टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं?

Technical Analysis क्या है? और इसे कैसे सीख सकते है? 2022
Finance तथा सिक्योरिटी मार्केट मे 2 तरीकों के analysis का अध्ययन किया जाता है। जिसे fundamental analysis तथा technical analysis कहते हैं। जहां fundamental analysis का उपयोग कंपनी में विभिन्न प्रकार के आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखकर long term investment के अनुसार किया जाता है वहीं technical analysis का उपयोग शेयर बाजार के साथ इस इंडस्ट्री में trading के लिए किया जाता है। आज के इस आर्टिकल में आपको बताया जाएगा की technical analysis होता क्या है इसके क्या आधार होते हैं तथा आप इसे कैसे सीख सकते हैं।
Technical analysis क्या होता है
Technical analysis मार्केट में उस तकनीकी विश्लेषण को कहते हैं जिसके आधार पर आप मार्केट में उपस्थित विभिन्न प्रकार के टूल्स का उपयोग कर मार्केट के price movement को ध्यान में रखकर अनुमान लगाते हैं की मार्केट भविष्य में किस प्रकार का प्रदर्शन कर सकता है ।
Technical analysis का उपयोग भूतकाल में हुए प्राइस movement तथा ट्रेडिंग एक्टिविटी के आधार पर किया जाता है टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी के financial records को नहीं बल्कि आगे हुए price pettern और stock trends को देखकर की जाती है। इसका उपयोग मार्केट मैं मूवमेंट के आधार पर opportunity खोजने तथा अपने trading में हुए investment को calculate करने में किया जाता है।
Technical analysis की मदद से आप शेयर बाजार में तथा अन्य trading platforms पर मार्केट की हर एक चाल पर नजर रख सकते हैं। Technical analysis के अध्ययन में विभिन्न प्रकार के chart patterns, indicators , time frames , trendlines, तथा अन्य टूल्स का उपयोग किया जाता है।
Technical analysis का आधार केंद्र demad और supply पर आधारित होता है ।मार्केट का उतार चढ़ाव भी इसी पर आधारित होता है । विभिन्न चार्ट पैटर्न्स तथा इंडिकेटर्स के द्वारा आप मार्केट में डिमांड सप्लाई को समझ सकते है
Technical analysis का उपयोग
Finance तथा सिक्योरिटी मार्केट में अनेकों इसे researcher हुए हैं जिन्होंने अनेकों trading instruments,tools तथा indicators का आविष्कार किया है तथा अनेकों therories बनाई है जिसकी मदद से मार्केट की चाल अर्थात उसके price movement,price volume , volatility को समझ सकते हैं।
प्रोफेशनल ट्रेडर्स,रिसर्चर्स , तथा market analyst in tools का उपयोग मार्केट स्ट्रैटजी को बनाने ,मार्केट रिसर्च करने तथा trading में करते हैं। वहीं retail traders इसका अध्ययन करके प्राइस मूवमेंट के आधार पर ट्रेड प्लान करते हैं।
Tecnical analysis का उपयोग शेयर बाजार के अलावा अन्य security markets जैसे commodity market, forex market, crypto market इत्यादि में भी किया जाता है। जहां मार्केट की विभिन्न conditions को ध्यान में रखकर short term में ट्रेडिंग की जाती है ।
Technical analysis कैसे सीखें?
