शेयरों का तकनीकी विश्लेषण

स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है

स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है

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5paisa से समझें इंडेक्स कैसे कराएंगे शेयर बाजार में कमाई, समझ जाएंगे कहां जा रहा स्टॉक मार्केट

बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद करते हैं। 5paisa शेयर बाजार के सभी सेक्टर और इंडेक्स से जुड़ी जानकारियां देने के अलावा बेहद आसान तरीके से इंडेक्स की चाल को समझने में मदद करता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या फिर करना चाहते हैं स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है तो आपको एक बात हर हाल में पता होगी कि शेयर बाजार का गिरना या उसका चढ़ना ही तय करता है कि आपको बाजार में कमाई होगी या नुकसान होगा। अब सवाल उठता है कि किसी निवेशक या आम आदमी को कैसे पता चलता है कि किसी दिन शेयर बाजार गिरा है या चढ़ा है। इसी सवाल का आसान जवाब देने के लिए शेयर बाजार ने सेंसेक्स और निफ्टी की शुरुआत हुई थी जो कि अब भारतीय शेयर बाजार का चेहरा बन गए हैं। बाजार पर हल्की नजर रखने वाले भी जानते हैं कि जब सेंसेक्स और निफ्टी गिरते हैं तो माना जाता है कि भारत का शेयर बाजार गिरा है, वहीं ये इंडेक्स अगर बढ़ते हैं तो माना जाता है कि घरेलू बाजार बढ़ रहा है। हालांकि इंडेक्स की दुनिया इतनी आसान और छोटी नहीं है। सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो न केवल बाजार के कई अलग अलग हिस्सों के प्रदर्शन की जानकारी देते हैं। साथ ही निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद भी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं कि बाजार से आप ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें तो आपके लिए ये जानना जरूरी होगा आखिर ये इंडेक्स होते क्या हैं।

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क्या होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार अपने तेजी से लिए जाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। हालांकि फैसले लेने के लिए आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाजार की दिशा क्या है। सभी जानते हैं कि किसी की भी दिशा जानने के लिए भले ही वो शेयर बाजार क्यों न हो आपके पास कम से कम दो रिफ्रेंस प्वाइंट होने जरूरी हैं। क्योंकि इसी से आप दोनों प्वाइंट की तुलना कर कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं। इसी नियम को देखते हुए शेयर बाजार में इंडेक्स की शुरुआत की गई है। ये इंडेक्स इस आधार पर डिजाइन किये गए हैं कि वो शेयर बाजार के अधिकांश हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हों और कई स्टॉक के प्रदर्शन के असर को किसी खास वक्त के लिए एक रिफ्रेंस प्वाइंट के रूप में दर्शा सकते हों। इसका फायदा ये है कि सूचकांक के पिछले रिफ्रेंस प्वाइंट्स की आपस में तुलना कर बाजार में निवेशक जान सकते हैं कि इस इंडेक्स में शामिल कंपनियों का कुल प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ या नीचे गिरा है। निवेशक ऐसे ही कई प्वाइंट की मदद से बाजार की चाल का अंदाजा भी लगाते हैं। यानि इंडेक्स बाजार में किसी एक खासियत के आधार पर चुनी गई कंपनियों का समूह होता है जिसका किसी खास वक्त पर मूल्य उन कंपनियों के उसी वक्त पर स्टॉक के प्रदर्शन के आधार पर तय होता है।

What is Nifty and Sensex In Stock Market

कितनी तरह के होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार में हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं, ये कंपनियां बाजार मूल्य के हिसाब से अलग अलग साइज और सेक्टर से आती है। शेयर बाजार के हर हिस्से की सही तस्वीर पाने के लिए अलग अलग साइज और सेक्टर के हिसाब से इंडेक्स बनाए गए हैं। आम तौर पर तीन तरह दो तरह के इंडेक्स होते हैं। पहला इंडेक्स कंपनियों के बाजार मूल्य के हिसाब से बनाया जाता है। इसमें सभी सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया जाता है। इसमें सेंसेक्स निफ्टी, निफ्टी नेकस्ट 50, लार्ज कैप, स्मॉल कैप और मिड कैप इंडेक्स आते हैं। वहीं दूसरे इंडेक्स सेक्टर पर आधारित होते हैं। जैसे बैंकिंग सेक्टर इंडेक्स, आईटी सेक्टर इंडेक्स, फार्मा सेक्टर इंडेक्स, रियल्टी सेक्टर इंडेक्स आदि।

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क्या होते हैं सेंसेक्स और निफ्टी

Sensex और Nifty शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स हैं। दरअसल भारत के बाजार की चाल इन दो Index से पता चलती है। सेंसेक्स में देश की सबसे बड़ी 30 कंपनियों और निफ्टी में 50 कंपनियों को शामिल किया गया है। ये कंपनियां लगभग सभी प्रमुख sector का प्रतिनिधित्व करती हैं और घरेलू बाजार में कुल कारोबार का अधिकांश हिस्सा इन कंपनियों में होता है। यानि इन कंपनियों का प्रदर्शन तय करता है कि किसी खास दिन पूरे बाजार की चाल क्या होगी।

