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बाजार का राज्य और विकास

बाजार का राज्य और विकास

उद्योग

अतीत में केवल सोने और चांदी की मिट्टी, बढ़ईगीरी, तेल निकलना , टैनिंग और चमड़े का काम, बर्तनों, बुनाई और कपड़ा मुद्रांकन जैसे कुटीर उद्योग अस्तित्व में थे। जींद और सफीदों में छिम्बा (डाक टिकट) ने रजिस (रजाई) तस्कर (बिस्तर कपड़ा) जजाम (तल कपड़ा और चिंतित) की तरह मोटे देश का कपड़ा मुद्रांकित किया। पूर्वी जींद राज्य के राजा रघुबीर सिंह (1864-1887) ने स्थानीय कला को प्रोत्साहित करने में गहरी दिलचस्पी ली और निर्माताओं ने रूड़की (यू.के) और अन्य स्थानों पर सोने, चांदी, लकड़ी आदि में विभिन्न कर्मियों को उनके शिल्प की बाजार का राज्य और विकास उच्च शाखाएं सीखने के लिए भेजा।

जिले के खनिज धन नमक , कंकर और पत्थर तक सीमित हैं। जिले में कई स्थानों पर क्रूड नमकीन तैयार किया गया था और जींद और सफीदों में राज्य रिफाइनरी में परिष्कृत किया गया था, जो पूर्व रियासत जींद राज्य के शासक द्वारा खोला गया था।

19वीं शताब्दी के करीब या 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में नरवाना और जींद में दो कपास-जुने कारखाने खोले गए। स्वतंत्रता के लिए या फिर हरियाणा के गठन के लिए जिले में औद्योगिक क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई।

1966 से पहले, चक्र, नैदानिक प्रयोगशाला थर्मामीटर और पानी के पाइप फिटिंग के निर्माण के लिए केवल 3 महत्वपूर्ण इकाइयां थीं। 1966 में एक अलग राज्य के रूप में हरियाणा के उदय के साथ, जिले में औद्योगीकरण की वास्तविक प्रक्रिया शुरू हुई। शहरी इलाकों में रेडियो और बिजली के अच्छे निर्माण, सीमेंट जेलिस, साबुन और मोमबत्तियों आदि के निर्माण के लिए कई छोटे पैमाने पर औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गईं। 1968 के बाद कृषि उपकरण, रसायन, थर्मामीटर, सर्जिकल कपास, फाउंड्री, स्क्रू, प्लास्टिक उत्पाद, पेपर बोर्ड, कोक ब्रिकेट आदि की स्थापना करने वाली कुछ और महत्वपूर्ण इकाइयां स्थापित की गईं। पहले बड़े पैमाने पर औद्योगिक इकाई जींद में दूध संयंत्र थी, जो 1970 में अस्तित्व में आया था। 1973 में इस्पात उत्पादों के निर्माण के लिए एक अन्य इकाई की स्थापना की गई थी। जिला में उद्योग को 1974 में एक पशु चारा संयंत्र की स्थापना के साथ एक और उत्साह प्राप्त हुआ।

सर्जिकल कपास, जैव-कोयला, चावल मिलों, हथकरघा और बुनाई वाले ट्रैक्टर झाड़ियों, पानी के नल, रोटी, बिस्कुट, लकड़ी और स्टील के फर्नीचर, सूती धागे, दवाइयां, चमड़े के रसायनों, पीवीसी पाइप्स जैसे वस्तुओं के निर्माण में लगे कुछ और महत्वपूर्ण इकाइयां हैं। वाशिंग पाउडर और साबुन, टिन कंटेनर, रेलवे घटक यानी रेल लोचदार क्लिप, तेल रिफाइनरी, वानस्पति घी, छिड़कने वाले चमड़े के जूते, विद्युत माधियां, छत के प्रशंसकों, कूलर और सामान्य प्रतिनिधि, फाउंड्रीज, टायर रिसल-रिट्रीडिंग, प्लास्टिक ढाना, हाथ से बने कागजात , पशु चारा और पोल्ट्री फीड, जिप्सम बोर्ड, निपटान सिरिंज और सुइयों, मुद्रण पेपर, आटा मिल्स और एलपीजी भंडार और बॉटलिंग भी मौजूद हैं।