टेक्निकल एनालिसिस को सीखने से पहले इसे समझना जरूरी है की टेक्निकल एनालिसिस किन मापदंडों पर कार्य करता है । तथा इसके अध्ययन में किन किन चीजों को समझना जरूरी है । तथा इसके अलावा आपको मार्केट के basics पता होने चाहिए तथा यह भी की मार्केट किस तरह काम करता है । तो जानते हैं टेक्निकल analysis मे कौन कौन सी चीजें होती हैं।
चार्ट technical analysis का प्रमुख भाग होता है।चार्ट के बिना technical analysis का कोई अस्तित्व नहीं है। क्योंकि चार्ट में मार्केट का सारा विवरण उपस्थित होता है। मार्केट में आए उतार चढ़ाव को तथा प्राइस की चाल को चार्ट के द्वारा ही समझा जाता है तथा उसी के अनुसार मार्केट को pridict करने की कोशिश की जाती है। मार्केट में बहुत सारे चार्ट उपलब्ध है जिन्हें candlistick chart,bar chart,line chart,hekinashi chart इत्यादि के नाम से जाना जाता है।
Indicators tecnical analysis मे दिशा सूचक यंत्र (campus) की तरह कार्य करता है। जो मार्केट की दशा और दिशा को बताता है । Indicators की सहायता से किसी शेयर में प्राइस मूवमेंट में बदलाव की जो प्रक्रिया होती है उसी के आधार पर आगामी समय में अनुमान लगाता है कि शेयर का भाव किस तरफ जाएगा।
मार्केट में सैकड़ों तरह के इंडिकेटर हैं जो हमें टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? चार्ट के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हैं जिससे हम मार्केट की औसत चाल उसके ट्रेंड उसकी वॉल्यूम तथा अन्य चीजों के बारे में सीख सकते हैं तथा उसके आधार पर भविष्य में अनुमान लगा सकते हैं।
अगर आप टेक्निकल एनालिसिस कर रहे हैं तो आप को कैंडल्स का ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि इसी के आधार पर विभिन्न प्रकार के चार्ट पैटर्नों का निर्माण होता है। कैंडल्स का टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग जापान की देन है। इंटरनेट से पहले के समय में टेक्नोलॉजी इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए पहले कैंडल्स की जगह लाइन चार्ट का उपयोग किया जाता था। परंतु आज के समय में कैंडल्स ही चार्ट का आधार है।
कैंडल्स तीन प्रकार की होती है
bullish candle मार्केट में हुए प्राइस की बढ़ोतरी को दर्शाती है यह कैंडल मार्केट में तेजी को प्रदर्शित करती है। साधारणतः यह कैंडल ग्रीन कलर की होती है परंतु आप चार्ट सेटिंग में जाकर इसको modify कर सकते हैं।
यह कैंडल मार्केट में प्राइस movement मे आई गिरावट को दर्शाती है।तथा long term मे मार्केट में आई मंदी का प्रतीक है। इसको रेड कलर से प्रदर्शित किया जाता है ।
– न्यूट्रल कैंडल को उदासीन कैंडल के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह मार्केट में उदासीनता को दर्शाती है जिससे हम समझ सकते हैं कि मार्केट में किस प्रकार का प्राइस मूवमेंट है।
इसके अलावा भी मार्केट मे bullish, bearish ,neutral candle के भी बहुत से प्रकार हैं जिनका अध्ययन हम आने वाले आर्टिकल मे करेंगे।
Time frame बाजार में समय अवधि को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है। आप जितने समय का data देखना चाहते हैं यह आपको उतने समय का data दिखा देता है ।कैंडल्स तथा चार्ट patterns के बनने का आधार भी टाइम फ्रेम है । आप जितने समय के लिए प्राइस के उतार चढ़ाव को देखना चाहते है वह आप टाइम फ्रेम दर्ज़ करते ही देख सकते हैं। इसका उपयोग आप analysis करने से लेके trade करने तक कर सकते हैं।
मार्केट में 1 मिनिट से लेकर 1 month candle time frame तथा 1दिन से लेकर ytd (year to date) तक का टाइम फ्रेम देखने को मिल जाता है ।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
पिछले कई अध्यायों को पढ़ने के दौरान हमने कई बार टेक्निकल एनालिसिस का ज़िक्र किया। अब हम आगे इसकी विस्तृत जानकारी लेते हुए देखेंगे कि टेक्निकल एनालिसिस कितना बहुमुखी हो सकता है। हम टेक्निकल एनालिसिस का आधार बनने वाले प्राथमिक अनुमानों और धारणाओं को भी देखेंगे। चलिए, हमेशा की तरह, पहले टेक्निकल एनालिसिस पर ध्यान देते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
