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सांकेतिक फोटो।

Currency Watch List: US ट्रेजरी ने अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से भारत को हटाया, क्यों देश के लिए है बड़ी खबर जानें

Currency Watch List: अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की. इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है.

By: ABP Live | Updated at : 12 Nov 2022 10:50 AM (IST)

फोटो (साभार वित्त मंत्रालय ट्विटर)

Currency Watch List: अमेरिका के वित्त विभाग ने इटली, मेक्सिको, थाईलैंड, वियतनाम के साथ भारत को प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring list) से हटा दिया है. भारत पिछले दो साल से इस लिस्ट में था. इस सिस्टम के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की करेंसी को लेकर गतिविधियों और वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है.

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन की भारत यात्रा के दौरान उठा कदम
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की. इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है. वित्त विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि मुद्रा पहलू चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं.

भारत के लिए क्यों है अच्छी खबर
पिछले दो साल से भारत अमेरिका की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में था. अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की करेंसी पर निगरानी के लिए यह लिस्ट तैयार करता है. इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों और वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है. उन देशों को निगरानी सूची में रखा जाता है, जिनके फॉरेन एक्सचेंज रेट पर उसे शक होता है. इस तरह भारत के इस लिस्ट से बाहर आने को अमेरिका के देश पर बढ़ते भरोसे को दिखाता है जिसके बारे में जेनेट येलेन ने कहा भी है.

चीन फिलहाल करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में बरकरार
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटाया गया है उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहने और अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते वित्त विभाग की नजदीकी निगरानी में है. लिस्ट में रहने वाले अन्य देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान हैं.

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जेनेट येलेन ने क्या कहा है
अमेरिकी ट्रेजरी की सचिव येलेन ने एक बयान में रिपोर्ट जारी करने की घोषणा करते हुए कहा- वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध से पहले कोविड -19 के कारण आपूर्ति और मांग असंतुलन से निपट रही थी, जिसने खाद्य, उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि की है- वैश्विक मुद्रास्फीति को और बढ़ा रही है और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रही है. विभिन्न दबावों का सामना करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं तदनुसार विभिन्न नीतियों का अनुसरण कर सकती हैं, जो मुद्रा के उतार-चढ़ाव में परिलक्षित हो सकती मुद्रा पहलू हैं. ट्रेजरी इस बात से अवगत है कि विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वैश्विक आर्थिक हेडविंड के लिए कई तरह केदृष्टिकोणों को कुछ परिस्थितियों में वारंट किया जा सकता है.

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Published at : 12 Nov 2022 10:50 AM (IST) Tags: Nirmala Sitharaman USA Finance Minister Janet Yellen US Treasury Secretary INdia Currency Watch List Currency Monitoring list हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

आभासी मुद्रा : पूरी दुनिया में तेजी से हो रहा काम

कुछ समय से आभासी मुद्रा में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है।

आभासी मुद्रा : पूरी दुनिया में तेजी से हो रहा काम

सांकेतिक फोटो।

कुछ समय से आभासी मुद्रा में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। हाल में आभासी मुद्रा को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से बड़ा बयान आया। केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा है कि आरबीआइ चरणबद्ध तरीके से अपनी खुद की आभासी मुद्रा लाने की रणनीति पर काम कर रहा है। आरबीआइ पायलट आधार पर थोक और खुदरा क्षेत्रों में इसे पेश करने की प्रक्रिया में है। केंद्रीय बैंक सोच-विचार के स्तर से काफी आगे बढ़ चुका है। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई केंद्रीय बैंक इस दिशा में काम कर रहे हैं। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ताओं को उन आभासी मुद्रा में अस्थिरता के भयावह स्तर से बचाने की जरूरत है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। कई देशों के केंद्रीय बैंक अपनी आभासी मुद्रा की संभावना तलाशने में लगे हैं। कुछ देशों ने विशिष्ट उद्देश्य के लिए लागू किया है। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआइ भी काफी समय से सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी) के विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रहा है।

