आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं

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जैसा कि आप शायद जानते हैं, लगभग हर देश की अपनी मुद्रा होती है, आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं और इसके साथ एक निर्दिष्ट “शोर्टकोड“ होता है जिसका उपयोग खुले बाजार (जैसे मुद्रा विनिमय) पर किया जाता है। इस संक्षिप्त कोड का उपयोग अक्सर तब भी किया जाता है जब सामान का मूल्य निर्धारण ऑन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया जाता है।
हालांकि इनमें से कुछ निश्चित रूप से आपके परिचित हैं (जैसे कि यूएसडी या जीबीपी), अन्य संभवतः आपके रडार से बाहर हो गए हैं। चाहे आप काम या खेलने के लिए किसी अन्य देश की यात्रा कर रहे हों, आप अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों के साथ एक ऑनलाइन साइट का प्रबंधन या संचालन करते हैं, या आप अक्सर अंतरराष्ट्रीय वेबसाइटों से आइटम या सेवाएं खरीदते हैं, हमने आपको कवर किया है।
यह मार्गदर्शिका आपको दुनिया के मुद्रा प्रतीकों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी कि उनका उपयोग कैसे किया जाता है, और एक मुद्रा के दूसरी मुद्रा में स्थानांतरण या रूपांतरण में क्या शामिल है।
अपनी पसंद का पसंदीदा पेय लें, वापस किक करें, और चलो सही में गोता लगाएँ…
दुनिया के मुद्रा संकेत और प्रतीक
मुद्रा प्रतीकों को प्रासंगिक मुद्रा प्रकार को ऑन और ऑफलाइन प्रदर्शित करने के लिए एक त्वरित और आसान शॉर्टहैंड विधि के रूप में विकसित किया गया था। ये प्रतीक पूर्ण मुद्राओं के नाम को लिखने की आवश्यकता को समाप्त करते हैं, और इसके बजाय आपको पूर्ण नामकरण को एक संक्षिप्त और/या अद्वितीय प्रतीक के साथ बदलने की अनुमति देते हैं।
निम्नलिखित उदाहरण में, आप दो अलग-अलग मुद्रा चिह्न/प्रतीक देखेंगे: “USD“ और “$“।
एक सौ अमेरिकी डॉलर के रूप में व्यक्त किया जा सकता है:
- एक सौ डॉलर
- एक सौ अमरीकी डालर
- $100
आइए एक और नजर डालते हैं। नीचे दिए गए उदाहरण में, हम ब्रिटिश पाउंड के लिए मुद्रा चिह्न और प्रतीक की जांच करेंगे।
ब्रिटिश पाउंड (ब्रिटिश स्टर्लिंग या स्टर्लिंग के रूप में भी जाना जाता है):
मुद्रा चिन्ह क्यों महत्वपूर्ण हैं?
मुद्रा संकेत और प्रतीक विभिन्न मुद्राओं को शीघ्रता से और आसानी से पहचानने के लिए एक मानकीकृत और सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त तरीका प्रदान करते हैं। प्रत्येक मुद्रा के बीच “विनिमय दर“ के कारण, यह जानना महत्वपूर्ण है कि आप किस प्रकार की मुद्रा में भुगतान कर रहे हैं।
USD बनाम GBP के उपरोक्त उदाहरण को जारी रखते हुए, जब तक यह मार्गदर्शिका लिखी गई थी, $1 केवल 0.80 स्टर्लिंग के बराबर था। यदि आप यूएसए से हैं, यूएसडी लेकर, और एक कैफे में गए हैं, तो यह नोट करना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी तरह, ऑनलाइन खरीदारी करते समय आपको ऐसी साइटें मिल सकती हैं जो विभिन्न मुद्राओं में भुगतान स्वीकार करती हैं और यह जानकर कि आप किसके साथ काम कर रहे हैं, भुगतान की गणना करना और कीमतों की तुलना करना बहुत आसान हो जाएगा।
क्या मुझे न्यूमेरिक वैल्यू से पहले या बाद में करेंसी सिंबल लिखना चाहिए?
