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डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

CryptoCurrency: आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्यों है क्रिप्टो करेंसी से अलग?

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

'ब्लॉकचेन' टेक्नोलॉजी से किसी चीज को डिजिटल कर के उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्न . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 20, 2022, 13:17 IST

हाइलाइट्स

'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है यानी ये एक डिजिटल लेजर है.
भारत सरकार अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगी, ये करेंसी 'ब्लॉकचेन' पर आधारित होगी.
'ब्लॉकचेन' को डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहते हैं, इसकी हैकिंग नहीं हो सकती.

नई दिल्‍ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्‍या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्‍यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.

यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी, बल्कि किसी और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ‘ब्लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.

‘ब्लॉकचेन’ को माना जाता है सुरक्षित

‘ब्लॉकचेन’ के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्‍योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है, और इसे बदलना, हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं, इसे बिटकॉइन के प्‍लेटफॉर्म से भी ज्‍यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.

यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर, चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है, तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.

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क्या है DeFi और कैसे करती है काम? जानिए इसके बारे में पूरी डिटेल

Photo Credit - Defi Plateform Photo File

DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। DeFi एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है, जिसमें यूजर्स को क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा मिलती है। जैसा कि नाम से मालूम होता है कि DeFi सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है, जो लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। इस दौरान पिक्चर में DeFI नजर आती है। क्रिप्टो करेंसी के मामले में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस आपको अपनी संपत्ति पर पूरी तरह का कंट्रोल देता है। मतलब आप किसी भी समय बिना किसी लिमिट और बिना किसी सरकारी संस्था के दखल से उधार लेने, पैसे निकालने, पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।

EasyFi Network के सीओओ और को-फाउंडर अंशुल धर के मुताबिक DeFi के मामले में ध्यान देने की जरूरत है कि इसका एक भी सिंगल आविष्कार मौजूद नहीं है। और ये प्रोडक्ट्स क्रिप्टो में कर्ज और उधार लेने की सुविधा में किसी थर्ड पार्टी के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होती है। DeFi पर ट्रेड के लिए किसी ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है।

2. DeFi का महत्व

1. पहला, DeFi लेनेदेन के लिए किसी भी थर्ड पार्टी या फिर ब्रोकर पर भरोसा नहीं करती है, जो बैंकिंग के पारंपरिक तरीकों से डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? पूरी तरह से अलग है। इसका मतलब है कि DeFi सिस्टम में कोई सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी शामिल नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या DeFi के डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? इस्तेमाल को स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कहा जा सकता है? साधारण शब्दों में कहें, तो DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।

2. दूसरा, फंड्स को तुरंत ट्रांसफर किया जा सकेगा। साथ ही इस लेनदेन की दरें मौजूदा दौर में पुराने बैंकिंग सिस्टम की तुलना में कम से कम होती हैं। हालांकि ब्लॉकचेन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? नेटवर्क के हिसाब से लेनदेन की लागत अलग-अलग होती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल रुप से वितरित, डिसेंट्रलाइज्ड, सार्वजनिक खाता बही है, जो एक नेटवर्क पर मौजूद डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? है। सीधे शब्दों में कहें तो, यूजर्स की तरफ से DeFi पर किए जाने वाले सभी लेनदेन एक डेटाबेस में स्टोर होते हैं, जिसे हर कोई देख सकता है। इससे लेनदेन में ज्यादा पारदर्शिता रहती है और यह केंद्रीकृत वित्तीय एजेंसियों की किसी भी दखलंदाजी से अलग होता है।

3. तीसरा, DeFI लोगों को लेनदेन को गुमनाम रखती है। मतलब इसमें बैंक की तरह केवाईसी की जरूरत नहीं होती है। यह यूजर्स को उनके लेनदेन को लेकर सेंस ऑफ प्राइवेसी और सिक्योरिटी डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? मुहैया करता है। आपको बस एक क्रिप्टो वॉलेट चाहिए और आप डेफी प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू कर सकते हैं।

क्या कारण है कि DeFi प्लेटफॉर्म साइबर हमलों के प्रति इतने संवेदनशील हैं? डेफिस पर साइबर हमले कैसे होते हैं?