वित्त मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने नीति और कानूनी ढांचे का परीक्षण किया है। उसने देश में सीबीडीसी को आभासी मुद्रा के रूप में पेश करने की सिफारिश की है। शंकर के मुताबिक, इसे थोक और खुदरा मुद्रा पहलू क्षेत्रों में पायलट आधार पर लागू किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए कानूनी बदलाव की जरूरत होगी। सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।

चीन ने अपने यहां भौतिक मुद्रा को लेकर पायलट परियोजना-वालेट शुरू कर दी है। ऐसा करने वाला चीन पहला देश नहीं है। बहामा ने छह माह पहले सैंड डॉलर शुरू कर दिया था। चीन में दो करोड़ 80 लाख लोग आभासी आरएमबी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने 39 हजार करोड़ रुपए के सात करोड़ लेन-देन किए हैं। विभिन्न देशों के 60 फीसद रिजर्व बैंक आभासी मुद्रा का परीक्षण कर रहे हैं। जानकारों की राय में, आभासी करंसी के कारण नोटों और सिक्कों की शक्ल में जारी भौतिक करंसी पूरी तरह गायब नहीं होगी। दुनिया में लगभग 3.71 लाख करोड़ रुपए का नकद धन लोगों की जेब, सेफ और बैंकों में है।

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माना जा रहा है कि आभासी मुद्रा पहलू मुद्रा पहलू करंसी से सरकारों को घोटाले रोकने में मदद मिलेगी। दूसरे देशों में धन, संपत्ति का हस्तांतरण आसान हो जाएगा। संकट के समय यह ज्यादा उपयोगी होगी। फुदान यूनिवर्सिटी, शंघाई में फिनटेक रिसर्च सेंटर के निदेशक माइकेल सुंग ने अपने एक लेख में कहा है कि आभासी करंसी से विश्व की मौद्रिक प्रणाली में भारी बदलाव होगा। चीन ने 2019 में फेसबुक द्वारा आभासी करंसी-लिब्रा लाने की घोषणा के बाद तेजी से काम शुरू कर दिया। पिछले साल फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने अमेरिकी संसद की कमेटी में कहा कि लिब्रा ने एक तरह से सचेत किया है कि आभासी करंसी तेजी से आ रही है। रिजर्व बैंकों के सेंट्रल बैंक के रूप में काम करने वाली स्विस संस्था इंटरनेशनल सेटलमेंट बैंक के सर्वे में संकेत मिला है कि 86 फीसद रिजर्व बैंक भौतिक मुद्रा पर शोध कर रहे हैं। 60 फीसद रिजर्व बैंक परीक्षण टेस्टिंग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि तीन साल के अंदर दुनिया की 20 फीसद आबादी भौतिक मुद्रा से जुड़ जाएगी। विश्व में 2027 तक करीब 18 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति आभासी स्वरूप में होने की संभावना है।

क्या है आभासी मुद्रा

आभासी मुद्रा या डिजिटल करंसी का पूरा नाम है- सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी। जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है, इसे उसी देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है। भारत के मामले में आप इसे आभासी रुपया भी कह सकते हैं। यह दो तरह की होती हैं- खुदरा और थोक। खुदरा आभासी करंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। वहीं थोक आभासी करंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाएं करती हैं।

मुस्लिम बहुल राष्‍ट्र की मुद्रा पर भगवान श्रीगणेश का फोटो | INTERNATIONAL NEWS

नई दिल्‍ली। यदि कोई भारत में यह प्रस्तावित कर दे कि भारतीय मुद्रा नोट पर महात्मा गांधी नहीं बल्कि भगवान राम, कृष्ण, शिव का गणेश का फोटो होना चाहिए तो क्या होगा, लेकिन दुनिया का एक मुस्लिम बहुल देश ऐसा भी है जहां की मुद्रा पर सम्मान के साथ भगवान श्रीगणेश का फोटो छापा जाता है। इंडोनेशिया को हम सभी एक मुस्लिम बहुल राष्‍ट्र के रूप में जानते हैं लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे दिलचस्‍प पहलू हैं, जिन्‍हें हम नहीं जानते हैं। ऐसा ही एक पहलू यह भी है कि मुस्लिम बहुल राष्‍ट्र होने के बावजूद यहां की करेंसी पर हिंदुओं के पूजनीय ‘गणपति’ अंकित हैं।

