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कम अस्थिरता

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मकतूम बिन मोहम्मद ने दुबई फाइनेंशियल मार्केट में बाजार निर्माता कंपनियों की गतिविधियों को व्यवस्थित और सुविधाजनक बनाने के लिए "xCube" के शुभारंभ की घोषणा की

दुबई, 26 जनवरी, 2022 (डब्ल्यूएएम) -- दुबई के उप शासक और उप प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री हिज हाइनेस शेख मकतूम बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने xCube कंपनी को लॉन्च करने की घोषणा की है, जो दुबई फाइनेंशियल मार्केट में बाजार निर्माता कंपनियों की गतिविधियों को व्यवस्थित और सुविधाजनक बनाएगी। यह लॉन्च दुबई सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज हायर कमेटी की रणनीति के रूप में आता है, जिसका उद्देश्य आने वाले समय में अमीरात में शेयर बाजार के आकार को एईडी3 ट्रिलियन तक बढ़ाना है। शेख मकतूम ने एस्सा काजिम को xCube के बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है। आरिफ अमीरी, सईद अल अवर, हिंद बिन्त मोहम्मद बिन खरबाश और जैक्स विसर को बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। xCube की योजना स्थानीय बाजारों में सूचीबद्ध नकद इक्विटी और डेरिवेटिव दोनों पर बाजार बनाने की गतिविधियों और उच्च आवृत्ति व्यापार करने के लिए अत्याधुनिक एल्गोरिदम और प्रौद्योगिकी को विकसित करने और अपनाने की है। दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर के गवर्नर और xCube के बोर्ड के अध्यक्ष एस्सा काजिम ने कहा, "खुदरा निवेशकों और संस्थागत निवेशकों को बेहतर फैलाव व कम अस्थिरता से लाभ होगा, जो अक्सर बाजार निर्माताओं द्वारा बाजारों में सक्रिय भूमिका निभाने के परिणामस्वरूप होता है। स्थानीय बाजारों में बाजार निर्माण में नई तकनीकों और जानकारियों को लाकर हम स्थानीय और विश्व स्तर पर निवेशकों से नए सिरे से रुचि की उम्मीद करते हैं।"

म्यूचुअल फंड में अगस्त में 6,120 करोड़ रुपये का निवेश, पिछले 10 माह में कम अस्थिरता सबसे कम

जुलाई में 8,898 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह आंकड़ा जून में 18,529 करोड़ रुपये और मई में 15,890 करोड़ रुपये था। अगस्त के महीने में अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे कम निवेश देखा गया। तब इक्विटी म्यूचुअल फंड में 5,215 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। मार्च, 2021 से इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश का प्रवाह देखा जा रहा है।

इससे पहले जुलाई, 2020 से फरवरी, 2021 तक इस तरह की योजनाओं में लगातार आठ महीनों के लिए निकासी देखने को मिली थी। इस दौरान इन योजनाओं से कुल 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे।

बाजार में अस्थिरता बनी हुई है क्योंकि मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। इक्विटी के अलावा, ऋण म्यूचुअल फंड में पिछले महीने 49,164 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो जुलाई में 4,930 करोड़ रुपये के निवेश से काफी अधिक है। कुल मिलाकर, म्यूचुअल फंड उद्योग ने जुलाई कम अस्थिरता में 23,605 करोड़ रुपये की तुलना में अगस्त में 65,077 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया।

कमाई का नया मौका! UTI म्यूचुअल फंड ने लॉन्च की नई स्कीम, 5000 रुपये से कर सकते हैं शुरुआत

न्यू फंड ऑफर (NFO) 14 फरवरी 2022 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है और इसमें 25 फरवरी 2022 तक निवेश कर सकते हैं. स्कीम का सब्सक्रिप्शन और रिडम्प्शन 7 मार्च कम अस्थिरता 2022 को दोबारा से खुलेगा.

कमाई का नया मौका! UTI म्यूचुअल फंड ने लॉन्च की नई स्कीम, 5000 रुपये से कर सकते हैं शुरुआत

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Feb 16, 2022 | 10:24 AM

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश का नया विकल्प खुला है. यूटीआई म्यूचुअल फंड (UTI Mutual Fund) ने एक नई स्कीम एसएंडपी बीएसई लो वोलैटिलिटी इंडेक्स फंड (UTI SP BSE Low Volatility Index Fund) लॉन्च की है. यह SP BSE लो वोलैटिलिटी टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) कम अस्थिरता को ट्रैक करेगी. यह एक ओपन एंडेड स्कीम है यानी इसमें निवेशक स्‍कीम से जब चाहे बाहर निकल सकते हैं. न्यू फंड ऑफर (NFO) 14 फरवरी 2022 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका है और इसमें 25 फरवरी 2022 तक निवेश कर सकते हैं. स्कीम का सब्सक्रिप्शन और रिडम्‍प्‍शन 7 मार्च 2022 को दोबारा से खुलेगा.

