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निवेशकों पर क्या होगा असर

निवेशकों पर क्या होगा असर
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लॉन्ग टर्म फंड्स से दूरी बनाएं
फंड मैनेजर्स ने लॉन्ग टर्म फंड में निवेश से चेताया है. मैनेजर्स के अनुसार लॉन्ग टर्म फंड्स में बदलाव निवेशकों पर क्या होगा असर होता रहता है, जिससे निवेशकों का पैसा डूबने की आशंका रहेगी. वैसे भी इंटरेस्ट रेट का बढ़ना लॉन्ग टर्म फंड्स के लिए निवेशकों पर क्या होगा असर हमेशा निगेटिव रहता है.

RBI Repo Rate से म्यचुअल फंड पर क्या होगा असर, जानिए निवेशक कहां लगाएं पैसा

RBI Repo Rate impacts Mutual Funds : आरबीआई के रेपो रेटे बढ़ाने के बाद किस म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी है.

Mutual Fund investment

Best Mutual Fund after RBI increased Repo Rate :म्युचुअल फंड के रिटर्न को बढ़ी हुई आरबीआई की बढ़ी हुई रेपो रेट प्रभावित करेगी.

भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने का असर म्यूचुअल फंड निवेशेकों पर पड़ने वाला है. खासकर डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को निवेशकों पर क्या होगा असर लॉन्ग टर्म फंड्स में इनवेस्टमेंट के दौरान सावधानी बरतनी होगी. क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर पंकज पाठक कहते हैं कि निवेशकों को सावधानी के साथ एसेट एलोकेशन के हिसाब से अपने निवेश प्लान पर टिके रहना है.

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इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक क्या करें
फंड मैनेजर्स ने सलाह दी है कि यह म्यूचुअल फंड में निवेश के हिसाब से साहसी कदम उठाने का समय नहीं है. खासकर इक्विटी म्यूचुअल फंड के निवेशकों के लिए तेजी दिखाने का यह सही समय नहीं है. इस समय केवल अपने निवेश प्लान पर टिके रहने का समय है. फंड मैनेजर्स के अनुसार नए निवेशकों को हाइब्रिड स्कीम, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, लार्ज कैप फंड और फ्लेक्सी फंड के अपने प्लान पर टिके रहना चाहिए.

डेट म्यूचुअल फंड्स पर विशेषज्ञों की सलाह
फंड मैनेजर्स ने डेट म्यूचुअल फंड के निवेशकों को शॉर्ट टर्म स्कीम के साथ टिके रहने की सलाह दी है. फंड मैनेजर्स ने निवेश की सलाह देते हुए फंड स्कीम्स के सुझाव दिए हैं जैसे निवेशक लिक्विड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स, फ्लोटिंग रेट फंड्स, बैंकिंग और पीएसयू फंड्स में पैसा लगा सकते हैं.

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लॉन्ग टर्म फंड्स से दूरी बनाएं
फंड मैनेजर्स ने लॉन्ग टर्म फंड में निवेश से चेताया है. मैनेजर्स के अनुसार लॉन्ग टर्म फंड्स में बदलाव होता रहता है, जिससे निवेशकों का पैसा डूबने की आशंका रहेगी. वैसे भी इंटरेस्ट रेट का बढ़ना लॉन्ग टर्म फंड्स के लिए हमेशा निगेटिव रहता है.

IPO के नियमों को लेकर सेबी ने कर दिया बड़ा बदलाव, निवेशकों पर क्या होगा इसका असर

IPO Rule Change सेबी के बोर्ड की ओर से आइपीओ के नियमों को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए हैं। अब आइपीओ जारी करने वाली कंपनियों को शेयर के मूल्य निर्धारण के विवरण के साथ संस्थागत निवेशकों की खरीदने-बेचने की कीमत को जारी करना होगा।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों को कड़ा करने के साथ कई बदलावों को मंजूरी दी है। इसके बाद कंपनियों को अपनी वित्तीय स्थिति की अधिक जानकारी निवेशकों को देनी होगी।

नए नियमों के मुताबिक, शेयर बाजार में आइपीओ लाने वाली कंपनियों को अब 'की परफॉरमेंस इंडीकेटर्स' (KPIs) के बारे में बताना होगा, जिन्हें अभी फिलहाल कंपनियों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में जारी नहीं किया जाता है। इसके साथ ही अब आइपीओ लाने वाली कंपनी को शेयर के मूल्य निर्धारण के विवरण को भी जारी करना होगा।