यहां के चौराहों पर आज भी कृष्ण-अर्जुन संवाद, घटोत्कच, भीम, अर्जुन की प्रतिमाएं मिलती हैं। यह सुनने में भले ही कुछ अटपटा और पहली नजर में विश्‍वास न कर पाने वाला मुद्रा पहलू तथ्‍य हो, लेकिन यह सच है। इंडोनेशिया के कई और ऐसे ही बेहद दिलचस्‍प पहलू हैं जो आपको हैरान कर देंगे।

इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। करीब 17508 द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 23 करोड़ है। यह दुनिया का चौथा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। इसकी जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों में सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र शामिल है।

सुमात्रा और बाली, इंडोनेशिया के द्वीप हैं। इस पूरे क्षेत्र में सात शताब्दियों तक (छठी से 13वीं ईसा) श्री विजय साम्राज्य का एकछत्र राज्य रहा। उसका प्रभाव आंध्र के नागपट्टीनम तक था। इंडोनेशिया का तो मूल नाम ही हिंद-एशिया से निकला है। इतना ही नहीं भारत के पुराणों में भी इसका जिक्र ‘दीपांतर’ भारत अर्थात सागर पार भारत के रूप में किया गया है। यहां यह नाम आज भी काफी प्रचलित है। मुद्रा पहलू यहां की करेंसी पर गणपति का चित्र अंकित होने के साथ-साथ आपको यह जानकर भी हैरत होगी कि यहां के मुसलमानों के संस्कृत नाम होते हैं। इंडोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति सुकर्ण थे। उनकी बेटी का नाम मेघावती सुकर्णपुत्री था और यह नाम ओडिशा के महानायक बीजू पटनायक ने रखा था।

यहां पर इन सब प्रतिमाओं का होना कोई अनूठी बात नहीं है। दरअसल, ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से ही इंडोनेशिया द्वीपसमूह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र रहा है। बुनी अथवा मुनि सभ्यता इंडोनेशिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी उन्नति कर चुकी थी। ये हिंदू धर्म मानते थे और ऋषि परम्परा का अनुकरण करते थे। यहां के चौराहों पर आज भी कृष्ण-अर्जुन संवाद, घटोत्कच, भीम और अर्जुन की प्रतिमाएं मिलती हैं।

यहां के राजवंश इस बात की तसदीक करते हैं। जिसमें श्रीविजय राजवंश, शैलेन्द्र राजवंश, सञ्जय राजवंश, माताराम राजवंश, केदिरि राजवंश, सिंहश्री, मजापहित साम्राज्य का नाम शामिल है। अगले दो हजार साल तक इंडोनेशिया एक हिन्दू और बौद्ध देशों का समूह रहा। श्रीविजय के दौरान चीन और भारत के साथ व्यापारिक संबंध थे। स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे भारतीय सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक प्रारूप को अपनाया और कालांतर में हिंदू और बौद्ध राज्यों का उत्कर्ष हुआ।

इंडोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से खींचे चले आए। मुस्लिम व्यापारी अपने साथ इस्लाम लाए और यूरोपिय शक्तियां यहां के मसाला व्यापार में एकाधिकार को लेकर एक दूसरे से लड़ीं। साढ़े तीन सौ साल के डच उपनिवेशवाद के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस देश को स्वतंत्रता हासिल हुई।

क्रिप्टोकरेंसी उद्योग ने सरकार से सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर दृष्टिकोण अपनाने की अपील की

सरकार संसद मुद्रा पहलू के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है. इसमें निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने तथा रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिए ढांचा तैयार करने की बात कही गई है.

क्रिप्टोकरेंसी उद्योग ने सरकार से सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर दृष्टिकोण अपनाने की अपील की

देश में निवेशकों को शांत रहने तथा जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचें.