यह स्कीम रेग्युलर प्लान और डायरेक्ट प्लान ऑफर करती है. एनएफओ में लॉर्ज, मिडकैप कंपनियों में निवेश का मौका मिलेगा. यह एसएंडपी बीएसई लार्ज-मिडकैप में शामिल 30 कंपनियों को ट्रैक करता है, जो कम से कम वोलैटाइल हैं. फंड का प्रबंधन श्रवण कुमार गोयल, हेड – पैसिव, आर्बिट्रेज एंड क्वांट स्ट्रैटेजीज, यूटीआई एएमसी द्वारा किया जाएगा.

मिनिमम कितना कर सकते हैं निवेश

UTI SP BSE Low Volatility Index Fund में एक निवेशक कम से कम 5,000 रुपये निवेश कर सकता है. इसके बाद एक रुपये के गुणक में निवेश कर सकते हैं. एक फोलियो के तहत बाद में न्यूनतम निवेश 1,000 रुपये है और उसके बाद 1 रुपये के गुणकों में कोई ऊपरी सीमा नहीं है. यह स्कीम उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो इंडेक्स रिटर्न के साथ अपनी पूंजी बढ़ाना चाहते हैं.

इस योजना का निवेश उद्देश्य रिटर्न प्रदान करना है, जो खर्चों से पहले, ट्रैकिंग त्रुटि के अधीन, अंतर्निहित सूचकांक द्वारा दर्शाए गए प्रतिभूतियों के कुल रिटर्न के साथ निकटता से मेल खाता है. श्रवण कुमार गोयल ने कहा लो वोलैटिलिटी इन्वेस्टिंग का उद्देश्य कम अस्थिरता के साथ बेहतर जोखिम समायोजित रिटर्न प्रदान करना है. जब बाजार में तेजी से गिरावट आती है तो कम अस्थिरता लो वोलैटिलिटी वाले स्टॉक आमतौर पर बेहतर होते हैं.

उन्होंने कहा, UTI SP BSE Low Volatility Index Fund स्मार्ट-बीटा फंड श्रेणी में हमारी नवीनतम पेशकश है. एसएंडपी बीएसई लो वोलाटिलिटी इंडेक्स के घटकों में निवेश लार्ज और मिडकैप सेगमेंट के भीतर अपेक्षाकृत स्थिर कंपनियों के विविध पोर्टफोलियो के लिए एक्सपोजर की पेशकश करेगा.

SBI का मल्टीकैप फंड हुआ लॉन्च

एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) का नया फंड ऑफर 14 फरवरी से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका है. स्कीम में 28 फरवरी तक निवेश किया जा सकता है. स्कीम एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है जो लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में निवेश करती है. मल्टी कैप फंड में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉलकैप फंड में कम से कम 25-25 प्रतिशत की हिस्सेदारी होनी आवश्यक है.

कम अस्थिरता

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सकारात्मक आर्थिक स्थितियों की अस्थिरता

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के क्षेत्रीय आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, वैश्विक अर्थव्यवस्था के इंजन का काम करेगी। इस क्षेत्र में निकट अवधि में, विकास की कम अस्थिरता संभावनाओं में सुधार हुआ है। अनेक संभावनाओं के बावजूद विकास के क्षितिज पर कुछ खतरे भी मंडरा रहे हैं। इनमें सबसे पहली चुनौती (1) वैश्विक वित्तीय स्थितियों की मजबूती की, (2) देशों का संरक्षणवादी नीति अपनाते जाना और (3) भू राजनीतिक तनावों का बढ़ना है।

यूं तो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को निकट अवधि में कोई जोखिम नहीं है। परन्तु मध्यम अवधि के दौरान यह प्रबल हो सकता है। वैश्विक वित्तीय स्थितियों में फिलहाल आई हुई गिरावट का सकारात्मक रुख एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती सिद्ध हो सकता है। विश्व की प्रमुख आर्थिक अर्थव्यवस्थाओं के संरक्षणवादी नीति अपनाने का सीधा प्रभाव एशिया पर पड़ेगा। अभी तक आर्थिक एकीकरण का लाभ एशियाई देशों को मिला है।

भू-राजनीतिक तनावों का गहरा प्रभाव वित्तीय एवं आर्थिक परिणामों के रूप में देखा जा सकेगा। मध्यम अवधि में आने वाली इन चुनौतियों के अलावा कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जो दीर्घकाल में एशियाई अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं। (1) आबादी की बढ़ती उम्र, (2) उत्पादकता वृद्धि की धीमी गति तथा (3) डिजीटल अर्थव्यवस्था।