मिल्क प्लांट जींद

1997 में हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित पहला आधुनिक डेयरी प्लांट था, जिसमें राज्य में अधिशेष दूध के लिए बाजार उपलब्ध कराने का उद्देश्य था। हरियाणा दूध उत्पादन में समृद्ध है और राज्य में अधिशेष दूध सामान्य रूप से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और विशेष रूप से भूमिहीन किसानों की अपने उद्देश्य के अनुपालन के परिणामस्वरूप, उसने शहरी उपभोक्ता को उचित दर पर शुद्ध, सुरक्षित और पौष्टिक दूध उत्पादों को उपलब्ध कराया है जबकि एक ही समय में किसानों को दूध का आकर्षक मूल्य सुनिश्चित करना है।

जींद जिला 18 एकड़ से अधिक भूमि में फैला है, जो प्रति दिन एक लाख लीटर दूध की प्रक्रिया करने की क्षमता वाले विटा दूध उत्पादों का उत्पादन करती है। हिसार और फतेहाबाद जिलों से दूध का संग्रह सहकारी समितियों के नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है जहां से हर सुबह और शाम संयंत्र में नए दूध को ले जाया जाता है। यह दूध दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में बिक्री के लिए प्रीमियम गुणवत्ता वाले दूध पाउडर, घी, पनीर और पॉलीपैक दूध में परिवर्तित होता है।

वर्तमान में यह संयंत्र दूध संघ, जींद द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है जो हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड का सदस्य है और 600 गांव सहकारी समितियों के सदस्य हैं। छोटी जमीन और होल्डिंग वाले किसानों के बड़े पैमाने पर 20000 से अधिक परिवार अपने आपरेशनों के लाभार्थी हैं। इसके अस्तित्व और सक्रिय हस्तक्षेप से दूध उत्पादकों और मवेशियों की आपूर्ति और बीज आदि की आपूर्ति में आकर्षक वापसी सुनिश्चित हुई है।
दूध के आगे वाले इलाके में, 805 गांव हैं और अनुमानित दैनिक दूध उत्पादन प्रति दिन 25.46 लाख लीटर है, जिसमें से 6.62 लाख लीटर बाजार योग्य अधिशेष हैं। संयंत्र ने 2004 तक अपने हाथों की क्षमता को 2 लाख लीटर दूध प्रतिदिन बढ़ाने की योजना बनाई है।

पिछले तीन वर्षों के दौरान, प्लांट एंड यूनियन का प्रदर्शन निम्नानुसार है: –

अनु क्रमांक विवरण 1997-1998 1998-1999 1999-2000
1 औसत दूध प्रति दिन खरीदते हैं 41000 43000 46000
2 उत्पादकों को चुकाने की औसत कीमत 9.62 9.65 10.54
3 समाज की संख्या 413 520 537
4 सदस्यों की संख्या 9800 11760 12360
5 दूध पाउडर उत्पादन (एमटी) 433 279 398
6 घी उत्पादन (एमटी) 751 764 848
7 पनीर उत्पादन (एमटी) 113 281 289
8 पशु फ़ीड बिक्री (एमटी) 660 976 613

जींद शहर में तेजी से शहरीकरण के परिणाम स्वरूप दूध की मांग को पूरा करने के लिए, संयंत्र ने जींद में पॉलीबैक दूध की आपूर्ति शुरू कर दी है। विभिन्न इलाकों में दूध बूथ स्थापित करने की स्थानीय प्रशासन प्रक्रिया की मदद से शुरू किया गया है। इससे उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर अनधिकृत और पौष्टिक दूध और दूध उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

जींद सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड जींद

इतिहास तारीख
स्थापित तारीख फरवरी 16, 1 985
लागत Rs. 10,41,74,000
क्रशिंग क्षमता 125 टन गन्ना दैनिक
1999-2000 तक लाभ Rs. 1140.64 लाख
क्रशिंग के मौसम में चीनी का उत्पादन 1999-2000 1,94,515 बैग
कितना गन्ना पिसा 22.15 लाख क्विंटल
चीनी क्रशिंग सीज़न 1998-99 की वसूली 8.75%
कितना गन्ना पिसा 21.00 लाख क्विंटलl
चीनी की वसूली 8.64 %

गन्ना के बीज के लिए ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करते हैं। बीज और भूमि उपचार के लिए 25% सब्सिडी प्रदान की जाती है। मुफ्त बीज उपचार के लिए मिल में तीन गर्म हवा इकाइयां स्थापित की गई हैं। वर्ष 2000-2001 के लिए गन्ने के अंतर्गत मिल में 23,15 9 एसर भूमि है।

