ट्रेडर कौन होते है?

'नॉन-मूमेंटमÓ निवेश के मुनाफा कमाने की संभावना उतनी ही होती है जितनी मूमेंटम या काउंटर-ट्रेंड ट्रेड की होती है। लेकिन मुझे लगता है कि औसत नॉन-मूमेंटम इन्वेस्टर्स इन महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में नहीं सोच पाते हैं। जोखिम इसलिए नहीं दिखाई पड़ता क्योंकि इसे दिखाया नहीं जाता है। नियम तय होने से कारोबारी जोखिम लेने की अपनी क्षमता और जोखिम समझने के लिए बाध्य होते हैं। नियम तय करने के कई मनोवैज्ञानिक फायदे भी होते हैं।
इंट्राडे के लिये बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम | Best Trading Chart Time Frame In Hindi
बहुत से ट्रेडर्स को ये नही समझ मे आता है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाईम फ्रेम कौन सा है ?
बहुत से नए ट्रेडर्स अक्सर इस उलझन में रहते हैं कि ट्रेडिंग के समय ऐसा कौन सा Best Trading Chart Time Frame प्रयोग किया जाए,
जिससे ट्रेडिंग में ज्यादा शुद्धता आ सके तथा नुकसान की संभावना को भी कम किया जा सके।
इस लेख में हमलोग इसी बात पर चर्चा करेंगे कि किस बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम का प्रयोग किया जाए जिससे ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
जैसा कि हम जानते हैं कि ट्रेडिंग तीन प्रकार से होती है –
पहली इंट्राडे ट्रेडिंग जिसमें हमे उसी दिन शेयर की खरीद – बिक्री करनी होती है, तथा उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले अपनी पोजिशन बन्द करनी होती है।
बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम ( Best Trading Chart Time Frame In Hindi )
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि शेयर बाजार में भिन्न – भिन्न प्रकार से ट्रेडिंग की जाती है। और हर प्रकार की ट्रेडिंग में चार्ट भी अलग – अलग समयानुसार ही देखा जाता है।
वैसे तो चार्ट को अपनी सुविधा और अनुभव के आधार पर अलग – अलग समय चक्र के अनुसार देखा और समझ जाता है।
किन्तु नए Traders को Stock Market का ज्यादा अनुभव नही होता है इसलिए वो चार्ट को लेकर हमेशा दुविधा में रहते हैं।
भिन्न – भिन्न समय ढांचे में चार्ट को देखते रहने पर भी नए ट्रेडर को किसी भी Sock का कोई स्पष्ट रुझान या Trend समझ मे नही आता है।
वो ये समझ ही नही पाते हैं कि आखिर Best Trading Chart Time Frame है क्या ?
इस लेख में नए ट्रेडरों की इसी उलझन को सुलझाने का प्रयत्न किया जा रहा है कि किस प्रकार की ट्रेडिंग के लिए कौन सा बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम अच्छा होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम ( Best Trading Chart Time Frame For Intraday In Hindi )
किसी भी चार्ट में सबसे पहला एक मिनट का टाइम फ्रेम होता है जिसमे एक इंट्राडे ट्रेडर ब्रेकआउट ( Brakeout ) की स्थिति ढूंढने का प्रयास करता है।
परन्तु इसमे बहुत ज्यादा शुद्धता नही होती है क्योंकि एक मिनट मे बनने वाले चार्ट पैटर्न से केवल किसी स्टॉक की क्षणिक स्थिति ही पता चलती है इसलिए एक मिनट के टाइम फ्रेम पर ट्रेडिंग करना उचित नही होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए पांच से पंद्रह मिनट का टाइम फ्रेम बेस्ट चार्ट टाइम फ्रेम होता है।
स्विंग ट्रेडिंग ( Swing Trading ) के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम
यदि हम स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो इसके लिए आधे घण्टे या एक घण्टे के टाइम फ्रेम का प्रयोग कर सकते हैं।
बहुत से इंट्राडे ट्रेडर भी आधे घंटे के टाइम फ्रेम को देखते हैं, क्योंकि चार्ट टाइम फ्रेम जितना बड़ा होगा उसके संकेत भी उतने ही सटीक होंगे।
किसी स्टॉक का सही ट्रेंड बड़े टाइम फ्रेम से ही सटीक पता चलता है। जो Trend आपको बड़े टाइम फ्रेम में दिखेगा वही Trend छोटे चार्ट टाइम फ्रेम में भी होगा।
उदाहरण के लिए यदि आधे घण्टे के टाइम फ्रेम में कोई स्टॉक तेजी दर्शा रहा है तो पांच मिनट के टाइम फ्रेम में भी वो तेजी ही दिखाएगा।
Share Market ने पूरे किए सपने, नौकरी छोड़ आधी दुनिया की सैर कर चुकी है ये लड़की
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 06 जून 2022,
- (अपडेटेड 06 जून 2022, 12:58 PM IST)
- दुनिया घूमने के लिए छोड़ी बैंकर की नौकरी
- शेयर मार्केट में ट्रेड कर कमाती हैं पैसे
अच्छी-खासी सैलरी वाली बैंकर (Banker) की नौकरी को भला कौन छोड़ना चाहता है. हालांकि दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं, जिनका सपना अलग होता है. कोलकाता (Kolkata) की रहने वाली राजर्षिता सुर (Rajarshita Sur) की कहानी भी ऐसी ही है. राजर्षिता का सपना दुनिया घूमने का था और इस कारण उन्होंने बैंकर की नौकरी की परवाह ट्रेडर कौन होते है? नहीं की. सुर के सपने को पूरा करने में मददगार बना शेयर मार्केट (Share Market).