यह एक सामान्य प्रश्न है जिसे हम देखते हैं, और अच्छे कारण के साथ। उत्तर यह है कि यह निर्भर करता है। स्थानीय रीति-रिवाजों के साथ-साथ मुद्रा ही आम तौर पर तय करती है कि उचित अभ्यास क्या है।
उदाहरण के लिए, कुछ यूरोपीय मुद्राओं को सांख्यिक मान के अंत में प्रतीक के साथ ठीक से व्यक्त किया जाता है। इसका एक अच्छा उदाहरण जर्मनी और फ्रांस (यानी 100€) हैं।
अधिकांश अंग्रेज़ी-भाषी देशों में, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका या कनाडा, प्रतीक और/या संक्षिप्त नाम आम तौर पर संख्यात्मक मान (यानी $75 USD या CAD 125.00) के सामने होता है।
अन्य मुद्राओं के साथ, आप उस मुद्रा प्रतीक का भी सामना कर सकते हैं जहां “दशमलव“ सामान्य रूप से आपकी मूल मुद्रा (यानी 50$00) में होगा।
ठीक है, लेकिन मैं माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में करेंसी सिंबल कैसे टाइप करूं?
आप पाते हैं कि आपको अपने वर्ड डॉक्स में अक्सर विभिन्न मुद्रा प्रतीकों को सम्मिलित करने की आवश्यकता होती है? अगर ऐसा है तो आपने शायद एक निराशा का अनुभव किया है जिसे हम में से कई लोगों ने भी सहा है।
अच्छी खबर यह है कि एक बार जब आप इसे करना जानते हैं तो वर्ड में मुद्रा प्रतीकों को सम्मिलित करना इतना मुश्किल नहीं है।
वर्ड में करेंसी सिंबल कैसे डालें
विकल्प एक
Word में विभिन्न मुद्रा प्रतीकों को सम्मिलित करने का पहला (और संभावित रूप से सबसे कुशल) तरीका एक मुद्रा शॉर्टकट शीट का उपयोग करना है जैसे: https://www.webnots.com/alt-code-shortcuts-for-currency-symbols/ आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं
विकल्प दो (चरण दर चरण)
- वह दस्तावेज़ खोलें जिस पर आप काम करने में रुचि रखते हैं
- दस्तावेज़ के शीर्ष पर मुख्य मेनू में, “सम्मिलित करें“ पर क्लिक करें
- इस नए मेनू के सबसे दाईं ओर, आपको “प्रतीक“ दिखाई देगा
- “प्रतीक“ पर क्लिक करने से आपको कुछ सामान्य मुद्रा चिह्न दिखाई देंगे। यदि आपका वांछित प्रतीक प्रदर्शित होता है, तो उस पर क्लिक करने से वह दस्तावेज़ में सम्मिलित हो जाएगा।
- यदि आपका प्रतीक प्रदर्शित नहीं होता है, तो “प्रतीक मेनू“ के नीचे “अधिक प्रतीकों“ पर क्लिक करें।
- ऐसा करने से एक बड़ा डायलॉग बॉक्स सामने आएगा जिसमें से आपको अन्य प्रतीकों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ प्रस्तुत किया जाएगा
- जिसे आप चाहते हैं उसे ढूंढें, उस पर क्लिक करें, और आप दौड़ के लिए तैयार हैं
प्रो प्रकार: जब आप सही प्रतीक चुनते हैं, तो Word आपको सूचित करेगा कि यह संबंधित कीबोर्ड शॉर्टकट क्या है ताकि आप ध्यान दें और भविष्य में इस प्रक्रिया को तेज कर सकें।
Microsoft Excel में मुद्रा चिह्न जोड़ने के बारे में क्या?
