दिन का समय विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छा है

1. चालू खाता घाटा और विपरीत भुगतान संतुलन में वृद्धि;
निवासी विदेशी मुद्रा खाता - भारत में बसने हेतु भारत लौटने वाले अनिवासी भारतीयों के लिए
भारत में स्थायी रूप से रहने के इरादे से वापस आने वाले अनिवासी भारतीयों के लिए बैंक ऑफ़ बड़ौदा एक लाभकारी जमाराशि योजना लाया है. देश वापस आने वाले आपके सभी मौजूदा खातों का नया नाम आरएफसी खाते होगा. ये खाते यूएस डॉलर, जीबीपी, यूरो और एयूडी मूल्यवर्ग में बनाए गए हैं.
- एनआरआई के वास्तविक प्रयोजन हेतु आरएफ़सी खाते की राशि स्वतंत्र रूप से प्रत्यावर्तनीय मानी जाती है.
- आरएफ़सी खाता खोलने और निधियों को विदेश में अंतरित करने के लिए रिज़र्व बैंक की अनुमति लेनी आवश्यक नहीं है.
- स्थानीय उपयोग के लिए आरएफ़सी निधियों को आसानी से भारतीय रुपये में आहरित किया जा सकता है.
- पुनः विदेश जाने के लिए एनआरआई इस राशि का आसानी से उपयोग कर सकते हैं और खाते को पुनः एफ़सीएनआर और एनआरई खाते में भी बदल सकते हैं जैसा कि खाता उनके ‘भारत वापस आने’ के पहले था.
निवासी विदेशी मुद्रा खाता - भारत में बसने हेतु भारत लौटने वाले अनिवासी भारतीयों के लिए : सबसे महत्वपूर्ण नियम और शर्तें (एमआईटीसी)
- यह राशि सावधि जमा के रूप में बारह माह से लेकर पांच वर्ष तक की अवधि के लिए रखी जाएगी.
- ब्याज दरें इस प्रकार होंगी :
- 12 माह से 60 माह तक की आरएफसी जमाराशियों पर एफसीएनआर जमा के समान ही ब्याज दर प्रभारित की जाएगी (12 महीने से पहले समय पूर्व भुगतान हेतु कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा).
- यदि कोई व्यक्ति जो उस वर्ष के पिछले 10 वित्तीय वर्षों में से 9 में भारत में अनिवासी रहा हो, या उस वर्ष से पहले के 7 पिछले वर्षों के दौरान भारत में रहा हो, या कुल मिलाकर 729 दिनों तक या इससे कम की अवधि के लिए भारत में रहा हो तो उसे 'निवासी लेकिन आम तौर पर निवासी नहीं (आरएनओआर)' माना जाएगा और वह 'आरएफसी' पर आयकर छूट का दावा कर सकता है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किया रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण, जानें- क्या है इसका मतलब और आगे की चुनौतियां?
Updated: July 13, 2022 11:08 AM IST
RBI Internationalizes Rupee: दो दिन पूर्व भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने घोषणा की कि वह रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार सेटिलमेंट के लिए एक सिस्टम स्थापित कर रहा है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. आरबीआई ने कहा कि सिस्टम को “निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने” के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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आरबीआई ने कहा कि भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने के लिए और INR में वैश्विक व्यापारिक समुदाय के बढ़ते हित का समर्थन करने के लिए, चालान, भुगतान और निर्यात के सेटिलमेंट के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया है कि आयात भी भारतीय मुद्रा यानी कि रुपये में किया जाए.
रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते का क्या है मतलब?
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) के तहत रुपये में सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए व्यापक रूपरेखा का विस्तार किया है.
- इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात-आयात और चालान रुपये में किए जा सकते हैं.
- दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दरें बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं.
- इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का निपटान रुपये में होना चाहिए.
आयात और निर्यात के लिए क्या है इसका मतलब?
- इस तंत्र के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को रुपये में भुगतान करने की आवश्यकता होगी, जिसे विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिए चालान के खिलाफ भागीदार देश के संवाददाता बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाना चाहिए.
- इसी तरह, इस सिस्टम के जरिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के संपर्ककर्ता बैंक के निर्दिष्ट विशेष वोस्ट्रो खाते में शेष राशि से रुपये में निर्यात आय का भुगतान किया जाना चाहिए.
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बढ़ता विदेशी दिन का समय विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छा है मुद्रा भंडार, जानें इसके 5 फायदे
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में दिन का समय विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छा है चौथे स्थान पर पहुंच गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में रिकॉर्ड निवेश से विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सुस्त पड़ी भारतीय इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है। आइए जानते हैं मुद्रा भंडार बढ़ने के मायने।
विदेशी मुद्रा भंडार के पांच बड़े फायदे
1. विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेते होता है। साल 1991 में देश को सिर्फ 40 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च का बोझ उठाया जा सकता है।
2. बड़ा विदेशी मुद्रा रखने वाला देश विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास दिन का समय विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छा है अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
3. सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके साथ कच्चा तेल, दूसरी जरूरी सामान की आयत में बढ़ा नहीं आती है।
रुपये के कमजोर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले फायदे और नुकसान
1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है. इस लेख में हम यह बताने जा रहे हैं दिन का समय विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए सबसे अच्छा है कि रुपये की इस गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
भारत में इस समय सबसे अधिक चर्चा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत के गिरते रुपये के मूल्य की हो रही है. अक्टूबर 12, 2018 को जब बाजार खुला तो भारत में एक डॉलर का मूल्य 73.64 रुपये हो गया था. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है.