शुगर की कम वसूली और गन्ने की दर में वृद्धि के कारण मिल में वर्ष 1999-2000 में 484.94 लाख रुपये का घाटा हुआ । लगभग 1000 लोगों को मिल द्वारा रोजगार दिया गया है।

मिल ने वर्ष 1991-9 2 में देश बाजार का राज्य और विकास में तीसरी स्थिति हासिल की। इसने 1 992-93, 1993-94 और 1999-9 6 में तकनीकी कौशल की पहली स्थिति हासिल की और वर्ष 1997-9 8 में दूसरी स्थिति हासिल की।

सम्मेलन : राज्य का नेतृत्व गलत हाथों में है, महिला विकास, सुरक्षा और सशक्तिकरण की हो रही अनदेखी- सुदेश

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राज्य का नेतृत्व गलत हाथों में है। इसलिए महिला विकास, सुरक्षा और सशक्तिकरण की अनदेखी हो रही है। झारखंड की महिलाओं में अपार क्षमता है। राज्य की दिशा और दशा बदलने के लिए उन्हें आगे आना होगा। ये बातें आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने मांडू में आयोजित अखिल झारखंड महिला संघ के प्रतिनिधि सम्मेलन में कही। उन्होंने महिलाओं से कहा, "हम आपकी ताकत का एहसास दिलाना चाहते हैं। आप स्वतः नेतृत्वकर्ता हैं, जो अपनी मेहनत, खुशी परिवार के लिए सौंप देती हैं। एक परिवार से आगे बढ़कर संपूर्ण राज्य को खुशी और समान भागीदारी बनाने की जिम्मेदारी भी आप निभाएं।" मौजूदा दौर में महिलाएं अपनी प्रतिभा के बल पर प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़कर देश का गौरव बढ़ाने के साथ राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार हमारी महिला शक्ति हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के माध्यम से महिलाओं की इस भागीदारी को और ज्यादा विस्तार दिए जाने की जरूरत है। इसी कल्पना एवं सोच के साथ हमने संजीवनी कार्यक्रम की शुरुआत की थी। और एक समय आया जब लाखों महिलाएं इस कार्यक्रम से जुड़ीं। पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण देने की जो पहल मैंने की थी, उसका सकारात्मक असर साफ-साफ दिखने लगा।

बाजार का राज्य और विकास महिला सशक्तिकरण, विकास की गति पड़ी धीमी
वर्तमान सरकार में महिला सशक्तिकरण एवं विकास की गति धीमी पड़ने की बात सुदेश महतो ने कही। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर मूल्यांकन बाजार का राज्य और विकास करने पर यह साफ-साफ दिख रहा कि शासन-प्रशासन महिलाओं के विकास के प्रति उदासीन है। सरकार को महिलाओं की भागीदारी एवं वास्तविक जरूरतों से कोई खास मतलब नहीं। जबकि, आदर्श समाज के निर्माण के लिए आधी आबादी को बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

समाज में महिलाओं की भागीदारी हो सुनिश्चित
महिलाओं की हौसला अफजाई करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि हम थोपे हुए नेतृत्वकर्ता पर विश्वास नहीं करते। हम राज्य भर से जुटी इसी भीड़ से नेतृत्वकर्ता तैयार करना चाहते हैं। उदाहरण देने से अच्छा उदाहरण बनना पसंद करते हैं। आजसू पार्टी बाजार का राज्य और विकास का हमेशा से यह प्रयास है कि समाज में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो और वे आत्मनिर्भर बनें। पार्टी में महिलाओं की निरंतर भागीदारी बढ़ी भी है। अधिवेशन में गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस एवं उमाकांत रजक, गोमिया विधायक लंबोदर महतो, रोशनलाल चौधरी, डॉ. देवशरण भगत, तिवारी महतो, हरेलाल महतो, यशोदा देवी, नीरू शांति भगत, पार्वती देवी, वर्षा गाडी, यशोदा देवी, अंजू देवी, निर्मला भगत, बबीता देवी, बीना चौधरी, संगीता बारला, पार्वती देवी, अनिता साहू, सुनिता चौधरी इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

अधिवेशन में ये प्रस्ताव हुए पारित
- हर प्रखंड में महिला थाना की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

