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वाई-फाई इंटरनेट स्पीड कैसे बढ़ाएं?


वाई-फाई इंटरनेट स्पीड कैसे बढ़ाएं? सुधार करने के लिए। द. रफ़्तार। का। इंटरनेट। एक। के माध्यम से। का। -. फ़ाइल, पुरालेख। राउटर। जाल। सभी उपकरणों को 802.11N में अपग्रेड करें। WPA2-PSK सुरक्षा मानक एईएस एन्क्रिप्शन एल्गोरिथ्म के साथ। योग्यता। वाई - फाई। मल्टीमीडिया (WMM)। चैनल की चौड़ाई 20 मेगाहर्ट्ज पर सेट करें।

मैं अपने वाई-फाई को अच्छी तरह से कैसे काम कर सकता हूं?

1 अपने राउटर का चैनल ढूंढें और बदलें। 2 अपने नेटवर्क को 802.11N पर सेट करें। 3 अपनी राउटर सेटिंग्स में ट्रांसमिट पावर की जांच करें। 1 पुनरावर्तक स्थापित करें, या बूस्टर मोड में दूसरा राउटर कॉन्फ़िगर करें। 2 अधिक शक्तिशाली लोगों के लिए राउटर के एंटेना बदलें।

अगर मेरा वाई-फाई धीमा है तो मुझे क्या करना चाहिए?

डिवाइस को बदलें। सही स्थान चुनें। स्थान चुनें "इष्टतम। वाई - फाई। -चैनल। अन्य उपकरणों के प्रभाव को छोड़ दें। सुनिश्चित करें कि दरवाजा बंद है। अपने नेटवर्क अनुप्रयोगों की जाँच करें। राउटर को समय-समय पर रीबूट करें। उपकरणों की क्षमता पर विचार करें।

मैं घर पर वाई-फाई सिग्नल कैसे बढ़ा सकता हूं?

वाईफाई सिग्नल रिपीटर्स (रिपीटर्स) का उपयोग करके बड़े कमरों में सिग्नल को बढ़ावा देने के लिए वाईफाई रिपीटर का उपयोग करें। वे एक दीवार आउटलेट में प्लग करते हैं और, एक बार होम नेटवर्क से कनेक्ट होने के बाद, वे सिग्नल को आगे की ओर प्रेषित करते हैं। पुनरावर्तक के बजाय, आप सिग्नल को बढ़ावा देने के लिए एक अतिरिक्त राउटर का भी उपयोग कर सकते हैं।

मेरा वाई-फ़ाई सिग्नल क्यों कमज़ोर हो गया है?

बेशक, एक अस्थिर या कमजोर वाई-फाई कनेक्शन हार्डवेयर की खराबी और दोषपूर्ण (कच्चे) राउटर फर्मवेयर दोनों के कारण हो सकता है। लेकिन ज्यादातर समय, अस्थिर और कमजोर वाई-फाई राउटर सिग्नल आपके घरेलू नेटवर्क में वायरलेस संचार के खराब संगठन के कारण होता है।

Mbit की स्पीड कैसे बढ़ाएं?

वाई-फाई नेटवर्क पर पासवर्ड लगाएं। यह 802.11ac मानक का उपयोग करता है। 5GHz वाई-फाई पर स्विच करें। राउटर के फर्मवेयर को अपडेट करें। राउटर को फ़ैक्टरी सेटिंग्स पर रीसेट करें। राउटर को ठीक से रखें। रिपीटर्स का प्रयोग करें। राउटर बदलें।

मैं अपने फ्लैट में इंटरनेट सिग्नल कैसे सुधार सकता हूं?

एक नया राउटर खरीदें। राउटर को फिर से लगाएं। राउटर सेटिंग्स में चैनल बदलें। हस्तक्षेप कम से कम करें। सॉफ्टवेयर अपडेट करें। पुनरावर्तक के बारे में सोचो।

अपने पड़ोसियों के साथ साझा करें?

अपने वाई-फाई को सुरक्षित रखें।

मेरी वाई-फ़ाई की गति धीमी क्यों हो जाती है?

