शेयर मार्केट के प्रकार

Multibagger Stock : 1 रुपये के शेयर का कमाल! 4 साल में 1 लाख बना दिए 65 लाख, अब दी स्टॉक स्प्लिट की सौगात
Sanmit Infra ने अपने शेयरहोल्डर्स को स्टॉक स्प्लिट की सौगात दी है। इसके तहत 10 रुपये फेस वैल्यू वाले एक शेयर के बदले में निवेशकों को 1 रुपये फेस वैल्यू वाले 10 शेयर दे दिए गए हैं
सनमीत इन्फ्रा (Sanmit Infra shares) के शेयर बीते एक साल में 213 फीसदी के दमदार रिटर्न के साथ अपने शेयरहोल्डर्स के लिए मल्टीबैगर साबित हुए हैं
- bse live
- nse live
Multibagger Stock : सनमीत इन्फ्रा (Sanmit Infra shares) के शेयर बीते एक साल में 213 फीसदी के दमदार रिटर्न के साथ अपने शेयरहोल्डर्स के लिए मल्टीबैगर साबित हुए हैं। पिछले शेयर मार्केट के प्रकार 5 साल की बात करें तो यह शेयर 5,350 फीसदी का रिटर्न दे चुका है। हाल में, Sanmit Infra ने अपने शेयरहोल्डर्स को स्टॉक स्प्लिट की सौगात दी है। इसके तहत 10 रुपये फेस वैल्यू वाले एक शेयर के बदले में निवेशकों को 1 रुपये फेस वैल्यू वाले 10 शेयर दे दिए गए हैं। हालांकि, 17 नवंबर 2022 को 85.70 रुपये का आल टाइम हाई छूने के बाद शेयर में प्रॉफिट बुकिंग देखने को मिली। सोमवार को बीएसई पर शेयर मामूली तेजी के साथ 71.40 रुपये पर बंद हुए।
4 साल पहले 1.31 रुपये का था शेयर
Sanmit Infra का शेयर लगभग 4 साल पहले 21 दिसंबर, 2018 को 1.31 रुपये के स्तर पर था। इस प्रकार, उस समय किसी निवेशक ने इस पेट्रोकेमिकल शेयर में 1 लाख रुपये लगाए होते तो यह रकम बढ़कर 65 लाख रुपये हो गई होती। हालांकि शेयर में अभी भी तेजी जारी है। पिछले एक महीने में शेयर 35 फीसदी का रिटर्न दे चुका है। पिछले छह महीने में शेयर 40.90 रुपये से बढ़कर 73.70 रुपये का हो चुका है। इस प्रकार छह महीने में शेयर ने 80 फीसदी रिटर्न दिया है।
शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?
शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।
ब्रोकर क्या है? | Broker in Hindi
ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।
शेयर मार्केट में मुख्यतः दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं
- Full Time ब्रोकर – वे ब्रोकर जो शेयर की खरीद बेच के माध्यम के साथ-साथ अन्य सुविधाओं जैसे मार्केट रिपोर्ट्स शेयर के संबंध में सलाह, शेयर के बारे में रिसर्च आदि उपलब्ध कराते हैं वह Full Time ब्रोकर कहलाते हैं
- Discount ब्रोकर – वे ब्रोकर जो कम ब्रोकिंग चार्जेस के साथ शेयरों की खरीद बेच में मदद करते हैं वे डिस्काउंट ब्रोकर कहलाते हैं ये अन्य कोई सुविधा नहीं प्रदान करते हैं
ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
भारत में किस प्रकार के ब्रोकर प्लान उपलब्ध हैं?
भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं
- Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित शेयर मार्केट के प्रकार stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
- Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।
ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?
ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है
- Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।
जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को शेयर मार्केट के प्रकार बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है
- Delivery Charges जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच 1 दिन में नहीं की जाती है तब उस स्थिति में ब्रोकिंग चार्जेस की गणना डिलीवरी शुल्क के अंतर्गत की जाती है।
इस स्थिति में डिलीवरी चार्ज 0.2% तथा 0.75 % के मध्य होता है जो कि सौदे में किए गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है।
इस प्रकार से डिलीवरी चार्ज की गणना के लिए डिलीवरी चार्ज प्रतिशत को खरीद बेच में प्रयुक्त शेयर की संख्या से गुणा किया जाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?
- Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
- Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
- Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
- Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
- GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
- SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
- DP( Depository Participants)
जब हम किसी शेयर की खरीद बेच एक ही trading session के दौरान नहीं करते हैं। उस स्थिति में यह शुल्क depository participants द्वारा लिया जाता है। Intraday Trading के दौरान यह शुल्क देय नहीं होता है। यह शुल्क शेयर की संख्या पर निर्भर ना होकर एक निश्चित राशि के रूप में लिया जाता है।
शेयर मार्केट में ब्रोकर से जुड़े कुछ सवाल जवाब
शेयर मार्केट(Share Market) में कितने प्रकार के ब्रोकर होते हैं?
शेयर मार्केट में कितने दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं-
Full Time ब्रोकर तथा Discount ब्रोकर
शेयर खरीदने के लिए जरूरी है डीमैट खाता, जानिए कितनी तरह के होते हैं Demat Account
Demat Account: शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए 3 तरह के डीमैट अकाउंट होते हैं. निवेशकों की प्रोफाइल के हिसाब से इन्हें तैयार किया जाता है. इसकी पूरी देख आपकी ब्रोकिंग फर्म करती है.
शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट अकाउंट किया जाता है.
Demat Account: शेयर ट्रेडिंग (Share trading) के लिए डीमैट अकाउंट (Demat account) भी होगा. निवेश के लिए डीमैट खाता सबसे आम और अनिवार्य बात है. बिल्कुल बैंक अकाउंट की तरह (जहां पैसे सेफ रखे जाते हैं) डीमैट अकाउंट में भी आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखे जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारतीय शेयर बाजारों में निवेश के लिए कुल कितने तरह के Demat account होते हैं?
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए 3 तरह के डीमैट अकाउंट होते हैं. निवेशकों की प्रोफाइल के हिसाब से इन्हें तैयार किया जाता है. इसकी पूरी देख आपकी ब्रोकिंग फर्म करती है.
रेगुलर डीमैट खाता (Regular Demat account)
शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट अकाउंट किया जाता है. भारतीय निवेशक और ट्रेडर्स देश में ही रहते हैं और यहीं के शेयर बाजार में निवेश करते हैं. आप ये रेगुलर डीमैट खाता (Demat Account) किसी भी डिपॉजिट्री-CDSL या NSDL पर रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं. खाते से इलेक्ट्रॉनिकली शेयरों में निवेश और ट्रेड किया जाता है.
रिपाट्राइबल डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat account)
रिपाट्राइबल डीमैट अकाउंट्स नॉन-रेजिडेंट इंडियन्स (NRIs) के लिए होते हैं. इसके जरिए NRIs भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं. ट्रेडर्स और निवेशक इस अकाउंट के जरिए विदेश में फंड ट्रांसफर भी कर सकते हैं. लेकिन, फंड ट्रांसफर के लिए निवेशकों के पास NRE बैंक खाता भी होना चाहिए. इस शेयर मार्केट के प्रकार खाते में ज्वाइंट होल्डर भी शामिल कर सकते हैं, जिन्हें भारतीय नागरिक होना चाहिए. हालांकि, वे कहां रह रहे हैं उस पर कोई पाबंदी नहीं है. इस डीमैट खाते में भी नॉमिनेशन सुविधा होती है.
रिपाट्राइबल डीमैट खाता (Repatriable Demat Account) खुलवाने के लिए NRIs को पासपोर्ट की एक कॉपी, PAN कार्ड, वीजा, विदेश में अपना पता, पासपोर्ट साइज फोटो और साथ ही में FEMA डिक्लेरशन और NRE या NRO खाते का कैंसल्ड चेक भी देना होगा.