टेक्निकल एनालिसिस एक निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसमें मूल्य के संभावित भविष्य के रूझानों की भविष्यवाणी करने के लिए एसेट के पिछले मूल्य और रूझानों का अध्ययन करते हैं। यह ऐतिहासिक जानकारी का उपयोग करके आने वाले भविष्य का अनुमान लगाने की कोशिश करता है, ताकि ट्रेडर संभावित रूझानों का इस्तेमाल कर मुनाफ़ा कमा सकें।
जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक मूल्य रूझानों का विश्लेषण करके भविष्य की कीमत के रूझान का अनुमान लगाना है। यह दृष्टिकोण फंडामेंटल एनालिसिस से बहुत अलग है, जो हर दिशा से निवेश का मूल्यांकन करने और एक एसेट को प्रभावित करने वाले मात्रात्ममक और गुणात्मक कारकों का विश्लेषण करने पर केंद्रित है। वास्तव में यह अंतर ही शेयरों और दूसरे एसेट के टेक्निकल एनालिसिस को बहुमुखी बनाता है।
बहुमुखी प्रयोग
चलिए रोज़मर्रा की दो गतिविधियां लेते हैं जैसे, खाना बनाना और ड्राइविंग। अब खाना पकाने के लिए प्रत्येक व्यंजन की रेसिपी अलग है। आप एक ही रेसिपी से दो अलग अलग व्यंजन बनाकर, अलग अलग स्वाद की उम्मीद नहीं कर सकते। दूसरे शब्दों में, हर बार जब आप नया व्यंजन बनाते हैं तो आपको अलग सामग्री का उपयोग करने और इसके लिए अलग विधि का पालन करने की आवश्यकता होती है।
फंडामेंटल एनालिसिस कुछ ऐसा ही है। जैसे, हर एसेट के फंडामेंटल पूरी तरह से अलग होते हैं, इसलिए उन मूल सिद्धांतों के विश्लेषण की प्रक्रिया भी हर निवेश विकल्प के लिए बदलती है। उदाहरण के तौर पर, हमने पहले के एक मॉड्यूल में देखा कि इक्विटी शेयरों का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए आपको उद्योग का मूल्यांकन करने, कंपनी का आकलन करने और फिर उसके फाइनेंशियल्स का विश्लेषण करने के बाद शेयर के मूल्य पर पहुँचना होता है। अब अगर आप एक अलग एसेट, जैसे कृषि उत्पाद का फंडामेंटल एनालिसिस कर रहे हैं, तो ये दृष्टिकोण उस पर काम नहीं करेगा।
ऐसी स्थिति में आपको अलग पहलुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी, जैसे मौसम का पैटर्न, फसल चक्र, उसकी मांग और आपूर्ति। अब एक गैर-कृषि उत्पाद के फंडामेंटल, फसल के लिए अध्ययन किए गए फंडामेंटल से अलग होंगे।
लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में यह बहुत आसान है। विश्लेषण की केंद्रीय धारणा एक ही रहती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के एसेट का मूल्यांकन कर रहे हैं। यह काफी हद तक बाइक चलाने जैसा है। एक बार जब आप एक तरह की टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? बाइक चलाना सीख जाते हैं तो आप व्यावहारिक रूप से किसी भी बाइक की सवारी कर सकते हैं। इसमें कुछ छोटे-मोटे बदलाव हो सकते हैं, लेकिन तकनीक बहुत हद तक समान ही रहते हैं। है ना?
इसी तरह टेक्निकल एनालिसिस, जिसे आप जब एक बार सीख लेते हैं, तो इसे किसी भी प्रकार के एसेट पर आसानी से लागू किया जा सकता है। सभी एसेट के लिए डाटा का वर्ग काफी हद तक समान ही रहता है, हाई प्राइस पॉइंट, लो प्राइस पॉइंट व्यापार किए गए एसेट की मात्रा आदि। यही कारण है कि टेक्निकल एनालिसिस एक बहुमुखी निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसे विभिन्न प्रकार के एसेट्स पर लागू किया जा सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस की मूल धारणाएँ
अब आप जानते हैं कि जब विश्लेषण के मैट्रिक्स की बात आती है, तो टेक्निकल एनालिसिस टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? बहुत सीधा और सरल है। यह तकनीक केवल पिछले मूल्य और एसेट के व्यापार की मात्रा पर केंद्रित है और इस जानकारी के सहारे भविष्य के रूझानों का अनुमान लगाया जाता है।
इसलिए पिछले डाटा और संभावित भविष्य रूझानों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए कुछ धारणाओं या अनुमानों की आवश्यकता होती है। यहां टेक्निकल एनालिसिस की तीन मुख्य धारणाएं हैं:
बाज़ार सब जानता है