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IPO को लेकर सख्त सेबी

शुक्रवार को हुई सेबी के बोर्ड की बैठक में आइपीओ से जुड़े नियमों को लेकर कई फैसले किए हैं, जिसमें एक फैसले में कहा गया है कि अब आइपीओ लाने वाली कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्टिंग से 18 महीने पहले की शेयरों की खरीद-बिक्री के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी और बताना होगा कि किन संस्थागत निवेशकों ने किस कीमत पर शेयर को खरीदा और बेचा है।

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नए जमाने की कंपनियों ने कराया निवेशकों का बड़ा नुकसान

आइपीओ के जुड़े नियमों में बदलाव सेबी की ओर से ऐसे समय पर किया गया है, जब कुछ समय में नए जमाने की कंपनियां जैसे पेटीएम, जोमाटो और पीबी फिनटेक के शेयर अपने आइपीओ प्राइस से काफी नीचे आ गए हैं। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियों और नुकसान करने कंपनियों को समान वित्तीय पैमाने नहीं तौला जाना चाहिए।

Nexus Select Trust Submit drhp to SEBI know Details (Jagran File Photo)

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'की परफॉरमेंस इंडीकेटर्स' को कंपनियां निजी इक्विटी निवेशक के साथ साझा करती हैं। नए नियमों के बाद अब कंपनियों को इन्हें खुदरा निवेशकों के साथ भी साझा करना होगा। इससे निवेशकों को कंपनी के बारे में पूरी जानकारी मिल पाएगी।

Money Guru: रिजर्व बैंक के ब्याज दरों को बढ़ाने से आपके निवेश पर कितना पड़ेगा असर, जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की राय

Money Guru: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा कर दिया है. इसके साथ ही CRR में भी 0.50 फीसदी का इजाफा किया है. निवेशकों को इस समय कहां निवेश करना चाहिए?

Money Guru: भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) में 0.40 फीसदी का इजाफा कर दिया है. इसी के साथ बैंक ने कैश रिजर्व रेश्यो को भी 0.50 फीसदी बढ़ा दिया है. इन बढ़त के अब रेपो रेट 4.40 फीसदी और CRR 4.50 फीसदी हो गया है. रिजर्व बैंक के ब्याज दरों को बढ़ाने से आपके EMI पर सीधा असर पड़ेगा. ऐसे में बढ़ती दरों में इन्वेस्टर को कहां निवेश करना चाहिए, इन सवालों का जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं.

गए सस्ते EMI के दिन

आरबीआई के ब्याज दरों को बढ़ाने से आपके EMI पर सीधा असर पड़ेगा. आपके निवेशकों पर क्या होगा असर निवेशकों पर क्या होगा असर EMI में इससे सीधा इजाफा होगा. रेपो रेट से लिंक्ड लोन महंगे होंगे. होम लोन ऑटो लोन आदि महंगे होंगे. लोन की किस्त बढ़ने से आपके जेब पर असर पड़ेगा.

⚡️ब्याज दरों का आपके निवेश पर असर

⚡️दरें बढ़ने के बाद डेट निवेश का क्या करें?

इन्वेस्टर क्या करें?

जेएलआर मनी के को-फाउंडर विजय मंत्री का मानना है कि बढ़ी हुई ब्याज दरों के बीच G-SEC फंड में निवेश करना चाहिए. G-SEC फंड में निवेश करने का सही समय है. इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड के गिल्ट फंड में निवेश कर सकते हैं. 10 साल के गिल्ट फंड में निवेश सही होगा. बेहतर होगा कि आप छोटी-छोटी रकम लंबे समय के लिए निवेश करें. G-SEC फंड में कम्पाउंडिंग और टैक्स बेनेफिट भी मिलता है, जिसमें 3 साल के बाद इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलेगा.

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भारत बॉन्ड ETF

यह एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड हैं, जिसमें पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करना होता है. भारत बॉन्ड ETF की मेच्योरिटी अवधि 10 साल है. FD, टैक्स फ्री बॉन्ड से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है. इसमें इंडेक्स पर खरीद निवेशकों पर क्या होगा असर या बेचने का विकल्प भी मिलता है. इंडेक्सेशन के बाद 20% टैक्स,कम एक्सपेंस रेश्यो होगा.