DeFi में हमेशा एक ओपन सोर्स कोड मौजूद रहता है। मतलब, ये प्रोटोकॉल पढ़े जा सकते डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? हैं। इनमें परिवर्तन किया जा सकता है। साथ ही किसी भी मकसद से आवंटित किए जा सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा सकते हैं और कोड में खामियों का फायदा उठाकर फ्रॉड की घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है। DeFI प्रोटोकॉल किसी भी सुरक्षा खामियों के लिए जांचे नहीं जा सकते हैं, जिससे हैकर्स को निशाना बनाना आसान हो जाता है।

DeFi पर ज्यादातर दो प्रकार के साइबर हमले होते हैं।

1. साल 2021 में 'Rug Pull' का मामला सामने आया था, जिसमें 36 फीसदी लोगों को 2.8 बिलियन डॉलर (लगभग 280 करोड़ रुपये) से ज्यादा का नुकसान हुआ था। क्रिप्टो करेंसी इंडस्ट्री में एक Rug Pull एक मैलेशियल प्रैक्टिस है, जहां क्रिप्टो डेवलपर्स एक प्रोजेक्ट को छोड़ देते हैं और निवेशकों के फंड लेकर भाग जाते हैं।

2. हैकर्स ने DeFi प्रोटोकॉल में एक बग की पहचान की है, जो सभी क्रिप्टो वॉलेस तक एक्सेस हासिल कर DeFi से पैसे उड़ा ले जाते हैं।

इसके अलावा, DeFi प्लेटफॉर्म पर बाहरी खतरों का रिस्क होता है, जो किसी प्रोजेक्ट के बाहर से उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि एक पहले के बिजनेस पार्टनर, जिसमें डेटा ब्रीच और कई तरह के स्पेस्लाइज्ड हमले (मेलेशियल) या यहां तक ​​कि तकनीकी कमियां शामिल हैं, जिससे फंड्स तक हैकर्स की पहुंच हो जाती है।

DeFi की सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?

किसी भी तरह के DeFi का इस्तेमाल करने से पहले यूजर को हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए कि DeFi जिस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर रही है, वो पूरी तरह से टेस्टेड है या नहीं साथ ही एक प्रतिष्ठित ऑडिटेड एजेंसी की तफ से ऑडिट की गयी है या नहीं। सिक्योरिटी हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है। ऐस में हमेशा ध्यान देना जाना चाहिए कि आपके बैंकिंग पासवर्ड की तरह आपके क्रिप्टो वॉलेट में आपकी क्रिप्टो करेंसी स्टोर है, जिसे एक पर्सनल की यानी कुंजी कहा जाता है, जो आपके पासकोड की तरह होती है। ऐसे में अपना क्रिप्टो वॉलेट पासकोड किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।

यूजर्स को हमेशा बड़े घाटे से बचने के लिए ऐसी जगह पैसा नहीं निवेश करना चाहिए, जो एक दिन में अचानाक बड़े रिटर्न देते हैं, ऐसी जगह निवेश के ज्यादा खतरे होते हैं। यूजर्स को संभावित हनीपोट्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जो शुरुआती तौर पर Rug Pull की तरफ संकेत करते हैं। इसके अलावा यूजर्स को किसी भी स्कैम एडवर्टाइज से दूर रहना चाहिए, जो निश्चित ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल होने वाली संपत्ति को ट्रांसफर करने का मौका देते हैं।

कैसे DeFi प्लेटफॉर्म्स को सुरक्षित और भरोसेमंद माना जा सकता है?

सिक्योरिटी एक बड़ी चिंता का मुद्दा है। ऐसे में यूजर्स को हमेशा अपनी तरह से जांच करनी चाहिए कि क्या प्रोटोकॉल का लेखा-जोखा सही तरह से जांचा परखा गया है। यूजर्स को हमेशा बेसिक सिक्योरिटी चेक्स को देख लेना चाहिए। कई फ्रॉड में देखा गया है कि नए संभावित सिक्योरिटी चेक्स मौजूद रहे हैं, जो सुरक्षा को बढ़ा भी सकते हैं और नहीं भी और इसे पूरी तरह से देखा जाना चाहिए। टू फैक्टर अथेटिकेशन या फिर दूसरे अथेंटिकेशन डेफी प्रोटोकॉल की ओरे से दी जाने वाली सुरक्षा का निर्धारण करते समय एक अच्छी शुरुआत है।

कैसे EasyFi की तरफ से DeFi प्रोटोकॉल पर मौजूद यूजर्स को सिक्योरिटी और सेफ्टी सुनिश्चित की जा रही है?

