कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना

E-Commerce Ke Labh AVN Seema Kya Hai
ई - कॉमर्स के उपयोग ने स्थान की सीमाओं को मिटा दिया है । स्थानीय व्यवसाय सिर्फ उन्हीं उपभोक्ताओं के साथ अपना व्यापार और व्यवसाय कर पाते हैं जो व्यक्तिगत तौर पर उनके दुकान या स्टोर पर आएं ई - कॉमर्स में यह भौगोलिक सीमा व्यापार को प्रभावित नहीं करती ।
2. कीमत में कमी ई -
कॉमर्स मैं सामान के परिवहन , गोदाम me सुरक्षा सभी में काफी कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना कमी होती है । अप्रत्यक्ष रूप से व्यापारी को लाभ अधिक होता है , अतः वस्तुएं कम दाम में उपलब्ध कराई जा सकती हैं ।
3. हर समय उपलब्धता -
दुकान या स्टोर एक निर्धारित समय सीमा में ही खोले जा सकते हैं
4. आसान पहुंच -
व्यक्तिगत तौर पर बाजार करने में व्यक्ति / पर व्यापार से अपने स्थान से ही कई वेबसाइट देखकर ग्राहक आवश्यक मनपसंद वस्तु चुन सकता है । उनकी कीमतों में तुलना कर अपने लिए मंगवा सकता है ।
5. बिक्री में बढ़ोतरी -
ई - कॉमर्स के उपयोग में कहीं भी कभी भी वस्तुएं देखी जा सकती हैं , ऑर्डर की जा सकती हैं । आवश्यक वस्तुएं सीधे आपको आप के स्थान पर ही मिल जाती हैं ।
6. सुविधाएं -
ई - कॉमर्स ग्राहकों को कई अन्य सुविधाएं भी देता है । यह सुविधाएं आर्डर करने के साथ ही मिलना प्रारंभ हो जाती हैं । ऑर्डर की स्थिति वह कब आप तक पहुंचेगा , समय , पता सब कुछ देख सकते हैं । कई माध्यमों से भुगतान कर सकते हैं । इसके अलावा वस्तु पसंद ना आने की स्थिति में वापस भी कर सकते हैं या बदल सकते हैं । यह सभी सुविधाएं ग्राहकों को बहुत आकर्षित करती हैं ।
7. बेहतर संपर्क -
ई - कॉमर्स में व्यापारी और ग्राहक के बीच सीधे संपर्क बनाता है । किसी भी मध्यस्थ के ना होने से व्यापारी और ग्राहक के बीज तेज , कुशल और भरोसेमंद संचार और संपर्क होता है ।
ई - कॉमर्स की सीमाएं -
1. सीमित ग्राहक सेवा -
यदि आप दुकान या स्टोर से खरीदारी करते हैं और उत्पाद के बारे में कोई जानकारी चाहते हैं , तो वहां उपलब्ध दुकानदार से यह जानकारी ले सकते हैं कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना ।
2. उत्पाद को स्पर्श न कर पाना -
उदाहरण के तौर पर जब आप कोई स्पीकर खरीदने जाते हैं तो उसे स्टोर पर बजाकर कई अन्य स्पीकर से उसके साउंड की तुलना कर सकते हैं । यह ई - कॉमर्स प्लेटफार्म पर संभव नहीं होता वहां उत्पाद का परिचय लिखा होता है उसके आधार पर ही उत्पाद का चुनाव करना होता है ।
3. सुरक्षा -
ई - कॉमर्स की एक चुनौती व्यापार की सुरक्षा भी है , कई बार वेबसाइट हैकर नकली वेबसाइट या अन्य फ्रॉड माध्यमों द्वारा ग्राहकों की जानकारी उनकी क्रेडिट , डेबिट कार्ड की जानकारी या अन्य तरह का नुकसान भी कर सकते हैं । हालांकि इंटरनेट पर सुरक्षा की बहुत उन्नत तकनीकों का उपयोग हो रहा है और सुरक्षा की इन तकनीकों में तेजी से परिवर्तन भी हो रहे हैं ।
4. अन्य -
