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डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?
क्या है वेब 3.0

TATA Coin ने 24 घंटे में दिया 1200% का रिटर्न, जानिए क्यों खास है यह क्रिप्टोकरेंसी

TATA Coin पिछले 24 घंटे में 1200 फीसदी की मजबूती के साथ वर्तमान में 0.09515 डॉलर पर ट्रेड कर रही है

TATA Coin : एक कम्युनिटी आधारित डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी (decentralised cryptocurrency) में पिछले 24 घंटों में 1,200 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई। कॉइनमार्केटकैप से मिले डाटा से यह जानकारी सामने आई है। टाटा कॉइन (TATA Coin) का उद्देश्य डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को पूरी तरह सुरक्षित बनाना है।

यह कॉइन वर्तमान में 1200 फीसदी की मजबूती के साथ 0.09515 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है। इसकी पूरी तरह डायल्यूटेड मार्केट कैपिटलाइजेशन (market capitalisation) 8,56,355 डॉलर है।

क्या है इस क्रिप्टो का उद्देश्य

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टाटा कॉइन (TATA Coin) का उद्देश्य डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को पूरी तरह सुरक्षित बनाना और दुनिया भर के निवेशकों सहित मल्टीनेशनल कंपनियों और संस्थानों को एक सबसे ज्यादा सुरक्षित पेमेंट सिस्टम उपलब्ध कराना है जिससे उन्हें ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का इस्तेमाल करते हुए आसान और सुरक्षित डिजिटल ट्रांजेक्शन की सुविधा मिले। साथ ही वे अपनी बहुमूल्य एसेट्स के मालिक बनने में सक्षम हों।

पूरी तरह कम्युनिटी आधारित है क्रिप्टोकरेंसी

दुनिया की सबसे सुरक्षित ग्लोबल डिजिटल करेंसी बनने और दुनिया भर में पेमेंट के तरीके के रूप में इस्तेमाल होने के लक्ष्य पर आधारित यह एक पूरी तरह डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी (decentralised Cryptocurrency) है। TATA Coin को पूरी तरह कम्युनिटी आधारित बनाया गया है।

इसकी मुख्य खासियत में पूरी तरह डिसेंट्रलाइज्ड पीयर टू पीयर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है जो सरकार या फाइनेंशियल सिस्टम जैसी किसी केंद्रीय अथॉरिटी पर निर्भर नहीं है। TATA Coin दुनिया, मर्चेंट्स और यूजर्स को कम फीस के साथ सशक्त बनाते हुए अच्छा पैसा देने का दावा करती है।

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किसानों को तुरंत मिलेगा लोन, पायलट प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारी

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए डेटा को डिसेंट्रलाइज्ड तरीके से अलग-अलग सर्वर पर स्टोर किया जा सकता है और जिसके पास एक्सेस है वह डेटा को रियल टाइम में देख सकता है. इसी वजह इसके इस्तेमाल से तेजी से काम होता है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किसानों को तुरंत मिलेगा लोन, पायलट प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारी

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किसानों की जिंदगी काफी आसान हो गई है. यहीं कारण है कि महाराष्ट्र सरकार अब किसानों के काम को कम समय में और तेजी से डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? पूरा करने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रही है. एक पायलट प्रोजेक्ट के जरिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर महाराष्ट्र स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन (MSWC) ने कई किसानों को कमोडिटी फाइनेंस तक तेजी से पहुंचने में मदद की है. अब इसी प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू करने की योजना है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए डेटा को डिसेंट्रलाइज्ड तरीके से अलग-अलग सर्वर पर स्टोर किया जा सकता है और जिसके पास एक्सेस है वह डेटा को रियल टाइम में देख सकता है. इसी वजह इसके इस्तेमाल से तेजी से काम होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लॉकचेन के जरिए किसानों अपनी उपज पर 24 घंटे में लोन मिल जाएगा. सामान्य तरीके से लोन पाने में 7 दिन का समय लगता है.

कमोडिटी फाइनेंस में वित्तीय संस्थाएं कृषि उत्पादों पर लोन देती हैं. अगर किसान चाहें तो वेयरहाउस से मिलने वाले रसीद को दिखाकर लोन ले सकते हैं. इस सुविधा को बड़े स्तर पर ले जाने के पीछे सरकार की कोशिश है कि कासनों को उचित दाम मिल सके और संकट के समय में वे अपनी उपज को कम कीमत पर बेचने को मजबूर न हों.

