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अस्थिर ब्याज क्या है

अस्थिर ब्याज क्या है
सोहम सेन का चित्रण | ThePrint

अभिरुचि ब्याज अदा

भुगतान किया गया अस्थिर ब्याज आंतरिक राजस्व सेवा (IRS) मान है कि एक किस्त के आधार पर बेची गई वस्तु के विक्रेता को भुगतान किया गया है।जब आप किसी वस्तु को किस्त के आधार पर बेच चुके होते हैं, तो कुछ मामलों में अस्थिर ब्याज की गणना की अस्थिर ब्याज क्या है जानी चाहिए, लेकिन उसने ग्राहक से कम या कोई ब्याज नहीं लिया है।क्योंकि ब्याज आय को कभी-कभी अन्य प्रकार की आय से भिन्न माना जाना चाहिए, यह अनुमान लगाने के लिए आवश्यक हो सकता है कि किस्त भुगतान का कौन सा हिस्सा वास्तव में ब्याज आय है।

अनस्टर्ड इंट्रेस्ट पेड को समझना

भुगतान किए गए अस्थिर ब्याज की गणना केवल उन अनुबंधों के लिए की जाती है जिसमें ब्याज भुगतान शामिल नहीं होते हैं, या जब ब्याज लगाया जाता है, तो ब्याज की ब्याज दर नीचे आती है।यदि कोई अनुबंध या चालान एक ब्याज भुगतान और एक मूल भुगतान दोनों का वर्णन करता है, तो ब्याज भुगतान को कथित ब्याज कहा जाता है।एक किस्त अनुबंध में निर्धारित ब्याज ब्याज दर से अधिक होना चाहिए, जो कि ज्यादातर मामलों में लागू संघीय दरों (AFR) पर आधारित होता है ।

लागू संघीय दर आईआरएस द्वारा गणना की जाती है और मासिक ऑनलाइन और विभिन्न वित्तीय समाचार स्रोतों द्वारा प्रकाशित की जाती है।आईआरएस तीन अलग-अलग लागू दरों को प्रकाशित करता है: अल्पकालिक, मध्यावधि और दीर्घकालिक अस्थिर ब्याज क्या है दरें।3  अल्पकालिक दर की गणना उन दरों के औसत द्वारा की जाती है जो सरकार तीन साल या उससे कम की परिपक्वता के साथ बांड के मुद्दों पर भुगतान करती है।मध्य अवधि की दर परिपक्वता में तीन और नौ साल के बीच ट्रेजरी सिक्योरिटीज पर भुगतान की गई दर के औसत से प्राप्त होती है, अस्थिर ब्याज क्या है जबकि दीर्घकालिक दर दस साल या अधिक परिपक्वता के मुद्दों पर आधारित होती है।  भुगतान किए गए अस्थिर ब्याज की गणना करने के लिए, किस्त के लिए भुगतान किए गए माल के विक्रेताओं को किस्त अनुबंध की लंबाई के आधार पर लागू संघीय दर का चयन करना चाहिए।

अस्थिर ब्याज भुगतान का उदाहरण

मान लीजिए कि एर्नी की ट्रैक्टर आपूर्ति कंपनी एक ग्राहक को $ 10,000 में ट्रैक्टर बेचती है, और ग्राहक को किश्तों में ट्रैक्टर के लिए भुगतान करने की अनुमति देता है: अब से छह महीने में $ 5,000, और अब से एक साल बाद 5,000 डॉलर। इस किस्त योजना के लिए ग्राहक अनुबंध पर, कोई राशि नहीं है जो भुगतान किए गए ब्याज के लिए निर्धारित है। कर उद्देश्यों के लिए, आपको यह पहचानने की आवश्यकता हो सकती है कि इस व्यवस्था में ग्राहक के दो $ 5,000 के ऋण का निहितार्थ शामिल है: एक छह महीने की परिपक्वता के साथ, और दूसरा एक वर्ष के लिए।

यदि इस ऋण के लिए लागू संघीय अस्थिर ब्याज क्या है दर प्रति वर्ष 2% है, तो आप दो $ 5,000 के ऋण पर जो ब्याज देंगे, वह लगभग 150 डॉलर होगा। आईआरएस यह मान लेगा कि आपने ट्रैक्टर को $ 9,850 में बेच दिया है और दो ऋण जारी किए हैं जो $ 150 की ब्याज आय का भुगतान करते हैं।

मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर

अस्थिरता एक शब्द है जो समय के साथ व्यापार मूल्य में भिन्नता को संदर्भित करता है। मूल्य भिन्नता का दायरा जितना अधिक होगा, उतनी ही अस्थिरता मानी जाएगी। उदाहरण के अस्थिर ब्याज क्या है लिए, 5, 20, 13, 7, और 17 की क्रमिक बंद होने वाली कीमतों वाली सुरक्षा 7, 9, 6, 8, और 10 की क्रमिक बंद होने वाली कीमतों के साथ समान सुरक्षा की तुलना में अधिक अस्थिर है। उच्च अस्थिरता वाले प्रतिभूतियां हैं मूल्यवान मूवमेंट के रूप में माना जाता है - चाहे ऊपर या नीचे - समान, लेकिन कम अस्थिर, प्रतिभूतियों की तुलना में बड़ा होने की उम्मीद है। एक जोड़ी की अस्थिरता को इसके रिटर्न के मानक विचलन की गणना करके मापा जाता है। मानक विचलन एक माप है कि औसत मूल्य (माध्य) से कितने व्यापक मूल्य फैलते हैं।

ट्रेडर के लिए वोलैटिलिटी का महत्व

प्रत्येक ट्रेडर के लिए सुरक्षा की अस्थिरता के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अस्थिरता के विभिन्न स्तर कुछ रणनीतियों और मनोविज्ञान के लिए बेहतर हैं। उदाहरण के लिए, एक विदेशी मुद्रा ट्रेडर बहुत अधिक जोखिम लेने के बिना अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहता है, उसे कम अस्थिरता वाली मुद्रा जोड़ी चुनने की सलाह दी जाएगी। दूसरी तरफ, जोखिम लेने वाले ट्रेडर अस्थिर जोड़ी की पेशकश के बड़े मूल्य अंतर पर कैश करने के लिए उच्च अस्थिरता वाली मुद्रा जोड़ी की तलाश करेंगे। हमारे उपकरण से डेटा के साथ, आप यह निर्धारित करने में सक्षम होंगे कि कौन से जोड़े सबसे अस्थिर हैं; आप यह भी देख सकते हैं कि विशिष्ट जोड़े के लिए सप्ताह के सबसे कम से कम - अस्थिर दिन और घंटे कौन से हैं, इस प्रकार आप अपनी व्यापार रणनीति को अनुकूलित कर सकते हैं।

करेंसी जोड़े की वोलैटिलिटीा को क्या प्रभावित करता है?

आर्थिक और/या बाजार से संबंधित घटनाएं, जैसे किसी देश की ब्याज दर में परिवर्तन या कमोडिटी कीमतों में गिरावट, अक्सर FX अस्थिरता का स्रोत होता है। अस्थिरता की डिग्री युग्मित मुद्राओं और उनकी अर्थव्यवस्थाओं के विभिन्न पहलुओं से उत्पन्न होती है। करेंसी की एक जोड़ी - एक ऐसी अर्थव्यवस्था से जो मुख्य रूप से कमोडिटी-निर्भर है, दूसरी सेवाएं-आधारित अर्थव्यवस्था - प्रत्येक देश के आर्थिक चालकों में अंतर्निहित मतभेदों के कारण अधिक अस्थिर हो जाती है। इसके अतिरिक्त, अलग-अलग ब्याज दर के स्तर से समान ब्याज दरों वाले अर्थव्यवस्थाओं के जोड़ों की तुलना में मुद्रा जोड़ी अधिक अस्थिर हो जाएगी। अंत में, क्रॉस (जोड़े जो यूएस डॉलर शामिल नहीं करते हैं) और 'विदेशी' क्रॉस (जोड़े जो गैर-प्रमुख मुद्रा शामिल करते हैं), भी अधिक अस्थिर होते हैं और बड़े पूछने / बोली फैलाने के लिए होते हैं। अस्थिरता के अतिरिक्त चालकों में मुद्रास्फीति, सरकारी ऋण और चालू खाता घाटे शामिल हैं; जिस देश की मुद्रा खेल में है, उसकी राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता भी FX अस्थिरता को प्रभावित करेगी। साथ ही, केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित मुद्राएं - जैसे बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी - अधिक स्वाभाविक होंगी क्योंकि वे स्वाभाविक रूप से परिवर्तनशील हैं।

मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें?

