जगह रोक आदेश

अब आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए गोद लेना जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
Supreme Court on Street Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें अदालत ने गोद लेना अनिवार्य कर दिया था
Supreme Court on Street Dogs: अब बेसहारा या आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए आपको उन्हें गोद लेने की जरूरत नहीं है
अब बेसहारा या आवारा कुत्तों (Street Dogs) को खाना खिलाने के लिए आपको उन्हें गोद लेने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें अदालत ने गोद लेना अनिवार्य कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि इस मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट आगे सुनवाई करता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर नगर निगम को भी निर्देश दिया है कि वे कुत्तों के खाना खिलाने की जगह सुनिश्चित करें, ताकि आम लोग उन्हें वहां खिला सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 16 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर रोक लगा दी कि नागपुर में आवारा कुत्तों के संरक्षण और कल्याण में दिलचस्पी रखने वालों को उन्हें गोद लेना चाहिए या उन्हें आश्रय गृहों में रखना चाहिए तथा उनके रखरखाव के लिए खर्च वहन करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने नागपुर नगर निगम को निर्देश दिया कि वह इस बात के उपाय करे कि आम जनता चिह्नित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खिला सके।
अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, “आप इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि जो लोग उन्हें खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें उन आवारा कुत्तों को गोद ले लेना चाहिए।” जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने जनता से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से किसी अन्य व्यक्ति को कोई परेशानी न हो।
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामला: विवादित परिसर के सर्वे आदेश पर रोक 30 सितंबर तक बढ़ी
Allahabad High Court News: याचिका पर मंदिर पक्ष की तरफ से पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया. याची अधिवक्ता ने इसका जवाब . अधिक पढ़ें
- News18 Uttar जगह रोक आदेश Pradesh
- Last Updated : August 31, 2022, 08:12 IST
हाइलाइट्स
केंद्र व राज्य सरकारों से भी 10 दिन में जवाबी हलफनामा मांगा
कोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे को सही नहीं माना
प्रयागराज. काशी विश्व नाथ मंदिर और ज्ञानवापी विवाद को लेकर दाखिल अर्जियों पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद विवादित परिसर का सर्वे कराने के वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के अंतरिम आदेश पर लगी रोक 30 सितंबर तक बढ़ा दी है. याचिका पर मंदिर पक्ष की तरफ से पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया. याची अधिवक्ता ने इसका जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है. कोर्ट ने समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर नियत की है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व अन्य की याचिका में अपर ज़िला जज वाराणसी के आदेश की वैधता व सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए हैं. याचिका की सुनवाई जस्टिस प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.
कोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे को सही नहीं माना और अपर मुख्य सचिव गृह यूपी व भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से महानिदेशक आर्केलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मार्फत व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व का मामला है और राज्य व भारत सरकार के हलफनामे को स्केची करार दिया।
केंद्र व राज्य सरकार से मांगा हलफनामा
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने बहस की कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट में धार्मिक स्थान की प्रकृति बदलने पर रोक है. सिविल वाद में धार्मिक चरित्र बदलने की मांग नहीं की गई है. विवाद स्थान के धार्मिक चरित्र के निर्धारण का है, जिसे साक्ष्य लेकर ही तय किया जा सकता है. इसलिए इस मामले में वह कानून लागू नहीं होगा. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पैरा 3 से 50 तक नो कमेंट लिखा है. मुद्दे पर सरकार का पक्ष स्पष्ट नहीं किया गया है, जगह रोक आदेश इसलिए केंद्र व राज्य सरकारों से भी 10 दिन में जवाबी हलफनामा मांगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को लगभग एक घंटे इस मामले में बहस हुई.