EasyFi नेटवर्क अपने यूजर्स के फंड को किसी बाहरी या आंतरिक खतरे से बचाने के लिए प्रोटोकॉल पर एक शानदार सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। हमने एक लीडिंग साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिक्योरिटी फर्म हैलबोर्न सिक्योरिटी से स्मार्ट ऑडिट, सिक्योरिटी प्रैक्टिस के लिए फुल टाइम कंसल्टेशन हासिल किया है। इसलिए उनका काम केवल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ऑडिट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रोटोकॉल और इसके यूजर को उच्च स्तर तक सुरक्षित रखने के लिए हमें नियमित रूप से नई बेस्ट प्रैक्टिस पर सलाह देते हैं।

Blockchain टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया का बैकबोन? समझिए

Cryptocurrency शब्द आज के वक्त में बहुत पॉपुलर हो गया है, लेकिन इस कॉन्सेप्ट को पंख लगाने के पीछे Blockchain technology का हाथ है. यह टेक्नोलॉजी क्रिप्टो की दुनिया का बैकबोन है. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि यह क्या है और कैसे काम डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? करता है.

Blockchain टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया का बैकबोन? समझिए

Blockchain Technology पर ही काम करती हैं क्रिप्टोकरेंसीज़. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

चाहे आप फाइनेंशियल इंडस्ट्री में बहुत दिलचस्पी रखते हों या नहीं, आपने क्रिप्टोकरेंसी, जैसे Bitcoin, Ethereum और Dogecoin सहित कई अन्य वर्चुअल करेंसीज़ का नाम जरूर सुना होगा. पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस कॉन्सेप्ट के पीछे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का हाथ है. इस तकनीक की शुरुआत 2008 में सातोषी नाकामोतो नाम के एक शख्स- या कई लोगों- ने की थी. (इसकी शुरुआत करने वाले की असली पहचान अभी तक नहीं पता है.) बिटकॉइन की सफलता के पीछे ब्लॉकचेन तकनीक का बहुत बड़ा हाथ है. ऑनलाइन peer-to-peer नेटवर्क के तहत होने वाले सभी ट्रांजैक्शन को रजिस्टर करने वाला एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर यानी एक विस्तृत विकेंद्रित बहीखाता होता है, जो स्वतंत्र रूप से काम करता है. यह नेटवर्क पर हो रहे हर लेन-देन का हिसाब रखता है.

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ब्लॉकचेन का फंक्शन ऐसा होता है कि यह सिस्टम किसी सेंट्रल अथॉरिटी के नियंत्रण के बिना काम करता है. इससे यूजरों के पास अपने असेट और ट्रांजैक्शन का पूरा नियंत्रण रहता है.

ब्लॉकचेन क्या होता है?

ब्लॉकचेन को समझने के लिए आइए इसकी तुलना डेटाबेस से करके समझते हैं. डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है. जैसे कि मान लीजिए, एक अस्पताल के डेटाबेस में मरीजों की जानकारी होगी, स्टाफ, दवा, मरीजों का आना-जाना वगैरह जैसी सब इस जानकारी डेटाबेस में रहेगी. ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा होता है. यह कई कैटेगरीज़ के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है. इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैंं और ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो एक तरीके का डेटा का चेन बनाते हैं. इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं.

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हालांकि सामान्य डेटाबेस के उलट, ब्लॉकचेन को कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं करती है. इसको डिजाइन ही इस लोकतांत्रिक सोच के तौर पर किया गया था कि इसे इसके यूजर ही चलाएंगे.

ब्लॉकचेन काम कैसे करता है?

सीधा-सीधा समझें तो ब्लॉकचेन डिजिटल बहीखाता है और जो भी ट्रांजैक्शन इसपर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसे Distributed Ledger Technology (DLT) कहा जाता है.

इसे ट्रांजैक्शन के इस प्रोसेस से समझिए.

1. मान लीजिए किसी क्रिप्टोकरेंसी यूजर ने एक ट्रांजैक्शन किया.

2. इस ट्रांजैक्शन का डेटा चेन पर एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटर्स पर चला जाएगा, और इन्हें कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा.

3. अगर ट्रांजैक्शन की वैलिडिटी यानी वैधता चेक करनी हो तो एल्गोरिदम से चेक कर लेते हैं.