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ऐसे की शेयर मार्केट में शुरुआत
राजर्षिता सुर ने बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद इंडीपेंडेंट तरीके से स्टॉक मार्केट में ट्रेड (Stock Market Trading) करने लगीं. शुरुआत में उन्होंने एक कॉरपोरेट फर्म के साथ तीन साल तक प्रॉपरायटरी इक्विटी ट्रेडर के रूप में काम किया. इस नौकरी के साथ-साथ वह अपना ट्रेड भी करती रहीं. धीरे-धीरे राजर्षिता को शेयर मार्केट की चाल समझ आने लगी और उन्होंने ठीक-ठाक फंड भी बना लिया. बस फिर क्या था, उन्होंने ये नौकरी भी छोड़ दी और दुनिया घूमने निकल पड़ीं.
कर चुकीं दुनिया के इन हिस्सों की सैर
आज राजर्षिता सुर की पहचान एक इन्वेस्टमेंट गुरू (Investment Guru) के रूप में बन चुकी है. उन्हें शेयर मार्केट में ट्रेड करते हुए आठ साल हो चुके हैं. राजर्षिता सुर अभी तक ब्रिटेन (Britain), तुर्की (Turkey), दक्षिण पूर्वी एशिया (South East Asia) और लगभग 70 फीसदी यूरोप (Europe) की सैर कर चुकी हैं. अभी-अभी उन्होंने नेपाल (Nepal) का ट्रिप पूरा किया है और अब केन्या (Kenya) व आइसलैंड (Iceland) जाने की तैयारी में हैं. राजर्षिता हर साल विदेश की सैर करने के लिए कम-से-कम 10 लाख रुपये अलग रख दिया करती हैं. उनका कहना है कि वह हर महीने 3-4 फीसदी फायदा कमाने का टारगेट रखती हैं. जैसे ही ये टारगेट अचीव होता है, वह ट्रेडिंग बंद कर सैर करने निकल पड़ती हैं.
ट्रेडर कौन होते है?