यदि आप संख्याओं और मुद्रा के साथ काम कर रहे हैं, तो संभावना है कि आपको इन मानों को एक एक्सेल स्प्रेडशीट में इनपुट करने की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन Word के समान, यह पता लगाना कि यह कहाँ करना है, हमेशा बहुत स्पष्ट नहीं होता है।
एक्सेल के साथ, आपके पास दो विकल्प हैं।
विकल्प एक
उपरोक्त वर्ड के निर्देशों के समान चरणों का उपयोग करें, लेकिन इस बार एक्सेल में।
विकल्प दो
एक्सेल में “सेल“ को फॉर्मेट करें। ऐसा करने से, आपके द्वारा उस सेल में टाइप किया गया कोई भी नंबर मान स्वचालित रूप से चयनित उचित मुद्रा प्रतीक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
सेल को प्रारूपित करने के चरण Step
- वह एक्सेल शीट खोलें जिस पर आप काम कर रहे हैं Open
- उस सेल पर क्लिक करें जिसे आप फॉर्मेट करना चाहते हैं
- दाएँ क्लिक करें
- दिखाई देने वाले मेनू में, “प्रारूप कक्ष“ चुनें
- संवाद बॉक्स ड्रॉप-डाउन से, “मुद्रा“ चुनें
- वांछित मुद्रा प्रतीक का पता लगाएँ
- ओके पर क्लिक करें“
इतना ही! वहां से बस कोई भी संख्यात्मक मान टाइप करें और रिटर्न हिट करें। ऐसा करने से वह नंबर उचित मुद्रा प्रारूप (प्रतीक और सभी) में बदल जाएगा।
विदेश भेज रहे रकम तो पहले जांच-पड़ताल का करें जतन
पहली बार विदेश रकम भेजने से पहले मन में कई बातें आती हैं। मसलन, रकम कैसे भेजी जाय और इस पर कितना खर्च आएगा आदि। मन में ये बातें उठनी स्वाभाविक हैं, खासकर जब आप मोटी रकम विदेश भेज रहे होते हैं तो चिंताएं और बढ़ जाती हैं। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले रकम भेजने से जुड़े खर्च अच्छी तरह समझ लें और उन माध्यमों या इकाइयों की भी पड़ताल कर लें जिनके जरिये आप रकम भेजेंगे।
इस समय आप तीन माध्यमों से विदेश रकम भेज सकते हैं। ये हैं बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे वाइज, बुकमाईफॉरेक्स आदि। अगर बड़ी रकम विदेश भेज रहे हैं तो आप सबसे अधिक विश्वसनीय माध्यम चुनना पसंद करेंगे। बैंक विश्वसनीयता के मानदंड पर सबसे अधिक खरे उतरते हैं और हमारे रोजमर्रा का हिस्सा होने के कारण हम इनकी कार्य शैली से भी परिचित होते हैं। आरबीएल बैंक में कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (व्यापार एवं विदेशी मुद्रा, डेबिट आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं कार्ड, कूटनीतिक मिशन खंड) अमिताभ भटनागर कहते हैं, 'जब आप बैंक के जरिये रकम विदेश भेजने का विकल्प चुनते हैं तो शेष सारी औपचारिकताएं बैंक पूरी करता है। बैंक इस मामले में अधिकृत डीलर 1 श्रेणी में आते हैं और केवल उन्हें ही रकम भेजने के लिए लेनदेन करने का अधिकार होता है। थॉमस कुक जैसी इकाइयां कुछ श्रेणियों के लिए अपवाद हो सकती हैं।' रकम आप आप भले ही किसी भी माध्यम से भेज रहे हैं लेकिन अंतत: पूरी प्रक्रिया बैंक से ही निपटाई जाती है। हाल के दिनों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी रकम विदेश भेजने के कारोबार में उभरे हैं क्योंकि वे ग्राहकों से अपेक्षाकृत कम शुल्क लेते हैं।
खर्च का रखें ध्यान
विश्वसनीयता, खर्च और पारदर्शिता के बाद एक और महत्त्वपूर्ण बात होती है उस माध्यम या प्लेटफॉर्म का चयन जिसके जरिये आप रकम विदेश भेजेंगे। वाइज में प्रमुख (एशिया प्रशांत एवं पूर्व एशिया विस्तार) प्रमुख वेंकटेश साहा कहते हैं, 'जिस इकाई के जरिये आप रकम भेज रहे हैं उससे यह जरूर पूछ लें कि वह कितना शुल्क लेगी। मुद्रा विनिमय दर भी लागू होगी और इसे लेकर भी बात पहले ही कर लें। आप कितनी रकम का भुगतान करेंगे और विदेश में संबंधित व्यक्ति या इकाई को कितनी रकम मिलेगी उसे लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होनी चाहिए।'