कई बार ऑर्डर की पूर्ति के समय कुछ गड़बड़ी की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता
Posted by: Jeet Kushwah
Hello dosto Mera name Jeet kushwah हैं "ishq walaa "यह मेरी ब्लॉग हैं जिसमे आपको HELTH, BUSINESS, LIFESTYLE, STORYS, READING, POLTICS, JOB'S, SKIN-DERMATOLOGY, से जुड़ी जानकारी दी जाएगी
ई कॉमर्स उद्योग में व्याप्त विभिन्न खतरे क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का नुकसान इस तरह के कारोबार जल्दी खराब हो या उच्च लागत रहे हैं, या जो खरीदने से पहले निरीक्षण की आवश्यकता होती है, जो वस्तुओं की बिक्री में शामिल किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य आज के नुकसान की सबसे बहरहाल, नयापन से स्टेम और तेजी से अंतर्निहित प्रौद्योगिकियों की गति का विकास।
3 What is B2C & ob2b B2C और ob2b क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में, B2B ‘बिजनेस-टू-बिजनेस’ शब्द का एक सामान्य संक्षिप्त नाम है। यह तब होता है जब कंपनियां एक दूसरे को बेचती हैं, बजाय एक व्यवसाय को बेचने के लिएdiviदोहरे उपभोक्ता। परंपरागत रूप से, थोक-शैली के लेनदेन B2B होने की संभावना है, जबकि B2C (उपभोक्ता से व्यवसाय) एक खुदरा-शैली व्यापार मॉडल की नकल करते हैं।
B2C का क्या मतलब है?
इसे सुनेंरोकेंB2C कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना का क्या मतलब है? बिजनेस-टू-कंज्यूमर (बी 2 सी) या बिजनेस-टू-कस्टमर, उत्पादों और सेवाओं के साथ अंतिम उपभोक्ताओं की सेवा करने वाले व्यवसायों की गतिविधियों का वर्णन करता है।
बी2बी और बी2सी क्या है?
इसे सुनेंरोकेंबी 2 बी और बी 2 सी के बीच महत्वपूर्ण अंतर बी 2 बी एक बिजनेस मॉडल है, जहां कंपनियों के बीच बिजनेस किया जाता है। बी 2 सी एक अन्य व्यावसायिक मॉडल है, जहां एक कंपनी सीधे अंतिम उपभोक्ता को सामान बेचती है। बी 2 बी में, ग्राहक व्यवसायिक संस्थाएं हैं जबकि बी 2 सी में, ग्राहक एक उपभोक्ता है।
ई कॉमर्स के विकास पर चर्चा करें ई कॉमर्स के फायदे और नुकसान क्या हैं?
ई-कॉमर्स के फायदे और नुकसान
- ऑनलाइन कैटलॉग के साथ वेबसाइटों पर वर्चुअल शोकेस का विवरण प्रदान करें।
- प्रतियोगिताओं (कूपन और ऑफ़र) के कारण कीमतों में कमी।
- 24 घंटे पहुंच और सुविधा।
- उत्पाद की खरीद या बिक्री के लिए वैश्विक बाजार।
- सुरक्षित व्यापार लेनदेन प्रदान करें
- अन्य प्रीमियम ब्रांडों के साथ कीमतों की तुलना करना आसान है
ई कॉमर्स के विकास की विवेचना कीजिए ई कॉमर्स के फायदे एवं नुकसान क्या है?
इसे सुनेंरोकेंईकॉमर्स के लाभ सभी उत्पाद इंटरनेट के माध्यम से आसानी से सुलभ हैं; आपको बस एक खोज इंजन का उपयोग करके उन्हें खोजना है। दूसरे शब्दों में, उत्पादों या सेवाओं को खरीदने के लिए घर छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। समय की बचत। ईकॉमर्स का यह भी फायदा है कि ग्राहक गलियारों के बीच या तीसरी मंजिल तक जाने में समय बर्बाद नहीं करते हैं।
ई कॉमर्स प्लेटफार्म क्या है?