मनीफ्रंट के सीईओ मोहित गांग ने कहा कि अगस्त 2018 के बाद पहली बार दरों में बढ़ोतरी हुई है. इसी के साथ आज यूएस फेड भी दरों के बढ़ने की संभावना है. इससे कॉरपोरेट्स के रेट भी बढ़ेंगे. इससे कंज्यूमर्स की सेविंग्स पर भी असर पड़ेगा. फिक्स्ड डिपॉजिट पर समय के साथ बेहतर दरें मिलेंगी. कॉरपोरेट बैलेंसशीट पर प्रेशर पड़ेगा.10yr बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7% के पार जा सकती है.

Editor's Take: US बाजार में गिरावट से भारतीय बाजारों पर पड़ता है असर तो क्या करें, अनिल सिंघवी ने बताई स्ट्रैटेजी

Editor's Take: अगर अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर भारतीय बाजारों में देखने को मिलता है तो निवेशकों को यहां क्या करना चाहिए. यहां जानिए अनिल सिंघवी ने निवेशकों को क्या राय दी है.

Editor's Take: पिछले कुछ दिनों से ग्लोबल बाजारों में काफी गिरावट देखने को मिल रही है. कल यानी कि गुरुवार को भी अमेरिकी बाजारों में गिरावट देखने को मिली थी. ऐसे में इसका शेयर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिल रहा है. आज (7 अक्टूबर) को शेयर बाजार ने कमजोरी के साथ शुरुआत की और सेंसेक्स में 200 अंकों की गिरावट देखने को मिली. अब ये सवाल पैदा होता है कि अगर अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर भारतीय बाजारों में देखने को मिलता है तो निवेशकों को यहां क्या करना चाहिए. इस पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी है. बता दें कि अमेरिका में आज जॉब के आंकड़ें भी आने वाले हैं, ऐसे में इसका असर भी अमेरिकी बाजार में देखने को मिल सकता है.

अमेरिकी बाजार को चाहिए नया ट्रिगर

अनिल सिंघवी ने बताया कि डॉलर इंडेक्स 112 के ऊपर है, जो कि कमजोर है. इसके अलावा बॉन्ड यील्ड में हल्की तेजी है. हालांकि कच्चे तेल में भी उतार-चढ़ाव है लेकिन वो अमेरिकी बाजार के लिए ट्रिगर नहीं है. अनिल सिंघवी ने कहा कि अमेरिकी बाजार के लिए घटना-बढ़ना जरूरी नहीं, बाजार को नया ट्रिगर चाहिए.

दिवाली तक हर गिरावट पर खरीदें

अनिल सिंघवी ने कहा कि मौजूदा समय में सुस्ती का माहौल निवेशकों पर क्या होगा असर है. उन्होंने कहा कि जब तक अगला ट्रिगर आता है तबतक शांति से बैठिए. वहीं इंडेक्स में सही लेवल पर एंट्री कर लीजिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि आज से लेकर दीवाली तक ग्लोबल बाजारों का व्यू पॉजिटिव रहेगा. उन्होंने आगे कहा कि बीच-बीच में एक-दो बार ऐसे झटके लग सकते हैं और उन झटकों के बीच ही खरीदारी करनी है.

उन्होंने आगे कहा कि ग्लोबल बाजारों से परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर डॉलर इंडेक्स के जरिए कोई बड़ा ट्रिगर आ गया तो उस पर नजर रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि ग्लोबल बाजार न्यूट्रल है. न्यूट्रल से हल्के निगेटिव कह सकते हैं.

अमेरिकी बाजार में कल क्यों हुई गिरावट?🔴🔻

📈हमारे बाजार में गिरावट आने पर क्या करें❓

देखिए अनिल सिंघवी का ये वीडियो.

अनिल सिंघवी ने कहा कि हाल ही में भारतीय शेयर बाजारों की चाल से लग रहा है कि भारतीय बाजारों ने अमेरिकी बाजारों को अंडरपरफॉर्म किया है. अनिल सिंघवी ने निवेशकों पर क्या होगा असर कहा कि निफ्टी 50 को कल (6 अक्टूबर) को 17500 का लेवल छूना चाहिए, लेकिन मेरी कैलकुलेशन वहां सटीक नहीं बैठी.

