कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 अरब डॉलर गिरा, अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए कम
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है.
Published: August 27, 2022 8:52 PM IST
मुंबई: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है. प्रभुदास लीलाधर में अर्थशास्त्री और क्वांट विश्लेषक ऋतिका छाबड़ा ने कहा, “भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को घटकर 564 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है. आरबीआई (Reserve Bank of India) के साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों से पता चलता है कि 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया. इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मौजूदा परिसंपत्तियों में गिरावट है, जिसका उपयोग कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये में गिरावट को कम करने के लिए कर रहा है.”
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इससे पहले के सप्ताह में 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में वृद्धि को छोड़कर हर एक सप्ताह में रिजर्व में गिरावट आई है. फरवरी के कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह 26 सप्ताहों में से 20 के लिए गिर गया है.
समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 5.779 अरब डॉलर गिरकर 501.216 अरब डॉलर हो गया. आगे बढ़ते हुए, छाबड़ा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार निकट अवधि में दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि डीएक्सवाई जुलाई के मध्य में अपने उच्च स्तर पर वापस आ गया है और तेल की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है.
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दुनियाभर के बिजनेस को लुभाने के लिए RBI ने चली नई चाल
केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस कदम से भारत से निर्यात को गति मिलेगी. दुनियाभर में भारतीय बिजनेस का डंका बजेगा. इसके साथ ही घरेलू मुद्रा में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन मिलेगा. RBI ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर है.
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) ने सोमवार को घरेलू व्यापारियों के लिए आयात और निर्यात (Import-Export) का निपटान "रुपये" में करने की व्यवस्था की घोषणा की. विशेषज्ञों ने इसका उद्देश्य प्रतिबंधों से प्रभावित रूस के साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाना बताया है.
केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस कदम से भारत से निर्यात को गति मिलेगी. दुनियाभर में भारतीय बिजनेस का डंका बजेगा. इसके साथ ही घरेलू मुद्रा में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन मिलेगा. RBI ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर है. और 2021-22 में रूस के साथ भारत का व्यापार 13.1 अरब डॉलर का था.
विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि इससे दोनों देशों के बीच लेनदेन में तेजी आएगी.
प्रतिबंधों के बाद, किसी भी रूसी इकाई को पेमेंट, जिनमें वे भी शामिल हैं जिन्हें स्वीकृत नहीं किया गया है, में सामान्य से अधिक समय लग रहा है.
एक मीडिया रिपोर्ट में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष ए. शक्तिवेल के हवाले से कहा गया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) के मौजूदा प्रावधानों के तहत, नेपाल और भूटान को छोड़कर अंतिम निपटान मुक्त विदेशी मुद्रा में होना चाहिए. शक्तिवेल ने कहा कि अब, अगर आरबीआई ने मंजूरी दे दी, तो सभी देशों के लिए अंतिम समझौता भारतीय रुपये में हो सकता है.
वहीं, प्राइवेट सेक्टर बैंक के एक सीनियर बैंकर ने कहा, "रूसी बैंकों को भारत में वोस्ट्रो अकाउंट (Vostro account) खोलना होगा, और जब भी एक्सपोर्ट/इंपोर्ट होता है, तो लेनदेन के आधार पर उस अकाउंट को डेबिट या क्रेडिट किया जाएगा. यह केवल उन बैंकों के लिए है जो OFAC प्रतिबंध सूची का हिस्सा नहीं हैं."
यूएस ऑफिस ऑफ फॉरेन कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए एसेट्स कंट्रोल (US Office of Foreign Assets Control - OFAC) द्वारा फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद प्रतिबंधों को लागू किया गया था. भारतीय बैंकों को लंबे समय से उम्मीद थी कि सरकार और आरबीआई एक वैकल्पिक पेमेंट सिस्टम पर काम करेंगे, जैसा कि 2012 में और फिर 2018 में ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने पर किया गया था.
एक और बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, "जहां तक भारत का संबंध है, यह एक अच्छा कदम है. चूंकि हम निर्यात से अधिक आयात करते हैं, इसलिए हम नई व्यवस्था के तहत विदेशी मुद्रा की बचत करेंगे. उदाहरण के लिए, सामान्य परिस्थितियों में, हमें तेल खरीद के लिए रूस को डॉलर में भुगतान करना पड़ता था, जो अब रुपये-रूबल मार्ग के माध्यम से किया जा सकता है.”