अक्सर 'मूमेंटम ट्रेडिंगÓ को गलत रुप से परिभाषित किया जाता है। मूमेंटम ट्रेडर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो रुझानों पर नजर रखता है और उस हिसाब से निवेश करता है। जो लोग रुझान के विपरीत कारोबार करते हैं उन्हें काउंटर-मूमेंटम ट्रेडर कहा जाता है। एक तीसरी श्रेणी नॉन-मूमेंटम ट्रेडर की होती है जो उन निचले स्तरों पर कारोबार कर रहे शेयरों में निवेश करते हैं जिनके भविष्य में चढऩे की संभावना होता है। यह तरीका उसके बहुत करीब है जो एक बुनियादी निवेशक मूल्यांकन देख कर करता है।
जोखिम प्रबंधन के लिहाज से इन तीनों शेयरों की तुलना करना आवश्यक हो जाता है। ट्रेंड और काउंटर ट्रेंड यांत्रिक नियमों से बने होते हैं। बाजार में तेजी को देखते हुए कारोबारी खरीद मूल्य से कम पर स्टॉप लॉस लगा देते हैं। अगर रुझान बरकरार रहता है तो स्टॉप ऊपर चला जाता है और कारोबार बरकरार रह जाता है। अगर रुझान विफल होता है तो स्टॉप पर असर पड़ता है और बाहर निकलने पर कुछ नुकसान होता है। काउंटर- टें्रड ट्रेडर अक्सर उस समय शेयर या शेयर वायदा की शॉर्ट सेलिंग करता है जब उसे रुझान बरकरार रहने के आसान कम नजर आते हैं। स्टॉप लॉस विक्रय मूल्य के ऊपर लगाया जाता ट्रेडर कौन होते है? है। और उसका फैसला सही साबित होता है तो वह कुछ मुनाफा कमाता है या नहीं तो नुकसान होता है। यह नियम ट्रेडर कौन होते है? उस समय बदल जाते हैं जब मूमेंटम ट्रेडर गिरते बाजार में शॉर्ट पोजीशन लेते हैं या काउंटर-ट्रेडर गिरावट में लॉन्ग पोजीशन लेते हैं। इस तरह का कारोबार थोड़ा जोखिम भरा होता है।
क्रियान्वयन और अपनी पोजीशन के प्रबंधन की बेहतर समझ होने से कारोबारी अपने संभावित नुकसान का अंदाजा लगाने में अधिक सक्षम साबित होते हैं। काउंटर-ट्रेडर कीमत का लक्ष्य तय करते हैं जबकि ट्रेंड ट्रेडर ऐसा नहीं करते हैं। नॉन-मूमेंटम ट्रेड बिना किसी यांत्रिक नियमों के हो सकता है। कारोबारी या निवेशक उन शेयरों की ओर देख रहे हैं जिनका प्रदर्शन काफी लंबे समय से अपेक्षाकृत खराब रहा है लेकिन फिर भी बुनियाद मजबूती दिख रही है। निवेशक प्राय: शेयर के निश्चित रुझान को नहीं देखते हुए इसका मूल्यांकन तुलनात्मक प्रदर्शन देखकर करते हैं। व्यवहार में नॉन-मूमेंटम ट्रेडर शायद ही स्टॉप लॉस, कीमत लक्ष्य या समय सीमा निर्धारित करते हैं। आखिर नॉन-मूमेंटम ट्रेडर के साथ कौन से जोखिम जुड़े होते हैं? इस तरह के कारोबार महंगे नहीं होते हैं इसलिए एक खतरे की आशंका तो कम हो जाती है। थोड़ी देर के लिए मान लें कि इस श्रेणी में आने वाला निवेशक में किसी भी पोजीशन से निपटने की क्षमता होती है। अगर शेयर नीचे जाता है और पूंजी का नुकसान होता है लेकिन कोई स्पष्टï स्टॉप लॉस नहीं होता है। निवेशक में नुकसान झेलने की सीमा होती है जहां निवेशक कुछ रकम गंवा कर भी बाहर निकल जाता है। लेकिन नुकसान अगर धीरे-धीरे बढऩे लगता है तो कारोबारी को कई कष्टïपूर्ण फैसले लेने पड़ सकते हैं। बिना स्टॉप लॉस के हमेशा नुकसान देने वाले कारोबार पर बने रहने की प्रवृत्ति होती है और यह सोच काम करती है कि स्थिति अनुकूल हो जाएगी।
ट्रेडर कौन होते है?
अक्सर 'मूमेंटम ट्रेडिंगÓ को गलत रुप से परिभाषित किया जाता है। मूमेंटम ट्रेडर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो रुझानों पर नजर रखता है और उस हिसाब से निवेश करता है। जो लोग रुझान के विपरीत कारोबार करते हैं उन्हें काउंटर-मूमेंटम ट्रेडर कहा जाता है। एक तीसरी श्रेणी नॉन-मूमेंटम ट्रेडर की होती है जो उन निचले स्तरों पर कारोबार कर रहे शेयरों में निवेश करते हैं जिनके भविष्य में चढऩे की संभावना होता है। यह तरीका उसके बहुत करीब है जो एक बुनियादी निवेशक मूल्यांकन देख कर करता है।