क्यों जरूरी है इंडेक्स को समझना

Index को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे किसी खास समय पूरे बाजार या किसी खास सेक्टर की दिशा का पता चलता है। वहीं दूसरी तरफ म्युचुअल फंड मैनेजर इन इंडेक्स को बेंचमार्क रखकर रणनीति बनाते हैं। जैसे आईटी सेक्टर पर आधारित म्युचुअल फंड स्कीम आईटी सेक्टर के रिटर्न से ज्यादा रिटर्न पाने की कोशिश करती है। इंडेक्स और स्कीम के प्रदर्शन की तुलना से निवेशक पता कर सकते हैं कि किस स्कीम में निवेशकों को रिटर्न बाजार के रिटर्न से भी ज्यादा मिला है। 5paisa आपको शेयर बाजार स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है के सभी सेक्टर और इंडेक्स से जुड़ी ताजा जानकारियां देता है और बेहद आसान तरीके से इंडेक्स की चाल को समझने में मदद करता है। जिससे आप बाजार में निवेश को लेकर बेहतर फैसला ले सकते हैं।

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

अब हम आपको बताते हैं कि किस वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है और शेयरों के भाव चढ़ते-गिरते हैं:
आम समझ यह है कि जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है. इसके स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है साथ ही कई अन्य वजहें भी हैं, जिनकी वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव आता है.

यदि दो देशों के बीच कारोबारी और रणनीतिक संबंध बेहतर बनने की उम्मीद हो तो अर्थव्यवस्था की तरक्की के हिसाब से निवेशक शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं.

मसलन भारत-चीन के बीच बेहतर कारोबारी संबंध से अमेरिकी या यूरोपीय निवेशकों को भारत की ग्रोथ रेट बेहतर होने की उम्मीद बढ़ जाती है. वे भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना शुरू करते हैं.

इन कारणों का भी पड़ता है असर:
* भारत कृषि प्रधान देश है. अगर मौसम विभाग मानसून की अच्छी बारिश का अनुमान लगाता है तो शेयर बाजार में तेजी आती है. निवेशक यह अनुमान लगाते हैं कि अच्छी बारिश से अनाज का ज्यादा उत्पादन होगा. मतलब यह कि कृषि आधारित उद्योग की तरक्की ज्यादा होगी.

इन उद्योग में ट्रैक्टर, खाद, बीज, कीटनाशक, बाइक एवं FMCG कंपनियां शामिल हैं. निवेशकों को लगता है कि इन कंपनियों का कारोबार और मुनाफा बढ़ेगा. इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयरों की खरीदारी बढ़ जाती है.

* यदि रिज़र्व बैंक मैद्रिक नीति की घोषणा में ब्याज दर में कमी करे तो कर्ज की दर सस्ती होगी. इससे बैंक से लोन लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और अंत में बैंकों का लाभ बढ़ेगा. इस वजह से निवेशक बैंक एवं NBFC के शेयरों की खरीदारी करते हैं और उनके भाव में तेजी आती है.

* RBI की मौद्रिक समीक्षा (ब्याज दर में कमी या वृद्धि), सरकार की राजकोषीय नीति (कर की दरों में तेजी-नरमी), वाणिज्य नीति, औद्योगिक नीति, कृषि नीति आदि में किसी बदलाव की वजह से इन क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.

*अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बदलाव पर दुनिया भर की नजरें होती हैं. निवेशक मानते हैं कि अगर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ीं तो विदेशी निवेशक भारत जैसे बाजार से पैसे निकल कर वहां लगायेंगे. इस वजह से यहां शेयर बाजार में बिकवाली शुरू हो जाती है. इससे बाजार में कमजोरी आती है.

*अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम भी शेयरों के भाव पर असर डालते हैं. हाल में शुरू ट्रेड वार, उत्तर-कोरिया विवाद, रूस-अमेरिका विवाद की वजह से युद्ध की आशंका की वजह से निवेशक शेयर से पैसे निकाल कर सोने में निवेश करते हैं. इस वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.

* बजट पेश करने के दौरान की गयी सरकार की पॉजिटिव या निगेटिव घोषणाओं की वजह से भी शेयरों के भाव ऊपर-नीचे होते हैं.

* देश में राजनीतिक स्थिरता (बहुमत की सरकार या गठबंधन की), राजनीतिक वातावरण जैसे कारण भी निवेशकों के निर्णय को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. राज्यों के विधानसभा नतीजे भी शेयर बाजार पर असर डालते हैं. मौजूदा सरकार की जीत से उसकी नीतियों के जारी रहने का भरोसा बना रहता है, इससे निवेशक खरीदारी शुरू करते हैं जिससे बाजार में तेजी आती है.