राउटर की वाई-फाई की गति बहुत धीमी क्यों होती है: वाई-फाई राउटर के पास अन्य शक्तिशाली उपकरणों द्वारा सिग्नल को बाधित किया जा रहा है। बहुत अधिक नेटवर्क की भीड़। पहुंच बिंदुओं की प्रचुरता सिग्नल रिसेप्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

मैं अपने फोन के वाई-फाई सिग्नल को कैसे बढ़ा सकता हूं?

सेटिंग्स में जाओ'। वाई - फाई। . उन्नत सेटिंग्स पर जाएं। "बैंडविड्थ" पर टैप करें। वाई - फाई। «. अब केवल 5 GHz चुनें।

मेरे फ़ोन का वाई-फ़ाई धीमा क्यों है?

धीमे वाई-फाई कनेक्शन के कई कारण हैं: राउटर सेटिंग्स में डेटा एन्क्रिप्शन प्रकार WPA2 है। WMM अक्षम कर दिया गया है। वायरलेस नेटवर्क मोड सही नहीं सिग्नल प्रकार है।

इंटरनेट इतना धीमा क्यों है?

इंटरनेट बहुत धीमा: संभावित कारण वैश्विक नेटवर्क तक पहुंच की गति कई कारकों पर निर्भर करती है: अविश्वसनीय केबल कनेक्शन; गलत ब्राउज़र सेटिंग्स; पृष्ठभूमि में निरंतर सॉफ़्टवेयर अद्यतन (जो कंप्यूटर को बहुत धीमा कर देता है);

वाई-फाई रेंज कैसे बढ़ाएं?

नेटवर्क का सही संगठन (स्थान। राउटर।)। प्रबलित एंटेना की मदद से स्वागत में सुधार करें। रिपीटर्स (सिग्नल एम्पलीफायरों या तथाकथित रिपीटर्स) का उपयोग करें। एक सेकंड सेट करें। राउटर। में। तरीका। पुल।

मेरे फ्लैट में वाई-फाई ठीक से काम क्यों नहीं कर रहा है?

धीमी वाई-फाई कनेक्शन के मुख्य कारणों में से एक समान आवृत्ति बैंड (2,4 गीगाहर्ट्ज) पर चलने वाले उपकरणों की बड़ी संख्या है। मॉडेम, राउटर और जुड़े उपकरणों (फोन, लैपटॉप) द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुम्बकीय तरंगों के ओवरलैपिंग के कारण बिजली की हानि होती है।

वाई-फाई सिग्नल को क्या प्रभावित कर रहा है?

ट्रांसमीटर बहुत शक्तिशाली सक्रिय ब्लूटूथ डिवाइस वाई-फाई उपकरणों और भौतिक बाधाओं के बीच लंबी दूरी हस्तक्षेप के अन्य संभावित स्रोत

अगले कमरे में वाई-फ़ाई काम क्यों नहीं करता?

सबसे अधिक संभावना है कि आपके राउटर में एक कमजोर एंटीना है और एक कमजोर सिग्नल डाल रहा है। वाईफाई सिग्नल के कवरेज को बेहतर बनाने के लिए, आप अपने राउटर को अधिक शक्तिशाली से बदल सकते हैं या एक पुनरावर्तक खरीद सकते हैं जो आपके राउटर से सिग्नल को कैप्चर करता है और जहां आपको इसकी आवश्यकता होती है, इसे बढ़ा देता है।

एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल क्या हैं ? (2022)

शायद एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल क्या हैं ? यह सवाल आपके भी मन मे होगा तभी आप यहाँ तक आए हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हमने एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल के बारे मे संबंधित सभी जानकारी संक्षिप्त मे देने की कोशिश की हैं, अगर आप एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल को सरल भाषा मे विस्तार से समझना चाहते हैं तो यह लेख आपकी कॉफी मदद कर सकता हैं।

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टेक्नोलॉजी इतना विकसित होने के पीछे भौतिक विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं, जिसके अंतर्गत हम सभी प्रकार की डिजिटल टेक्नोलॉजी और मशीन इत्यादि के Concepts को समझते हैं। अगर आप एक भौतिक विज्ञान के छात्र हैं तो आपको यह तो अवश्य पता होगा की सिग्नल भी भौतिक विज्ञान का ही Concepts हैं।