पेज के शीर्ष पर, उन सप्ताहों की संख्या चुनें जिन पर आप जोड़े वोलैटिलिटी की गणना करना चाहते हैं। ध्यान दें कि लंबे समय तक चुना गया समय, कम अस्थिर अवधि की तुलना में वोलैटिलिटी को कम करता है। डेटा प्रदर्शित होने के बाद, सप्ताह की दिन अपनी औसत दैनिक वोलैटिलिटी, इसकी औसत प्रति अस्थिर ब्याज क्या है घंटा वोलैटिलिटी और जोड़ी की वोलैटिलिटी का टूटना देखने के लिए एक जोड़ी पर क्लिक करें।

मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर विभिन्न टाइम फ्रेम में प्रमुख तथा एक्सोटिक जोड़ों के लिए एतिहासिक वोलैटिलिटी की गणना करता है। गणना चुने गए टाइम फ्रेम के अनुसार, दैनिक पिप तथा प्रतिशत बदलाव पर आधारित होती है। आप सप्ताह की संख्या डाल कर टाइम फ्रेम को परिभाषित कर सकते हैं। एक व्यक्तिगत करेंसी जोड़े पर क्लिक करके, आप उसके समरूपी घंटो के वोलैटिलिटी चार्ट्स को देखने के साथ-साथ आपके द्वारा चुने गए टाइम फ्रेम पर, प्रति सप्ताहांत उसके औसत वोलैटिलिटी दिखने वाले चार्ट्स को भी देख सकते हैं।

SoftBank में सैकड़ों कर्मियों की होगी छंटनी, ऊंची ब्याज दरें और राजनीतिक अस्थिरता ने बढ़ाई दिक्कतें

जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प (SoftBank Group Corp) ने छंटनी का फैसला किया है

सॉफ्टबैंक ग्रुप के विजन फंड (Vision Fund) यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल (SoftBank अस्थिर ब्याज क्या है Group International) के दुनिया भर में मौजूद 150 कर्मियों को निकाला जाएगा।

जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प (SoftBank Group Corp) ने छंटनी का फैसला किया है। ग्रुप के विजन फंड (Vision Fund) यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल (SoftBank Group International) के दुनिया भर में मौजूद 150 कर्मियों को निकाला जाएगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानकारी सूत्रों के हवाले से दी है।

कंपनी के सीईओ Masayoshi Son ने यह फैसला भारी नुकसान के चलते लिया है। गुरुवार को कर्मियों को नोटिस भेजा गया है और इसका असर विजन फंड यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल के करीब 30 फीसदी कर्मियों पर पड़ेगा।

अस्थिर ब्याज क्या है

फ़ेडरल रिज़र्व

धराशाई होते वित्तीय बाज़ार और गड़बड़ाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अमरीका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है.

इस कटौती के साथ ब्याज की दर तीन प्रतिशत से घटकर 2.25 प्रतिशत हो गई है. लेकिन यह वित्तीय बाज़ार की उम्मीद की तुलना में अभी भी कम है.

फ़ेडरल रिज़र्व ने इस महीने दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है. सितंबर से लेकर अब तक यह छठवीं बार है जब ब्याज दरों में कटौती की गई है.

बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका पहले ही आर्थिक मंदी के दौर में पहुँच चुका है.

अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने के लिए फ़ेडरल रिज़र्व ने इस हफ़्ते कुछ बड़े क़दम उठाए हैं. इसकी शुरुआत करते हुए अमरीका के बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक बीयर स्टर्न्स को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई थी.

अमरीका के वित्तमंत्री हेनरी पॉलसन ने मंगलवार को स्वीकार किया कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में तेज़ी से गिरावट आ रही है, हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल बाद में इसमें सुधार आएगा.

वैसे फ़ेडरल रिज़र्व की मंगलवार की घोषणा के बाद अमरीकी शेयर बाज़ार में तेज़ी से सुधार हुआ है.

ब्याज दरों में कटौती से फ़ेडरल रिज़र्व की अस्थिर बाज़ार को शांत करने की कोशिशों को फ़ायदा मिलेगा.फ़ेडरल रिज़र्व ने साफ़ कर दिया है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करना उसकी पहली प्राथमिकता है और महंगाई के बारे में वह बाद में चिंता करेगा

बीबीसी के आर्थिक मामलों के संवाददाता का कहना है कि ब्याज दरों में ताज़ा कटौती के बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अभी ब्याज दरों में और कटौती होनी है?