* समूह प्रभाव (herd effect) की वजह से भी शेयर बाजार में अधिक बिकवाली या खरीदारी की जाती है. इसकी वजह कभी कोई अफवाह या गुप्त जानकारी हो सकती है. बड़ी संख्या में एक साथ बिकवाली या खरीदारी की वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है. कभी-कभी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव डर या अनिश्चितता की वजह से भी होता है.

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टाटा स्टील के शेयरों में 9% से अधिक की तेजी, स्टॉक-स्प्लिट से शेयर पर निवेशक हुए पॉजिटिव

जिन निवेशकों के पास 28 जून तक कंपनी के शेयर थे या उनके खाते में डिलीवरी थी उन्हें स्टॉक स्प्लिट का फायदा मिला

टाटा स्टील के चढ़ने से निफ्टी मेटल इंडेक्स में 4 प्रतिशत चढ़ा जबकि टाटा स्टील के शेयरों में एक महीने में 20 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल नजर आया

टाटा ग्रुप की स्टील कंपनी टाटा स्टील (Tata Steel) के शेयरों में आज तेजी नजर आई है। टाटा स्टील के 1 पर 10 के अनुपात में शेयरों के एक्स-स्प्लिट के बाद टाटा स्टील के शेयरों 9 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 109.3 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच कर कारोबार करते हुए दिखे। शेयरधारकों को टाटा स्टील के प्रत्येक स्टॉक पर 10 शेयर प्राप्त हुए। जिसके पास 28 जून तक कंपनी के शेयर थे या उनके खाते में डिलीवरी थी उन्हें ये फायदा मिला है।

टाटा स्टील के शेयर बीएसई पर पिछले बंद भाव से 7 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 107.45 रुपये पर बंद हुए।

कंपनी द्वारा निर्धारित शेयर विभाजन की रिकॉर्ड तिथि 29 जुलाई थी। टाटा स्टील के प्रत्येक शेयर का फेस वैल्यू अब तुरंत प्रभाव से 1 रुपये है। जनवरी 1996 के बाद स्टील बनाने वाली कंपनी द्वारा यह पहला शेयर विभाजन है।

3 रुपए के शेयर ने इस साल किया कमाल, एक लाख के बन गए 38 लाख रुपए

साल 2022 के पहले दिन मल्टीबैगर स्टॉक कैसर कॉर्पोरेशन की कीमत 3 रुपए से भी कम थी, जो अब बढ़कर 112.85 रुपए प्रति शेयर स्तर पर है। स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है रिटर्न की बात करें तो ये लगभग 3,765 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

3 रुपए के शेयर ने इस साल किया कमाल, एक लाख के बन गए 38 लाख रुपए

साल 2022 में कई कंपनियों के शेयर हैं जो मल्टीबैगर बन चुके हैं। ऐसा ही एक शेयर कैसर कॉर्पोरेशन का है। इस साल शेयर ने जबरदस्त रिटर्न दिया है। साल-दर-दिन आधार पर इस मल्टीबैगर स्टॉक से निवेशकों को लगभग 3765 प्रतिशत रिटर्न मिला है।

शेयर का परफॉर्मेंस: साल 2022 के पहले दिन इस मल्टीबैगर स्टॉक की कीमत 3 रुपए से भी कम थी, जो अब बढ़कर 112.85 रुपए प्रति शेयर स्तर पर है। ये लगभग 3,765 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले एक सप्ताह पर ही गौर करें तो कैसर कॉरपोरेशन का शेयर मूल्य 92.95 रुपए से बढ़कर 112.85 रुपए प्रति शेयर स्तर पर पहुंच गया है, जो इस अवधि में लगभग 21.50 प्रतिशत का रिटर्न दिखाता है। अहम बात ये है कि पिछले एक हफ्ते में इस मल्टीबैगर स्टॉक के सभी 5 सत्रों में अपर सर्किट लगा है।

रकम के हिसाब से समझें: एक हफ्ते पहले निवेशक ने इस मल्टीबैगर स्टॉक में 1 लाख रुपए का निवेश किया होता, तो उसकी रकम 1.21 लाख रुपए हो गई है। एक निवेशक ने एक महीने पहले इस मल्टीबैगर पेनी स्टॉक में 1 लाख रुपए का निवेश किया होता, तो उसकी रकम 2.50 लाख रुपए हो गई है।

इसी तरह, अगर किसी निवेशक ने नए साल की शुरुआत में इस पेनी स्टॉक में 2.92 रुपए के स्तर पर शेयर खरीदते हुए 1 लाख रुपए का निवेश किया होता, तो उसकी रकम 38.65 लाख रुपए हो गई होगी। वर्तमान में कैसर कॉरपोरेशन का मार्केट कैपिटल 593.83 करोड़ रुपए है।

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