वर्तमान में जिन एशियाई देशों को युवा जनसंख्या का लाभ मिल रहा है, वह आने वाले समय में स्वाभाविक रूप से कम हो जाएगा। भारत को भी इस मामले में सजग होकर नीतियां तय करनी चाहिए। विकास की गति को इस प्रकार से बढ़ा लेना चाहिए कि जनसंख्या के वृद्ध होने से पहले ही वह पर्याप्त धनी हो सके। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में उत्पादकता वृद्धि की धीमी दर का कम अस्थिरता अनुमान भी दीर्घकाल में आने वाली एक चुनौती है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था डिजीटल होती जा रही है। इस दिशा में हाल ही में उठाए गए कुछ कदम परिवर्तनकारी हो सकते हैं परन्तु ये भविष्य में रोजगार के लिए अनेक चुनौतियां भी खड़ी करने वाले हैं। निकट अवधि के विकास को देखते हुए देशों को, मैक्रोइकॉनॉमिक नीतियों पर ध्यान देना चाहिए। कई देशों की आर्थिक अवस्था के उछाल को देखते हुए दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही नीति-निर्माताओं को ऋण को नियंत्रण में रखना सुनिश्चित करना चाहिए।

भारत जैसे देश को भी राजस्व संग्रहण के उपायों में मजबूती लानी चाहिए, ताकि बुनियादी ढांचों एवं सामाजिक कारणों पर व्यय जैसे संरचनात्मक सुधारों को संभव बनाया जा सके। इस क्षेत्र में नरम मुद्रास्फीति के चलते मौद्रिक नीति उदार रह सकती है। फिर भी, सेंट्रल बैंकों को सजग रहने की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार, कुछ अस्थायी वैश्विक कारकों के चलते एशिया में मुद्रास्फीति अंडरशूट हुई है। यह स्थिति उलट भी सकती है।

समाधान

  • उत्पादकता और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
  • श्रम-बल भागीदारी में लैंगिक भेद कम से कम हो।
  • जनसंख्या में उम्र के संक्रमण के दौर से उचित प्रकार से निपटा जाये।
  • तकनीक एवं व्यवसाय के तरीके में परिवर्तन से प्रभावित हुए लोगों को सहारा दिया जाए।
  • भारत को बैंकिंग और कार्पोरेट के खतरों को कम करना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रशासन को मजबूत करना चाहिए, तथा केन्द्र एवं राज्यों में राजकोषीय समेकन को जारी रखना चाहिए।

सुधारों के लिए किए जा रहे प्रयासों को बनाए रखने कम अस्थिरता की आवश्यकता है। इसके लिए श्रम एवं उत्पाद बाजारों की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ कृषि के आधुनिकीकरण का प्रयास किया जाना अच्छा होगा।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित एंड्रियास बऊर और रनिल सेल्गडो के लेख पर आधारित। 12 मई, 2018

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

जब वायुमंडल में वायु का उर्ध्वाधर संचरण स्थगित हो जाता है अर्थात् वायु धरातल के निकट ठंडी एवं शीतल होने के कारण ऊपर उठ नहीं पाती है, तो ऐसी स्थिति में किसी क्षेत्र विशेष में वायुमंडलीय स्थिरता की स्थिति पाई जाती है, लेकिन यदि वायु का निरंतर उर्ध्वाधर संचरण जारी रहता है, तो ऐसी स्थिति में वायुमंडलीय अस्थिरता की स्थिति पाई जाती है।

वायुमंडल की स्थिरता व अस्थिरता ताप ह्रास दर (NLR) शुष्क रुद्धोष्म ताप ह्रास दर (DALR) के मध्य संबंधों पर निर्भर करती है।

वायुमंडलीय स्थिरता की स्थिति-
जब NLR का मान DALR के मान से कम होता है तो किसी विशेष ऊँचाई पर वायु का ताप वायुमंडल के ताप से कम हो जाता है। ऐसी दशा में वायु का उर्ध्वाधर प्रवाह रुक जाता है तथा वायु का अवतलन प्रारंभ हो जाता है, जिसमें वायुमंडल स्थिर हो जाता है।

वायुमंडलीय अस्थिरता की स्थिति-
जब NLR का मान DALR के मान से अधिक हो जाता है, तो ऐसी दशा में वायु का ताप वायुमंडल के ताप से अधिक होता है और वह उर्ध्वाधर गति करती रहती है, जिसमें अस्थिरता की स्थिति बनी रहती है।

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