जटिल और अधिक समय लेने वाला काम होगा आसान

MSWC का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ अधिकारी दीपक तवारे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने गोदाम रसीदों को बढ़ावा दिया है. ‘फसल के मौसम की शुरुआत में किसानों को पैसे के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और अक्सर उन्हें कम कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है. बाजार में मांग से अधिक आपूर्ति के कारण कीमतें ऊपर नीचे होती रहती हैं. किसान अपनी पूरी फसल को एक बार में बेचने के बजाय अलग-अलग समय पर बेचकर बेहतर कमाई कर सकते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार कमोडिटी फाइनेंस की प्रक्रिया समय लेने वाली और जटिल दोनों है. किसान अपनी उपज को गोदाम में लाते हैं, जिसके बाद रसीदें बनती हैं. इसे फिर बैंक में ले जाया जाता है, जो स्टॉक को सत्यापित करने के बाद लोन जारी करता है. विशेषज्ञों ने कहा कि इन सब में कम से कम सात से 15 दिन का समय लगता है, जो योजना के पूरे उद्देश्य को विफल कर देता है.

अधिकारी तावरे ने कहा कि ब्लॉकचेन इस समय को कम कर देगा और किसानों को काफी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि MSWC ने इस योजना के लिए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSC) बैंक के साथ एक विशेष समझौता किया है. एक स्टार्ट-अप WHRRL Solutions द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग करते हुए MSWC ने अपने 203 गोदामों को जोड़ा है, जहां रसीदें तुरंत जारी की जा सकती हैं.

24 घंटे में पूरा हो जाएगा लेनदेन का काम

तवारे ने कहा कि इस प्लेटफॉर्म का एक्सेस बैंक भी कर सकते हैं और पूरा लेनदेन 24 घंटे में पूरा किया जा सकता है. बैंकों को रियल टाइम में पता चल जाता है कि रसीदें कब जारी की जाती हैं. इसी आधार पर वे किसानों को अपनी कमोडिटी फाइनेंस योजना को बेचने के लिए कहते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट में कम से कम 185 किसानों ने भाग लिया था और कुल लोन की मात्रा 3.63 करोड़ रुपए थी. इस वित्तीय वर्ष में 423 किसानों को पहले ही रसीद मिल चुकी है और 9.75 करोड़ रुपए के लोन जारी किए जा चुके हैं. इस टेक्नोलॉजी का का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस सीजन में परियोजना को और बढ़ाया जाएगा.

Web 3.0 Kya Hai : वेब 3.0 क्या है? वेब 3.0 के बाद इंटरनेट पर इसका असर कैसा होगा।

Web 3.0 Kya Hai ultimate guider

Web 3.0 Kya Hai ultimate guider

अगर आप इंटरनेट पर एक्टिव रहते है तो आपने वेब 3.0 का नाम जरूर सुना होगा। बताया जा रहा है वेब 3.0 आने के बाद इंटरनेट की दुनिया पूरी तरह से बदल जायेगी।

वेब 3.0 को मेटावर्स से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब सवाल उठता है कि वेब 3.0 क्या है। इस लेख मे हम आपको इसे के बारे मे विस्तार से समझने वाले है इसलिए इस लेख को पूरा पढे। वेब 3.0 क्या है।

वेब 3.0 को समझने से पहले आपको वेब 1.0 ये समझना होगा कि आखिर वेब 1.0 क्या होता तभी आप वेब 3.0 को आसानी से समझ पाओगे।

वेब क्या है ? Web Kya Hai

वेब का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब होता है जिसे ज्यादातर लोग WWW) के नाम से जानते है। इसकी शुरुआत आज से 32 वर्ष पहले 1989 में की गई थी। जिस समय में इसकी
शुरुआत हुई थी। तब इंटरनेट पर जानकारी केवल टेक्स्ट फॉर्मेट मे ही मौजूद थी। जिसे यूजर्स इंटरनेट पर सर्च करके केवल पढ़ सकते थे।

जिसे Web 1.0 का नाम दिया गया । उसके बाद समय बदला नई नई तकनीक का आविष्कार हुआ । फिर इंटरनेट की दुनिया मे Web 2.0 की शुरुआत हुई। जिसमे यूजर्स कंटेन्ट पढ़ने के अलावा इमेज और वीडियो भी देख सकते है। Web 2.0 भी एक सेंट्रलाइज इंटरनेट बबनकर रह गया। जिसका कंट्रोल किसी प्राइवेट बड़ी कंपनी के पास रहता है।

हम जो इंटरनेट यूज करते है उसे एक तरह से कंट्रोल किया जाता है। ये डिसेंट्रलाइज्ड नहीं है। इंटरनेट यूजर्स ज्यादातर कंटेन्ट गूगल के माध्यम से सर्च करते है। जो एक प्राइवेट कंपनी है। जिसके कारण यूजर्स का डेटा इन कंपनियों के पास पहुच जाता है। जिसका इस्तेमाल वे यूजर की परमिशन के बिना अलग अलग प्रकार से कर सकते है।