क्रिप्टो करेंसी उद्योग ने बुधवार को सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दृष्टिकोण अपनाने की अपील की और देश में निवेशकों को शांत रहने तथा जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने के लिए कहा. सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है. इसमें निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने तथा रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिए ढांचा तैयार करने की बात कही गई है. लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध है.

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इस विधेयक में भारतीय रिजर्ब बैंक द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिए एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गई है. इस प्रस्तावित विधेयक में भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की बात कही गई है. हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए. भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है.

बाय-यूक्वाइन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) शिवम ठकराल ने कहा कि कंपनी उम्मीद करती है कि विधेयक भारतीय क्रिप्टो धारकों, भारतीय क्रिप्टो उद्यमियों और निवेशकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगा, जिन्होंने भारत में क्रिप्टो करेंसी के विकास में अपना विश्वास रखा है. उन्होंने कहा, "नई ब्लॉकचेन परियोजनाओं के फलने-फूलने के लिए क्रिप्टो विधेयक में पर्याप्त लचीलापन होना चाहिए और हमारा मानना है कि व्यापार के लिए भारत में किसी भी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से पहले नयी क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक मानक प्रक्रिया होनी चाहिए."

ठकराल ने कहा, "मुझे लगता है कि बिटकॉइन और एथेरियम जैसी लोकप्रिय क्रिप्टो परिसंपत्तियों को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए नियामकों द्वारा पूर्व-अनुमोदित किया जाएगा. हम सरकार से क्रिप्टो परिसंपत्तियों के कराधान और फाइलिंग पर तत्काल स्थिति स्पष्ट करने का भी अनुरोध करते हैं."

कॉइनस्विच कुबेर के संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल ने कहा कि उद्योग निवेशकों की सुरक्षा को सबसे आगे रखते हुए सभी हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से संवाद कर रहा है. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ हफ्तों में हमारी चर्चा से संकेत मिलता है कि ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर एक व्यापक सहमति है, वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को सुदृढ़ किया गया है और भारत क्रिप्टो प्रौद्योगिकी क्रांति का लाभ उठाने में सक्षम है."

ब्लॉकचेन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) के सह-अध्यक्ष सिंघल ने कहा, "इस समय, मैं देश के सभी क्रिप्टो संपत्ति निवेशकों से शांत बने रहने की अपील करता हूं, वे घबराहट में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अपनी तरफ से शोध करें."
ओकेएक्सडॉटकॉम के सीईओ जय हाव ने कहा कि भारत में दुनिया में सबसे अधिक क्रिप्टो धारक हैं और मुद्रा पहलू देश में इतने सारे क्रिप्टो निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार पर है.

उन्होंने कहा, "हम सरकार से भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को विनियमित करने के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाने की अपील करते हैं. क्रिप्टोकरेंसी विधेयक के सकारात्मक परिणाम के साथ, भारत क्रिप्टो, डेफी (विकेंद्रित वित्त) और एनएफटी (नॉन फंजिबल टोकन) में वैश्विक गुरु बनने की एक रोमांचक यात्रा शुरू करेगा." भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है.

इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी और संकेत दिया मुद्रा पहलू था कि इस मुद्दे से निपटने के लिए सख्त विनियमन संबंधी कदम उठाए जाएंगे. हाल के दिनों में काफी संख्या में ऐसे विज्ञापन आ रहे हैं जिसमें क्रिप्टोकरेंसी में निवेश में काफी फायदे का वादा किया गया और इनमें फिल्मी हस्तियों को भी दिखाया गया. ऐसे में निवेशकों को गुमराह करने वाले वादों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी.

पिछले सप्ताह वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉकचेन एवं क्रिप्टो आस्ति परिषद (बीएसीसी) के प्रतिनिधियों एवं अन्य लोगों से मुलाकात की थी और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसका नियमन किया जाना चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक ने बार बार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किए हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस महीने के प्रारंभ में क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति दिये जाने के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किए थे और कहा था कि ये वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा है.

भारत में क्या होगा क्रिप्टो करंसी का भविष्य

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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