इसे सुनेंरोकेंE-commerce, जिसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स भी कहते है, इंटरनेट तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से उत्पाद, और सेवाएं खरिदना-बेचना तथा ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करना एवं डेटा शेयर करने की प्रक्रिया है. ई-कॉमर्स में फिजिकल प्रोडक्ट्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक ग़ुड्स तथा सेवाओं का व्यापार भी होता है.कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना
डिजिटल उत्पाद B2C ई कॉमर्स के लिए सबसे उपयुक्त क्यों हैं?
इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय से ग्राहक (B2C) व्यवसाय-से-ग्राहक मॉडल व्यवसाय और अंतिम उपभोक्ताओं के बीच लेन-देन से संबंधित है। इस मॉडल में मुख्य रूप से रिटेल ईकामर्स ट्रेड शामिल है। भौतिक दुकानों का उन्मूलन इस मॉडल के लिए सबसे बड़ा औचित्य है।
ई कॉमर्स क्या है उचित उदाहरण देते हुए b2b2c और c2b2c मॉडल पर चर्चा करें?
इसे सुनेंरोकेंconsumer to business ई-कॉमर्स एक ऐसा e-commerce है जिसमें consumer जो है वह business organisation को प्रोडक्ट या सर्विस प्रदान करते है. यह B2C model का एकदम उल्टा model है. C2B में, कस्टमर अपने प्रोडक्ट या सर्विस को कम्पनी को बेचता है.
ई कॉमर्स के क्या लाभ है?
- पसंद के वस्तुओं के चयन में सुविधा
- उत्पादों की विशेषताओं और मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन में सरलता होना
- वस्तुओं की खोजबीन हेतु बार-बार बाजार आने-जाने में लगने वाले समय की बचत
- बाजारों की समय सीमा और भौगोलिक सीमाओं का विस्तार
- किसी भी समय खरीदारी करने की सुविधा
- डिजिटल भुगतान की सुविधा
पारंपरिक वाणिज्य और ई कॉमर्स के क्या फायदे हैं?
इसे सुनेंरोकेंपारंपरिक वाणिज्य में, लेनदेन को मैन्युअल रूप से संसाधित किया जाता है, जबकि ई-कॉमर्स के मामले में, लेनदेन का स्वचालित प्रसंस्करण होता है। पारंपरिक वाणिज्य में, पैसे के लिए वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान हो सकता है, केवल काम के घंटों के दौरान। दूसरी ओर, ई-कॉमर्स में, सामान की खरीद और बिक्री कभी भी हो सकती है।
ई कॉमर्स किसे कहते हैं ई कॉमर्स के बिजनेस मॉडल क्या है?
इसे सुनेंरोकेंईकामर्स से तात्पर्य ऑनलाइन सामान खरीदने और बेचने से है। यह कच्चे माल की खरीद से लेकर तैयार उत्पाद को ग्राहकों तक पहुंचाने और रिटर्न को संभालने तक सही है। ईकामर्स बहुत तेज गति से बढ़ रहा है। खरीदना और खरीदना किसी एक देश तक सीमित नहीं है।
देश के रिटेल, MSME और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्या हैं ई-कॉमर्स की सफलता के मायने?
IIFT की रिसर्च रिपोर्ट में यह पता चला है कि ई-कॉमर्स सेक्टर के फले-फूले बगैर देश में रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का औसत विकास कम ही रह जाता. ई-कॉमर्स सेक्टर से रिटेल और मैन्युफैक्चिरंग सेक्टर को काफी मदद मिली है. लेकिन इसके बावजूद रिटेल MSME को उतना फायदा नहीं मिला, जितनी उम्मीद थी.
ई-कॉमर्स मेजर्स, SSI रिटेलर्स एंड द इंडियन इकनॉमी पर आधारित रिसर्च को 14 नवंबर, 2022 को जारी करने के मौके पर, अनुराग जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना मंत्रालय, भारत सरकार) ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस प्रकार टेक्नोलॉजी ने अर्थव्यवस्था को दक्ष बनाने तथा ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को आगे बढ़ने में मदद दी है.