जिसके अंतर्गत एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल आते हैं, यह दोनों सिग्नल इलेक्ट्रिसिटी की इस दुनिया बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिनके बारे मे टेक्नोलॉजी मे इन्टरेस्ट रखने वाले हर एक व्यक्ति को जानना चाहिए और यह Concepts उन छात्र छात्राओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जो की टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे अपना करिअर बनाना चाहते हैं।

तो चलिए अब विस्तारपूर्ण What is Analog Signal and Digital signal in Hindi के बारे मे जानते हैं और यह सीखते हैं की आखिर एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल क्या होता हैं।

एनालॉग सिग्नल क्या हैं – What is Analog Signal in Hindi

समय के साथ लगातार परिवर्तन की क्रिया करने वाले सिग्नल यानी संकेत को हम एनालॉग सिग्नल कहते हैं, यह सिग्नल समय के साथ किसी भी Value मे परिवर्तित होने मे सक्षम होता हैं। इसके अंतर्गत ध्वनि, तापमान, थर्मामीटर इत्यादि आती हैं व यह सब एक एनालॉग सिग्नल के उदाहरण हैं। एक एनालॉग सिग्नल मे Noise (Unwanted signal) का प्रभाव अधिक होता हैं।

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एनालॉग सिग्नल को Sine wave के द्वारा परिभाषित (Represent) किया जाता हैं, इस सिग्नल का इस्तेमाल जहां पर बैंडविड्थ कम होता हैं वहाँ पर किया जाता है, एक एनालॉग सिग्नल का हार्डवेयर Non Flexible होता हैं व साथ मे एनालॉग सिग्नल का कोई भी निश्चित सीमा नहीं होता हैं जिसकी वजह से एनालॉग सिग्नल किसी भी Value मे परिवर्तित हो जाता हैं।

एनालॉग सिग्नल के फायदे – Advantages of Analog signal

एनालॉग सिग्नल मे Noise का प्रभाव अधिक हैं लेकिन इसके कुछ बहुत ही अधिक फायदे जो की निम्नलिखित हैं।

  • एनालॉग सिग्नल समय के साथ परिवर्तित होता हैं इसीलिए यह प्रोसेस करने मे आसान होते हैं।
  • एनालॉग सिग्नल ध्वनि और वीडियो को प्रसारण करने के लिए सिग्नल प्रकार सबसे अच्छे और बेहतर होते हैं।
  • एनालॉग सिग्नल अधिक घनत्व वाले सिग्नल होने के कारण यह अधिक से अधिक परिष्कृत जानकारी को प्रस्तुत करने मे सक्षम होते हैं।
  • एनालॉग सिग्नल डिजिटल सिग्नल के मुकाबले कम बैंडविड्थ उपयोग मे लाता हैं जिसकी वजह से कम बैंडविड्थ जैसे कामों मे एनालॉग सिग्नल का उपयोग किया जाता हैं।
  • एनालॉग सिग्नल पोर्टेबल होता हैं व एनालॉग सिग्नल साउन्ड को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करता हैं जो की एनालॉग सिग्नल को और बेहतर बनाता हैं।

एनालॉग सिग्नल के नुकसान – Disadvantages of Analog signal

जिस तरह एनालॉग सिग्नल के फायदे अधिक हैं उसी तरह एनालॉग सिग्नल के कुछ नुकसान भी जो की निम्नलिखित हैं।

  • डिजिटल सिग्नल के मुकाबले एनालॉग सिग्नल बहुत कम गुणवत्ता के होते हैं।
  • एनालॉग सिग्नल के तार कॉफी महंगे होते हैं सिग्नल प्रकार जिन्हे आसानी से पोर्टेबल भी नहीं किया जा सकता हैं।
  • एनालॉग सिग्नल मे डिजिटल Models की कमी अधिक होती हैं।
  • एनालॉग सिग्नल खराब Quality के Multi यूजर इंटरफेस होते हैं जो वाकई मे इतने अच्छे नहीं होते हैं।
  • एनालॉग सिग्नल मे मे un wanted सिग्नल का प्रभाव अधिक पड़ता हैं जिसकी वजह से Volt थोड़ा अधिक होता हैं।

