एक Price Gap क्यों बनता हैं

सामान्य परिणाम के लिए , 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु स्खलन के एक घंटे बाद भी सामान्य रूप से चलने चाहिए। शुक्राणु का संचार या गतिशीलता , प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि शुक्राणु को एक अंडे को गर्भधारण करने के लिए चलना पड़ता है। टेस्ट के दौरान स्वचालित प्रणाली इस संचार के लिए शुक्राणु का विश्लेषण करती है और उन्हें 0 से 4 के पैमाने पर रेट करती है। जहां पर 0 के स्कोर का मतलब है कि शुक्राणु आगे नहीं बढ़ रहे हैं और 3 या 4 का स्कोर अच्छा संचार के बारे में बताते हैं।
Uric Acid In Hindi – यूरिक एसिड बढ़ने से हो सकती है ये दो बीमारियाँ
दीपांकर शर्मा, 36, को पिछले कुछ दिनों से दोनों पैरों की एड़ियों में एक अजीब सा दर्द होने लगा था (heel pain cause of uric acid in hindi)| यह दर्द तब उठता था जब वह चलने के लिए अपने पैर ज़मीन पर रखते थे |
“जब जब मैं चलने लगता तब तब मेरे एड़ियों में एक चुभन सी होती थी | उन पर थोड़ा सा दबाव पड़ने पर भी दर्द बढ़ जाता था” दीपांकर ने अपनी स्तिथि को समझाते हुए कहाँ | उनको कई दिनों से पेट के निचले हिस्से और पीठ के बीच वाली जगह पर भी दर्द हो रहा था | अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला की उनके किडनी में एक छोटी सी पथरी है |
यह जानने पर दीपांकर की पत्नी ने उन्हें सीताराम भरतिया के डॉ. मयंक उप्पल के पास जांच के लिए जाने को कहाँ |
डॉ. मयंक उप्पल ने उनके लक्षणों को सुन कर उन्हें एक ब्लड टेस्ट कराने को कहाँ जिससे उनके शरीर में यूरिक एसिड (uric acid in hindi) की मात्रा पता चल सके | साथ में उन्होंने दीपांकर को सीरम यूरिक एसिड और 24 घंटों वाली Urinary Uric acid टेस्ट कराने को भी कहाँ |
क्या है यूरिक एसिड (uric acid in hindi)?
यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरिन (purine) नामक केमिकल का संसाधन करता है यानि उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है | प्यूरिन केमिकल हमारे शरीर में भी बनते है और कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाए जाते है |
“इस क्रिया में बना हुआ यूरिक एसिड रक्त में मिल जाता है और किड्नीस तक पहुँच जाता है | हमारे किड्नीस रक्त से इस केमिकल को छान लेते है और पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकाल देते है” डॉ. मयंक उप्पल ने कहाँ |
“परन्तु जब शरीर अधिक से ज़्यादा यूरिक एसिड बनाने लगता है या फिर किड्नीस सही मात्रा में इस केमिकल को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाते है तब रक्त में इसकी मात्रा बढ़ती जाती है जिससे शरीर एक Price Gap क्यों बनता हैं में फिर परेशानियाँ पैदा हो सकती है | इस स्तिथि को hyperuricemia कहते है |”
शरीर में ज़्यादा यूरिक एसिड (uric acid in hindi) से क्या हानि हो सकती है ?
डॉ. मयंक उप्पल समझतें हैं – “रक्त में ज़्यादा यूरिक एसिड होने के कारण समय के साथ साथ उसके नोकीले क्रिस्टल्स बनने लगते है | ये क्रिस्टल्स या तो शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ पट्टी में या फिर किड्नीस में जा कर जमने लगते है | जोड़ पट्टी में जमने पर ये गाउट जैसी बीमारी का कारण बनते है | किड्नीस में जमने पर ये किडनी स्टोन्स या पथरी बनाने लगते है | दोनों ही हमारे शरीर के लिए हानिकारक है |”
“यह अच्छी बात है की आपने अपने दर्द को नज़रअंदाज़ न करके जांच के लिए आ गए | अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा लम्बे समय के लिए अधिक हो और एक Price Gap क्यों बनता हैं उसका इलाज न किया जाए तो आगे चल के यह हड्डियों को भारी नुक्सान पहुँचा सकता है | और तो और यह किड्नीस और दिल रोगों के भी कारण बन सकता है |”
अगर आप भी करते हैं इंसुलिन का इस्तेमाल तो यहां एक बार जरूर पढ़ लें, होगा फायदा
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। डायबिटीज के मरीजों को उनके शुगर लेवल के हिसाब से इंसुलिन दिया जाता है। यदि इंसुलिन के बावजूद शुगर कंट्रोल एक Price Gap क्यों बनता हैं में नहीं आती तो उनका इंसुलिन का लेवल भी बढ़ा दिया जाता है। डायबिटीज के प्रभाव मरीजों पर बहुत अलग-अलग होते हैं, डायबिटीज के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकें इसके लिए डायबिटीज के मरीज को इंसुलिन दिया जाता है।
क्या आप जानते हैं यदि आपकी डायबिटीज कंट्रोल में नहीं होगी तो आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि डायबिटीज पेशेंट जो इंसुलिन लेते हैं, उसके भी नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इंसुलिन के प्राथमिक संरचना की खोज ब्रिटिश आण्विक जीवशास्त्री फ्रेड्रिक सैंगर ने की थी। यह प्रथम प्रोटीन था जिसकी शृंखला ज्ञात हो पायी थी। इस कार्य के लिए उन्हें 1958 में रासायनिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आइए जानें डायबिटिक्स में इंसुलिन के अतिरक्त प्रभावों के बारे में।
फॉलिक्युलर स्कैन कैसे किया जाता है?