- सभी प्रकार की नौकरियों (सरकारी एवं गैर सरकारी) में महिलाओं को पचास फीसदी का आरक्षण मिले।

- महिलाओं को संगठित, सशक्त एवं समृद्ध करने के लिए ठोस योजना बने तथा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव में महिलाएं बराबर की भागीदार बने।

- महिलाओं और बच्चों के लिए पूर्ण पोषण, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराना।

- महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वालंबन की दिशा में चलाया जाए विशेष अभियान। स्वरोजगार के लिए कम ब्याज पर ऋण की सुलभ उपलब्धता।

- एसएचजी को प्रोत्साहन और उन्हें लघु उद्योगों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन तथा उत्पादित वस्तुओं के लिए सुदृढ़ बाजार व्यवस्था उपलब्ध कराना।

- महिला झारखंड आंदोलनकारियों का चिन्हितीकरण एवं सम्मान।

- महिलाओं से जुड़े मामलों/ घटनाओं/ केस का फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो सुनवाई हो तथा अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

- बाल विवाह, भ्रूण हत्या, डायन-बिसाही कुप्रथा रोकने के लिए जागरूकता अभियान।

- महिलाओं को लेकर सरकार ने जो वादें किए, उसे अविलंब पूर्ण करे।

सरकार ने जानें क्या-क्या किए हैं वादे
- प्रत्येक गांव में महिला बैंक की स्थापना

- गरीब परिवार की महिलाओं को ₹ 2000 प्रतिमाह चूल्हा खर्च

- पंचायत सेवक, एएनएम, शिक्षिका एवं होम गार्ड जैसे सभी रिक्तियों को तत्काल भरते हुए भारी संख्या में महिलाओं को स्थायी नौकरी

- सभी जाति एवं धर्म की लड़कियों को प्राथमिक से लेकर पीएचडी तक निःशुल्क शिक्षा

- हर अनुमंडल मुख्यालय में सभी सुविधाओं के साथ महिला महाविद्यालय की स्थापना

बाजार का अर्थ एवं वर्गीकरण

परंतु अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ इससे अलग है। अर्थशास्त्र के अंतर्गत बाजार शब्द का आशय उस सम्पूर्ण क्षेत्र से है। जहां तक किसी वस्तु के क्रेता व विक्रेता फैले होते हैं तथा उनमे वस्तुओं के खरीदने और बेचने की स्वतंत्र प्रतियोगिता होती है जिसके कारण वस्तु के मूल्य में एकरूपता की प्रवृत्ति पाई जाती है। उसे बाजार कहते है। अर्थशास्त्र में बाजार का वर्गीकरण:-

निम्नलिखित दृष्टिकोण से किया जाता है।

1. क्षेत्र की दृष्टि से
2. समय की दृष्टि से
3. कार्यों की दृष्टि से
4. प्रतियोगिता की दृष्टि से

5. वैधानिकता की दृष्टि से
दोस्तों यहाँ पर हम केवल क्षेत्र की दृष्टि से, समय की दृष्टि से, कार्यों की दृष्टि से बाजार का वर्गीकरण के बारे में जानेंगे।

1. क्षेत्र की दृष्टि से:- क्षेत्र की दृष्टि से बाजार के वर्गीकरण का आधार है कि वस्तु विशेष के क्रेता और विक्रेता कितने क्षेत्र में फैले हुए हैं यह चार प्रकार का होता है।

1.स्थानीय बाजार:- जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता किसी स्थान विशेष तक ही सीमित होते हैं तब उस वस्तु का बाजार स्थानीय होता है।
स्थानीय बाजार में भारी एवं कम मूल्य वाली वस्तुएं तथा शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुएं जैसे ईट दूध और सब्जी आदि आते है।

2. प्रादेशिक बाजार:- बाजार का राज्य और विकास जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता केवल एक ही प्रदेश तक पाये जाते है। तो ऐसा बाजार प्रदेशिक बाजार होता है।
जैसे:- राजस्थान की पगड़ी, और लाख की चूड़ियां केवल राजस्थान में ही इनका प्रयोग किया जाता है। यह अन्य राज्यों में नहीं पाई जाती।
3. राष्ट्रीय बाजार:- किसी वस्तु का क्रय विक्रय केवल उस राष्ट्र तक ही सीमित हो जिस राष्ट्र में वह वस्तु बनाई जाती हैं। तब वस्तु का बाजार राष्ट्रीय होता है।