फ़ेडरल रिज़र्व को उम्मीद है कि उसके इस क़दम से आर्थिक मंदी को रोकने में सहायता मिलेगी और यह वित्तीय व्यवस्था में सुधारने में मदद करेगा.

सैंड्स ब्रदर सेलेक्ट एक्सेस फ़ंड के डेनियल लिब्बी ने कहा, "ब्याज दरों में कटौती से फ़ेडरल रिज़र्व की अस्थिर बाज़ार को शांत करने की कोशिशों को फ़ायदा मिलेगा."

उनका कहना है, "फ़ेडरल रिज़र्व ने साफ़ कर दिया है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करना उसकी पहली प्राथमिकता है और महंगाई के बारे में वह बाद में चिंता करेगा."

उनका कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था तब तक मज़बूत नहीं हो सकती जब तक कि उसके बैंकों का कामकाज़ ठीक से न चले.

अमरीका में स्थिति यह हो चली है कि बैंक एक दूसरे को पैसा देने में घबराने लगे हैं क्योंकि उन्हें अमरीका में गृह-ऋण से होने वाले नुक़सान की चिंता होने लगी है.

उल्लेखनीय है कि अमरीका में आर्थिक मंदी का सबसे बड़ा असर अमरीका के होम लोन बाज़ार में हुआ है.

तेज ग्रोथ, तीव्र अस्थिरता— भारतीय अर्थव्यवस्था नए वित्तीय वर्ष में क्या उम्मीद कर सकती है

भारत और विदेशों में जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है.

सोहम सेन का चित्रण | ThePrint

वित्तीय वर्ष 2020-21 समाप्त होने जा रहा है. अर्थव्यवस्था तो तेजी से रफ्तार पकड़ेगी लेकिन आने वाले साल में वित्तीय बाजारों में काफी अस्थिरता दिखाई दे सकती है. एक तरफ घरेलू और विदेशी वित्तीय और मौद्रिक गतिविधियां बढ़ने और दूसरी तरफ अनिश्चितता के कारण संपत्ति मूल्यों में उतार-चढ़ाव आ सकता है.

2020-21 को जहां उत्पादन घटने के लिए याद रखा जाएगा, वहीं अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच नई संभावनाओं के आकार लेने और ब्याज दरों में उछाल के कारण 2021-22 में तेजी से वृद्धि और तीव्र अस्थिरता की स्थिति बने रहने के आसार अस्थिर ब्याज क्या है है.

भारत और विदेश दोनों जगह जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है. भारत और विदेशों में, बांड बाजारों और सरकारों और केंद्रीय बैंकरों के बीच उठापटक आने वाले महीनों में भी जारी रहने की संभावना है, जो सरकारी बॉन्ड बेचने और यील्ड कम रखने की कोशिश करेंगे.

आउटपुट बढ़ने की उम्मीदों और मुद्रास्फीति से ब्याज दरें चढ़ने का दबाव बनेगा. यह बॉन्ड बाजार और स्टॉक मार्केट दोनों पर असर डालेगा. यदि लोग अधिक खर्च करना शुरू करते हैं, और सरकारें अधिक उधार लेने की कोशिश करती हैं, तो ब्याज दरें नीचे आने की संभावना नहीं रहती. ऐसे में पहले की तरह जब ग्रोथ धीमी थी, पूंजी प्रवाह बढ़ने पर ब्याज दरें नीचे आने जैसी स्थिति नहीं बन सकती है.

अमेरिका में हायर यील्ड

भारत में पिछले कुछ हफ्तों में सरकार की तरफ उम्मीद से ज्यादा उधार लेने की घोषणा किए जाने से सरकारी बॉन्ड पर ब्याज में तेजी आनी शुरू हुई है. यद्यपि आरबीआई ने पूंजी प्रवाह और बॉन्ड पर निगाहें टिकाए रखने वालों की निश्चिंतता बढ़ाने के लिए खुले बाजार में खरीदारी और संचालन में सुधार वाले कई कदम उठाए हैं, लेकिन यील्ड में तेजी का दबाव बरकरार है. 1.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के राजकोषीय प्रोत्साहन के कारण अपेक्षा से अधिक सुधार ने मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका उत्पन्न कर दी है. फेडरल रिजर्व नीतियों के जरिये उदार रुख के आश्वासनों के बावजूद अमेरिकी राजकोषीय यील्ड अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में यील्ड ने फिर मजबूती पकड़ी है.