यूजर्स के डाटा चोरी करके उसके गलत इस्तेमाल का आरोप फ़ेसबुक , गूगल , अमेजन इत्यादि बड़ी कंपनियों पर लगते रहते है। यानि की ये कंपनिया लोगों के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है मार्केट मे इनका दूसरा ऑप्शन न होने के बावजूद लोगों का इनका इस्तेमाल मजबूरन करना पड़ता है। इसे पढे :- डीप लर्निंग तकनीक क्या है |

वेब 3.0 क्या है? Web 3.0 Kya Hai

टेक्नोलॉजी में समय के साथ हर चीजे बदलती रहती है। ये बात आप आज से 10, 20 वर्ष पुराने फोन देखकर भी पता लगा सकते है। ऐसे ही इंटरनेट की दुनिया में भी समय के साथ चीजें अपडेट होती रहती है। जिसके कारण अब Web 2.0 का एडवांस वर्जन Web 3.0 मार्केट में या चुका है।

Web 3.0 को अब कोई भी प्राइवेट कंपनी कंट्रोल नहीं कर पाएगी। इसमें कोई कंपनी नहीं होगी। जिसके कारण अब इंटरनेट यूजर अपने कंटेंट का खुद मालिक होगा। इसे भी जरूर पढे : क्वांटम टेक्नोलॉजी क्या है ?

इसे हम आपको आसान भाषा मे समझते है।

Web 2.0 मे फ़ेसबुक , गूगल , अमेजॉन इत्यादि कंपनिया अपने प्लेटफ़ॉर्म को अपने फायदे के लिए अपने अनुसार कंट्रोल करके इस्तेमाल सकती है। कई बार इन कंपनियों पर गलत रिजल्ट दिखने के आरोप भी लगते रहते है।

जैसे कि मेटा कंपनी के पास फेसबुक , इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म है जिन पर अरबों यूजर मौजद है। ऐसें मे अगर मेटा चाहे तो इन प्लेटफ़ॉर्म पर यूजर के द्वारा पब्लिश होने वाले कंटेन्ट को अपने तरीके से मैनिपुलेट कर सकती है।

Web 3.0 आने के बाद इन कंपनियों की मोनोपॉली समाप्त हो जायेगी। जिसके कारण ये कंपनियां Web 3.0 का विरोध करने में लगी हुई है। इसे भी जरूर पढे : फ़ेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा क्यों किया।

Web 3.0 पर क्रिप्टो करेंसी की तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जिसका उद्देश्य यूजर्स के डेटा को डिसेंट्रलाइज करना है।

डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी को आसान भाषा में समझा जाए तो इसमें निवेशकों के पैसे किसी बैंक मे नहीं होते है।
अगर किसी कारण वश बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपकी करेंसी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा। इसमें फ्रॉड होने के चांस बहुत कम होते है।

ठीक इसी प्रकार वेब 3.0 मे यूजर्स का डाटा ब्लॉकचेन की तरह किसी प्राइवेट सर्वर पर पब्लिश न होकर यूजर की डिवाइस में एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट ही रहेगा। लेकिन कोई भी यूजर यह नहीं जान सकेगा। कि आपका डाटा कहा पर रखा। जिसके कारण आपके डाटा के साथ छेड़छाड़ करना, करना संभव नहीं होगा। इसे पढे :- डीप लर्निंग तकनीक क्या है |

आने वाले दिनों मे वेब 3.0 आने के बाद देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा । कि इससे यूजर को कितना फायदा मिलता है।

Web 3.0 से आपकी लाइफ में क्या बदलेगा?

इंटरनेट की दुनिया मे Web 3.0 आने के बाद यूजर के कंटेन्ट का कंट्रोल यूजर के पास ही रहेगा। जिसके बदले मे उन्हे टोकन मिलेंगे। यूजर जिस भी इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म पर अपना कंटेन्ट पब्लिश करेंगे। उसके राइट्स उनके पास ही रहेंगे। यानि कि यूजर अपने डाटा को खुद कंट्रोल कर सकेंगे।

जबकि वर्तमान मे Web 2.0 मे ऐसा नहीं है। यूजर जैसे ही किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेन्ट पब्लिश करता है। तो वो कंटेन्ट उन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? प्लेटफ़ॉर्म का ही हो जाता है। जिसे वे अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकते है। इसे भी पढे :- ई प्लेन तकनीक क्या है | डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