जैसे:- जवाहर कट धोतियां
4. अंतरराष्ट्रीय बाजार:- जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता विश्व के अलग अलग राष्ट्र से वस्तुओं का क्रय विक्रय करते हैं। या किसी वस्तु की मांग देश या विदेश में हो तो उस वस्तु का बाजार अंतराष्ट्रीय होता है।

जैसे:- सोना, चांदी, चाय, गेहूं

2. समय की दृष्टि से:- प्रोफेसर मार्शल ने समय के अनुसार बाजार को 4 वर्गों में बांटा है

1. अति अल्पकालीन बाजार या दैनिक बाजार:- जब किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसकी पूर्ति बढ़ाने का समय नहीं मिल पाता तब ऐसे बाजार को अति अल्पकालीन बाजार कहते हैं।

जैसे:- शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुएँ दूध, सब्जी मछली आदि। इनका भंडारण ज्यादा समय तक नही किया जा सकता। ये दैनिक बाजार के अंतर्गत आते है।

2. अल्पकालीन बाजार:- अल्पकालीन बाजार में मांग और पूर्ति के संतुलन के लिए कुछ समय मिलता है। किंतु यहां पर्याप्त नहीं होता। पूर्ति में मांग के अनुसार कुछ सीमा तक घटाया या बढ़ाया जाता है। किंतु यह पर्याप्त नहीं है।

3. दीर्घकालीन बाजार:- जब किसी वस्तु का बाजार कई वर्षों के लंबे समय के लिए होता है तो उसे दीर्घ कालीन बाजार कहते हैं।

अति दीर्घकालीन बाजार:- इस बाजार में उत्पादकों को पूर्ति बढ़ाने के लिए इतना लंबा समय मिल जाता है कि उत्पादक उपभोक्ता के स्वभाव रुचि फैशन आदि के अनुरूप उत्पादन कर सकता है।

3. बिक्री की दृष्टि से
1. सामान्य अथवा मिश्रित बाजार:- मिश्रित बाजार उस बाजार को कहते हैं जिसमें अनेक एवं विविध प्रकार की वस्तुओं का क्रय विक्रय होता है। यहां क्रेताओं की आवश्यकताओं की सभी वस्तुएं उपलब्ध हो जाती है।

2. विशिष्ट बाजार:- यह वह बाजार होते हैं जहाँ किसी वस्तु विशेष का क्रय-विक्रय होता है।

जैसा:- सराफा बाजार, बजाज बाजार, दाल मंडी, गुड मंडी आदि

3. नमूने द्वारा बिक्री का बाजार:- ऐसे बाजार में विक्रेता को अपना संपूर्ण माल कहीं ले जाना नहीं पड़ता है वह माल को देखकर सौदा तय करते हैं सौदा तय होने पर माल गोदाम से भिजवा देते हैं। लोग अपने घर बैठे ही नमूना देखकर उस में चुनाव करके बहुत सा सामान मंगा लेता है।

4. ग्रेड द्वारा विक्री का बाजार:- इस प्रकार के बाजार में वस्तुओं की बिक्री उनके विशेष नाम अथवा बाजार का राज्य और विकास ग्रेड द्वारा होती है खरीददार को ना तो वस्तुओं के नमूने दिखाने पढ़ते हैं और ना ही क्रेता को कुछ बताना पड़ता है।

जैसे:- फिलिप्स रेडियो

5. निरीक्षण बाजार:- इस बाजार में निरीक्षण करके उसकी कीमत लगाई जाती है।

जैसे:- गाय, बैल, बकरी, घोड़े आदि

6. ट्रेड मार्का बिक्री बाजार:- बहुत से व्यापारी के माल व्यापार चिन्ह के आधार पर बिकते हैं। बाजार का राज्य और विकास उसे ट्रेड मार्का बिक्री बाजार कहते है।
जैसे:- ऊषा मशीन, बिरला सीमेण्ट आदि।

ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को मिलेगा बड़ा बाजार, ग्रामीण विकास मंत्रालय और अमेजन के बीच समझौता, गिरिराज सिंह बोले एसएचजी की महिलाओं को ‘लखपति’ बनाना लक्ष्य

ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को मिलेगा बड़ा बाजार, ग्रामीण विकास मंत्रालय और अमेजन के बीच समझौता, गिरिराज सिंह बोले एसएचजी की महिलाओं को 'लखपति' बनाना लक्ष्य - Panchayat Times