कुशल बाज़ार परिकल्पना याद है? जो मानती है कि बाज़ार हर तरह की जानकारी का हिसाब लगाकर उसके प्रभाव को शेयरों की कीमत में शामिल कर लेता है, चाहे वो जानकारी सार्वजनिक हो या निजी या ऐतिहासिक। शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस भी कुछ इसी लाइन पर काम करता है। यह तकनीक इस धारणा पर आधारित है कि कोई भी जानकारी जो किसी एसेट के लिए अहम है वह पहले से ही उस एसेटकी कीमत में शामिल है। दूसरे शब्दों में, बाज़ार पहले से ही सभी उपलब्ध और अफ़वाह जैसी जानकारियों को एसेट की कीमत में शामिल कर लेता है।
तकनीकी विश्लेषक ये अध्ययन करते हैं कि इस सारी जानकारी के संबंध में शेयर की कीमत में किस तरह की प्रतिक्रिया होगी। और एसेट की कीमत के रूझानों के आधार पर विश्लेषक यह निर्धारित करते हैं कि वह एसेट खरीदने के लिए ठीक है या नहीं।
कीमतें रूझानों पर चलती हैं
टेक्निकल एनालिसिस के संबंध में हम जिन मूल्य रूझानों की बात करते रहते हैं वो कोई अनियमित रूझान नहीं है, कम से कम टेक्निकल एनालिसिस तो यही मानता है। इसके अनुसार, मूल्य परिवर्तन हमेशा एक निर्धारित रुझान पर या एक सेट पैटर्न पर चलता है, चाहे वो बुलिश/ तेज़ी(ऊपर की ओर) का हो या बेयरिश/ मंदी (नीचे की ओर )का। ऐसे पैटर्न को समय के साथ पहचाना जा सकता है। एक बार कीमत के रुझान स्थापित हो जाएं, तो शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस यह मानता है कि एसेट उसी दिशा में चलता रहेगा, जब तक कि कोई नया रुझान नहीं आ जाता।
ये ट्रेंड या रुझान, प्रकृति के आधार पर छोटी, मीडियम या लंबी अवधि के हो सकते हैं। अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको छोटी-अवधि के ट्रेंड चार्ट को देखने की आवश्यकता होगी जो प्रति घंटा या मिनट-दर-मिनट के रूझानों को प्लॉट करता है। दूसरी ओर, अगर आप एक लॉन्ग टर्म ट्रेडर हैं तो आपके लिए साप्ताहिक या मासिक चार्ट अधिक उपयोगी साबित होगा।
इतिहास खुद को दोहराता है
यह शायद टेक्निकल एनालिसिस की सबसे मौलिक धारणा है। यह तकनीक मानती है कि मूल्य रुझान समय के साथ खुद को दोहराते है, क्योंकि मानव व्यवहार का एक निर्धारित तौर पर ही काम करता है। उदाहरण के तौर पर, जब बाज़ार में तेज़ी होती है और शेयर की कीमतें बढ़ रही होती हैं , तब भी ट्रेडर ऊँची कीमतों के बावजूद खरीदारी करते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि मूल्य आगे भी बढ़ते रहेंगे, और वो अभी शेयर खरीदकर उस बढ़ोतरी का फायदा उठा सकते हैं। इसी तरह मंदी के बाज़ार में लोग गिरती कीमतों के बावजूद अपने एसेट्स बेचते हैं।
क्योंकि हर बार मानव व्यवहार इसी तरह काम करता है, इसलिए मूल्यों के रुझान भी हमेशा समान ही रहते हैं। और इस धारणा के आधार पर टेक्निकल एनालिसिस अतीत की कीमतों के पैटर्न का अध्ययन करता है ताकि, यह अनुमान लगाया जा सके कि भविष्य के रुझान किस तरह काम करेंगे।
निष्कर्ष
इन प्राइस पैटर्न का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस विभिन्न प्रकार के चार्ट का उपयोग करता है। अगर आप चार्ट के प्रकारों के बारे में और कैंडलस्टिक्स- जो टेक्निकल एनालिसिस में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला चार्ट है, के बारे में अधिक अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं तो हमने इन सभी को अगले अध्याय में शामिल किया है।
Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत
Fundamental vs Technical Analysis: स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए.
फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)
Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.
कुछ निवेशक किसी एक एनालिसिस के सहारे शेयरों का चयन करते हैं लेकिन एनालिस्ट्स का मानना है कि टेक्निकल एनालिसिस करते समय भी कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय कुछ टेक्निकल भी देखना चाहिए. इसके अलावा स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों एनालिसिस क्या है और दोनों में क्या फर्क है.