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME के महत्व के बारे में बोलते हुए हितधारक-उन्मुख नीतिगत हस्तक्षेपों के जरिए सरकार द्वारा संतुलन बनाए रखने की भूमिका पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यूनीफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस (ULI) और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) मिलकर, ओपन नेटवर्क के जरिए ई-कॉमर्स में व्यापक रूप से बदलाव लाने के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफार्मों को भी बढ़ावा दे सकते हैं.
इस मौके पर, दर्पण कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना जैन ने कहा कि आने वाले समय में, ऑनलाइन रिटेल और अधिक बढ़ेगा तथा ऑफलाइन कारोबारों की तुलना में इसके विकास की दर भी ज्यादा होगी, जिसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि अधिक निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी अड़चनें, और अनुपालन की भारी जिम्मेदारी. उन्होंने बताया कि उन्होंने जीवीसी इंटीग्रेशन में डिजिटाइज़ेशन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और इस रिपोर्ट में भी काफी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई है.
दोनों मुख्य अतिथियों ने कहा कि यह अध्ययन ऐसे में सही दिशा में बढ़ाया गया कदम है जबकि सरकार एक राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति तैयार करने की प्रक्रिया से गुजर रही है. आज के डिजिटाइज़्ड दौर में, ई-कॉर्म्स को जिस प्रकार महत्व दिया जा रहा है, उसके परिप्रेक्ष्य में अधिक प्रोडक्ट-विशिष्ट अध्ययनों को कराए जाने की जरूरत है, तथा देश में रोज़गार, जीडीपी सृजन, निर्यात और MSME के प्रदर्शन के बारे में इस चैनल के महत्व का विश्लेषण भी जरूरी है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड द्वारा 14 नवंबर 2022 को "ई-कॉमर्स मेजर्स, एसएसआई रिटेलर्स एंड द इंडियन इकनॉमी – थ्योरी एंड एम्पायरिक्स" पर रिपोर्ट जारी करने के साथ-साथ हितधारकों के साथ परामर्श सत्र का भी आयोजन किया.
IIFT के वाइस चांसलर प्रोफे. मनोज पंत ने डिजिटाइज़ेशन के मौजूदा दौर तथा एमएसएमई द्वारा ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों के परिप्रेक्ष्य में इस अध्ययन के महत्व के विषय में अपने विचार रखे. इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि इस ऑनलाइन चैनल का भारत के रिटेल एवं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, हालांकि देश के रिटेल एमएसएमई को इससे खास लाभ नहीं मिला है, जिसका कारण (अन्य के अलावा) यह हो सकता है कि इनमें से कइयों की पहुंच समुचित डिजिटाइज़ेशन तक नहीं है, और इस मोर्चे पर नीतिगत सहायता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में ग्राहकों के परिप्रेक्ष्य को समुचित रूप से प्रतिनिधित्व मिला है (जबकि आमतौर से इस प्रकार के मूल्यांकनों में यह पक्ष उपेक्षित रहता है), हालांकि इस संबंध में डेटा की उपलब्धता काफी सीमित है.
IIFT द्वारा कराया गया यह अध्ययन भारतीय व्यापार संघों द्वारा ई-कॉमर्स दिग्गजों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों के कारणों का मूल्यांकन करने की दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम है. सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध डेटाबेस की मदद से, लेखकों ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग तथा रिटेल सेक्टर्स की बिक्री तथ प्रदर्शन के आईने में, लगातार बढ़ रहे ऑनलाइन कॉमर्स के प्रभाव का विश्लेषण किया. फिलहाल इस बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है कि वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिए इस नए चैनल से ग्राहकों को किस प्रकार लाभ पहुंचा है और न ही प्रोडक्शन के साइड-इफेक्ट्स के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है.
यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था की 12 अन्य कंपनियों द्वारा उठाए गए मसलों पर गहराई से विचार-मंथन करने के साथ-साथ देश के ई-कॉमर्स विनियामक फ्रेमवर्क का तुलनात्मक अध्ययन करती है. इस अध्ययन से एक और बात जो सामने आयी है वह यह कि ई-कॉमर्स सिर्फ एक चैनल है, डिजिटलाइज़ेशन वह टूल है जिसकी मदद से इस चैनल पर ऑपरेशन मुमकिन होता है – और यही वह पहलू है जिसमें देश के कई एमएसएमई पिछड़े हुए हैं, और उन्हें डिजिटल वैश्विकरण के नए दौर में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए सहायता की आवश्यकता है.
इस आयोजन में मुख्य अतिथियों के रूप में अनुराग जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार), और दर्पण जैन, सचिव, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) उपस्थित थे. लॉन्च के बाद, हितधारकों के बीच परामर्श सत्र का आयोजन किया गया जिसमें कम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज़, ICRIER, इंडिया एसएमई फोरम, MOCI, FISME के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स में फेक रिव्यू के झांसे से बचाने के लिए बनाए नए नियम
ई-कॉमर्स प्लेटफार्म में धोखाधड़ी करने वालों पर शिकंजा कसेगी यूपी सरकार
ऑनलाइन सामान खरीदने वाले उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना भी UP सरकार तैयारी कर रही है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर होने वाली धोखाधड़ी या किसी भी गड़बड़ी के निवारण के लिए प्रदेश सरकार एक तंत्र तैयार कर रहा है।
ऑनलाइन सामान खरीदने वाले उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए भी यूपी सरकार तैयारी कर रही है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर होने वाली धोखाधड़ी या किसी भी गड़बड़ी के निवारण के लिए प्रदेश सरकार एक तंत्र तैयार कर रहा है जो अगले एक से डेढ़ महीने में लागू हो जाएगा। यह जानकारी प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण, बाट व माप मंत्री आशीष पटेल ने दी है।
सरकार के 100 दिन पूरा होने पर आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि यूपी में ई-कॉमर्स का 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बड़ा बाजार है। घटतौली या मिलावट पर मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद 9511 पेट्रोल पंपों में से 2632 पेट्रोल पंपों की जांच में अनियमितता पाई गई जिसमें से 43 पंपों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। प्रदेश के 1,44,236 व्यापारियों का निरीक्षण किया गया और अनियमितता पाए जाने पर 9939 व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। इनमें से 5835 व्यापारियों से 3.17 करोड रुपए शमन शुल्क वसूला गया। उन्होंने बताया कि हर दो महीने के आखिरी शनिवार को उपभोक्ता अदालतों का आयोजन होगा। 30 जुलाई को अदालत लगाई जाएगी।
नए जमाने के चार कोर्स अगले सत्र से
प्राविधिक शिक्षा की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि नए जमाने के कोर्स डाटा साइंस व मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, साइबर सिक्योरिटी और ड्रोन टेक्नोलॉजी में पीजी डिप्लोमा का पाठ्यक्रम बन चुका है और अगले सत्र से इसे लागू किया जाएगा। बछरांवा-रायबरेली व किशनी-मैनपुरी के सरकारी पॉलिटेक्निक भवनों के साथ 18 छात्रावासों का निर्माण पूरा हो गया है। पालीटेक्निक संस्थाओं में उपलब्ध इनवेंट्री प्रबंधन और रियल टाइम डाटा के लिए यू-राइज पोर्टल विकसित हुआ है। इस पर वीडियो लेक्चर, ई-कंटेंट, ऑनलाइन उपस्थिति, ऑनलाइन शुल्क व परिषद परीक्षा परिणाम देख सकते हैं। डिग्री सेक्टर में प्लेसमेंट ड्राइव के माध्यम से 5321 कॉमर्स प्लेटफार्मों की तुलना और डिप्लोमा सेक्टर में 6862 विद्यार्थियों को रोजगार का मौका मिला है।
आशीष पटेल ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी फार हैंडीकैप्ड संस्थान, कानपुर के छात्रावास में रहने वाले छात्र व छात्राओं को 250 रुपये फूड सब्सिडी की राशि बढाकर 3000 रुपये प्रतिमाह करने की प्रक्रिया चल रही है।