नई दिल्ली. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (अमेजन) के बीच आज नई दिल्ली के कृषि भवन में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह और ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा की उपस्थिति में गुरुवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

अधिक से अधिक महिला कारीगर लखपति बनें : गिरिराज सिंह

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान, गिरिराज सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय और अमेजन के बीच समझौता ज्ञापन के बाद अमेजन पर बिक्री में वृद्दि करने और यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि इस समझौते से अधिक से अधिक महिला कारीगर ‘लखपति’ बनें. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अमेजन और ग्रामीण विकास मंत्रालय दोनों को मौजूदा उत्पादों, उनकी पैकेजिंग और ब्रांडिंग के दौरान आने वाली चुनौतियों की पहचान करनी चाहिए.

इस समझौता ज्ञापन से यह परिकल्पना की गई है कि यह समझौता राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह उद्यमियों को अमेजन सहेली स्टोरफ्रंट के माध्यम से पूरे भारत में खरीदारों को अपने उत्पादों की पेशकश करने में सक्षम करेगा और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उनके विभिन्न उत्पादों के लिए अच्छे मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा.

क्या है समझौते की मुख्य विशेषताएं

अमेजन और ग्रामीण विकास मंत्रालय संयुक्त रूप से पहचाने गए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के नेतृत्व वाले ग्रामीण उद्यमों के वाणिज्यिक और सामाजिक विकास को सक्षम बनाएंगे.

Amazon.in पर ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के उत्पादों को सूचीबद्ध करने के लिए अमेजन, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त विक्रेताओं को प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान करने में सहायता प्रदान करेगा.

अमेजन स्वयं सहायता समूहों के लिए धीमी शुरूआत को कम करने के लिए शुभारंभ पर रेफरल शुल्क में छूट, उत्पाद के छायाचित्र और कैटलॉगिंग और खाता प्रबंधन में सहायता प्रदान करेगा.

अमेजन सहेली स्टोरफ्रंट, सोशल मीडिया, इवेंट्स और ऑनसाइट व्यापार के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों द्वारा सूचीबद्ध उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और बढ़ावा देने में मदद करेगा.

ग्रामीण विकास मंत्रालय (संबंधित एसआरएलएम के माध्यम से) अमेजन डॉट इन पर बेचने के लिए जीएसटी सत्यापित विक्रेताओं की पहचान करने और उन्हें अवगत कराने में मदद करेगा, और जीएसटी, पीएएन आदि हासिल करने में विक्रेताओं की सहायता करेगा.

ग्रामीण विकास मंत्रालय और अमेजन जागरूकता सृजन के लिए संयुक्त कार्यशालाएं आयोजित करेंगे और विक्रेताओं को अपने उत्पादों को सूचीबद्ध करने और अमेजन डॉट इन पर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए विकास में वृद्धि करने में सहायता करेंगे.

क्या कदम उठा रहा है मंत्रालय

कई सालों से ग्रामीण विकास मंत्रालय दीनदयाल उपाध्याय-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने स्वयं सहायता समूह को अपने उत्पादों के लिए बाजारों तक पहुंच बनाने में सहायता करने के लिए लगातार कदम उठा रहा हैं. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को पंजीकृत कराने के प्रयास किए गए हैं, उदाहरण के लिए, फ्लिपकार्ट, अमेजन और मीशो आदि शामिल हैं. इसमें कुछ राज्यों बाजार का राज्य और विकास द्वारा प्रबंधित समर्पित वेब-पोर्टल भी शामिल हैं.

1 हजार से ज्यादा उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध

इसके अलावा मंत्रालय संभावित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का पता लगा रहा है और एनआरएलएम एसएचजी के लिए उनके तैयार किए गए उत्पादों को बिक्री प्लेटफॉर्म पर शामिल करने के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) में “सरस संग्रह” जैसे विशिष्ट प्रावधान बनाए गए हैं. 30 अप्रैल, 2022 तक, 455 एसएचजी / एसएचजी सदस्यों द्वारा जीईएम पर कुल 1 हजार 88 उत्पाद अपलोड किए गए हैं. इसी तरह, फ्लिपकार्ट पर 14 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 114 एसएचजी विक्रेताओं के 445 उत्पाद उपलब्ध हैं.

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