विदेश रकम भेजने से जुड़े खर्च के दो पहलू होते हैं। सबसे पहले तो लेनदेन शुल्क होता है जो लगभग हरेक इकाई लेती है। दूसरा खर्च विदेशी मुद्रा विनियम पर मार्क-अप फीस होती है। जब आप विदेशी मुद्रा में रकम भेजते हैं या लेनदेन करते हैं तो बैंक आदि मार्क-अप फीस के रूप में एक रकम लेते हैं। इस कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार बैंकों का लेनदेन शुल्क 1,200 से 3,000 रुपये हो सकता है। बुकमाईफॉरेक्स इस समय लेनदेन शुल्क के रूप में 750 रुपये लेता है। बुकमाईफॉरेक्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुदर्शन मोटवानी कहते हैं, 'बैंक डॉलर, यूरो, पाउंड, कनाडाई डॉलर में विनियम पर 1.5-3.0 प्रतिशत मार्क-अप फीस लेते हैं। जिन देशों में बैंकों में नोस्ट्रो रेमिटेंस सुविधा नहीं होती है वहां यह फीस 4 से 6 प्रतिशत तक हो सकती है। हम डॉलर और यूरो जैसे तेजी से लेनदेन पूरा करने वाली मुद्राओं पर 0.4 प्रतिशत मार्क-अप फीस लेते हैं और यह यदा-कदा ही 0.8 प्रतिशत से अधिक होती है।' नोस्ट्रो रेमिटेंस सुविधा या नोस्ट्रो खाता किसी घरेलू बैंक का विदेश में वह खाता होता है जिसमें रकम उस देश की मुद्रा में जमा आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं रहती है।
वाइज ने भी शुल्क तय कर रखा है। साहा कहते हैं, 'रकम जितनी अधिक होती है फीस उतनी कम लगती है। औसतन 5 लाख रुपये से अधिक रकम पर यह फीस 1.7 से 1.8 प्रतिशत होती है। अगर रकम छोटी है तो हम करीब 2 प्रतिशत फीस लेते हैं।' विनिमय दर को लेकर साहा कहते हैं कि गूगल पर आप जो विनिमय दर देखते हैं हम उसी अनुसार रकम लेते हैं। आपको सही दर मिल रही है या नहीं आप इसकी पड़ताल ऑनलाइन इंटरबैंक रेट देखकर कर सकते हैं। सेवा प्रदाता आपको जिस विनियम दर की पेशकश कर रहा है आप उससे इसकी तुलना कर सकते हैं। इससे मार्क-अप शुल्क के बारे में आपको अंदाजा हो जाएगा।
नियमों की रखें जानकारी
लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत कोई व्यक्ति हरेक वित्त वर्ष अधिकतम 2,50,000 डॉलर रकम भेज सकता है। इसके अलावा 25,000 डॉलर की भी एक सीमा है जिसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। मोटवानी कहते हैं, '25,000 डॉलर रकम तक 'फॉर्म ए2' में आवश्यक जानकारियां स्वत: आ जाती हैं और हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती है। रकम इससे अधिक होने पर कागजी हस्ताक्षर की जरूरत होती है।' इस फॉर्म पर एक बार हस्ताक्षर करने के बाद आप 2.5 लाख डॉलर तक रकम भेज सकते हैं।'
इन बातों पर रखें नजर
रकम विदेश भेजते समय सटीक जानकारी दें ताकि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के झमेले में न पडऩा पड़े। सभी दस्तावेज अच्छी तरह पढऩे के बाद स्वयं इसे भरें न कि दूसरो के भरोसे छोड़ दें। रकम विदेश भेजने से पहले सारी कवायद समय रहते शुरू करें। अंतिम समय में यह कार्य करने से हड़बड़ी में आपको रकम भेजने पर अधिक खर्च का बोझ उठाना पड़ सकता है। आप जितनी रकम विदेश भेजना चाहते हैं उस पर आने वाले तमाम शुल्कों के बारे में पहले ही पूछ लें। इसकी वजह यह है कि कुछ मामलों में विदेश में भी बैंक कुछ रकम काट लेते हैं। इससे प्राप्तकर्ता के हाथ में आवश्यक रकम नहीं आएगी। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स में मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन कहते हैं, 'अगर आप किसी दूसरे देश में किसी सेवा प्रदाता को रकम भेजे रहे हैं और उसे जरूरत से कम रकम मिलती है तो वह अपनी सेवा नहीं देगा। इससे एक आप मुद्रा विनिमय दर कैसे तय करते हैं बार फिर आपको पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा और एक मामूली रकम भेजने पर भी भारी भरकम शुल्क चुकाना होगा।'
डॉलर के मुकाबले रुपये में अबतक की सबसे बड़ी गिरावट, रुपया गिरने का मतलब क्या है, आम आदमी को इससे कितना नफा-नुकसान
भारतीय मुद्रा (रुपया) में हो रही गिरावट के बाद गुरुवार को एक अमरीकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 19 पैसे की गिरावट के साथ 79.04 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.
भारतीय मुद्रा
अपूर्वा राय
- नई दिल्ली,
- 30 जून 2022,
- (Updated 30 जून 2022, 3:06 PM IST)
एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,
अगर डॉलर की कीमत बढ़ती है, तो हमें आयात के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा
आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है?
भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.04 रुपये पहुंच गया है. यह स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.
आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए जानते हैं.
क्या होता है एक्सचेंज रेट
दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले फिक्स एक्सचेंज रेट था.
रुपया गिरने का क्या अर्थ है?