फॉलिक्युलर स्कैन प्रशिक्षित अल्ट्रासाउंड डॉक्टर (सोनोग्राफर) या फिर आपकी इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा। डॉक्टर की विशेषज्ञता और आपके मासिक चक्र के समय को देखते हुए यह स्कैन पेट पर से या फिर योनि के भीतर से (ट्रांसवेजाइनल) किया जा सकता है।
कई बार ट्रांसवेजाइनल स्कैन से सोनोग्राफर को अंडाशय और उनमें मौजूद फॉलिकल्स को देखना ज्यादा आसान होता है।
क्या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग में दर्द होता है?
नहीं, यह पीड़ादायक नहीं है। जब पेट के ऊपर से स्कैन किया जाता है, तो यह किसी भी अन्य अल्ट्रासाउंड स्कैन के जैसा ही होता है। स्कैन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जैल ठंडा और थोड़ा असहज लग सकता है, मगर इससे दर्द नहीं होता।
जब स्कैन योनि के जरिये किया जाता है, तो अल्ट्रासाउंड डॉक्टर ल्युब्रिकेंट लगाकर प्रोब को योनि के भीतर डालते हैं। इससे आपको असहजता हो सकती है, मगर दर्द नहीं होना चाहिए। इस स्कैन में आमतौर पर दो-तीन मिनट ही लगते हैं। ट्रांसवेजाइनल स्कैन के बारे में यहां विस्तार से पढ़ें।
मुझे कितने समय तक फॉलिक्युलर स्कैन करवाते रहने होंगे?
आपकी डॉक्टर बताएंगी कि वे आपके कितने मासिक चक्र तक आपके ओव्यूलेशन पर नजर रखना चाहेंगी, ताकि आप उसके अनुसार निश्चित अवधि में संभोग करें। अगर, इसके बाद भी आप गर्भधारण नहीं कर पाती तो वे शायद आपकी संभावनओं को बढ़ाने के लिए कुछ प्रजनन दवाएं भी दे सकती हैं।
आपकी डॉक्टर ही यह बेहतर तय कर सकती हैं कि कितने चक्र तक यह करवाना जरुरी है, मगर आमतौर पर यदि प्रजनन दवाएं लेने पर भी आप पांच-छह चक्र तक गर्भधारण न कर पाएं, तो डॉक्टर इससे भी अधिक उच्च उपचार पर विचार करेंगी।
फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग के दौरान पता लगी समस्याओं और आपकी उम्र को देखते हुए यह तय होगा कि आपको कितने चक्रों तक यह मॉनिटरिंग करवानी होगी।
साथ ही, यदि आपने आईवीएफ का विकल्प चुना है तो स्कैन ज्यादा विस्तृत और ज्यादा बार होते हैं।
माहवारी चक्र के किस चरण पर मुझे अल्ट्रासाउंड के लिए जाना होगा?
सोनोग्राफर या आपकी डॉक्टर यह स्कैन आमतौर पर आपके माहवारी चक्र के छठे या सातवें दिन पर शुरु करेंगी। वे यह मानकर चलती हैं कि आपका चक्र नियमित 28 दिन का होता है।
आपकी डॉक्टर या सोनोग्राफर फॉलिकल या फॉलिकलों का माप नोट करेंगी। साथ ही वे गर्भकला (एंडोमेट्रियम) यानि गर्भ की दीवार की मोटाई भी मापेंगी।
वे आपके फॉलिकल के माप के आधार पर यह सटीकता से बता सकेंगी कि आपका डिंबोत्सर्जन कब होगा।
आपकी डॉक्टर शायद फॉलिकल और एंडोमेट्रियम तक रक्त के प्रवाह को जांचने के लिए डॉप्लर स्कैन कर सकती हैं। इससे वाहक नलिकाओं की स्थिति (वस्कुलेरिटी) की जांच हो जाती है।
आमतौर पर परिपक्व फॉलिकल का माप 18 से 25 मि.मी. के बीच और गर्भाशय की दीवार का माप 10 मि.मी. से ज्यादा सफल गर्भावस्था के लिए बेहतर माना जाता है।
Semen Analysis : वीर्य विश्लेषण क्या है?
वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis), इसे शुक्राणु संख्या भी कहा जाता है जोकि पुरुषों के वीर्य और शुक्राणु की मात्रा और गुणवत्ता को मापता है। वीर्य, पुरुषों के यौन क्रिया करने के दौरान उनके लिंग से निकलने वाला गाढ़ा, सफेद द्रव होता है। जिसे रस्खलन भी कहा जाता है। पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु कोशिकाएं होती हैं जो आनुवंशिक होती हैं। जब पुरुष का शुक्राणु कोशिका महिला से अंडे के साथ मिलती है, तो यह एक भ्रूण (एक अजन्मे बच्चे के विकास का पहला चरण) बनाती है।
अगर पुरुष के वीर्य में कम शुक्राणु की संख्या या असामान्य शुक्राणु का आकार या कम संचार होता है तो इससे महिलाओं के गर्भधारण में कठिनाई होती है। वीर्य विश्लेषण के जरिए पुरुषों में बांझपन होने के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
कैसे करें वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis) की तैयारी?
इस टेस्ट के लिए आपको किस तरह की तैयारी करनी चाहिए इसकी जानकारी आप अपने डॉक्टर से ले सकते हैं। टेस्ट के सफल परिणाम पाने के लिए एक Price Gap क्यों बनता हैं एक Price Gap क्यों बनता हैं इन निर्देशों का पालन करेः
- टेस्ट कराने से पहले 24 से 72 घंटे तक वीर्य स्खलन से बचें।
- टेस्ट कराने से 2 से 5 दिन पहले कोकीन और मारिजुआना जैसे शराब , कैफीन और ड्रग्स का सेवन न करें।
- अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार किसी भी हर्बल दवा का सेवन न करें।
- अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार किसी भी हार्मोन दवा का सेवन न करें।
- अगर किसी दवा का इस्तेमाल करते हैं तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।
कैसे किया जाता है वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis) ?
इस टेस्ट के लिए पुरुष को अपने डॉक्टर को वीर्य का नमूना देना होता है।
रिजल्ट को समझें
मेरे परिणामों का क्या मतलब है?
जब एक डॉक्टर स्पर्म एनालिसिस टेस्ट की समीक्षा करता है , तो इसके पीछे कई कारक होते हैं। पुरुष नसबंदी के बाद विश्लेषण शुक्राणु की उपस्थिति दिखता है , लेकिन प्रजनन की क्षमता के लिए विश्लेषण करने में अधिक अध्यनन करना होता है। इस दौरान आपका डॉक्टर निम्नलिखित परिणामों में से प्रत्येक को ध्यान में रखेगा:
शुक्राणु का आकार
एक सामान्य शुक्राणु का आकार 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणुओं से बनता है। अगर किसी पुरुष एक Price Gap क्यों बनता हैं में 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु हैं जो असामान्य रूप से आकार के हैं , तो इससे उसकी प्रजनन क्षमता एक Price Gap क्यों बनता हैं कम हो जाती है। टेस्ट के दौरान शुक्राणु के सिरे भाग , मध्य भाग या उसके आखिरी भाग में असामान्यताओं की पहचान की जाती है। इस दौरान यह भी संभव हो सकता है कि शुक्राणु अपरिपक्व हो और इसलिए अंडे को प्रभावी ढंग से गर्भधारण करने में सक्षम नहीं है।
मोतियाबिंद सर्जरी से ठीक होने के समय को कम से कम करें
आपको आश्चर्य हो सकता है कि मोतियाबिंद सर्जरी के बाद आप कितना अच्छा महसूस करने लगे हैं और आप अगले दिन से ही कितनी आसानी से सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर पा रहे हैं।
हालांकि, आपको पहले सप्ताह के दौरान कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप किसी संक्रमण के विकसित होने या आँख के ठीक होने के दौरान उस पर चोट लगने से बच सकें।
आपको आमतौर पर संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक और किसी भी आंतरिक सूजन को कम करने में मदद करने के लिए जलन-रोधी आई ड्रॉप्स लेने के लिए कहा जाएगा। आपको अपनी मोतियाबिंद सर्जरी से ठीक होने के दौरान लगभग एक सप्ताह तक रोजाना कई बार आई ड्रॉप्स डालने की आवश्यकता होगी।
ऑपरेशन के बाद आपको होने वाली सूजन की मात्रा के आधार पर, आपको कुछ हफ्तों से लेकर एक महीने तक ड्रॉप्स की आवश्यकता हो सकती है। सुनिश्चित करें कि आप इन आई ड्रॉप्स का उपयोग ठीक निर्धारित ढंग से करते हैं।