डिजिटल सिग्नल क्या हैं – What सिग्नल प्रकार is Digital Signal in hindi

डिजिटल सिग्नल ऐसा संकेत हैं जो असतत् (discrete) मूल्यों के क्रम के हिसाब से डेटा को प्रदर्शित करता हैं मतलब यह एक ऐसा संकेत हैं जिसमे समय के साथ असतत् स्तर होते हैं, इसमे लगातार Values परिवर्तित नहीं होता हैं इसकी Values एक निश्चित सीमा पर होती हैं, जिसकी वजह से एक डिजिटल सिग्नल मे बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग किया जाता हैं

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डिजिटल सिग्नल के अतर्गत कंप्युटर डेटा, डिजिटल घड़ी, CD’s, DVD’s इत्यादि एक डिजिटल सिग्नल के उदाहरण हैं। डिजिटल सिग्नल मे किसी भी प्रकार के values को नहीं ले सिग्नल प्रकार सकते हैं यह एक निर्धारित values को ही Accept करता हैं जिसके कारण इसमे Noise का प्रभाव भी बहुत कम होता है व डिजिटल सिग्नल को Squire wave मे परिभाषित (Represent) किया जाता हैं।

डिजिटल सिग्नल के फायदे – Advantages of Digital signal

वर्तमान का समय पूरी तरह से डिजिटल हैं इसीलिए डिजिटल सिग्नल के फायदे बहुत सारे हैं जो नीचे दिए गए हैं।

  • डिजिटल सिग्नल मे Unwanted सिग्नल का प्रभाव बहुत कम पड़ता हैं जिसकी वजह डिजिटल सिग्नल हस्तक्षेप के साथ Provide कर सकते हैं।
  • डिजिटल सिग्नल को कम खर्चे के साथ पुनः Present कर सकते हैं।
  • डिजिटल सिग्नल के डिजिटल डेटा को आसानी से Compress कर सकते हैं।
  • डिजिटल सिग्नल को अधिक दूरी तक बड़ी ही आसानी के साथ प्रेषित किया जा सकता हैं।
  • डिजिटल सिग्नल के सिस्टम बेहद सटीक होते हैं जिसकी वजह से Errors बहुत ही कम होते हैं।

डिजिटल सिग्नल के नुकसान – Disadvantages of digital signal

जिस तरह एनालॉग सिग्नल के फायदे और नुकसान दोनों हैं उसी तरह डिजिटल सिग्नल के भी फ़ायदों के साथ नुकसान भी जो की नीचे दिए गए हैं।

  • डिजिटल सिग्नल के प्रोसेस की गति सीमित होती हैं।
  • एनालॉग सिग्नल के मुकाबले डिजिटल सिग्नल सिग्नल प्रकार मे अधिक बैंडविड्थ की आवश्यकता होती हैं।
  • डिजिटल सिग्नल के डिजिटल सिस्टम और प्रोसेस अधिक कठिन हैं।

इस लेख से क्या सिखा ?

अब आपने एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल के बारे मे विस्तारपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली होगी। उम्मीद हैं की इस लेख को पढ़कर आपने यह जान और सिख लिया होगा की एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल क्या हैं ? अगर आपके मन मे इंटरनेट, टेक्नोलॉजी से संबंधित कोई भी सवाल हैं तो आप उस सवाल को नीचे कमेन्ट मे लिखकर पूछ सकते हैं।

इस लेख के माध्यम से दी गई जानकारी को सोशल मीडिया जैसे सिग्नल प्रकार सिग्नल प्रकार फेसबुक, Twitter इत्यादि पर भी शेयर कीजिए और इस लेख के माध्यम से दी गईं जानकारी आपको कैसा लगा कमेन्ट मे जरूर लिखकर बताएं।

