कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

अमृतसर, चंडीगढ़ हवाई अड्डों से दुबई ले जा रहे करोड़ों की विदेशी मुद्रा जब्त
चंडीगढ़। राजस्व खुफिया निदेशालय के अधिकारियों ने अमृतसर (Amritsar) और चंडीगढ़ हवाई अड्डों (Chandigarh airports) पर तीन यात्रियों के पास से 1.52 करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा (foreign currency) जब्त की। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence) (डीआरआई) (DRI) की लुधियाना जोनल इकाई की टीम ने दुबई जा रहे दो यात्रियों को रोका।
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान टीम ने 1.08 करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा जब्त की जो उनके सामान में छिपा कर रखी गई थी। चंडीगढ़ में, डीआरआई की एक टीम ने शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुबई जाने वाले एक अन्य यात्री को रोका और उसके पास से 44 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त की।
सूत्रों ने बताया कि कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल इन दोनों अभियानों में डीआरआई ने दिरहम, यूरो और ओमानी रियाल जैसी विदेशी मुद्रा बरामद की। उन्होंने कहा कि सभी यात्री पंजाब के थे। (भाषा)
साणंद में 'नैनो' कारखाना शुरू, साकार हुआ सपना
टाटा मोटर्स ने बुधवार को दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो के विनिर्माण कारखाने का उद्घाटन किया। पश्चिम बंगाल से बाहर होने के बाद नया कारखाना स्थापित करने में दो साल का समय लग गया। गुजरात के साणंद में.
टाटा मोटर्स ने बुधवार को दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो के विनिर्माण कारखाने का उद्घाटन किया। पश्चिम बंगाल से बाहर होने के बाद नया कारखाना स्थापित करने में दो साल का समय लग गया।
गुजरात के साणंद में कंपनी के इस कारखाने का कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया। कारखाने की स्थापना से रतन टाटा के सालों पहले आम आदमी के लिए किफायती कार बनाने का सपना पूरा हो गया।
कारखाने के उद्घाटन के मौके पर टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने कहा कि जब मैं राज्य के मुख्यमंत्री के बुलावे पर यहां आया था, तब मुझे कहा गया कि अगर नैनों का कारखाना यहां नहीं लगेगा तो यह बेवकूफी होगी।
नैनो का यह कारखाना 2 कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल हजार करोड़ रुपए की लागत से 1,100 एकड़ क्षेत्र पर बना है। मुख्यमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि 20वीं शताब्दी में फोर्ड द्वारा सस्ती कारों के क्षेत्र में जो क्रांति शुरू की गई थी, उसे अब रतन टाटा की नैनो साकार कर रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी की अपनी कार का सपना कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल आज साणंद में इस कारखाने की शुरूआत के साथ ही पूरा होने जा रहा है।
रतन टाटा की इस लखटकिया कार के सपने को पूरा होने में वर्ष 2003 के बाद से अनेक राजनैतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
Nadda का तीखा प्रहार, कहा – खत्म है Mamata का खेल, बंगाल में परिवर्तन होकर रहेगा
कोलकाता । पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Legislative Assembly) के तीसरे चरण के चुनाव (Election) के लिए प्रचार करने पहुंचे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ने आज ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर फिर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने बंगाल में इस बार परिवर्तन होने और राज्य में भाजपा सरकार बनने का दावा किया।
नड्डा बुधवार को हुगली जिले के तारकेश्वर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार स्वपन दासगुप्ता (Swapan Dasgupta) के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। नड्डा ने कहा कि पहले चरण में 80 फीसद से अधिक मतदान होना साबित करता है कि राज्य के लोगों ने परिवर्तन का संकल्प ले लिया है। चुनाव शांतिपूर्ण होने से ममता दीदी घबरा गई हैं। नड्डा ने कहा कि ममता का भवानीपुर छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ना साबित करता है कि शुभेन्दु अधिकारी का राजनीतिक कद अब ममता से ऊंचा हो गया है।
