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क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन?

क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन?
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चीन पहले ही क्रिप्‍टोकरेंसी को बैन कर चुका है. अब पड़ोसी पाकिस्‍तान में भी राष्‍ट्रीय बैंक और संघीय सरकार ने Cryptocurrency को बैन करने की सिफारिश की है.

क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन?

"पेट्रोल और डीजल की कीमतें 26 जून 2020 और 19 अक्टूबर 2014 से बाजार से निर्धारित होने वाली बना दी गई. तब से सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियां (ओएमसी) इसकी कीमतें तय करती हैं."

आयकर विभाग ने करदाताओं की तरफ से आयकर रिटर्न (आईटीआर) जमा करने के बाद उसके सत्यापन की समय सीमा को 120 दिन से घटाकर 30 दिन कर दिया है.

आयकर विभाग की तरफ से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि समससीमा में कटौती का प्रावधान एक अगस्त से ही लागू हो गया है. आईटीआर दाखिल करने के बाद करदाता को उसका इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक रूप में सत्यापन कराना होता है. अगर तय समयसीमा के भीतर आईटीआर का सत्यापन नहीं कराया जाता है, तो आयकर विभाग उसे अवैध घोषित कर देता है.

जुलाई माह में माल ओर सेवा कर संग्रह (Goods and Services Tax collection) ₹ 1,48,995 करोड़ रुपये दर्ज किया गया जो किसी पिछले साल इसी माह की तुलना में 28 फीसदी ज्‍यादा है. वर्ष 2017 में GST लागू किए जाने के बाद से यह दूसरा सबसे अधिक राजस्‍व है.

Cryptocurrency Taxation in Budget 2022: क्या बजट में सुलझेगी क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की उलझन? या आयकर स्लैब में मिलेगी कोई राहत? एक्सपर्ट्स ने उठाए अहम सवाल

Cryptocurrency Taxation in Budget 2022: क्या बजट में सुलझेगी क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की उलझन? या आयकर स्लैब में मिलेगी कोई राहत? एक्सपर्ट्स ने उठाए अहम सवाल

भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर भले ही स्पष्ट नियम नहीं हैं.

Cryptocurrency Taxation in Budget 2022: भारत में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर भले ही स्पष्ट नियम नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद इसकी पॉपुलैरिटी लगातार बढ़ती जा रही है. क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद थी, हालांकि इसे पेश नहीं किया गया. अब उम्मीद है कि सरकार बजट सत्र में एक विधेयक पेश कर सकती है. हालांकि, क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों, निवेशकों और ट्रेडर्स को आगामी बजट 2022 में क्रिप्टो अर्निंग पर एक प्रॉपर टैक्स पॉलिसी फ्रेमवर्क की उम्मीद है.

इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद

वित्त मंत्रालय इस साल के बजट में पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकता है. कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि दो कर व्यवस्थाओं को लेकर अभी भी आम आदमी कंफ्यूज है. अर्चित गुप्ता को उम्मीद है कि सरकार हाईएस्ट टैक्स स्लैब को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने पर विचार कर सकती है. या नई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए कुछ कटौती की अनुमति दे सकती है. पिछले साल के बजट में सैलरीड क्लास को कोई बड़ी राहत नहीं दी गई थी.

सैलरीड एंप्लाई आने वाले बजट 2022 में ‘वर्क फ्रॉम होम’ अलाउंस की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें महामारी के दौरान घर से ऑफिस का काम करने के लिए जो अतिरिक्त खर्च करना पड़ा, उस पर टैक्स राहत मिलने की उम्मीद है. इस तरह के खर्चों के लिए डिडक्शन की अनुमति देने से टेक-होम सैलरी बढ़ेगा और इसके साथ ही देश में वस्तुओं और सेवाओं की मांग पैदा होगी.

80सी और धारा 80डी की लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद

इस बजट में धारा 80सी और धारा 80डी की लिमिट बढ़ाए जाने की भी उम्मीद है. साथ ही, इस वित्तीय वर्ष के दौरान डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन ज्यादा होने के चलते भी इन लिमिट्स को बढ़ाए जाने की उम्मीद है. इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? के लिए धारा 80 सी के तहत हायर डिडक्शन की अनुमति दी जा सकती है. या फिर भारत में म्यूचुअल फंड निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक अलग लिमिट व्यवस्था लाई जा सकती है. इसके अलावा, COVID-19 मरीजों और उनके परिवारों के लिए टैक्स में राहत प्रदान करने के लिए धारा 80D या 80DDB के तहत एक विशेष COVID एक्सपेंस संबंधी डिडक्शन की अनुमति दी जा सकती है.