वीकली एक्सपायरी पर भी रखें नजर

अनिल सिंघवी ने कहा कि कल की गिरावट के बाद उन्हें ये लगा कि अब वो समय नहीं रहा जब मंथली एक्सपायरी पर नजर रहेगी, अब वीकली एक्सपायरी पर भी पूरा फोकस करना है और उसे भी थोड़ी इज्जत देनी है. अनिल सिंघवी ने कहा कि मंथली एक्सपायरी के मुकाबले अब वीकली F&O एक्सपायरी में ज्यादा एक्शन है.

मात्र 5 साल में 700% चढ़ा ये स्मॉल-कैप स्टॉक, अब होगा स्प्लिट- जानिए निवेशकों पर पड़ेगा क्या असर?

जानिए कैसे होता है स्टॉक स्प्लिट

Stock Split: अंजनी फूड्स लिमिटेड (Anjani Foods Ltd) के निदेशक मंडल ने स्टॉक स्प्लिट (stock split) के लिए रिकॉर्ड डेट की घोषणा कर दी है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 08, 2022, 14:57 IST

हाइलाइट्स

स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है.
कंपनी 21/10/2022 को कंपनी के इक्विटी शेयरों के सब-डिवीजन के लिए रिकॉर्ड डेट तय की है.
5 साल में 21 रुपये से 171 रुपये पर पहुंचा ये शेयर.

नई दिल्ली. अंजनी फूड्स लिमिटेड (Anjani Foods Ltd) के निदेशक मंडल ने स्टॉक स्प्लिट (stock split) के लिए रिकॉर्ड डेट की घोषणा कर दी है. कंपनी बोर्ड ने 21 अक्टूबर 2022 को स्टॉक विभाजन के लिए रिकॉर्ड डेट तय की है. 95 करोड़ के मार्केट कैप वाली बीएसई (BSE) लिस्टेड कंपनी ने पहले ही 5:1 के रेशो में स्टॉक स्प्लिट को मंजूरी दे दी है. बता दें कि स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है.

बीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, “एक्सचेंज के ट्रेडिंग मेंबर को सूचित किया जाता है कि अंजनी फूड्स लिमिटेड ने 21/10/2022 को कंपनी के इक्विटी शेयरों के सब-डिवीजन के लिए रिकॉर्ड डेट तय की है.”

जानिए कैसे होगा विभाजन
स्टॉक स्प्लिट बारे में भारतीय स्टॉक मार्केट एक्सचेंजों को सूचित करते हुए, अंजनी फूड्स लिमिटेड ने कहा, “सेबी (एलओडीआर) 2015 के नियम 42 के अनुसार शुक्रवार यानी 21 अक्टूबर, 2022 को रिकॉर्ड डेट के रूप में तय किया है. शेयरधारकों के लिए 10/- रुपये के इक्विटी शेयरों के स्प्लिट / सब-डिवीजन 2/- रुपये के पांच (5) इक्विटी शेयरों में के होगी.

5 साल में 21 रुपये से 171 रुपये पर पहुंचा ये शेयर
पिछले एक साल में, अंजनी फूड्स के शेयर जून 2022 से बिकवाली के दौर से गुजर रहे हैं . हालांकि, पिछले छह महीनों में स्टॉक ने तेज उछाल दिखाया है और इस अवधि में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है . हालांकि, यह स्मॉल-कैप स्टॉक उन शेयरों में से एक है, जिन्होंने पिछले 5 वर्षों में अपने शेयरधारकों को शानदार रिटर्न दिया है . यह स्मॉल-कैप स्टॉक पिछले 5 वर्षों में लगभग ₹21 के स्तर से बढ़कर ₹171.50 प्रति शेयर स्तर पर पहुंच गया है, इस समय के क्षितिज में अपने शेयरधारकों को लगभग 700 प्रतिशत रिटर्न प्रदान करता है .

स्प्लिट का शेयरधारकों पर क्या होता है असर
यदि कोई कंपनी अपने शेयरों को दो हिस्से में विभाजित करती है, तो शेयरधारकों को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर दिया जाता है. इससे शेयरधारक के पास पहले से मौजूद शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है. निवेश के वैल्यू पर इससे कोई असर नहीं होता, क्योंकि दो हर एक शेयरों को दो शेयरों में स्प्लिट करने से हर एक शेयर का वैल्यू आधा हो जाता है.

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