4. इसकी वैलिडिटी कन्फर्म करने के बाद इस ट्रांजैक्शन के डेटा को पिछले सभी ट्रांजैक्शन के ब्लॉक में ऐड कर देते हैं.

5. यह ब्लॉक दूसरे ब्लॉक्स से जुड़ा होता है, जिससे कि लेज़र में इस ट्रांजैक्शन की जानकारी दर्ज हो जाती है.

इसके फायदे क्या हैं?

सबसे पहले तो इस तकनीक से पारदर्शिता बनी रहती है क्योंकि नेटवर्क पर सबके पास हर रिकॉर्ड का एक्सेस रहता है. और ऊपर से यह एक डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम है यानी कि इसपर किसी एक संस्था या व्यक्ति का कंट्रोल नहीं होता है और कोई एक ही शख्स हर डेटा पर नियंत्रण नहीं रख सकता है.

एनॉनिमस होने के साथ-साथ यह यूजरों को सुरक्षा भी देता है. जैसेकि अगर किसी हैकर को कोई सिस्टम हैक करना है तो उसे पूरे नेटवर्क पर हर ब्लॉक को करप्ट करना होगा. अगर कोई हैकर किसी ब्लॉक को करप्ट करता भी है, तो क्रॉस चेकिंग करके ही उस ब्लॉक की पहचान की जा सकती है, ऐसे में यह चीजें ब्लॉकचेन को सुरक्षित बनाती हैं.

Crypto Currency किस तकनीक पर काम करती है, यहां जानिए

Blockchain technique: अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी को गंभीरता से समझना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी किस तकनीक पर काम करती है।

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ब्लॉकचेन की शुरुआत
पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज तेजी से बढ़ा है, डिजिटल करेंसी के इस कॉन्सेप्ट के पीछे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का हाथ है।ब्लॉकचेन तकनीक की शुरुआत साल 2008 में सातोषी नाकामोतो नाम के एक शख्स ने कई लोगों के साथ मिलकर की थी।

बिटकॉइन की सफलता

बिटकॉइन की सफलता के पीछे ब्लॉकचेन तकनीक का बहुत बड़ा हाथ है। ब्लॉकचेन ऑनलाइन पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के तहत होने वाले सभी ट्रांजेक्शन को रजिस्टर करने वाला एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर होता है। यह स्वतंत्र रूप से काम करता है, यह नेटवर्क पर हो रहे हर लेन-देन का हिसाब रखता है।

बही खाता है ब्लॉकचेन

ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है। ब्लॉकचेन एक डिजिटल बहीखाता है। यह एक तरह का रजिस्टर है इसे जटिल एनक्रिप्शन तकनीक का उपयोग करके सुरक्षित किया जाता है। इस पर कुछ भी अपडेट करने के लिए गणित के जटिल सवालों को हल करना होता है। इस प्रक्रिया को ही डिजिटल माइनिंग कहते हैं।

क्या है डिजिटल माइनिंग

डिजिटल माइनिंग करने वाले इन सवालों को हल करने के बाद ट्रांजैक्शन को वेरीफाई करते हैं फिर उसे पब्लिक लेजर में अपडेट किया जाता है। इस काम के बदले माइनिंग करने वालों को क्रिप्टो करेंसी के रूप में भुगतान किया जाता है। इस तरह नया कॉइन सरकुलेशन में आता है। चूँकि यहां कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं है, इसलिए लेजर में ट्रांजैक्शन को वैलिडेट करने में माइनिंग की प्रक्रिया बहुत अहम है। केवल मान्यता प्राप्त माइनर ही क्रिप्टो की माइनिंग कर सकते हैं। इस तकनीक के जरिए यह पता किया जा सकता है कि वह डिजिटल टोकन किसने किसको भेजा है। यही वजह है कि सरकार इस तकनीक को वेलिडेट कर सकती है।

यूजर के पास ही पूरा नियंत्रण
ब्लॉकचेन का फंक्शन ऐसा होता है कि यह सिस्टम किसी सेंट्रल अथॉरिटी के नियंत्रण के बिना काम करता है। इससे यूजर के पास अपने एसेट और ट्रांजैक्शन का पूरा नियंत्रण रहता है। ब्लॉकचेन भी किसी संसथान के डेटाबेस जैसा होता है। यह कई कैटेगरी के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है, इन ग्रुप को ब्लॉक कहते हैंं और ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो एक तरीके का डेटा का चेन बनाते हैं, इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं।

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