इस पहल के तहत, भारतीय आयातक (importers) रुपये में भुगतान करेंगे, जिसे भागीदार देश के कॉरेसपोंडेट बैंक के वोस्ट्रो अकाउंट में जमा किया जाएगा. इसी तरह, भारतीय निर्यातकों (exporters) को भागीदार देश के वोस्ट्रो अकाउंट में शेष राशि से निर्यात आय का भुगतान रुपये में किया जाएगा.
इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने कहा कि इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा, यह रुपये में व्यापार की अनुमति देने के कदम का सीधा लाभ है. इसके अलावा, इस व्यापार समझौता मार्ग के खुलने से पता चलता है कि भारत के व्यापारिक भागीदार के रूप में कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए रूस के महत्व को पश्चिमी देशों से लिंक काटने के बढ़ते दबाव के सामने है. बैंकरों का मानना है कि यह मार्ग फिलहाल रूस तक ही सीमित रहेगा, और यह संभावना नहीं है कि अन्य बड़े व्यापार भागीदार रुपये में लेनदेन का निपटान करना पसंद करेंगे.
अन्य लोगों ने इसे विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ाने और रुपये को स्थिर करने के एक कदम के रूप में पिछले सप्ताह आरबीआई की घोषणाओं के विस्तार के रूप में देखा.
बार्कलेज (Barclays) के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उपायों का उद्देश्य मुख्य रूप से चालू खाते (current account) से संबंधित व्यापार प्रवाह के निपटान उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा की मांग को कम करना है.
Barclays के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को ग्राहकों को एक नोट में कहा, “नया कदम भारतीय निर्यातकों और आयातकों को रुपये में मूल्यवर्ग के विशेष वोस्ट्रो अकाउंट्स का उपयोग करने की अनुमति देता है. ताकि उनके रुपये-मूल्य वाले व्यापार चालान का निपटान किया जा सके. यह कदम पड़ोसी देशों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है, और वे देश अपने निपटान नियमों में व्यापार विविधीकरण के लिए आधार मुद्रा के रूप में रुपये का उपयोग करने के इच्छुक हैं.”
इस बीच, निर्यातक कुछ हद तक इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं कि इस पॉलिसी को कैसे लागू किया जाएगा, जिसमें भागीदार देश और कवर की जा सकने वाली वस्तुएं शामिल हैं.
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के लिए लागू है ।. और अधिक
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HDFC और Canara Bank के लिए खुशखबरी, RBI ने इस योजना को दी मंजूरी
HDFC, Canara Bank: एचडीएफसी बैंक और केनरा बैंक को रूस के साथ रुपये में व्यापार के लिए एक विशेष कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए ‘Vostro account’ खोलने के लिए भारत के सेंट्रल बैंक से मंजूरी मिल गई है।
बता दें कि कोरेस्पोंडेंट बैंकिंग का एक महत्वपूर्ण घटक एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक की ओर से, अक्सर एक विदेशी बैंक द्वारा वोस्ट्रो खातों का इस्तेमाल होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), HDFC बैंक और केनरा बैंक से इस बारे में कोई तुरंत प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। बता दें कि निर्यात को प्रोत्साहित करने और आयात को आसान बनाने के लिए, आरबीआई ने जुलाई में विदेशी व्यापार में रुपया निपटान के लिए एक नई प्रणाली का अनावरण किया था।
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9 बैंकों को दी गई अनुमति
यह भी देखा गया कि कैसे मास्को को यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अधिक गंभीर पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। इस कार्रवाई को मास्को के साथ वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के रूप में देखा गया। बता दें कि भारतीय व्यापार सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की कि रूस के साथ रुपये के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नौ बैंकों को ‘Vostro’ खाते खोलने की अनुमति दी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए पहले सरकार को दो भारतीय बैंकों के साथ नौ विशेष Vostro खाते खोलने की अनुमति दी थी ताकि विदेशों में भारतीय रुपये में व्यापार किया जा सके।
आरबीआई द्वारा जुलाई में रुपये में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए नियम स्थापित करने के बाद, प्राधिकरण प्राप्त करने वाले पहले विदेशी ऋणदाता क्रमशः रूस के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े बैंक, Sberbank और VTB बैंक रहे।
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