्रेडिंग करने योग्य होता है जो उसके अच्छे स्वास्थ्य और मांग को दर्शाता है।
ट्रेंड्स का एनालिसिस
चाहे वह टेक्निकल एनालिसिस टूल के इस्तेमाल की बात हो या न हो, शेयर बाजारों के मौजूदा ट्रेंड्स को समझना किसी भी निवेशक के लिए सिस्टम में प्रवेश करने से पहले की एक बुनियादी आवश्यकता है। व्यावहारिक निर्णय लेने के लिए वर्तमान और व्यापक डिग्री में बाजार के ट्रेंड्स को समझना आवश्यक है। टेक्निकल एनालिसिस किसी स्टॉक के ऐतिहासिक, वर्तमान, समग्र प्रदर्शन और स्वास्थ्य को सामने लाता है। फिर चाहे वह अपट्रेंड्स, डाउनट्रेंड्स या हॉरिजोन्टल ट्रेंड्स में रहें, निवेशक उसकी खरीद-बिक्री का फैसला बेहतर तरीके से ले सकेंगे।
मूल्य और वॉल्यूम एनालिसिस का कॉम्बिनेशन
अंत में, एक कॉम्बिनेशन के रूप में प्राइस मूवमेंट और वॉल्यूम का एनालिसिस अक्सर निवेशकों को किसी भी चाल की वास्तविकता का पता लगाने में मदद करता है। डिमांड और सप्लाई साइकिल दोनों पहलुओं में बदलाव को प्रभावित करती है। टेक्निकल एनालिसिस ट्रेड के वॉल्यूम के इतिहास के अवलोकन की अनुमति देता है। इससे स्टॉक्स के ट्रेंड्स को समझने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, जब स्टॉक का मूल्य बढ़ता है और परिणामी रूप से वॉल्यूम भी बढ़ता तो यह एक पॉजिटिव ट्रेंड की पहचान होती है। यदि ट्रेड का वॉल्यूम में मामूली वृद्धि है, तो इसे रिवर्स ट्रेंड के रूप में पहचाना जाता है। इस वजह से दो पहलुओं की कम्बाइंड स्टडी निवेशकों को पैटर्न बेहतर ढंग से समझने की अनुमति देता है।
इस वजह से, सही रणनीति के साथ निवेश करने के लिए, स्टॉक चार्ट्स के ओवरऑल असेसमेंट और उस समय के अनुसार ट्रेडिंग विकल्पों की उपलब्धता के लिए टेक्निकल एनालिसिस टूल फायदेमंद हो सकते हैं।
(लेखक एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के टेक्निकल एंड डेरिवेटिव्स के चीफ एनालिस्ट हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)