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Fundamental Analysis
इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.
Technical Analysis
टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.
Fundamental vs Technical Analysis
फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.
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टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं?
- समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
- रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
- ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
- वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.
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कैसे पकड़ें शेयर बाजार की नब्ज व जानिए टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ
दरअसल अनिश्चितता से भरे शेयर ट्रेडिंग में भावों के उतार-चढ़ाव को समझना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। जो ट्रेडर यह समझते हैं कि मुनाफा कमाना बड़ा लक्ष्य है, वे अक्सर घाटा खाते हैं, जबकि भावों की भाषा को पढ़ने वाले कुल मिलाकर फायदे में रहते हैं, क्योंकि किसी भी शेयर के भावों में ही छिपा रहता है उसका भूत, वर्तमान और भविष्य, बस इसे पढ़ने के लिए सधी और पैनी नजर चाहिए। अब सवाल है कि भावों की भाषा पढ़ी कैसे जाए। इसका एक प्रमुख माध्यम है टेक्निकल एनालिसिस।
टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ है किसी स्टॉक के मार्केट डाटा का सूक्ष्म अध्ययन करके उसकी संभावित कीमत का अनुमान लगाना। इसमें मुख्य रूप से दो बातों पर गौर किया जाता है। भाव और ट्रेडिंग की मात्रा यानी वॉल्यूम। सरल शब्दों में कहा जाए तो टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी स्टॉक की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया। इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यदि किसी स्टॉक में औसतन रोजाना एक लाख शेयर ट्रेड होते हैं और अगर किसी एक दिन अचानक इनकी तादाद बढ़कर एक लाख 70 हजार हो जाए तो इसका मतलब है कि जरूर उस स्टॉक में कोई हलचल मची है।
टेक्निकल से अलग फंडामेंटल: आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस से अलग है। फंडामेंटल एनालिसिस में जहां हम लंबे निवेश के नजरिए से कंपनी के अतीत और वर्तमान को कसौटी पर कसने की कोशिश करते हैं, वहीं टेक्निकल एनालिसिस मूल रूप से भावों की तात्कालिक गणना पर आधारित पद्धति है। इसका उद्देश्य ट्रेडर की मदद करना होता है। फिर चाहे वह ट्रेडर इंट्रा डे हो या फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडर। फंडामेंटल एनालिसिस में हम कंपनी की आय, उसके द्वारा दिए गए लाभांश और शोध जैसी बातों को अपने अध्ययन का आधार बना सकते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस में इनमें से कुछ संकेतकों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसमें मुख्य रूप से कुछ विशेष टूल्स और तकनीक का इस्तेमाल किया जता है। इन विशेष साधनों में एक है चार्ट का अध्ययन। चाटरें के जरिए टेक्निकल एनालिसिस करने वाला ट्रेडर दो अहम चीजों पर ध्यान देता है- पहला प्राइस मूवमेंट और दूसरा शेयर का ट्रेंड। अगर कोई शेयर आपके द्वारा निर्धारित कीमत से दो फीसदी गिर भी जाता है तो मुमकिन है कि वह अपट्रेंड हो। यानी उसमें मुनाफा वसूली या किसी और वजह से थोड़े वक्त के लिए करेक्शन आया हो लेकिन वह जल्द ही फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। टेक्निकल एनालिसिस के जरिए हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस सीमा के बाद कोई शेयर अपनी दिशा बदल सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस को समझने व ट्रेड के लिए चार्ट पैटर्न की मदद कैसे ली जाती है: टेक्निकल एनालिसिस में काम आने वाले चार्ट पैटर्न भी कई तरह के होते हैं। जैसे- हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप या बॉटम वगैरह। इसके अलावा जो चीज टेक्निकल एनालिसिस में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, वह है मूविंग एवरेज। मूविंग एवरेज पर अलग से चर्चा करेंगे, फिलहाल हम आपको उसका एक परिचय देते चलें। मूविंग एवरेज का अर्थ है कि कोई शेयर किसी खास अवधि में किस औसत भाव टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? के साथ मूव कर रहा था। इसका आकलन लगाने में हम कुछ और तकनीकी बिंदुओं पर गौर कर करते हैं, जैसे, सपोर्ट और रेजिस्टेंस।
आगे की पोस्टो में हम टेक्निकल एनालिसिस के एक एक पहलू पर विस्तार से गौर करेंगे। हम इसके जरिए शेयर के भावों का अर्थशास्त्र समझने की कोशिश करेंगे। लेकिन ये याद रखिए कि एक सफल ट्रेडर के लिए टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना जरूरी है तो फंडामेंटल एनालिसिस की समझ भी आवश्यक है। शेयर बाजार में कीमतें किसी एक सिद्धांत के आधार पर तय नहीं टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं? होती हैं। यहां सबसे बड़ा नियम है अनिश्चितता का। इसलिए आप बाजार के विश्लेषण की जितनी ज्यादा विधाओं को समझेंगे, आपका एप्रोच और एक्शन उतना ही सटीक होगा।
शेयर ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडर को नुकसान क्यों होता है? सीधा जवाब है- वह एंट्री और एक्जिट के सही भाव का अनुमान लगाने में विफल रहा। अगर सही प्राइस प्वाइंट मिल गया तो फिर समझिए कि मंजिल आधी फतह हो गई।
Stock Market Trading Tips: स्टॉक ट्रेडिंग से चाहिए मुनाफा तो टेक्निकल एनालिसिस पर करें गौर, चुन सकेंगे सही शेयर
नई दिल्ली, समीत चव्हाण। शेयर बाजार के निवेशक निवेश करते समय आने वाली दिक्कतों को समझते हैं, खासकर जब अस्थिरताओं पर आवश्यक जानकारी नहीं मिल पाती। बाजार में उतार-चढ़ाव के समय अनिश्चितता और बढ़ जाती है, तब निवेशक मूल्य में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी नहीं कर पाते। औसत निवेशक आमतौर पर अपने निवेश/पोर्टफोलियो मैनेजर की सलाह पर या विशेषज्ञों की भविष्यवाणियों पर दांव लगाते हैं। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से निवेशक स्टॉक चार्ट को देखकर इनसाइट्स प्राप्त कर पाते हैं और उन्हें स्टॉक में निवेश से जुड़े कैलकुलेशंस और जोखिम की जानकारी देते हैं जिससे वे हायर रिटर्न्स प्राप्त कर पाते हैं।
एक निश्चित अंतराल में शेयरों की कीमत और वॉल्यूम वैरिएशंस का अध्ययन करते हुए भविष्य के लिए कीमत का पूर्वानुमान आसान हो जाता है। टेक्निकल एनालिसिस 100 प्रतिशत सटीकता के साथ परिणाम प्रदान नहीं करता, यह सच है लेकिन जब बाजार में सुस्ती छाई हो तो सही विकल्प चुनने में यह मूल्यवान मददगार होता है। निवेश करते समय लोगों को टेक्निकल एनालिसिस के निम्नलिखित फीचर्स को समझना आवश्यक है।
शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग
शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स टेक्निकल एनालिसिस का इस्तेमाल करते हैं और उनके लिए यह एक भरोसेमंद टूल है जो उन्हें स्टॉक के मौजूदा ट्रैजेक्टरी का अंदाज लगाने में मदद करता है। चूंकि, यह अपेक्षाकृत सीमित समयसीमा में शेयरों को खरीदने, बेचने या रखने के लिए एक रिस्की तरीका हो सकता है, पैटर्न और ट्रेंड्स का अध्ययन करने के लिए किसी विधि या कुछ टूल्स पर निर्भरता जोखिम को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती है। इसके अलावा ट्रेडर्स इसका इस्तेमाल अनिश्चित निवेशकों को बाहर निकालने के लिए एक टूल के रूप में करते हैं। यह प्रॉमिसिंग स्टॉक्स पहचानने और सुविधाजनक निर्णय लेने का लाभ प्रदान करता है।
एंट्री और एक्जिट पॉइंट्स