जोखिम प्रबंधन के लिहाज से इन तीनों शेयरों की तुलना करना आवश्यक हो जाता है। ट्रेंड और काउंटर ट्रेंड यांत्रिक नियमों से बने होते हैं। बाजार में तेजी को देखते हुए कारोबारी खरीद मूल्य से कम पर स्टॉप लॉस लगा देते हैं। अगर रुझान बरकरार रहता है तो स्टॉप ऊपर चला जाता है और कारोबार बरकरार रह जाता है। अगर रुझान विफल होता है तो स्टॉप पर असर पड़ता है और बाहर निकलने पर कुछ नुकसान होता है। काउंटर- टें्रड ट्रेडर अक्सर उस समय शेयर या शेयर वायदा की शॉर्ट सेलिंग करता है जब उसे रुझान बरकरार रहने के आसान कम नजर आते हैं। स्टॉप लॉस विक्रय मूल्य के ऊपर लगाया जाता है। और उसका फैसला सही साबित होता है तो वह कुछ मुनाफा कमाता है या नहीं तो नुकसान होता है। यह नियम उस समय बदल जाते हैं जब मूमेंटम ट्रेडर गिरते बाजार में शॉर्ट पोजीशन लेते हैं या काउंटर-ट्रेडर गिरावट में लॉन्ग पोजीशन लेते हैं। इस तरह का कारोबार थोड़ा जोखिम भरा होता है।
क्रियान्वयन और अपनी पोजीशन के प्रबंधन की बेहतर समझ होने से कारोबारी अपने संभावित नुकसान का अंदाजा लगाने में अधिक सक्षम साबित होते हैं। काउंटर-ट्रेडर कीमत का लक्ष्य तय करते हैं जबकि ट्रेंड ट्रेडर ऐसा नहीं करते हैं। नॉन-मूमेंटम ट्रेड बिना किसी यांत्रिक नियमों के हो सकता है। कारोबारी या निवेशक उन शेयरों की ओर देख रहे हैं जिनका प्रदर्शन काफी लंबे समय से अपेक्षाकृत खराब रहा है लेकिन फिर भी बुनियाद मजबूती दिख रही है। निवेशक प्राय: शेयर के निश्चित रुझान को नहीं देखते हुए इसका मूल्यांकन तुलनात्मक प्रदर्शन देखकर करते हैं। व्यवहार में नॉन-मूमेंटम ट्रेडर शायद ही स्टॉप लॉस, कीमत लक्ष्य या समय सीमा निर्धारित करते हैं। आखिर नॉन-मूमेंटम ट्रेडर के साथ कौन से जोखिम जुड़े होते हैं? इस तरह के कारोबार महंगे नहीं होते हैं इसलिए एक खतरे की आशंका तो कम हो जाती है। थोड़ी देर के लिए मान लें कि इस श्रेणी में आने वाला निवेशक में किसी भी पोजीशन से निपटने की क्षमता होती है। अगर शेयर नीचे जाता है और पूंजी का नुकसान होता है लेकिन कोई स्पष्टï स्टॉप लॉस नहीं होता है। निवेशक में नुकसान झेलने की सीमा होती है जहां निवेशक कुछ रकम गंवा कर भी बाहर निकल जाता है। लेकिन नुकसान अगर धीरे-धीरे बढऩे लगता है तो कारोबारी को कई कष्टïपूर्ण फैसले लेने पड़ सकते हैं। बिना स्टॉप लॉस के हमेशा नुकसान देने वाले कारोबार पर बने रहने की प्रवृत्ति होती है और यह सोच काम करती है कि स्थिति अनुकूल हो जाएगी।
ट्रेडर कौन होते है?
अभी तक हमने ट्रेडर कौन होते है? ट्रेडर कौन होते है? बाजार के बारे में जाना की शेयर बाजार क्या है, निफ्टी और सेंसेक्स क्या है।अब हम आगे बढ़ते है आज हम शेयर बाजार के बेसिक टर्म की बात करेंगे।
शेयर मार्केट में इन्वेस्टर उन्हे समझा जाता है जिसके पास किसी शेयर के इन्वेस्टमेंट के ट्रेडर कौन होते है? लिए एक लॉन्ग टर्म का व्यू होता है ,जो किसी शेयर में मुनाफे और डिविडेंड के लिए इन्वेस्टमेंट करते है।
1 .वैल्यू इंवेस्टर (Value Investor):- वैल्यू इन्वेस्टर मार्केट में लिस्टेड अच्छी कम्पनियो को ढूढ़ने की कोशिश करते है और उसमे निवेश करते है ,और उनके लिए ये मायने नहीं करता की कंपनी अभी लिस्ट हुई है या काफी पुरानी है अगर उन्हें उस कंपनी में अपने रिटर्न की वैल्यू दिखती है तो वो उसमे निवेश करते है।
ग्रोथ इंवेस्टर (Growth Investor):- ग्रोथ इन्वेस्टर हमेशा ऐसे कंपनियों की तलाश करते है जिसकी मौजूदा हालात की वजह से ग्रोथ होने की संभावना दिखती है और वो ऐसी कम्पनियो में निवेश करते है।