Vivifi India Finance के CEO और फाउंडर अनिल पिनापाला कहते हैं, “आगामी केंद्रीय बजट में, हम चाहते हैं कि सरकार बैंकों और फिनटेक कंपनियों के बीच को-लेंडिंग की संभावना के लिए जगह बनाए. जिससे बदले में छोटे व्यवसायों को फायदा होगा. हम उम्मीद करते हैं कि इस बजट में आर्थिक सुधार में एनबीएफसी स्टार्ट-अप सेक्टर की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इसके लिए कर व्यवस्था को उदार बनाया जाएगा.” आगामी केंद्रीय बजट में, हम सभी के लिए लोन लाने को लेकर काम कर रहे ऐसे स्टार्ट-अप के लिए सरकार की सहायता चाहते हैं.

सिंध हाई कोर्ट तक पहुंचा था क्रिप्‍टो केस

पाकिस्‍तान में क्रिप्‍टोकरेंसी (Pryptocurrency in Pakistan) के बारे में नियम बनाने की मांग को लेकर एक व्‍यक्ति ने सिंध हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 20 अक्‍टूबर 2020 हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह इसके संबंध में कायदे-कानून बनाये. अब सरकार और नेशनल बैंक की मंशा को देखते हुये लगता है कि नियम बनाने की आवश्‍यकता ही न रहे, क्‍योंकि जब क्रिप्‍टोकरेंसी पूरी तरह बैन हो जायेगी तो नियमों का कोई काम ही नहीं रह जायेगा.

पाकिस्‍तान में क्रिप्‍टोकरेंसी को बैन किये जाने की सिफारिश के पीछे इसका आतंकवादी गतिविधियों में इस्‍तेमाल होने और मनी लॉंड्रिंग को माना जा रहा है. लंबे समय से पाकिस्‍तान में कहा जा रहा था कि क्रिप्‍टोकरेंसी का प्रयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो रहा है. ऐसे ही आरोप क्रिप्‍टोकरेंसी पर कई अन्‍य देशों में लग रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है.

उलझन में इन्‍वेस्‍टर

हालांकि, अभी क्रिप्‍टोकरेंसी पर बैन लगान नहीं है, लेकिन फिर भी क्रिप्‍टोकरेंसी में निवेश करने वाले पाकिस्‍तानी उलझन में हैं. कानून तथा वित्‍त मंत्रालय इस सिफारिश को मानते हुए क्रिप्‍टो पर बैन लगायेंगे या इसके ट्रेड के लिये कोई कानूनी ढांचा बनायेंगे, इसका पता किसी को नहीं है. यही सस्‍पेंस निवेशकों को खाये जा रहा है. अभी यह साफ नहीं है कि अगर बैन लगता है तो इन्‍वेस्‍टर्स की लगाई पूंजी का क्‍या होगा. वहीं, अब पॉपुलर क्रिप्‍टो इन्‍फ्लूएनसर्स “यूथ वांट क्रिप्‍टो” का नारा बुलंद कर रहे हैं और प्रधानमंत्री इमरान खान से इस विषय पर अपनी राय स्‍पष्‍ट करने की मांग कर रहे हैं.

कुछ देशों में क्रिप्‍टोकरेंसी को कुछ हद तक वैध करेंसी का दर्जा दिया है. लेकिन अधिकतर देशों में क्रिप्‍टो के संबंध में कोई नियम-कानून नहीं है. साउथ कोरिया ने इसको बैन करने की बजाय एक एक लीगल फ्रेमवर्क बना दिया है ताकि इसमें अवैध गतिविधियां न हों. वहीं चीन ने इस पर क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है.

कैसा रहा है आईबीसी का अब तक का सफर और क्या हो आगे का रास्ता?

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31 जुलाई, 2020 तक एनसीएलटी के सामने कुल 19,844 मामले लंबित थे. इनमें से 12,438 का संबंध आईबीसी से था. करीब 3,000 मामले रिजॉल्यूशन और लिक्विडेशन की प्रक्रिया में हैं.

अमेरिका को छोड़ ज्यादातर देशों में कोरोना के चलते इनसॉल्वेंसी के नए आवेदनों को टाल दिया गया. विकसित देशों में इनसॉल्वेंसी के मामलों के निपटारे के लिए कई तरह के दूसरे उपाय थे. उदाहरण के लिए ब्रिटेन में कंपनी एक्ट के तबहत प्री-पैक, कंपनी वॉलेंटरी अरेंजमेंट, रिसीवरशिप और स्कीम ऑफ अरेंजमेंट जैसी व्यवस्थाएं हैं. इसलिए ब्रिटेन सीआईजीए 2020 पेश करने में कामयाब रहा. नीदरलैंड ने डब्ल्यूएचओए और जर्मनी ने स्टारग पेश किए. इनसॉल्वेंसी के इन सभी फ्रेमवर्क में कई चीजें एक समान थीं.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

