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मुख्य व्यापारिक स्थिति

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पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं, पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए। - Geography (भूगोल)

पत्तन तथा पोताश्रय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मुख्य प्रवेश द्वार कहे जाते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाज़ी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज़ के लिए गोदी, सामान लादने वे उतारने तथा भंडारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण-अवस्थिति के आधार पर पत्तन दो प्रकार के होते हैं

मुख्य व्यापारिक स्थिति

प्रश्न 3 गैर-व्यापारिक संस्थाओं द्वारा हिसाब-किताब रखने के उद्देश्य बताइए।

उत्तर- गैर- व्यापारिक तथा पेशेवर संगठनों द्वारा हिसाब-किताब रखने के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-

1. दानदाताओं को आय-व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करना- गैर-व्यापारिक संस्थाओं को जिन विभिन्न व्यक्तियों, सरकार या संस्थाओं से अनुदान, शुल्क, चन्दे आदि के रूप में जो धन राशि प्राप्त होती है। वे यह जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा प्रदत्त राशि उपयोग वांछित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये हो रहा है या नहीं। अत: गैर-व्यापारी संस्थाओं को अपना हिसाब-किताब रखने की आवश्यकता रहती है।

2. आय के अनुसार व्यय को संतुलित करना- गैर-व्यापारिक संस्था को अपनी आय के अनुसार ही व्यय संतुलित करने होते हैं। इसलिये आय-व्यय का हिसाब रखना आवश्यक है।

3. शुद्ध आय ज्ञात करना- निर्धारित अवधि में शुद्ध आय कितनी हुई है, यह जानने के लिए गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।

4. आयकर का निर्धारण- आयकर के निर्धारण के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने प्राप्ति-भुगतान तथा आय-व्यय खाते तैयार करती हैं।

5. आर्थिक स्थिति ज्ञात करना- वर्ष के अन्त में अपनी वास्तविक आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।

6. सम्पत्तियों की जानकारी प्राप्त करना- लेखांकन वर्ष में कितनी सम्पत्तियाँ खरीदी गई तथा वर्ष के अन्त में कितनी सम्पत्तियाँ विद्यमान हैं, इस बात का पता लगाने के लिए भी गैरव्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब मुख्य व्यापारिक स्थिति तैयार करती हैं।

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लगातार दूसरे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना अमेरिका

अमेरिका-भारत

अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।

17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।

भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.मुख्य व्यापारिक स्थिति 66 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का मुख्य व्यापारिक स्थिति सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहले, यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया बयान
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, 'विश्व का आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल है, चीन से निपटने के लिए दुनिया बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं है। इसलिए यह भारतीय उद्योगों के लिए बहुत अच्छा अवसर है। हम अधिक प्रतिस्पर्धी हो मुख्य व्यापारिक स्थिति सकते हैं और स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। विश्व बैंक ने पहले ही कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में भारत की रैंक बढ़ा दी है लेकिन क्लीयरेंस, सर्टिफिकेट और कंप्लायंस की प्रक्रियाएं बहुत जटिल हैं। हम सभी को डिजिटलाइज बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'

आयात पर निर्भरता कम की जाए- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानकारों का मानना है कि इस समय भारत को जो दो महत्वपूर्ण काम करने हैं, उसमें चीन पर आर्थिक दबाव डालना और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ना है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के प्रसारण में आत्मनिर्भर भारत बनने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाए और दूसरे देशों से आयात पर निर्भरता कम की जाए।

जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ता गया, वैसे ही चीन की भारत में हिस्सेदारी भी बढ़ती गई। साल 2001-2002 में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर का था जो 2018-19 में बढ़कर 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आयात-निर्यात के गणित को समझें तो भारत ने चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात किया, वहीं चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया।

अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।

17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।

भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर मुख्य व्यापारिक स्थिति रह गया। आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहले, यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया बयान
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, 'विश्व का आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल है, चीन से निपटने के लिए दुनिया बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं है। इसलिए यह मुख्य व्यापारिक स्थिति भारतीय उद्योगों के लिए बहुत अच्छा अवसर है। हम अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं और मुख्य व्यापारिक स्थिति स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। विश्व बैंक ने पहले ही कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में भारत की रैंक बढ़ा दी है लेकिन क्लीयरेंस, सर्टिफिकेट और कंप्लायंस की प्रक्रियाएं बहुत जटिल हैं। हम सभी को डिजिटलाइज बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'

आयात पर निर्भरता कम की जाए- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानकारों का मानना है कि इस समय भारत को जो दो महत्वपूर्ण काम करने हैं, उसमें चीन पर आर्थिक दबाव डालना और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ना है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात के प्रसारण में आत्मनिर्भर भारत बनने की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में बनने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाए और दूसरे देशों से आयात पर निर्भरता कम की जाए।

जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ता गया, वैसे ही चीन की भारत में हिस्सेदारी भी बढ़ती गई। साल 2001-2002 में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर का था जो 2018-19 में बढ़कर 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आयात-निर्यात के गणित को समझें तो भारत ने चीन से करीब 70 अरब डॉलर का आयात किया, वहीं चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया।

अधिकारी ने कहा- जम्मू कश्मीर के व्यापार, पर्यटन क्षेत्र में होगा भारी निवेश

जम्मू-कश्मीर प्रशासन स्थानीय आबादी की आमदनी बढ़ाने के लिए व्यापार और पर्यटन क्षेत्र में निवेश जुटाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने और रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर खासतौर से जोर दिया जाएगा।

अधिकारी ने कहा- जम्मू कश्मीर के व्यापार, पर्यटन क्षेत्र में होगा भारी निवेश

जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति में सुधार के लिए हर संभवत प्रयास किए जा रहे है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन स्थानीय आबादी की आमदनी बढ़ाने के लिए व्यापार और पर्यटन क्षेत्र में निवेश जुटाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने और रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर खासतौर से जोर दिया जाएगा।

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में 2019 से विभिन्न व्यावसायिक घरानों से लगभग 56,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इसमें से 38,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

पर्यटन विस्तार के लिए सरकार ने घोषित की ये परियोजनाएँ, क्षेत्र में बढ़ेगा रोजगार, जानें पूरी डिटेल - Tripoto

गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य से लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का गठन किया गया था। प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि लगभग 12,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम पहले से ही जारी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि लोगों से जुड़ी सभी गतिविधियों को व्यावहारिक बनाया जाए।

राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार 22 भारतीय भाषाओं में भूमि अभिलेखों का अनुवाद कर रही है ताकि निवेशक और स्थानीय लोग आसानी से उनका उपयोग कर सकें।उन्होंने कहा कि इसके लिए सी-डैक द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है।अधिकारियों ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश ने पिछले तीन वर्षों में मुख्य रूप से विनिर्माण और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में निवेश आकर्षित किया है। इसके अलावा वाहन उद्योग से संबंधित कुछ परियोजनाओं पर चर्चा चल रही है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्यटन क्षेत्र पर विशेष रूप से काम किया जा रहा है, ताकि स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ सके।

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