हाथ के ड्राइविंग संकेत

वाहन चालकों को सदैव दाएँ-बाएँ मुड़ते समय, लेन (पंक्ति) बदलते समय, गाड़ी धीमी करते समय या रुकने से पहले संकेतों का प्रयोग करना चाहिए। यह संकेत अन्य चालकों को आपकी मंशा को समझने में सहायक होते हैं और यातायात को सुचारु रखने में भी सहायक होते हैं।

सभी वाहनों में ब्रेक लाइट तथा टर्न सिग्नल (इंडिकेटर) लाइट लगी हुई होती हैं। कभी-कभी यह लाइटें खराब हो जाती हैं और ठीक से काम नहीं करती हैं। यदि आपके साथ ऐसा होता है, तो आप क्या करेंगे?

ऐसी परिस्थितियों में हाथ के द्वारा दिए जाने वाले संकेतों की जानकारी होना चालक के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होता है। इन्हें जानने पर आप गाड़ी के सिग्नलों में तकनीकी समस्या के बाद भी अन्य वाहन चालकों को अपनी मंशा आसानी से बता सकते हैं और सुरक्षित रूप दाएँ-बाएँ मुड़ सकते हैं।

साईकिल सवारों के लिए हाथ के संकेत बहुत उपयोगी रहते हैं, क्योंकि साईकिलों में सामान्यत: ब्रेक लाइट या टर्न सिग्नल नहीं होते हैं। साईकिल से यात्रा करते समय इनकी जानकारी होने से आप खुद को किसी दुर्घटना से बचा सकते हैं।

चाहे आप कार चला रहे हों, मोटरसाइकिल या साईकिल जैसे अन्य वाहन, हाथ के यातायात संकेतों की जानकारी हर सन्दर्भ में उपयोगी है। आवश्यकता के समय यह आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करती है। साथ ही, ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट में भी आपसे इन संकेतों से जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

मॉडेम क्या है, Modem के सिग्नल प्रकार सिग्नल प्रकार प्रकार एवं Modem की विशेषताएं

मॉडेम क्या है कंप्यूटर में : मॉडेम Modem दो शब्दों Mo-Modulator, Dem-Demodulator से मिलकर बना है। मॉडेम के माध्यम से डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में परिवर्तित किया जा सकता है इस प्रक्रिया को ‘Modulation’ कहा जाता है और मॉडेम के माध्यम से एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ‘Demodulation’ कहा जाता है। मॉडेम Modulation और Demodulation का संक्षिप्त रूप है ये दोनों शब्द इसकी कार्यप्रणाली को दर्शाते है।

Table of Contents

मॉडेम का क्या कार्य है (What is the function of modem in hindi)

मॉडेम एक प्रकार का हार्डवेयर डिवाइस है जिसका कार्य कंप्यूटर को केबल या टेलीफोन के माध्यम से डेटा भेजने के लिए किया जाता है। मॉडेम कंप्यूटर या राउटर को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ता है। मॉडेम की गति को बीपीएस (bps) और केबीपीएस (kbps) में मापा जाता है। ट्रांसमिट डेटा सिग्नल के कार्य शक्ति कम होने पर मॉडेम उपयोगी होता है और यह ट्रांसमिशन के लिए डेटा का निर्धारण करता है जो डेटा ट्रांसमिशन की डेटा सिग्नल की गति तेज कर देता है। मॉडेम इंटरनेट का संचार करने का कार्य करते हैं।

मॉडेम के प्रकार (Types of Modem in hindi) –

एक्सटर्नल मॉडेम (External Modem) –

एक्सटर्नल मॉडेम एक प्रकार का बॉक्स होता है जो कंप्यूटर को सर्किट के बाहर रखता है। इसे बाहरी मॉडेम भी कहते है जिसे चलाने के लिए अलग से बिजली की आवश्यकता होती है एक्सटर्नल मॉडेम कंप्यूटर से यूएसबी केबल या फायरवायर की सहायता से जुड़ता है।