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आरबीआई ने बाजारों की स्थिरता के लिए फिर से पूंजी प्रवाह बढ़ाने संबंधी कई कदम उठाए हैं लेकिन अमेरिका में बदली स्थितियां भारत के बांड बाजार को अस्थिर करने की क्षमता रखती हैं.

चिंता इस बात की है कि अमेरिका में हायर अस्थिर ब्याज क्या है यील्ड की वजह से भारत सहित तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की पूंजी बाहर जा सकती है. इससे रुपये पर दबाव बढ़ सकता है. लेकिन करीब 600 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार और इस वर्ष करंट एकाउंट सरप्लस होने की संभावना के साथ भारत 2013 का टेपर टैंट्रम जैसा संकट फिर खड़ा होने पर उनसे निपटने के लिए बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है—उस समय भारत में मुद्रास्फीति लगभग 10 प्रतिशत थी, जबकि इस समय यह उससे लगभग आधे स्तर पर है.

वैश्विक स्तर पर ईंधन की बढ़ी कीमतें आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति की चाल के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. फरवरी महीने में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से अधिक हो गई है जिसकी मुख्य वजह ईंधन की बढ़ी कीमतें हैं. लगातार उच्च मुद्रास्फीति आरबीआई के लिए उदार रुख अपनाए रखने में चुनौती बन सकती है. इससे आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार करना पड़ सकता है, जिससे हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था में आई रफ्तार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. यह चुनौतीपूर्ण होगा, खासकर यह देखते हुए कि बैंक ऋण की ग्रोथ असमान और कमजोर बनी हुई है.

सकारात्मक वृद्धि

2020-21 में सरकार ने महामारी के कारण उपजे आर्थिक संकट को दूर करने और व्यवसायों को फिर खड़ा करने में मदद के लिए विभिन्न चरणों में कई उपायों की घोषणा की. इनमें एमएसएमई को कोलैटरल-फ्री लोन, एनबीएफसी की मदद के लिए आंशिक ऋण गारंटी, और पूंजीगत व्यय और रोजगार को बढ़ावा देने के उपाय शामिल थे.

आरबीआई ने बैंको को व्यवसायों को कम ब्याज पर कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पूंजी तरलता बढ़ाने संबंधी कई उपायों की घोषणा की थी. आरबीआई ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों को सहारा देने के लिए 31 अगस्त 2020 तक पूरे छह महीने के लिए बैंक ऋण पर मोराटोरियम घोषित कर दिया था. इसके बाद जरूरी हो ऋण फिर से जारी करने के लिए बैंकों द्वारा अधिक लचीलापन अपनाए जाने के लिए ऋणों का एकमुश्त पुनर्गठन किया गया. कर्जदारों की मुश्किलें और घटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में एनपीए के वर्गीकरण पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे जोर पकड़ने और सरकार और आरबीआई की तरफ से अर्थव्यवस्था को मजूबती देने वाले कदमों की बदौलत अर्थव्यवस्था ने तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है. 2021 के पहले दो महीनों में अर्थव्यवस्था सुधरने में तेजी देखी जा रही है. पीएमआई विनिर्माण और सेवाएं, बिजली उत्पादन, जीएसटी संग्रह और यात्री वाहनों की बिक्री में निरंतर वृद्धि जैसे संकेतक मजबूती से इस बात को दर्शाते भी हैं. सरकार ने चालू वर्ष में जीडीपी 8 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया है.

अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने के साथ ही नियामक प्रतिबंध संबंधी विभिन्न कदम धीरे-धीरे वापस हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एनपीए वर्गीकरण पर रोक हटा दी है. एनपीए की पहचान और वर्गीकरण पर रोक हटने से बैंक ऐसे खातों की पहचान कर पाएंगे जो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में ब्याज का भुगतान नहीं कर रहे. इससे बैंकिंग प्रणाली में अनिश्चितता समाप्त होगी, वहीं बैड लोन में वृद्धि हो सकती है.

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के निलंबन को हटा दिया जाएगा. हालांकि, चिंता इस बात की है कि इससे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के तहत दायर होने वाले मामलों की संख्या बढ़ सकती है, कंपनी दिवालिया होने से पहले लेनदारों को सभी विकल्पों का आकलन करना होगा.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(श्रेयस शर्मा ने एडिट किया है)

(इला पटनायक एक अर्थशास्त्री हैं और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर हैं राधिका पाण्डेय एनआईपीएफपी में कंसल्टेंट हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

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