नॉन-रिपाट्रिएबल डीमैट अकाउंट
ये खाता भी NRIs के लिए ही होता है लेकिन इस खाते से विदेश में फंड ट्रांसफर नहीं किए जा सकते. इस खाते के लिए NRO बैंक अकाउंट की जरूरत होती है. ये खाता उनके लिए है जिनकी आय भारत और विदेश दोनों में है. देश के अंदर और विदेश की कमाई को एक साथ मैनेज करने के लिए NRO खाते का इस्तेमाल किया जाता है.
Equity Market Meaning In Hindi इक्विटी मार्केट का परिभाषा एवं प्रकार को जानिए
अगर आप Equity Market Meaning In Hindi को सर्च कर रहे हैं तो आपका यह एक बेस्ट सर्च साबित होने वाला है. क्योंकि इक्विटी मार्केट का हिंदी में मीनिंग एवं उनके प्रकार के बारे में विस्तार से बताया जाएगा.
Equity Market Meaning In Hindi
- शेयर मार्केट
- शेयर बाजार
- स्टॉक बाजार
- स्टॉक मार्केट.
इक्विटी मार्केट को आमतौर पर शेयर बाजार या स्टॉक बाजार के शेयर मार्केट के प्रकार तौर पर जाना जाता है. यह वह बाजार होता है जहां पर कंपनी अपने शेयरों को बेचती है और निवेशक उन शेयरों को खरीदने सकते हैं, खरीदने के बाद दूसरे निवेशकों को भेज भी सकते हैं.
इक्विटी मार्केट का परिभाषा
इक्विटी बाजार, जिसे शेयर बाजार के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा मंच है जहां पर कंपनी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए अपने हिस्सेदारी को शेयर के तौर पर बेचती है और निवेशक उसे खरीदते हैं.
भारत में मुख्य तौर पर, दो इक्विटी मार्केट है जिसका नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है.
इक्विटी बाजार एवं स्टॉक एक्सचेंज में थोड़ा सा अंतर है. सरकार के द्वारा स्थापित किया गया वह प्लेटफार्म जहां पर इक्विटी बाजार चलता है, उसे स्टॉक एक्सचेंज कहते हैं.
इक्विटी मार्केट के प्रकार
इक्विटी मार्केट को कामकाज करने के आधार पर दो भागों में बांटा जा सकता है. अगर आप एक निवेशक हैं तो आपको इक्विटी मार्केट के प्रकार को अच्छे से समझना होगा.
- प्राइमरी इक्विटी मार्केट
- सेकेंडरी इक्विटी मार्केट
प्राइमरी इक्विटी मार्केट (Primary Equity Market)
प्राइमरी इक्विटी मार्केट को मुख्य बाजार के तौर पर जाना जाता है. यही नहीं इस मार्केट को इशु मार्केट (निर्गम बाजार) भी कहते हैं.
जहां कंपनियां अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करवाती हैं और पहली बार निवेशकों को इसकी सदस्यता लेने के लिए संपर्क करती हैं. इस बाजार में प्रतिभूतियों का निर्गम चार प्रकार का हो सकता है.
जब प्रतिभूतियों बड़े पैमाने पर निवेशकों को जारी की जाती है, तो इसे पब्लिक इश्यू के रूप में जाना जाता है. यह इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) या फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर के जरिए हो सकता है.
राइट्स इश्यू
यहां, सूचीबद्ध संस्थाएं अपने मौजूदा शेयरधारकों को मौजूदा बाजार कीमतों की तुलना में कम कीमत पर प्रतिभूतियों को सक्षम करके शेयरों में अपने पहले के अनुपात को बनाए रखने की अनुमति देती है.
निजी प्लेसमेंट
कभी-कभी, जनता को बड़े पैमाने पर प्रतिभूतियां जारी नहीं की जाती हैं, और कुछ चुनिंदा व्यक्तियों को, इसे निजी प्लेसमेंट के रूप में जाना जाता है.
जारी करने वाली संस्था को यह रास्ता अपनाने के लिए संघीय एजेंसियों के विभिन्न दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता होती है.
मौजूदा शेयरधारक को बिना किसी विचार के रिकॉर्ड तिथि पर शेयर जारी करना बोनस इश्यू के रूप में जाना जाता है.