टेक्कीनोलॉजी की दुनिया हुई तरक्की और साथ ही स्मार्ट डिवाइस और नॉलेज दोनों की पहुंच ने आज क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? को बेहद लोकप्रिय बना दिया है। क्रिप्टोकरेंसी को ऐसे समझें कि यह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध वर्चुअल करेंसी है और जिसकी सुरक्षा क्रिप्टोग्राफी के ज़रिये होती है। सीक्योरिटी की इस परत से इस करेंसी को फोर्ज या डबल स्पेंड करना एकदम असंभव है। इसकी बनावट की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? कई क्रिप्टोकरेंसी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के ज़रिये बनाया गया है जिससे बगैर एडिट किये सारी जानकारी रिकॉर्ड करने और जारी करने में मदद मिलती है। सीधे शब्दों में कहें तो यह टेक्नोलॉजी विभिन्न किस्म के क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? एन्क्रिप्शन के ज़रिये करेंसी पर नियंत्रण रखती है। किसी भी फंड ट्रांसफर को वेरीफाय करने के लिए एन्क्रिप्शन क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? तकनीक का अलग से उपयोग किया जाता है। ब्लॉकचेन से अंततः यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि हर लेन-देन ईमानदारी होता है। क्रिप्टोकरेंसी जो चीज़ सबसे अलग बनाती है, वह यह है कि इसका उपयोग सेंट्रल अथॉरिटी नहीं करती है। इसकी प्रासंगिकता यह है कि करेंसी के रूप में यह क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? सरकार के किसी भी हस्तक्षेप या फेर-बदल के मामले में यह तकनीकी रूप से इम्यून है।

क्रिप्टोकरेंसी में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

क्रिप्टोकरेंसी पहले दिन से ही भारी उतार-चढ़ाव के लिए जानी जाती है। इन्वेस्टर ने उछाल के दौरान बहुत पैसा कमाया है और जब बाज़ार टूटा तो उन्हें भारी नुकसान भी हुआ है। क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की वजह की जांच नीचे की गई है।

सट्टेबाजी की ताक़त - क्रिप्टोकरेंसी का उतर-चढ़ाव काफी हद तक इन्वेस्टर और ट्रेडर के सट्टे की प्रकृति से जुड़ा है जिनमें से कुछ बाज़ार में उछाल के साथ भारी मुनाफ़ा दर्ज़ करने की संभावना से सम्मोहित हैं। बड़े क्रिप्टोकरेंसी पर क़ानून को लेकर क्यों है उलझन? पैमाने पर सट्टे पर आधारित दांव लगाने से उतार-चढ़ाव वाले बाज़ार को और अस्थिर बनाते हैं।

ट्रेडर की जानकारी – शेयर बाजार और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के उलट, क्रिप्टोकरेंसी डोमेन में इन्वेस्ट करने के लिए बहुत जानकारी जुटाने की ज़रुरत नहीं होती है। इन्वेस्टर के पास सिर्फ इंटरनेट और थोड़े से पैसे होने चाहिए। यही इस बाजार को कम कम या बगैर किसी अनुभव वाले ट्रेडर के लिए इतना आकर्षक बनाता है। इंस्टीच्यूशनलाइज्ड ट्रेडिंग मार्केट में शामिल लोग क्रिप्टोकरेंसी बाजार से बहुत सावधान और सतर्क रहते हैं और इसमें निवेश को जोखिम के तौर पर में देखते हैं। इसलिए इस डोमेन में औसत इन्वेस्टर को क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में की बारीकियों के बारे में कम जानकारी होती है। वे प्रचार, अनिश्चितता, संदेह, डर और ज़बरदस्त हेराफेरी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इस डोमेन के औसत ट्रेडर के विपरीत परिस्थितियों में शांत बने रहने की संभावना कम होती है जबकि अनुभवी ट्रेडर का खुद पर पूरा नियंत्रण होता है।

क्रिप्टोकरेंसी बाजार में इन्वेस्ट करना -

क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ारों में निवेश करने के इच्छुक लोगों को इसकी अस्थिरता से जुड़े नुकसान के बारे में पता होना चाहिए। मशहूर हस्तियों के समर्थन से विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी की कीमत प्रभावित होती है। मसलन डॉगकॉइन को ही लें, जिसमें इलॉन मस्क के प्रमोट करने से उछाल दर्ज़ हुई। कहा जा रहा है कि ऐसे एंडोर्समेंट से ये करेंसी कहां जाएंगी इसका कोई अता-पता नहीं है। इसका मतलब यह है कि इस करेंसी के वैल्यूएशन में नाटकीय रूप से गिरावट आ सकती है। बड़ी रकम इन्वेस्ट करने से पहले लोगों को अपनी पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी की मौजूदा क्रिप्टो टेक्नोलॉजी को समझने का प्रयास ज़रूर करना चाहिए। इसके अलावा बड़ी मात्रा में इन्वेस्ट करने से पहले उन्हें इसके बाज़ार रुझान और इसी तरह की और करेंसी की जांच-परख ज़रूर करनी चाहिए और समझना चाहिए कि इनमें इतना उतार-चढ़ाव क्यों आता है।

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