स्टॉक चार्ट का एनालिसिस करके निवेशक शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए अपने एंट्री और एक्जिट पॉइंट्स का समय निर्धारित कर पाते हैं। यह डिमांड और सप्लाई को समझने के साथ ही ट्रेंड्स को तोड़ने और अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करने का समय तय करने में मदद करता है। स्टॉक के बारे में बहुत सारी जानकारी अक्सर लोगों को भ्रमित करती है और उनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है, ऐसे में टेक्निकल एनालिसिस महत्वपूर्ण इंडिकेटर्स को सरल बनाता है, निवेशकों के लिए ट्रेडिंग को सुव्यवस्थित करता है।
कीमत के पैटर्न्स का एनालिसिस
स्टॉक ट्रेडिंग में बुद्धिमानी से भरे निर्णय लेने के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक होने के नाते टेक्निकल एनालिसिस से प्राइस पैटर्न का एनालिसिस निवेशकों को बेस्ट प्राइस पर खरीदने या बेचने में काफी मदद कर सकता है। इससे उन्हें मूवमेंट और ओवर-वैल्यूएशन से बचने की अनुमति मिलती है क्योंकि बदलते मूल्यों की भविष्यवाणी आसान हो जाती है। वे संभावित टारगेट तय करने में भी उपयोगी हो सकते हैं, वहीं शुरुआती ट्रेंड रिवर्सल भी पहचाना जा सकता है। जैसे पैटर्न खुद को दोहराते हैं, निवेशकों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। रोजमर्रा के कामों में टेक्निकल एनालिसिस लागू नहीं होते।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल
इस परिदृश्य में लंबी अवधि तक शेयरों की कीमत में एक सीमा में उतार-चढ़ाव दिखता है, जिससे स्टॉक की बिक्री और खरीद पर भविष्यवाणी करना और कॉल लेना मुश्किल हो जाता है। टेक्निकल एनालिसिस की सहायता से स्टॉक चार्ट के भीतर सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों की पहचान करने से निवेशक को खरीदने या बेचने के बारे में निर्णय लेने के लिए प्रासंगिक विकल्प मिल सकते हैं। यदि कोई विशेष स्टॉक सपोर्ट और रेजिस्टेंस सीमा को पार करता है, तो यह ट्रेडिंग करने योग्य होता है जो उसके अच्छे स्वास्थ्य और मांग को दर्शाता है।
ट्रेंड्स का एनालिसिस
चाहे वह टेक्निकल एनालिसिस टूल के इस्तेमाल की बात हो या न हो, शेयर बाजारों के मौजूदा ट्रेंड्स को समझना किसी भी निवेशक के लिए सिस्टम में प्रवेश करने से पहले की एक बुनियादी आवश्यकता है। व्यावहारिक निर्णय लेने के लिए वर्तमान और व्यापक डिग्री में बाजार के ट्रेंड्स को समझना आवश्यक है। टेक्निकल एनालिसिस किसी स्टॉक के ऐतिहासिक, वर्तमान, समग्र प्रदर्शन और स्वास्थ्य को सामने लाता है। फिर चाहे वह अपट्रेंड्स, डाउनट्रेंड्स या हॉरिजोन्टल ट्रेंड्स में रहें, निवेशक उसकी खरीद-बिक्री का फैसला बेहतर तरीके से ले सकेंगे।
मूल्य और वॉल्यूम एनालिसिस का कॉम्बिनेशन
अंत में, एक कॉम्बिनेशन के रूप में प्राइस मूवमेंट और वॉल्यूम का एनालिसिस अक्सर निवेशकों को किसी भी चाल की वास्तविकता का पता लगाने में मदद करता है। डिमांड और सप्लाई साइकिल दोनों पहलुओं में बदलाव को प्रभावित करती है। टेक्निकल एनालिसिस ट्रेड के वॉल्यूम के इतिहास के अवलोकन की अनुमति देता है। इससे स्टॉक्स के ट्रेंड्स को समझने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, जब स्टॉक का मूल्य बढ़ता है और परिणामी रूप से वॉल्यूम भी बढ़ता तो यह एक पॉजिटिव ट्रेंड की पहचान होती है। यदि ट्रेड का वॉल्यूम में मामूली वृद्धि है, तो इसे रिवर्स ट्रेंड के रूप में पहचाना जाता है। इस वजह से दो पहलुओं की कम्बाइंड स्टडी निवेशकों को पैटर्न बेहतर ढंग से समझने की अनुमति देता है।
इस वजह से, सही रणनीति के साथ निवेश करने के लिए, स्टॉक चार्ट्स के ओवरऑल असेसमेंट और उस समय के अनुसार ट्रेडिंग विकल्पों की उपलब्धता के लिए टेक्निकल एनालिसिस टूल फायदेमंद हो सकते हैं।
(लेखक एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के टेक्निकल एंड डेरिवेटिव्स के चीफ एनालिस्ट हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)