सेकेंडरी इक्विटी मार्केट (Secondary Equity Market)
सेकेंडरी इक्विटी मार्केट को हिंदी में द्वितीयक इक्विटी बाजार कहते हैं. जिसे आप से मार्केट के नाम से जानते हैं, सही मायने में इसी को सेकेंडरी इक्विटी मार्केट कहते हैं.
हम आपके बीच में जो शेयर मार्केट फेमस है वह यही सेकेंडरी इक्विटी मार्केट है. सूचीबद्ध कंपनियां यहां पर अपने शेयरों को बेच सकती है. निवेशक भी यहां पर अपने द्वारा खरीदे गए शेयरों की बिक्री कर सकता है और नए शेयर को खरीद भी सकता है.
निष्कर्ष
आखिर में सारांश – एक ऐसा मंच है जहां पर कंपनी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए अपने हिस्सेदारी को शेयर के तौर पर बेचती है और निवेशक उसे खरीदते हैं, उसे इक्विटी बाजार कहते हैं. यह दो प्रकार के होते हैं प्राइमरी एवं सेकेंडरी.
मुझे पूर्ण रूप से भरोसा है कि इक्विटी मार्केट मीनिंग इन हिंदी से संबंधित आर्टिकल पसंद आया होगा. अगर आपके पास इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप पूछ सकते हैं. अपने प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में लिखिए उत्तर जल्द मिलेगा.
Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?
Trading क्या है? यह प्रश्न ज्यादातर स्टॉक मार्केट में नए लोगों को परेशान करता है। आज कई small retailers स्टॉक मार्केट में है जो trading और investment में अंतर नहीं समझ पाते है। अगर आपको भी ट्रेडिंग शब्द का मतलब नहीं पता है। तो आज कि लेख में हम आपको trading meaning in hindi के बारे में बारीकी से समझाएंगे। इसलिए आज का पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस अंत तक पढ़े। तो फिर आइए जानते हैं।
Trading क्या है?
Trading को आसान शब्दों में व्याख्या करें तो हिंदी में इसे " व्यापार " कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करके मुनाफा कमाना।
Stock Market Trading भी इसी तरह होता है। जैसे कि हम किसी वस्तु को खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं। बिल्कुल वैसे ही स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर कि खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है। ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है। मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है। अगर एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश कहलाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पर आधारित बिजनेस होता है।
उदाहरण के तौर पर अगर हम share market में शेयर खरीद रहे हैं तो हमारे जैसे कोई अन्य व्यक्ति होगा जो उन शेयर को बेच रहा होगा। चलिए इसे अब अपने डेली लाइफ से जोड़ते हैं। मान लीजिए आपने होलसेल स्टोर से कोई सामान ₹50 खरीदा और उसे बाद में ₹60 लगा कर कस्टमर्स को बेच दिया। अगर यह आप रोजाना करते हैं तो इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।
बिल्कुल ऐसे ही शेयर बाजार में शेयर मार्केट के प्रकार भी होता है। आप शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के अंदर खरीदे हुए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेच देते है। तो यह Stock Market Trading कहलाता है।
Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें यह कोई नहीं जानता कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या मूवमेंट आयेगा। अगर शेयर से जुड़ी न्यूज़ अच्छी आती है तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी। वहीं इसका उल्टा करे तो शेयर से जुड़ी न्यूज़ खराब आती है तो शेयर के भाव में मंदी देखने को मिल सकती है।
Stock Market Trading कितने प्रकार के होते हैं?
- Scalping Trading
- Intraday Trading
- Swing Trading
- Positional Trading
Scalping Trading क्या है?
Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।
Intraday Trading क्या है?
Intraday Trading वह trade जो 1 दिन के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं। और मार्केट बंद(3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को Intraday ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि Intraday ट्रेडिंग scalping trading से थोड़ा कम रिस्की होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़े।
Swing Trading क्या है?
Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को शेयर मार्केट के प्रकार खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।
Positional Trading क्या है?
Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।
Trading और Investment में क्या अंतर है?
- Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
- Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
- Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
- Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
- Trading शेयर मार्केट के प्रकार short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।
आपने क्या जाना
जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।