आसान भाषा में समझें तो रुपया गिरने का मतलब है डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना. यानी अगर रुपये की कीमत गिरती है, तो हमें आयात के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा और निर्यात सस्ता हो जाएगा. इससे मुद्राभंडार घट जाएगा.
भारत अपने कुल तेल का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है. जिसके लिए डॉलर में भुगतान होता है. मान लीजिए सरकार को कोई सामान आयात करने के लिए 10 लाख डॉलर चुकाने हैं, आज की तारीख में रुपया 79 रुपये से भी अधिक गिर गया है. पहले जहां सरकार को उस सामान के आयात के लिए 7 करोड़ 5 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे अब रुपये की कीमत गिरने से 7 करोड़ 9 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे.
रुपये की गिरती कीमत आम आदमी पर कैसे असर डालती है?
रुपये की वैल्यू गिरने से भारत को तेल आयात करना और मंहगा पड़ेगा इसलिए पेट्रोल और डीजल की कीमतें और ऊपर चली जाएंगी. इसका सीधा असर परिवहन की लागत पर पड़ेगा और इस तरह आम आदमी की जेब भी ढीली हो जाएगी.
रुपए के कमजोर होने से भारतीय छात्रों के लिए विदेशों में पढ़ना महंगा हो जाएगा.
अगर आप इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने जा रहे हैं, तो आपको ज्यादा कीमत चुकानी होगी, क्योंकि इनके उत्पादन में कई आयातित चीजों का इस्तेमाल होता है.
दैनिक जीवन की ऐसी कई चीजें जो हम इस्तेमाल करते हैं उसके लिए ट्रांसपोर्ट का खर्च आता है. तेल की महंगी होती कीमतों का असर माल भाड़े पर पड़ता है, जिससे इन सब चीजों की कीमत भी बढ़ जाती है.
रुपये की कमजोरी से खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
सरकार गिरते रुपये को उठाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करती है. क्योंकि रुपये की गिरावट को रोकने का वही एक तरीका होता है. इससे लोन लेना महंगा हो सकता है.
करेंसी हेजिंग का कखग
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं। इसे हेजिंग के जरिये कम किया जाता है। आइए जानते हैं हेजिंग है क्या बला।
क्या होती है हेजिंग:
हेजिंग को हम एक तरह के बीमा की तरह समझ सकते हैं, जिसमें किसी भी नकारात्मक असर को कम करने की कोशिश की जाती है। हेजिंग से जोखिम होने का खतरा कम नहीं होता। लेकिन अगर सही तरीके से हेजिंग की जाए तो किसी भी नकारात्मक परिस्थिति का असर जरूर कम हो सकता है।
कैसे होती है हेजिंग:
साधारण तौर पर आप समझ लें कि हेजिंग में आप वायदा बाजार में वह पोजिशन लेते हैं, जो हाजिर बाजार से बिल्कुल विपरीत होती है। इस तरह से आप मुद्रा बाजार में किसी भी उतार-चढ़ाव के असर को कम कर सकते हैं।
क्या तरीके हैं हेजिंग के:
मुद्रा बाजार में तीन तरीकों से हेजिंग की जाती है। पहला तरीका है फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का। इस तरीके में कारोबारी पहले से तय की गई विनिमय दर पर पूर्व-निर्धारित समयसीमा में करार करते हैं। इस तरीके में आप अपने फायदे और नुकसान दोनों पर लगाम लगा कर पहले से ही चलते हैं। दूसरा तरीका करेंसी फ्यूचर्स का है। इस तरीके में किसी भी दो खास करेंसी का तय समय और तय दर पर आपस में आदान- प्रदान होता है। करेंसी ऑप्शन तीसरा तरीका है। इसे एक तरह का बीमा कह सकते हैं जो मुद्रा बाजार के आपके पक्ष में आने से फायदा देता है और आपके विपरीत जाने में आपकी सुरक्षा भी करता है।
निर्यातक करेंसी का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेचते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी निर्यातक को एक लाख डॉलर का सामान सप्लाई करना है। मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए वह वायदा बाजार में डॉलर बेचता है। इसके उलटे अगर किसी आयातक को माल के लिए एक लाख डॉलर चुकाना है तो वह वायदा बाजार में जाकर डॉलर खरीद जोखिम को कम कर सकता है। आयातक कॉल ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की खरीद की कीमत को पहले से ही तय कर अपने जोखिम को कम करता है। इसके उलट निर्यातक पुट ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की बिक्री की कीमत को पहले से तय करके जोखिम को कम करता है।