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तृणमूल कांग्रेस के नारे खेला होबे का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि यह चुनाव राज्य में विकास की नई कहानी लिखने, राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और बंगाल का कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल सम्मान वापस दिलाना में अहम साबित होगा। भाजपा ने राज्य में परिवर्तन कर सोनार बांग्ला बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का खेला खत्म होगा और राज्य में तेजी से विकास होगा।
जूट उद्योग के क्षेत्र माने जाने वाले हुगली जिले में जूट श्रमिकों को साधते हुए नड्डा ने कहा कि राज्य की 60 में से 39 जूट मिले बंद हैं। इसका जिम्मेदार कौन है। श्रमिकों को न तो न्यूनतम वेतन दिया गया, न ही उनकी समस्याएं सुलझाई गईं। डनलप कारखाना खुलवाने का ममता दीदी का वायदा भी झूठा कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल निकला। नड्डा ने तृणमूल कांग्रेस पर तोलाबाजी, तुष्टीकरण, कटमनी की संस्कृति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कोरोना राहत का चावल चोरी किया है, वे अब अनाज बांटने की बात कह रहे हैं। बंगाल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का जिक्र करते हुए जेपी नड्डा ने कहा, “बंगाल महिलाओं के अपहरण, उनपर एसिड अटैक के मामलों में नम्बर एक पर है। हत्या की कोशिश में बंगाल सबसे आगे है, महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे आगे है, लेकिन किसी मामले में कोई गिरफ्तार नहीं होता।”
भारत में जूट उद्योग
भारत में जूट वस्त्र या जूट उद्योग अत्यधिक स्थानीय उद्योग हैं। देश की स्वतंत्रता के समय बहुत कम जूट उद्योग थे और इनकी संख्या आनुपातिक रूप से वर्षों में काफी बढ़ी है। भारत की जूट मिलें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। पश्चिम बंगाल में कोलकाता और नैहाटी देश में जूट मिलों के अधिकतम अनुपात के लिए जिम्मेदार हैं। नैहाटी की जूट मिलों को हुगली नदी के किनारे स्थापित किया गया है। यह भारत में प्रमुख जूट उत्पादों के विनिर्माण केंद्रों में से एक है। देश में पहली जूट मिल 1859 की शुरुआत में स्थापित की गई थी। इसकी स्थापना कुछ ब्रिटिश उद्योगपतियों ने की थी। एक निर्यात उन्मुख उद्योग होने के नाते, इसका बहुत तेजी से विस्तार हुआ था। देश के विभाजन के बाद अधिकांश मिलें भारत में बनी रहीं, लेकिन कुल जूट उत्पादक क्षेत्र का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा पड़ोसी देश बांग्लादेश में चला गया। हुगली नदी के तट के पास स्थित जूट उद्योग के अलावा, भारत में एक जूट मिल के कई अन्य केंद्र हैं। देश की स्वतंत्रता से पहले, देश के जूट मिलों को उत्तर पूर्वी राज्यों में से कुछ के द्वारा कच्चे जूट की आपूर्ति की गई थी। लेकि, इसकी आजादी के बाद कुल क्षेत्र का कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल बड़ा हिस्सा बांग्लादेश चला गया और इसीलिए भारत को हर साल भारी मात्रा में जूट का आयात करना पड़ता है। जूट उद्योग ने एक समय में सम्मानजनक विदेशी मुद्रा अर्जित की। निर्यात बाजार में बढ़ती लागत और शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता समस्याएं खड़ी करती हैं। कपड़ा उद्योग के तहत इसका निर्यात मुनाफा समावेशी है। वर्तमान में देश के जूट कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल उद्योग उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन से बने अपेक्षाकृत सस्ते सिंथेटिक औद्योगिक कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल पैकिंग कपड़ों से प्रतिस्पर्धा के कारण कठिन समय से गुजर रहे हैं। जूट की कीमत में भारी वृद्धि और जूट कारखानों की कम उत्पादकता देश में जूट उद्योगों की दुर्दशा के पीछे अन्य प्रमुख कारक हैं।