इंटरनल मॉडेम (Internal Modem) –

यह एक सर्किट बोर्ड होता है जो कंप्यूटर के एक्सपेंशन स्लॉट में एक प्लग होता है। इसे आंतरिक मॉडेम भी कहा जाता है जिसे कंप्यूटर या लैपटॉप में लगाया जाता है। यह एक्सटर्नल मॉडेम की तुलना में सस्ते होते है। इंटरनल मॉडेम दो प्रकार के होते है –
1- डायल उप मॉडेम – यह एक टेलीफोन केबल पर कार्य करता है जिसे इंटरनेट के लिए नेटवर्क कनेक्टेड टेलीफोन नंबर्स की आवश्यकता होती है और इसमें सिग्नल प्रकार लॉगिन करने के लिए लॉगिन क्रेडेंशियल की आवश्यकता होती है।
2- वायरलेस मॉडेम

फैक्स मॉडेम (Fax Modem) –

फैक्स मॉडेम का प्रयोग कंप्यूटर की फैक्स मशीन के रूप में भी कर सकते है। फैक्स मॉडेम में फैक्स एक्सचेंज किया जा सकता है।

केबल मॉडेम (Cable Modem) –

केबल मॉडेम जो एक केबल मॉडेम नेटवर्क ब्रिज का ही प्रकार है जो हाइब्रिड फाइबर कोएक्सियल और रेडियो फ्रीक्वेंसी इंफ्रास्ट्रक्चर पर रेडिओ फ्रेकेंसी चैनल के द्वारा दोनों दिशाओं में डाटा संचार करता है। केबल मॉडेम टीवी लाइन्स को पीसी से जोड़कर 1.5 mbps की दर से डेटा संचार की अनुमति देता है।

HDMI पोर्ट क्या है | HDMI पोर्ट के प्रकार

HDMI पोर्ट के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बारीकी के साथ बताने वाले हैं जैसे की HDMI पोर्ट क्या है, HDMI पोर्ट के प्रकार यानी की HDMI पोर्ट के नये वर्सन या टेक्नोलॉजी और HDMI पोर्ट का उपयोग किस-किस उपकरणों के अंदर किया जाता है । HDMI पोर्ट का इस्तेमाल आज के समय काफी अधिक मात्रा में किया जा रहा तो चलिए जानते हैं HDMI पोर्ट के बारे में फुल जानकारी

HDMI full form in hindi | HDMI पोर्ट का फुल फॉर्म :

HDMI पोर्ट का पूरा नाम है हाई डेफिनिशन मल्टीमीडिया इंटरफ़ेस । हलांकि नाम काफी बड़ा होने की वजह से इसे शोर्ट कर दिया गया और बना है HDMI पोर्ट ।

What is HDMI port in hindi | HDMI पोर्ट क्या है :

HDMI पोर्ट को डिस्प्ले पोर्ट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल किसी डिवाइस को मॉनिटर से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है । HDMI पोर्ट जोकि कनेक्टर होता है यानि की हार्डवेयर होता है जिसका काम होता है सिर्फ डाटा को इनपुट-आउटपुट करने का यानी की सिग्नल को बाहर भेजने और सिग्नल प्रकार अंदर जाने देने का । सिग्नल के भी प्रकार होते हैं जैसे की एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल जबकि डिजिटल सिग्नल बेहतर होते हैं । लेकिन HDMI पोर्ट दोनों सिग्नल को सपोर्ट करता है चाहे डिवाइस एनालॉग सिग्नल बनाये या फिर डिजिटल सिग्नल कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है । पर जो डाटा मॉनिटर में दिखाना होता है उस डाटा जो सिग्नल में कन्वर्ट करना होता है जोकि डिवाइस के ऊपर निर्भर करता है और उसके डिस्प्ले पोर्ट पर । हलांकि HDMI पोर्ट का इस्तेमाल किसी भी डिवाइस में किया जा सकटा ।