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Chhattisgarh High Court News: पटवारी के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
बिलासपुर। धनंजय सिंह पटवारी के पद पर पटवारी हल्का नंबर 26 चनवारीडांड और अतिरिक्त प्रभार पटवारी हल्का नंबर 22 चैनपुर तहसील मनेंद्रगढ़ जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में पदस्थ है। उनका स्थानांतरण 26 अक्टूबर 2022 को कलेक्टर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर द्वारा पटवारी हल्का नंबर 11 कंजिया तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर कर दिया गया। उक्त स्थानांतरण आदेश के खिलाफ धनंजय सिंह ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर किया है।
जिसकी सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के कोर्ट में हुई। उक्त याचिका में यह आधार लिया गया कि कलेक्टर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर द्वारा पटवारियों को एक ही जगह पर 3 वर्ष से अधिक समय से पदस्थ पटवारियों के स्थानांतरण करने हेतु आदेश जारी किया गया था किंतु एक ही हल्के पर वर्तमान याचिकाकर्ता धनंजय सिंह की पदस्थापना मई 2022 मैं हुई थी तथा छत्तीसगढ़ शासन के स्थानांतरण नीति वर्ष 2022 की कंडिका 1.5 मैं यह उल्लेख है कि ऐसे शासकीय सेवक जोकि एक ही स्थान पर 15 अगस्त 2021 अथवा उससे पूर्व से कार्यरत हो केवल उन्हीं के स्थानांतरण किए जाएंगे।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा यह अन्य आधार लिया गया कि याचिकाकर्ता की पदस्थापना वर्तमान में पटवारी हल्का नंबर 26 चनवारीडांड और अतिरिक्त प्रभार पटवारी हल्का नंबर 22 चैनपुर है किंतु स्थानांतरण आदेश मैं याचिकाकर्ता का स्थानांतरण पटवारी हल्का नंबर 9 चैनपुर से पटवारी हल्का नंबर 11 कंजिया तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर कर दिया गया और उसी आधार पर तहसीलदार मनेंद्रगढ़ द्वारा
उपरोक्त आधारों पर उच्च न्यायालय द्वारा स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाते हुए उत्तर वादी, राजस्व आपदा एवं प्रबंधन विभाग के सचिव और कलेक्टर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर और अनुविभागीय अधिकारी मनेंद्रगढ़ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
मुंबई में 2 जनवरी तक कर्फ्यू का ऐलान, जानें क्या-क्या रहेगा बैन; पढ़ें पूरा आदेश
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में अचानक धारा 144 लागू करने का ऐलान कर दिया गया है. शहर में शांति सुनिश्चित करने और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी प्रकार के व्यवधान से बचने के लिए मुंबई पुलिस ने 4 दिसंबर से 2 जनवरी तक शहर जगह रोक आदेश में धारा 144 लागू कर दिया है. इस दौरान पांच या इससे अधिक लोगों के एक साथ एक जगह इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी गई है.
मुंबई पुलिस द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, 4 दिसंबर 2022 से 2 जनवरी 2023 तक शहर में हथियारों, फायर आर्म्स, तलवारों और अन्य हथियारों जगह रोक आदेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. इतना ही नहीं, इस दौरान सार्वजनिक जगहों पर नारेबाजी, प्रदर्शन और गानों के प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी गई है.
तो चलिए जानते हैं 2 जनवरी तक मुंबई में क्या क्या बैन रहेगा.
- लाउडस्पीकर, वाद्य यंत्र और बैंड बजाने और पटाखे फोड़ने पर रोक.
- सभी प्रकार के विवाह समारोहों, अंतिम संस्कार सभाओं, कब्रिस्तानों के रास्ते पर जुलूस, कंपनियों, क्लब, सहकारी समितियां और अन्य संघों की बड़े पैमानों पर बैठकों पर रोक.
- सरकारी या अर्धसरकारी कार्य करने वाले सरकारी कार्यालयों, अदालतों और स्थानीय निकायों के आसपास 5 या अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक.
- क्लबों, थिएटरों या सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों के आसपास या किसी भी स्थान पर बड़े पैमाने पर लोगों के इकट्ठा होने पर रोक. नाटकों या कार्यक्रमों, कृत्यों को देखने के उद्देश्य से इकट्ठा होने पर भी रोक.
- अदालतों और सरकारी कार्यालयों के आसपास और सरकारी या अर्धसरकारी कार्य करने वाले स्थानीय निकायों के आसपास लोगों के जमावड़े पर रोक.
- शैक्षणिक गतिविधियों के लिए स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में बैठक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
- कारखानों के सामान्य व्यवसाय के लिए बैठक पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
- दुकानों व प्रतिष्ठानों या व्यवसाय से जुड़ी बैठकों और सभाओं व जुलूसों के प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध.
- मुंबई पुलिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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दरअसल, सेक्शन 144 यानी धारा 144 को संवैधानिक भाषा में कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी सीआरपीसी धारा 144 कहा जाता है. इस धारा की रूप रेखा राज रत्न ईएफ देबु ने तैयार की थी. जो पहली बार साल 1861 में बड़ौदा स्टेट में लागू की गई. सुरक्षा संबंधी खतरे या दंगे की आंशका होने पर क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए इस धारा का इस्तेमाल होता है. इसके लगने के बाद 5 या उससे ज्यादा लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं. इसको लागू करने के लिए जिलाधिकारी को एक नोटिफिकेशन जारी करना पड़ता है. धारा 144 और कर्फ्यू में बड़ा अंतर होता है. कर्फ्यू के दौरान लोगों को अपने घरों में रहने का निर्देश होता है, जहां मार्केट, स्कूल और कॉलेज आदि बंद रहते हैं. लेकिन धारा 144 के दौरान सभी कुछ खुला रहता है. बस केवल भीड़भाड़ करने की इजाजत नहीं होती है.