एलन मस्क Web 3.0 के सपोर्ट में नहीं है

Web 3.0 को लेकर गूगल , फ़ेसबुक , ऐमज़ान , ट्विटर , टेसला जैसी बड़ी कंपनी इसके पक्ष मे नहीं है । टेसला के फाउंडर और सीईओ एलन मस्क और ट्विटर के फाउंडकर जैक डोर्सी भी इसके पक्ष मे नहीं है। लेकिन उनका कहना है Web 3.0 पर पिछले दस वर्षों से काम चल रहा है। आने वाले 10 वर्षों मे Web 3.0 Web 2. 0 को रिप्लेस कर देगा। जोकि समय की मांग है।

Explainer: वेब 3 क्या है, जानिए इससे इंटरनेट यूजर्स को क्या फायदा होगा

मौजूदा समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. आज लगभग पूरी दुनिया इस पर निर्भर है. शायद आपने इससे पहले कभी Web 3.0 का नाम न सुना हो. लेकिन आपको बता दें कि यह शब्द काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा है और ये इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.

क्या है वेब 3.0

क्या है वेब 3.0

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2022,
  • (Updated 18 अप्रैल 2022, 2:07 PM IST)

फेसबुक अपनी मर्जी से कुछ भी नही हटा पाएगी

यूजर्स हो जाएंगे और भी ज्यादा पावरफुल

सोशल मीडिया पर एक शब्द काफी समय से प्रचलित है और ये काफी भ्रमित करने वाला भी है. इसे "वेब 3.0" या "वेब3" भी कहा जाता है. कुछ लोगों द्वारा इस घटना को इंटरनेट के भविष्य के रूप में पेश किया जा रहा है. इससे वेब के विकेंद्रीकरण की शुरुआत होगी. मौजूदा समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. आज लगभग पूरी दुनिया इस पर निर्भर है. शायद आपने इससे पहले कभी Web 3.0 का नाम न सुना हो. लेकिन आपको बता दें कि यह शब्द काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा है और ये इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.

आप और हममें से अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं वो वेब 2.0 है और इससे पहले पूरी दुनिया वेब 1.0 का इस्तेमाल कर रही थी. ये एप्लिकेशन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलते हैं. जब कोई यूजर किसी ऐप्लिकेशन से बाहर निकलना चाहता है, तो वह सिर्फ लॉग ऑफ करता है, अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करता है, और अपना डेटा खुद के पास सेव कर लेता है.

क्या होंगे बदलाव?
वेब 3 के आने के बाद से हम और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे. जब आप वेब 3.0 के जरिए इंटरनेट पर अपना कंटेंट डालेंगे तो इसके बदले में आपको एक डिजिटल टोकन मिलेगा. वेब 3.0 में कंटेंट का पूरा अधिकार आपके पास होगा और फेसबुक, ट्विटर जैसी कोई भी कंपनी अपनी मर्जी से कंटेंट नहीं हटा पाएंगी. एक्सपर्ट्स बतातें है कि ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, जहां सारा डेटा डिसेंट्रलाइज्ड होगा. दरअसल ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें आपका कंटेंट या डेटा किसी कंपनी के डेटाबेस में नहीं बल्कि आपके डिवाइस में सेव होगा. यानी कि अब आपके डेटा में कोई भी अपने हिसाब से चेंजस नहीं कर सकता है.

साल 1989 में जब वेब 1.0 आया था उस वक्त हम इंटरनेट पर मौजूद जानकरियों को सिर्फ पढ़ सकते थे. उस समय इंटरनेट पर सारा डेटा टेक्स्ट फॉर्म में था. इसके बाद वेब 2.0 आया और इसने कुछ बदलाव के साथ हमें पढ़ने के साथ-साथ सुनने और देखने का भी मौका दिया. हमारे ज्यादातर जरूरी काम इंटरनेट से पूरे होने लगे. अब वेब 3.0 के आ जाने से इंटरनेट पर एकाधिकार दिखाने वाली कंपनी जैसे गूगल, फेसबुक आदि अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं हटा पाएंगी.

कब तक आएगा वेब 3.0?
अभी इसकी कोई निश्चित टाइमलाइन नहीं है. यूजर्स ब्लॉकचेन का उपयोग करना जारी रखेंगे और डेवलपर्स इसके लिए उत्पाद बनाना जारी रखेंगे और एक दिन यह हर जगह उपलब्ध होगा. फिलहाल कई सारी वेब 3.0 क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. डेवलपर्स वायरलेस इंटरनेट, नए ब्राउज़र, पीयर-टू-पीयर फ़ाइलों को साझा करने और बेहतर सामाजिक नेटवर्क के लिए प्रोटोकॉल और ऐप बना रहे हैं. कह सकते हैं कि एक डिसेंट्रलाइज्ड इंटरनेट के लिए नींव तैयार की जा रही है.

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