HDMI port in hindi
Image credit : Amazon

HDMI पोर्ट हाई क्वालिटी वाली विडियो को ट्रांसमिट करने में सक्षम होते हैं इसीलिए डेडिकेटेड ग्राफ़िक्स कार्ड में इसे लगाया जाता है क्योंकि डेडिकेटेड ग्राफ़िक्स कार्ड बेहतर क्वालिटी और रेसोलूशन वाली विडियो एक्सपोर्ट करने में सखम होते हैं तो ऐसे में HDMI पोर्ट सपोर्ट कर लेते हैं हाई रेसोलूशन वाली विडियो । हलांकि HDMI पोर्ट ऑडियो और विडियो दोनों सिग्नल को भी सपोर्ट करता है जबकि VGA पोर्ट सिर्फ विडियो सिग्नल को ही सपोर्ट करता है यानी की ऑडियो इनपुट-आउटपुट नहीं कर सकता ।

HDMI पोर्ट में पिन की संख्या कितनी होती है :

HDMI पोर्ट के प्रकार जितने भी हैं उन सभी HDMI पोर्ट में पिन की संख्या कुल 19 हैं । जिसमें से 10 पिन ऊपर की तरफ और 9 पिन नीचे की तरफ होती है । HDMI पोर्ट ड्यूल चैनल होते हैं यानी की स्पीड ड्यूल देखने को यानी की दुगनी देखने को मिलती है जिसके बारे में हम आपको नीचे बताने वाले हैं ।

HDMI पोर्ट की डाटा ट्रान्सफर स्पीड :

HDMI पोर्ट की स्पीड 4.9gbit/s से लेकर 48gbit/s तक की देखने को मिलती है । लेकिन सभी HDMI पोर्ट्स की डाटा ट्रान्सफर स्पीड उसके प्रकार के ऊपर निर्भर करती है जैसे की लेटेस्ट वर्सन वाला HDMI पोर्ट की डाटा ट्रान्सफर स्पीड काफी तेज़ है जबकि पुरानी टेक्नोलॉजी से बने हुए HDMI पोर्ट की डाटा ट्रान्सफर स्पीड काफी कम है अगर तुलना करनी हो लेटेस्ट HDMI पोर्ट से तो ।

Types of HDMI port versons in hindi | HDMI पोर्ट के वर्सन :

HDMI पोर्ट के वर्सन काफी सारे हैं जोकि टेक्नोलॉजी के अपग्रेड होने की वजह से बने हैं जैस की सबसे पहला बनने वाला HDMI पोर्ट का वर्सन 1।0 था । इसके बाद जब इस पोर्ट को और अपग्रेड किया गया तब इसका नया वर्सन आया यानी की नया HDMI पोर्ट आया जिसका नाम है HDMI पोर्ट 1।1 और अबतक का सबसे लेटेस्ट वर्सन वाला यानी की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला पोर्ट है HDMI पोर्ट 2।1 जिसकी डाटा ट्रान्सफर स्पीड सबसे ज्यादा है । HDMI पोर्ट के वर्सन के प्रकार जोकि इस प्रकार है :

  1. HDMI पोर्ट 1.0 ( साल 2002 में बना )
  2. HDMI पोर्ट 1.1 ( साल 2004 में बना )
  3. HDMI पोर्ट 1.2 ( साल 2005 में बना )
  4. HDMI पोर्ट 1.2a ( साल 2005 में बना )
  5. HDMI पोर्ट 1.4 ( साल 2009 में बना )
  6. HDMI पोर्ट 1.4a ( साल 2010 में बना )
  7. HDMI पोर्ट 1.4b ( साल 2011 में बना )
  8. HDMI पोर्ट 2.0 ( साल 2013 में बना )
  9. HDMI पोर्ट 2. 0a ( साल 201 5 में बना )
  10. HDMI पोर्ट 2. 0 b ( साल 201 6 में बना )
  11. HDMI पोर्ट 2. 1 ( साल 201 7 में बना )

Types of HDMI port in hindi| HDMI पोर्ट के प्रकार :

HDMI पोर्ट के प्रकार काफी सारे हैं जिसका इस्तेमाल अलग-अलग डिवाइस में किया जाता है । काम सभी HDMI पोर्ट्स का एक जैसा ही है लेकिन अंतर डाटा ट्रान्सफर स्पीड में, पिन की संख्या में और आकार में जिसके जिसके प्रकार नीचे की तरफ इस प्रकार है :

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